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Daily-current-affairs / 14 Mar 2024

परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन: परमाणु ऊर्जा के युग में चुनौतियां और समाधान - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

  • परमाणु ऊर्जा को लंबे समय से दुनिया की ऊर्जा जरूरतों के संभावित समाधान के रूप में देखा जाता रहा है, जो बिजली का अपेक्षाकृत एक स्वच्छ और कुशल स्रोत है। हालाँकि, इसके विभिन्न लाभों के साथ-साथ कई विकट हानिकर परिणाम भी देखे गए हैं, विशेषकर परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन के सन्दर्भ में। जैसे-जैसे भारत जैसे राष्ट्र कोई महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम (तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा पहल) शुरू करते हैं: उनके परमाणु कचरे के प्रबंधन का मुद्दा मुखर होता है। अतः परमाणु अपशिष्ट की प्रकृति, इसके उत्पादन, प्रबंधन तकनीकों और संबंधित चुनौतियों को समझना परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और उसके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

परमाणु अपशिष्ट का उत्पादन:

  • विखंडन की प्रक्रिया के दौरान परमाणु अपशिष्ट मुख्य रूप से परमाणु रिएक्टरों के भीतर उत्पन्न होता है। जब यूरेनियम-235 जैसे कुछ परमाणु नाभिक न्यूट्रॉन को अवशोषित करते हैं, तो वे अस्थिर हो जाते हैं और विखंडन से गुजरते हैं। इस दौरान वे ऊर्जा मुक्त करते हैं और विभिन्न रेडियोधर्मी उपोत्पादों का उत्पादन करते हैं। ये उपोत्पाद, जिनमें विखंडन के टुकड़े और ट्रांसयूरैनिक तत्व शामिल होते हैं, परमाणु अपशिष्ट का निर्माण करते हैं। परमाणु रिएक्टरों से उपभोग किए गए ईंधन में इन रेडियोधर्मी पदार्थों का एक जटिल मिश्रण होता है, जो इसके प्रबंधन और निपटान के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियां प्रस्तुत करता है।

परमाणु रिएक्टरों में प्रयुक्त ईंधन की विशेषताएँ और खतरे:

  • परमाणु रिएक्टरों में प्रयुक्त ईंधन अत्यधिक रेडियोधर्मी होता है और मानव स्वास्थ्य सहित पर्यावरण के लिए जोखिम उत्पन्न करता है। यह विकिरण भी उत्सर्जित करता है जो मानव ऊतक में प्रवेश कर सकता है, जिससे कैंसर और आनुवंशिक उत्परिवर्तन सहित स्वास्थ्य पर अन्य प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त, खर्च किए गए ईंधन के भीतर रेडियोधर्मी समस्थानिकों का क्षय उष्मा भी उत्पन्न करता है, जिसके लिए अत्यधिक गर्मी और संभावित दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक शीतलन की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, परमाणु अपशिष्ट के कुछ घटकों, जैसे कि प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु हथियारों के उत्पादन में किया जा सकता है, जिससे सुरक्षा संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

परमाणु अपशिष्ट का भंडारण और प्रबंधन:

  •  मानव पर पड़ने वाले प्रभावों और पर्यावरणीय संदूषण को कम करने के लिए परमाणु अपशिष्ट का कुशल और सुरक्षित भंडारण आवश्यक है। प्रारंभ में, उत्सर्जित विकिरण के स्तर को कम करने के लिए कूलिंग पूल में संग्रहीत किया जाता है। कुछ समय तक ठंडा होने के बाद, इसे ड्राई कैस्क स्टोरेज में स्थानांतरित किया जा सकता है। इसमें मजबूत कंटेनरों के भीतर ईंधन असेंबलियों को सील करना और उन्हें निर्दिष्ट भंडारण सुविधाओं में रखना शामिल है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे देशों ने प्रयुक्त ईंधन की पर्याप्त सूची जमा की है, जिसके लिए मजबूत भंडारण बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।

तरल अपशिष्ट उपचार:

  • खर्च किए गए ईंधन के अलावा, परमाणु ऊर्जा संयंत्र रेडियोधर्मी दूषित पदार्थों वाले तरल अपशिष्ट का उत्पादन करते हैं। इन अपशिष्टों को आमतौर पर निपटान से पहले रेडियोधर्मी समस्थानिकों को हटाने के लिए उपचारित किया जाता है। उपचार विधियों में वाष्पीकरण, रासायनिक अवक्षेपण या ठोस मैट्रिक्स अवशोषण शामिल हो सकते हैं। हालांकि, उपचार प्रक्रिया मौजूद विशिष्ट संदूषकों और उनके द्वारा उत्पन्न खतरे के स्तर के आधार पर भिन्न हो सकती है। उपचार के प्रयासों के बावजूद, तरल उच्च-स्तरीय कचरे का निपटान पर्यावरणीय संदूषण और दुर्घटना के खतरों की संभावना के कारण एक चिंता का विषय बना हुआ है।

निस्तारण विकल्प और चुनौतियां:

