होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 06 Apr 2024

भारत का स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य: चुनौतियां, पहल और भविष्य की संभावनाएं - डेली न्यूज़ एनालिसिस

image

संदर्भ
7 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 के अवसर पर वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में विद्यमान चुनौतियों और सफलताओं पर व्यापक चर्चा हो रही हैं, भारत इस चर्चा की केंद्र में है। ध्यातव्य है कि भारत में स्वास्थ्य सेवा का परिदृश्य विरोधाभासों और जटिलताओं से परिपूर्ण है, जहां सामाजिक-आर्थिक विविधताओं के बीच स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच एक बड़ी एवं व्यापक चुनौती बनी हुई है। पिछले एक दशक में, भारत ने स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों (एसडीएच) के ढांचे के भीतर स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने में प्रगति की है, तथापि अभी भी महत्वपूर्ण बाधाएं बनी हुई हैं। 

स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक (SDH)
स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों (एस. डी. एच.) में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रणालियों सहित स्वास्थ्य परिणामों को आकार देने वाले गैर-चिकित्सा कारक शामिल होते हैं। आय, शिक्षा और आवास जैसे ये कारक स्वास्थ्य संबंधी समानता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति खराब स्वास्थ्य से संबंधित होती है। एस. डी. एच. को संबोधित करना स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सेवा और जीवन शैली विकल्पों में सार्थक सुधार के लिए बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

 

स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में चुनौतियां
भारत की स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना शहरी-केंद्रित है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों के दो-तिहाई बेड शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं, जो देश की केवल एक तिहाई आबादी को सेवा प्रदान करते हैं। वित्तीय प्रोत्साहनों के कारण शहरी केंद्रों की ओर आकर्षित होने वाला निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र इस असमानता को और बढ़ा देता है। जबकि स्वास्थ्य सेवा का बोझ अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होता है, जहां अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, चिकित्सा पेशेवरों की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा अक्सर शहरी-केंद्रित पहलों से प्रभावित होती है और इसको कई  बाधाओं का सामना करना पड़ता है, यह गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बाधित करता हैं। अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के इच्छुक चिकित्सा पेशेवरों की कमी, ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा वितरण के सामने प्रणालीगत चुनौतियों को दर्शाता है। ये चुनौतियां केवल ग्रामीण आबादी को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं, बल्कि शहरी स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी दबाव डालती हैं क्योंकि रोगी उन स्थितियों के लिए भी शहरी केंद्रों की ओर भागते है जिन्हें उचित ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे के माध्यम से ठीक किया सकता था।
आयुष्मान भारत पहल
भारत के स्वास्थ्य सेवा सुधार प्रयासों में आयुष्मान भारत अत्यंत महत्वपूर्ण पहल है, यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को बदलने के उद्देश्य से एक व्यापक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में अस्पताल में भर्ती मरीजों की वित्तीय सहायता के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई), प्राथमिक देखभाल के लिए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) की स्थापना, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से प्रौद्योगिकी का प्रयोग और प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन(PM-ABHIM) के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना शामिल है।  
आयुष्मान भारत लाखों परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी देखभाल खर्चों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता प्रदान करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम-जेएवाई के माध्यम से, पात्र परिवारों को स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है, इससे जेब से होने वाले खर्चों में काफी कमी आई है। इसके अतिरिक्त, एचडब्ल्यूसी की स्थापना जैसी पहलों का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा वितरण को मजबूत करना है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों को संबोधित किया जा सके।
चुनौतियाँ और समाधान
आयुष्मान भारत पहल के तहत हुई प्रगति के बावजूद, भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कई चुनौतियों से जूझ रही है। उपलब्ध स्वास्थ्य सेवा लाभों के बारे में जागरूकता की कमी के साथ बुनियादी ढांचे की कमी जैसे कारक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने में महत्वपूर्ण बाधा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य कर्मियों के वितरण में असमानता इन चुनौतियों को बढ़ाती है, यह असमानता लक्षित हस्तक्षेपों की आवश्यकता की मांग करती है।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना अनिवार्य है। स्वास्थ्य बजट को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की भारत की स्पष्ट प्रतिबद्धता है। इस तरह के निवेश बुनियादी ढांचे के विस्तार, देखभाल की गुणवत्ता में सुधार और आबादी के सभी वर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
राजनीतिक इच्छाशक्ति और सतत स्वास्थ्य प्रणालियाँ
पिछले दशक में राजनीतिक इच्छाशक्ति भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दा रहा है। इसने केवल आयुष्मान भारत जैसी पहलों को प्रेरित किया है बल्कि राष्ट्रीय विकास में स्वास्थ्य सेवा के महत्व की सामूहिक मान्यता को भी बढ़ाया है। प्रतिस्पर्धी चुनावी परिदृश्य ने स्वास्थ्य सेवा में निवेश को और प्रोत्साहित किया है, चूंकि चुनावी वादे यूएचसी की दिशा में त्वरित प्रगति का वादा करता है।
इसके अतिरिक्त, 15वें वित्त आयोग की स्वास्थ्य अनुदान जैसी पहल इस क्षेत्र की ऐतिहासिक उपेक्षा को दूर करने और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के निर्माण में सहायक हैं। यद्यपि भारत ने स्वच्छता, पेयजल और आवास जैसे क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा में व्यापक पूंजीगत व्यय मौजूदा अंतराल को पाटने और देश को व्यापक यूएचसी की ओर ले जाने के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष
भारत की स्वास्थ्य सेवा के समक्ष चुनौतियों और अवसरों दोनों मौजूद है। जहां बुनियादी ढांचे और जागरूकता की कमी इसमे महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा करती है, वहीं आयुष्मान भारत जैसी पहल सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में एक ठोस प्रयास का संकेत देती है। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, बढ़ा हुआ निवेश और लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से, भारत अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों को दूर कर सकता है और अपने सभी नागरिकों के लिए एक लचीली समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण कर सकता है। हालांकि आगे का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन सामूहिक दृढ़ संकल्प और रणनीतिक कार्रवाई के साथ, भारत 'सभी के लिए स्वास्थ्य' के दृष्टिकोण को साकार कर सकता है और एक स्वस्थ, अधिक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

1.    आयुष्मान भारत जैसी महत्वपूर्ण नीतिगत पहलों के बावजूद, भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बुनियादी ढांचे की कमी और जागरूकता की कमी से जूझ रही है। भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की उपलब्धि में बाधा डालने वाली बहुआयामी चुनौतियों पर चर्चा करें और उनसे निपटने के लिए रणनीतियों का सुझाव दें।(10 marks, 150 words)

2.    भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को बदलने में राजनीतिक इच्छाशक्ति और निरंतर निवेश की भूमिका का विश्लेषण करें। आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के एजेंडे को आगे बढ़ाने में कैसे योगदान दिया है, साथ ही यह भी स्पष्ट करें कि  शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आगे क्या कदम उठाने की आवश्यकता है?(15 marks, 250 words)

Source – Indian Express