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Daily-current-affairs / 07 Oct 2024

“माओवादी विरोधी अभियान के प्रति प्रतिबद्धता दिखाती भारत सरकार”: डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध एक अभियान में भारतीय सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एक बड़ी सफलता हासिल की है। भीषण मुठभेड़ में 31 माओवादियों को मार गिराया गया है।
डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) द्वारा संचालित यह ऑपरेशन हाल के वर्षों में माओवादी विद्रोह के खिलाफ सबसे बड़ी विजय के रूप में देखा जा रहा है।
मुठभेड़ के बाद  सुरक्षा बलों ने AK-सीरीज़ राइफल और लाइट मशीन गन सहित बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया।
इस अभियान के साथ ही 2024 में मारे गए माओवादियों की संख्या सौ से अधिक  पहुँच गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है। यह सुरक्षा बलों की सटीक रणनीति और उग्रवाद उन्मूलन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

 

ऑपरेशन का महत्व:

कार्यवाही की गति में वृद्धि : यह अभियान छत्तीसगढ़ में माओवादी विरोधी अभियानों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। 2024 में अब तक सौ से अधिक  माओवादियों का सफाया किया गया है, जबकि 2023 में यह संख्या 24 थी।

माओवादी विद्रोहियों का रणनीतिक स्थान: नारायणपुर जिला माओवादी विद्रोहियों का एक प्रमुख गढ़ है और ऑपरेशन की सफलता विद्रोहियों संचालन और मनोबल को बाधित करने में मदद करेगी।

अंतर-एजेंसी सहयोग: इस अभियान में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की संयुक्त कार्रवाई ने बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय और सहयोग को प्रदर्शित किया है।

वामपंथी उग्रवाद या नक्सलवाद:

·        वामपंथी उग्रवाद, जिसे नक्सलवाद या माओवाद के नाम से भी जाना जाता है, वामपंथी विचारधाराओं से प्रेरित राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का एक रूप है।

·        इसकी शुरुआत साल 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से हुई थी, जहाँ चारु मजूमदार और कानू सान्याल के नेतृत्व में यह आंदोलन स्थानीय जमींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में उभरा।

·        हालाँकि, यह आंदोलन केवल एक भूमि विवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जल्द ही एक व्यापक क्रांतिकारी आंदोलन में परिवर्तित हो गया, जिसने पूर्वी भारत के कई पिछड़े और कम विकसित क्षेत्रों में अपनी जड़ें गहरी जमा लीं।

 

नक्सली आंदोलन के मुख्य उद्देश्य:

        भारत सरकार को कमजोर करना: नक्सली सशस्त्र क्रांति के माध्यम से मौजूदा भारतीय सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और इसे मौलिक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक आवश्यक कदम मानते हैं।

        साम्यवादी राज्य की स्थापना: उनका उद्देश्य माओवादी सिद्धांतों पर आधारित एक साम्यवादी राज्य की स्थापना करना है, जो मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधाराओं के साथ संरेखित एक प्रणाली का समर्थन करता है।

        सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान: नक्सली हाशिए पर पड़े समुदायों द्वारा सामना किए जा रहे सामाजिक-आर्थिक अन्याय को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उनका मानना है कि सशस्त्र संघर्ष और 'जनता का युद्ध' प्रणालीगत असमानताओं को दूर करने का एकमात्र प्रभावी तरीका है।

 

नक्सलियों द्वारा अपनाई गई रणनीति:

1.     गुरिल्ला युद्ध नीति: नक्सली सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाते हैं। इसमें वे हिट-एंड-रन तकनीक का उपयोग करते हैं, जिससे उनके हताहतों की संख्या कम हो और वे अधिक नुकसान पहुंचा सकें।

2.     जबरन वसूली: नक्सली अक्सर व्यक्तियों और व्यवसायों से वित्तीय सहायता की जबरन वसूली करते हैं। यह धन उनके ऑपरेशनों को वित्तपोषित करता है और उनकी उपस्थिति को बनाए रखता है।

3.     धमकी और प्रचार: भय फैलाकर और प्रचार के माध्यम से, नक्सली जनता की धारणा को प्रभावित करने और अपने उद्देश्य के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।

 

रणनीतिक उद्देश्य:

नक्सली आंदोलन का अंतिम लक्ष्य सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन, और रणनीतिक गठबंधनों के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्जा करना है। उनके मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं:

        सरकारी संस्थान को कमजोर करना : नक्सलियों का प्रयास सरकारी कार्यों में बाधा डालना और सरकारी प्राधिकरण को कमजोर करना है।

        बुनियादी ढाँचा को नष्ट करना : वे राज्य के संचालन में रुकावट डालने और संचार को बाधित करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे जैसे सड़कों और पुलों  को नुकसान पहुँचाते हैं या नष्ट करते हैं।

        राज्य की वित्तीय नींव कमजोर करना : व्यवसायों और आर्थिक केंद्रों पर हमले कर, राज्य की वित्तीय नींव को कमजोर करने का प्रयास करते हैं।

        मुखबिरों की पहचान करना : सरकार के साथ सहयोग करने वालों की पहचान करना और उन्हें दंडित करना, डर पैदा करने और संभावित मुखबिरों को रोकने के लिए किया जाता है।

 

समानांतर शासन:

नक्सलियों ने अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में समानांतर शासन संरचनाएँ स्थापित की हैं। वे बुनियादी सेवाएँ प्रदान करते हैं और न्याय का वितरण करते हैं, जिससे उन्हें स्थानीय आबादी के बीच वैधता और समर्थन हासिल करने में मदद मिलती है। यह स्थिति उन्हें खुद को राज्य के विकल्प के रूप में पेश करने की अनुमति देती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ सरकार की उपस्थिति न्यूनतम होती है।