  •   परमाणु अपशिष्ट के लिए भूवैज्ञानिक निस्तारण और पुनः प्रसंस्करण सहित विभिन्न निपटान विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं। भूवैज्ञानिक निपटान में ग्रेनाइट या मिट्टी जैसे स्थिर भूवैज्ञानिक संरचनाओं में गहरे भूमिगत अपशिष्ट पात्रों को गड्ढे में दबाना शामिल है। दूसरी ओर, परमाणु अपशिष्ट के पुनः प्रसंस्करण में रासायनिक रूप से विखंडनीय सामग्री को दुबारा उपयोग के लिए प्रयुक्त किए गए ईंधन से अलग किया जाता है। यह परमाणुओं के पुनः प्रयुक्त ईंधन दक्षता में सुधार कर सकता है। हालाँकि, यह अतिरिक्त अपशिष्ट भी उत्पन्न करता है और प्रसार जोखिम की संभावनाएं भी बढ़ाता है।

चुनौतियां और अनिश्चितताएं:

  •  परमाणु अपशिष्ट के प्रबंधन के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, आज के समय में कई महत्वपूर्ण चुनौतियां और अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। अपशिष्ट संदूषण के उदाहरण, जैसे कि जर्मनी में ऐश (Asse) II को उत्पन्न करने वाले खदान, अनुचित भंडारण और निपटान से जुड़े संभावित जोखिमों को उजागर करते हैं। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका में वेस्ट आइसोलेशन पायलट प्लांट में वर्ष 2014 की घटना जैसी दुर्घटनाएं मजबूत सुरक्षा उपायों और निरंतर निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। इसके अलावा, अनिश्चितताएँ अपशिष्ट उपचार प्रौद्योगिकियों की प्रभावशीलता और निपटान विधियों की दीर्घकालिक व्यवहार्यता को भी संबोधित करते हैं। इन कार्यकलापों से परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन की संभावित लागतों और जोखिमों के बारे में चिंताएँ बढ़ जाती हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन की लागत:

  • परमाणु अपशिष्ट का प्रबंधन परमाणु ऊर्जा उद्योग की लागत बढाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अपशिष्ट प्रबंधन परमाणु ऊर्जा उत्पादन की कुल जीवनचक्र लागत का एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। इन लागतों में अपशिष्ट प्रबंधन, संयंत्र को निष्क्रिय करने और ईंधन चक्र प्रबंधन सहित विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं। अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियों में प्रगति के बावजूद, परमाणु अपशिष्ट से जुड़ा वित्तीय दवाब नीति निर्माताओं और उद्योग हितधारकों के लिए एक विचारणीय मुद्दा बना हुआ है।

भारत में परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन:

  • परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों वाले कई अन्य देशों की तरह भारत को भी परमाणु अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। देश के परमाणु संयंत्रों में प्रयुक्त ईंधन और रिएक्टरों एवं हथियारों में उपयोग किये जाने वाले प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए ट्रॉम्बे, तारापुर और कलपक्कम प्रसंस्करण संयंत्र संचालित करता है। इसके अतिरिक्त, ऑन-साइट सुविधाएं रिएक्टर संचालन के दौरान उत्पन्न निम्न और मध्यवर्ती स्तर के कचरे का प्रबंधन करती हैं। हालांकि, प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर जैसी सुविधाओं के चालू होने में विलम्ब से भारत के अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे की पर्याप्तता के बारे में चिंता उत्पन्न करती है। इस समय भारत में अपनी परमाणु क्षमताओं का विस्तार करना जारी है, यद्यपि इन कार्यों में आनेवाली चुनौतियों का समाधान; परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और इसके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होगा।

निष्कर्ष:

परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है, जो परमाणु ऊर्जा के उपयोग के साथ आती है। रेडियोधर्मी पदार्थों  सहित अन्य परमाणु अपशिष्टों का प्रबंधन; मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण सम्बन्धी जोखिमों को कम करने के लिए आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में भंडारण और निपटान के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने फायदे और नुक्सान हैं। हालांकि, इन तरीकों की दीर्घकालिक प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर अनिश्चितताएं, परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियों में निरंतर अनुसंधान और विकास की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। जैसा कि भारत जैसे राष्ट्र महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहे हैं, परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों का समाधान करना, परमाणु ऊर्जा के संभावित लाभों के साथ-साथ इसके जोखिमों को कम करने के लिए आवश्यक होगा।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. परमाणु कचरे के प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों, विशेषताओं, खतरों और निपटान विकल्पों पर प्रकाश डालते हुए चर्चा करें। परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित और टिकाऊ उपयोग को सुनिश्चित करने में वर्तमान रणनीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को परमाणु कचरे को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है। पुनर्संसाधन सुविधाओं, ऑन-साइट भंडारण और नियामक उपायों सहित परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति भारत के दृष्टिकोण का विश्लेषण करें। भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए इन चुनौतियों के निहितार्थ का आकलन करें। (15 अंक, 250 शब्द)

 स्रोत- हिंदू