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Daily-current-affairs / 29 May 2024

भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधनः चुनौतियां और नीतिगत हस्तक्षेप : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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सन्दर्भ:

  • वर्तमान भारत में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जहाँ सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 2019-2020) के आंकड़े इस सकारात्मक बदलाव को रेखांकित करते हैं, जिसमें 15-24 आयु वर्ग की लगभग 80% युवतियां सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों का उपयोग कर रही हैं। हालांकि, इस प्रगति के बावजूद, हाशिए पर स्थित समूह (भारतीय जेलों में निरुद्ध महिलाएं) की आवश्यकताओं की अनदेखी हुई है। ऐसे समाज में जहाँ कैदियों को मूलभूत अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है, वहां महिला कैदियों की बुनियादी जरूरतों, जिनमें मासिक धर्म स्वच्छता भी शामिल है: की उपेक्षा निरंतर बनी हुई है। यह उपेक्षा मासिक धर्म को लेकर सामाजिक पूर्वाग्रहों और गलत धारणाओं से और भी गंभीर हो जाती है, जो जेलों में बंद महिलाओं की आवश्यकताओं की व्यवस्थागत अनदेखी में योगदान देती है।

जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जेलों में बंद महिलाओं में से लगभग 77% महिलाएं प्रजनन आयु वर्ग की हैं। इस जनसांख्यिकीय वास्तविकता के बावजूद, जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की उपलब्धता और गुणवत्ता पूरे देश में असंगत रही है। 2016 का मॉडल जेल मैनुअल में  महिला कैदियों के लिए पर्याप्त पानी और स्वच्छता सुविधाओं की सिफारिशों को रेखांकित करता है, फिर भी इसका कार्यान्वयन राज्यों के बीच व्यापक रूप से भिन्न-भिन्न होता है। जेलों में रहने वाली महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान पानी, सैनिटरी नैपकिन, डिटर्जेंट और साबुन जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भीड़भाड़ और खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति संघर्ष को बढ़ा देती है।
  • जून 2023 में महाराष्ट्र की एक जेल में किए गए अध्ययन ने पानी, स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाओं, विशेष रूप से मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन से संबंधित खतरनाक कमियों को उजागर किया है। अपर्याप्त पानी की आपूर्ति ने महिलाओं को पानी जमा करने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे सीमित शौचालय सुविधाओं पर और बोझ पड़ा। लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं के बीच साझा किए गए केवल दो शौचालयों के साथ, मासिक धर्म के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने की चुनौतियां बढ़ गईं। इसके अतिरिक्त, अस्वच्छ स्थिति ने महिलाओं को बार-बार शौचालय के उपयोग करने के लिए सुविधाओं से रोका, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया। गैर-सरकारी संगठनों से दान किए गए सैनिटरी नैपकिनों पर निर्भरता के कारण अक्सर घटिया उत्पादों का प्रावधान होता था, जो जेलों के वातावरण में मासिक धर्म स्वच्छता को संबोधित करने में व्यवस्थागत अंतराल को उजागर करता है।

नीतिगत हस्तक्षेप:

  • भारत ने मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुंच बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल शुरू की हैं, जिनमें से मासिक धर्म स्वच्छता योजना, विशेष रूप से उल्लेखनीय है; जो युवा महिलाओं को निःशुल्क या रियायती दर पर सैनिटरी नैपकिन प्रदान करती है। वर्ष 2023 में, 'राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति' ने भी मासिक धर्म को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में मान्यता दी, जिस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। इस नीति का केंद्र बिंदु समानता का सिद्धांत है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी मासिक धर्म वाली महिलाओं को, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति या भौगोलिक स्थिति कुछ भी हो, मासिक धर्म को सुरक्षित और स्वच्छता से प्रबंधित करने के समान अवसर प्राप्त हों। गौरतलब है कि यह नीति कैदियों को एक कमजोर आबादी के रूप में पहचानती है, जिनकी मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच सीमित है। साथ ही यह उनकी आवश्यकताओं को स्वीकार करने में सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है।
  • हालांकि, सभी नीतियाँ प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है, इसमें जेलों के भीतर मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को संबोधित करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना का अभाव है। इसके अलावा, यह जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को प्रभावित करने में गृह मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज करती है। इस अंतर को पाटने के लिए, सभी राज्यों में 2016 मॉडल जेल मैनुअल की सिफारिशों के समान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। कैद महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान को प्राथमिकता देने वाली एकजुट रणनीति विकसित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और जेल प्रशासकों के बीच सहयोग आवश्यक है। साथ ही, जेल के वातावरण में मासिक धर्म स्वच्छता की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए आनुभविक अनुसंधान की भी तत्काल आवश्यकता है।

कार्रवाई का आह्वान और निष्कर्ष:

  • हिरासत में ली गई महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के बुनियादी मानकों को सुनिश्चित करना अनिवार्य है, जो मानवाधिकारों और सम्मान के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में असमानताएं व्यवस्थित सुधारों और लक्षित हस्तक्षेपों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। स्थापित दिशानिर्देशों का पालन करने साथ ही सरकारी निकायों और गैर-सरकारी संगठनों सहित हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर सार्थक प्रगति हासिल की जा सकती है। आनुभविक अनुसंधान को नीतिगत निर्णयों से रेखांकित करना चाहिए, जो जेल में बंद महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली अनूठी चुनौतियों के सन्दर्भ में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों को निर्देशित करता है। भारत के लिए मासिक धर्म समानता की ओर अपनी यात्रा जारी रखता है, जेलों में महिलाओं की जरूरतों को संबोधित करना एक प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए, जो समावेशिता और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की स्थिति का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। महिला कैदियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें और इन मुद्दों को संबोधित करने में मौजूदा नीतियों और हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें।(10 अंक, 150 शब्द)
  2. महिला कैदियों पर विशेष ध्यान देने के साथ, हाशिए पर रहने वाली आबादी के बीच मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में सुधार करने में 'राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति' की भूमिका की जांच करें। जेल प्रणाली के भीतर इस नीति के कार्यान्वयन को बढ़ाने के उपाय सुझाएँ।(15 अंक, 250 शब्द)

 स्रोत - हिंदू