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Daily-current-affairs / 17 Feb 2022

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति - समसामयिकी लेख

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की-वर्ड्स :- हरित हाइड्रोजन और अमोनिया नीति, अक्षय बिजली, इलेक्ट्रोलिसिस, कम कार्बन फुटप्रिंट, विनिर्माण क्षेत्र, मीथेन।

चर्चा में क्यों?

विद्युत मंत्रालय ने गुरुवार को हरित हाइड्रोजन और अमोनिया नीति को अधिसूचित किया है। जिसके तहत सरकार प्राथमिकता के आधार पर आईएसटीएस (अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम) से कनेक्टिविटी और उत्पादन के लिए विनिर्माण क्षेत्र को स्थापित करने की रुपरेखा तैयार कर रही है। यदि उत्पादन सुविधा जून 2025 से पहले शुरू हो गई तो 25 साल के लिए मुफ्त ट्रांसमिशन की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

हरित हाइड्रोजन क्या है?

अक्षय बिजली का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित होने वाले हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।

हरित हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण के विकल्प के रूप में प्रयुक्त हो सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के अंतराल की पूर्ति करने में सहायक होगा।

गतिशीलता के संदर्भ में, शहरों और राज्यों के भीतर माल ढुलाई, यात्रियों के लिए लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेलवे, बड़े जहाजों, बसों या ट्रकों आदि में उपयोग के लिए हरित हाइड्रोजन ऊर्जा का एक स्वच्छ विकल्प हो सकता है।

हरित हाइड्रोजन और अमोनिया नीति की मुख्य विशेषताएं :-

सरकार ने 2030 तक अपने उत्पादन लक्ष्य को 10 लाख टन से बढ़ाकर 50 लाख टन कर दिया है। पिछले साल अक्टूबर में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने कहा था कि भारत शुरू में 2030 तक लगभग 10 लाख टन वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य बना रहा है।

नीति में प्रस्ताव है कि ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया निर्माता बिजली एक्सचेंज से अक्षय ऊर्जा खरीद सकते हैं या अक्षय ऊर्जा (रिनिबेल एनर्जी-आरई) क्षमता स्वयं या किसी अन्य, डेवलपर के माध्यम से, कहीं भी स्थापित कर सकते हैं।

सरकार आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर खुली पहुंच प्रदान करेगी और निर्माता डिस्कॉम के साथ अपनी अप्रयुक्त अक्षय ऊर्जा को 30 दिनों तक स्टोर कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस ले सकते हैं।

30 जून, 2025 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन/अमोनिया के निर्माताओं को 25 वर्षों के लिए अंतर-राज्यीय संचरण शुल्क की छूट प्रदान की जाएगी।

हरित हाइड्रोजन/अमोनिया के निर्माताओं और अक्षय ऊर्जा संयंत्र को किसी भी प्रक्रियात्मक देरी से बचने के लिए प्राथमिकता के आधार पर ग्रिड से कनेक्टिविटी दी जाएगी। अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) का लाभ हाइड्रोजन/अमोनिया निर्माताओं और लाइसेंसधारी वितरकों को प्रदान कर अक्षय ऊर्जा की खपत के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया है, और किसी भी विनिर्माण क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन/अमोनिया संयंत्र स्थापित किए जा सकेगें। इसके अलावा, उत्पादकों को शिपिंग द्वारा निर्यात के लिए हरित अमोनिया के भंडारण के लिए बंदरगाहों के पास बंकर स्थापित करने की अनुमति होगी। भंडारण के लिए भूमि संबंधित पत्तन प्राधिकारियों द्वारा लागू दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी।

हरित हाइड्रोजन पारंपरिक उत्सर्जन-गहन 'ग्रे(भूरा)' हाइड्रोजन और ब्लू (नीला) हाइड्रोजन से कैसे भिन्न है?

