संदर्भ:
- एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने इस सप्ताह की शुरुआत में एयर फोर्स कैपस्टोन सेमिनार में अपने भाषण में “स्कॉलर वॉरियर” की पुरानी सैन्य अवधारणाओं का उल्लेख कर उसे फिर से रेखांकित करने का प्रयास किया।
स्कॉलर वॉरियर क्या है ?
- स्कॉलर वॉरियर की परिभाषा:
- स्कॉलर वॉरियर उस सैन्य पेशेवर व्यक्ति का प्रतीक है, जो बौद्धिक कौशल को युद्ध कौशल के साथ एकीकृत करता है और यह कौशल आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने हेतु अनिवार्य है। यह अवधारणा विश्व के कई प्रमुख सेनाओं में प्रचलित है, जिसका उद्देश्य अकादमिक ज्ञान और सामरिक विशेषज्ञता दोनों में निपुण नेतृत्वकर्ताओं को विकसित करना है।
- स्कॉलर वॉरियर उस सैन्य पेशेवर व्यक्ति का प्रतीक है, जो बौद्धिक कौशल को युद्ध कौशल के साथ एकीकृत करता है और यह कौशल आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने हेतु अनिवार्य है। यह अवधारणा विश्व के कई प्रमुख सेनाओं में प्रचलित है, जिसका उद्देश्य अकादमिक ज्ञान और सामरिक विशेषज्ञता दोनों में निपुण नेतृत्वकर्ताओं को विकसित करना है।
- रणनीतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यान्वयन
- भारत में, इस अवधारणा को वारफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रैटेजी प्रोग्राम (WASP) जैसी पहलों के माध्यम से सुदृढ़ किया जाता है, जिसे भारतीय वायु सेना द्वारा शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से संचालित किया जाता है। WASP का उद्देश्य भू-राजनीति, रणनीति और राष्ट्रीय शक्ति में क्रॉस-डोमेन ज्ञान प्रदान करके नीति-संचालित विचारों को तैयार करने में सक्षम महत्वपूर्ण विचारकों का पोषण करना है।
- भारत में, इस अवधारणा को वारफेयर एंड एयरोस्पेस स्ट्रैटेजी प्रोग्राम (WASP) जैसी पहलों के माध्यम से सुदृढ़ किया जाता है, जिसे भारतीय वायु सेना द्वारा शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से संचालित किया जाता है। WASP का उद्देश्य भू-राजनीति, रणनीति और राष्ट्रीय शक्ति में क्रॉस-डोमेन ज्ञान प्रदान करके नीति-संचालित विचारों को तैयार करने में सक्षम महत्वपूर्ण विचारकों का पोषण करना है।
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें
- इस अवधारणा की प्रतिध्वनि महाभारत जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलती है, जहाँ अर्जुन और कृष्ण जैसे व्यक्ति युद्ध कौशल के साथ-साथ बौद्धिक कुशलता का उदाहरण देते हैं। नागरिक संकायों और भविष्य की तकनीकों से इस अंतर्दृष्टि को एकीकृत करते हुए स्कॉलर वॉरियर के समग्र विकास हेतु सैन्य शिक्षा में निरंतर परिवर्तन आवश्यक है।
- इस अवधारणा की प्रतिध्वनि महाभारत जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलती है, जहाँ अर्जुन और कृष्ण जैसे व्यक्ति युद्ध कौशल के साथ-साथ बौद्धिक कुशलता का उदाहरण देते हैं। नागरिक संकायों और भविष्य की तकनीकों से इस अंतर्दृष्टि को एकीकृत करते हुए स्कॉलर वॉरियर के समग्र विकास हेतु सैन्य शिक्षा में निरंतर परिवर्तन आवश्यक है।
स्कॉलर वॉरियर की विशेषताएँ
- कौशल और विशेषताएँ: स्कॉलर वॉरियर की विशेषता उनकी अंतःविषय विशेषज्ञता है, जिसमें साइबर संचालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतर्राष्ट्रीय संबंध जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- रणनीतिक सोच: उन्हें रणनीतिक रूप से सोचने, विभिन्न परिचालन संदर्भों में विभिन्न खतरों का पूर्वानुमान लगाने और प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
- अनुकूलनशीलता और नवाचार: स्कॉलर वॉरियर साइबर और अंतरिक्ष युद्ध कला संचालन जैसे नए डोमेन को पारंपरिक तरीकों के साथ मिलाकर, युद्ध के बदलते परिदृश्यों में अपनी रणनीतियों को नया रूप देने और अनुकूलित करने के लिए तैयार हैं।
- संचालन बढ़त: उनका व्यापक कौशल सैन्य क्षमताओं को मजबूत करता है, सक्रिय प्रतिक्रियाओं को सक्षम करता है और विरोधियों पर परिचालन श्रेष्ठता बनाए रखता है।
स्कॉलर वॉरियर दृष्टिकोण के लाभ
- बढ़ी हुई परिचालन प्रभावशीलता: स्कॉलर वॉरियर बौद्धिक कौशल और अनुकूलनशीलता के एक स्तर का निर्माण करते हैं, जो इन्हें अधिक प्रभावी और कुशल संचालन की क्षमता प्रदान करता है। वे जटिल स्थितियों का विश्लेषण कर सकते हैं, संभावित खतरों का अनुमान लगा सकते हैं और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नवीन रणनीतियों को तैयार कर सकते हैं।
- बेहतर रणनीतिक निर्णय लेने की क्षमता: व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ को समझने की क्षमता, स्कॉलर वॉरियर को रणनीतिक स्तर पर सूचित निर्णय लेने की अनुमति देती है। वे महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रीय नेतृत्व को सलाह दे सकते हैं और ठोस रक्षा नीतियों के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।