 

वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की वर्तमान स्थिति:

        2010 की तुलना में 2022 में एलडब्ल्यूई हिंसा की घटनाओं में 76% की कमी आई है।

        मौतों में 90% की कमी आई है (2010 में 1,005 से घटकर 2022 में 98 तक)

        हिंसा का भौगोलिक प्रसार कम हुआ है और हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या 96 (2010) से घटकर 45 (2022) हो गई।

         2018 की तुलना में 2022 में एलडब्ल्यूई घटनाओं में 36% की कमी आई, जिसके परिणामस्वरूप मौतों में 59% की कमी आई।

        छत्तीसगढ़ में घटनाओं में 22% और मौतों में 60% की कमी आई है।

 

भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) से निपटने के लिए सरकारी पहल:

        छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल सहित भारत के कई राज्यों में वामपंथी उग्रवाद (LWE) एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। भारत सरकार ने इस मुद्दे की गंभीरता को पहचाना है और इसे व्यापक रूप से निपटने के उद्देश्य से विभिन्न उपायों को लागू किया है।

 

संवैधानिक संदर्भ:
भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है। भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य सरकारों के प्रयासों को सहयोग प्रदान करती है।

राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना:
2015
में, सरकार ने एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी जो वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है। यह रणनीति तीन मुख्य स्तंभों पर केंद्रित है:

        सुरक्षा: वामपंथी उग्रवाद के खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सुरक्षा बलों की क्षमताओं को बढ़ाना।

        विकास: उग्रवाद में योगदान देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को संबोधित करना।

        सामुदायिक अधिकार: यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय समुदायों के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उन्हें विकास पहलों में एकीकृत किया जाए।

 

मुख्य सरकारी पहल:

समाधान रणनीति:
समाधान रणनीति एक व्यापक दृष्टिकोण है जिसे वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है:

        सुरक्षा: माओवादी गतिविधियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सुरक्षा बलों की क्षमताओं को मजबूत करना।

        विकास: उग्रवाद के मूल कारणों को दूर करने के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

        स्थानीय समुदायों के अधिकार: यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय आबादी के अधिकारों और जरूरतों को सरकारी पहलों में प्राथमिकता दी जाए।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम:
यह कार्यक्रम सबसे अधिक माओवाद गतिविधियों से प्रभावित 45 जिलों में शासन और विकास को बढ़ाने पर केंद्रित है। इन क्षेत्रों को लक्षित करके, सरकार का लक्ष्य जीवन स्तर, बुनियादी ढांचे और सेवाओं तक पहुँच में सुधार करना है, जिससे उग्रवादी विचारधाराओं का आकर्षण कम हो।

विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए):
यह पहल वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं में महत्वपूर्ण अंतराल को भरने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। आवश्यक सेवाओं को बढ़ाकर, सरकार का लक्ष्य जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और उन कमजोरियों को कम करना है जो उग्रवाद को जन्म दे सकती हैं।

किलेबंद पुलिस स्टेशनों की योजना:

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए सरकार ने 604 किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण किया है। ये स्टेशन्स पुलिस कर्मियों और स्थानीय समुदायों के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, साथ ही माओवादी गतिविधियों के लिए एक निवारक के रूप में भी कार्य करते हैं।

सड़क संपर्क परियोजना (RCPLWE):

विकास और सुरक्षा कार्यों को सुविधाजनक बनाने के लिए सड़क संपर्क में सुधार आवश्यक है। RCPLWE परियोजना वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सड़कों के निर्माण और उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचना आसान हो जाता है और माल एवं सेवाओं के परिवहन में सुधार होता है।

सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना:

यह योजना वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 10 राज्यों में सुरक्षा संबंधी खर्चों का प्रबंध करती है, जिसमें प्रशिक्षण, परिचालन संबंधी ज़रूरतें और आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों का पुनर्वास शामिल है।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की तैनाती:

केंद्र सरकार वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अपने प्रयासों को मज़बूत करने और परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए CAPF  की तैनाती करके राज्य प्रशासन का समर्थन करती है।

विकास पहल:

सरकार प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, रोजगार के अवसरों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर ज़ोर देती है। इसका उद्देश्य विकास को बढ़ावा देकर  स्थानीय आबादी के बीच माओवादी विचारधारा के आकर्षण को कम करना है। ये कार्यक्रम सामाजिक-आर्थिक शिकायतों को लक्षित करते हैं, जो असंतोष को बढ़ावा देते हैं। समावेशी विकास को बढ़ावा देकर और स्थानीय आवश्यकताओं का समाधान करके, सरकार चरमपंथी समूहों के प्रभाव को कम करना चाहती है।

वित्त पोषण और क्षमता निर्माण:

इन पहलों का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन आवंटित किए गए हैं। 2014-15 से विशेष अवसंरचना योजना (SIS) और विशेष केंद्रीय सहायता (SCA) सहित विभिन्न योजनाओं के तहत 6,908 करोड़ से अधिक जारी किए गए हैं। इस फंडिंग का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में क्षमता निर्माण करना, सुरक्षा उपायों और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना है।

निष्कर्ष:

भारत सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है, जिनमें राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना, समाधान और आकांक्षी जिला कार्यक्रम शामिल हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य माओवाद के मूल कारणों को संबोधित करना, शासन में सुधार करना और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित करना है।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

हाल ही में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में माओवादी विरोधी अभियान के महत्व और वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से निपटने के भारत के प्रयासों के लिए इसके निहितार्थों पर चर्चा करें।