हरित हाइड्रोजन ग्रे और ब्लू हाइड्रोजन दोनों की तुलना में भिन्न है। अक्षय बिजली का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके उत्पादित होने वाले हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन के रूप में परिभाषित किया जाता है।

ग्रे हाइड्रोजन पारंपरिक रूप से मीथेन (CH4) से उत्पन्न होता है, भाप के साथ अभिक्रिया करके जो कार्बन डाईआक्साइड (CO2) (जो जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है) और हाइड्रोजन में विभाजित हो जाता है। कोयले से भी ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन तेजी से होता हैI प्रति यूनिट हाइड्रोजन उत्पादन में बड़ी मात्रा में कार्बन डाईआक्साइड (CO2) का उत्सर्जन होता है जिसे अक्सर ग्रे के बजाय ब्लैक (काला) हाइड्रोजन कहा जाता है। हरित हाइड्रोजन के विपरीत ग्रे हाइड्रोजन का कोई ऊर्जा संक्रमण मूल्य नहीं है।

ब्लू हाइड्रोजन, ग्रे (भूरे ) हाइड्रोजन के समान प्रक्रिया का अनुसरण करता है जब हाइड्रोजन को मीथेन (या कोयले से) से विभाजित किया जाता है। तो इसे लंबे समय तक संग्रहीत करने के लिए उत्पादित कार्बन डाईआक्साइड (CO2) को कैप्चर करने की आवश्यकता होती है। यह महज एक रंग नहीं है, बल्कि एक बहुत व्यापक उन्नयन है, क्योंकि उत्पादित कार्बन डाईआक्साइड (CO2) का शतप्रतिशत (100%) कैप्चर नहीं किया जा सकता है, और भंडारण के सभी साधन लंबी अवधि में समान रूप से प्रभावी नहीं होते है। महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि कार्बन डाईआक्साइड (CO2) के बड़े हिस्से को कैप्चर करके, हाइड्रोजन उत्पादन के जलवायु प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है।

सरकार की अन्य पहल :-

राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) :- एनएचएम के शुभारंभ के लिए 2021 के बजट में घोषणा की गई थी, जो "हरित ऊर्जा स्रोतों से" हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होगा।

इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित ग्रीन हाइड्रोजन की लागत लगभग 350 रुपये प्रति किलोग्राम होने का अनुमान है। सरकार की योजना 2029-30 तक इसे घटाकर 160 रुपये प्रति किलोग्राम करने की है।

बिजली नियम, 2021 के मसौदे (ड्राफ्ट) ने आरपीओ को पूरा करने में मदद करने के लिए हरित हाइड्रोजन खरीद की अनुमति दी है।

इलेक्ट्रोलाइजर्स के निर्माण के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना का विस्तार किया गया है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने भारत स्टेज VI वाहनों के लिए मोटर वाहन अनुप्रयोग के लिए हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में अधिसूचित किया है।

सितंबर 2020 में, सीएनजी (एचसीएनजी) के साथ हाइड्रोजन के 18% मिश्रण को ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में अधिसूचित किया गया था।

आगे की राह :-

हाइड्रोजन और अमोनिया जीवाश्म ईंधन को स्थानांतरित कर, भविष्य के ईंधन के रूप में स्थापित हो सकते हैं। हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया राष्ट्र की पर्यावरणीय रूप से स्थायी ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है।
हरित हाइड्रोजन उत्पादन की प्रमुख चुनौतियों में पूंजीगत उपकरण और बिजली से जुड़ी लागत को कम करना शामिल है। हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए सब्सिडी बढ़ाने की आवश्यकता है।

किफायती और पर्यावरणीय दोनों पहलुओं के आधार पर पानी से हाइड्रोजन का उत्पादन भविष्य के लिए एक आशाजनक विकल्प होगा।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), भारत सरकार ने भारतीय संदर्भ में हरित हाइड्रोजन की क्षमता और महत्वपूर्ण भूमिका को समझा है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की जाने वाली हरित हाइड्रोजन रूपांतरण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।

हाल ही में घोषित बहुप्रतीक्षित हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति भारत में उनके उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने में एक लंबा सफर तय करेगी। हाइड्रोजन वर्तमान में काफी महंगा है। आगे और तकनीकी विकास के द्वारा अंतिम लागत में कमी के लिए, मांग और आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार को नीतिगत प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। अक्षय ऊर्जा (आरई) की खुली पहुंच, स्टोरेज और फ्री ट्रांसमिशन जैसे उपाय उपयोगी साबित हो सकते हैं।

  • सामान्य अध्ययन पेपर 2 :- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।
  • सामान्य अध्ययन पेपर 3 :- पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • ‘भारत जैसा देश जिसे अपनी अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा के विशाल संसाधन की आवश्यकता हैI’ इस संदर्भ में भारत को ऊर्जा संसाधनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हरित हाइड्रोजन और अमोनिया नीति का समालोचनात्मक परीक्षण करें। [250 शब्द]

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