- बढ़ा हुआ सार्वजनिक विश्वास: स्कॉलर वॉरियर, समाज के साथ अपने बौद्धिक कौशल के माध्यम से, सेना और जनता के बीच के अंतर को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं। जटिल मुद्दों को स्पष्ट और संक्षिप्त तरीके से व्यक्त करने की उनकी क्षमता सेना और उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले नागरिकों के बीच विश्वास और समझ को बढ़ावा देती है।
स्कॉलर वॉरियर को तैयार करने में चुनौतियाँ
- शैक्षणिक और सैन्य प्रशिक्षण को संतुलित करना: वर्तमान में शैक्षणिक अध्ययनों को सैन्य प्रशिक्षण के साथ एकीकृत करना एक चुनौती हो सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए सही संतुलन करना आवश्यक है, ताकि स्कॉलर वॉरियर न केवल बौद्धिक कौशल विकसित करें बल्कि आवश्यक क्षेत्र कौशल भी विकसित कर सकें।
- आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना: सैन्य संस्कृति अक्सर आज्ञाकारिता और आदेशों का पालन करने पर जोर देती है। अतः ऐसा वातावरण तैयार करना अनिवार्य है, जो आलोचनात्मक सोच और स्वतंत्र विश्लेषण को प्रोत्साहित करता हो। यद्यपि यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन स्कॉलर वॉरियर को विकसित करने के लिए यह आवश्यक है।
- प्रतिभा को बनाए रखना: सैन्य सेवा और स्कॉलर वॉरियर को दिए जाने वाले बौद्धिक अवसर हमेशा नागरिक को उपलब्ध सामान्य रोजगार के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। इसीलिए स्कॉलर वॉरियर के आदर्श को मूर्त रूप देने वाले प्रतिभाशाली व्यक्तियों को बनाए रखने के लिए रणनीति विकसित करना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है।
स्कॉलर वॉरियर की बौद्धिक क्षमता के निर्माण के लिए सिफारिशें
- भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (INDU) की स्थापना: INDU की स्थापना के लिए प्रयासों में तेजी लानी चाहिए, जो उन्नत सैन्य शिक्षा और रणनीतिक सोच के लिए एक केंद्र बिंदु के रूप में काम करेगा।
- चुनिंदा विशिष्ट विश्वविद्यालयों के पैनल का निर्माण: अधिकारियों को विशेष नागरिक विश्वविद्यालयों में परास्नातक और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के लिए पूर्णकालिक छात्रों के रूप में नामांकन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह अनुभव उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाएगा, उनकी रणनीतिक कुशाग्रता और बौद्धिक विकास को बढ़ाएगा।
- अध्ययन अवकाश पर प्रतिबंध हटाना: अध्ययन अवकाश लेने वाले अधिकारियों की संख्या पर लगी सीमाएं समाप्त करना चाहिए, जिससे शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कैरियर विकास को अधिक अवसर मिल सके।
- अध्ययन अवकाश पर अधिकारियों के लिए सेवा विशेषाधिकार बनाए रखना: यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि समस्त अधिकारी अध्ययन अवकाश के दौरान सभी सेवा विशेषाधिकार बनाए रखें, ताकि कैरियर प्रतिबंध के बिना शैक्षणिक उन्नति में उनकी प्रतिबद्धता का समर्थन मिलता रहे।
- असैन्य डिग्री वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को नियुक्त करना: सैन्य अथवा असैन्य पाठ्यक्रम, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षक के रूप में नागरिक शैक्षणिक योग्यता वाले सेवानिवृत्त अधिकारियों की तैनाती की जानी चाहिए। पूर्णकालिक छात्र के रूप में नागरिक संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को पदोन्नति मूल्यांकन में डीएसएससी और एनडीसी जैसे सैन्य संस्थानों से योग्यता प्राप्त करने वालों के बराबर माना जाएगा।
- विशेष नागरिक प्रशिक्षकों को शामिल करना: विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले प्रतिष्ठित नागरिकों को उच्च शिक्षा के सैन्य स्कूलों में प्रशिक्षक के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित करें। उनका विशेष ज्ञान शैक्षिक अनुभव को बढ़ाएगा और नवीन सोच को बढ़ावा देगा।
निष्कर्ष
- स्कॉलर वॉरियर की अवधारणा आधुनिक सैन्य नेतृत्व में बौद्धिक चपलता और रणनीतिक कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है। जैसे-जैसे सैन्य शिक्षा विकसित होती जा रही है, गतिशील सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने और राष्ट्रीय रक्षा रणनीतियों को आगे बढ़ाने के लिए स्कॉलर वॉरियर को तैयार करना आवश्यक होता जा रहा है। अतः सैन्य संगठन की बौद्धिक कुशलता को बढ़ावा देकर सेना के अधिकारी संवर्ग के भीतर बौद्धिक विकास को बढ़ावा देना एक अत्यावश्यक आवश्यकता है। इस परिवर्तनकारी प्रयास को हमारी सेना की बौद्धिक क्षमताओं को समृद्ध करने को गंभीरता से प्राथमिकता देनी चाहिए, जो इस बौद्धिक विकास के उत्प्रेरक के रूप में सभी स्तरों पर नेताओं के लिए अभिनव सोच को अपनाने की आवश्यकता को दर्शाता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस