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Daily-current-affairs / 10 Mar 2025

मध्य पूर्व में नेतृत्व संकट: इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष और समाधान की संभावनाएँ

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मध्य पूर्व लंबे समय से संघर्ष और अस्थिरता का केंद्र रहा है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इसे और जटिल बना दिया है। इजरायल-फिलिस्तीन विवाद वर्षों से चला रहा है, लेकिन हाल ही में इसने एक नया मोड़ लिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित योजना, जिसमें गाजा पट्टी को खाली करवा कर वहां एक "रिवेरा" विकसित करने की बात कही गई थी, ने केवल फिलिस्तीनी समुदाय बल्कि पूरे अरब जगत में चिंता पैदा कर दी। इस प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने आलोचना की दृष्टि से देखा और फिलिस्तीनियों ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि मध्य पूर्व इस समय नेतृत्व संकट से जूझ रहा है और एक संतुलित समाधान की तत्काल आवश्यकता है।

ट्रंप का प्रस्ताव और उसकी प्रतिक्रिया

  • डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ यह बयान दिया कि फिलिस्तीनियों को गाजा में युद्ध के मलबे के बीच नहीं रहना चाहिए और उन्हें वहां से हटकर बेहतर जीवन की तलाश करनी चाहिए। इस प्रस्ताव का मूल विचार यह था कि गाजा को पुनर्निर्माण के लिए खाली कराया जाए और इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए। हालांकि, यह सुझाव कई मोर्चों पर विवादास्पद साबित हुआ।
  • नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि गाजावासियों का पुनर्वास और हमास के बाद की स्थिति के लिए की जा रही तैयारियाँ महत्वपूर्ण हैं। इससे इजरायल में उनके दक्षिणपंथी समर्थकों का आधार और मजबूत हुआ। कुछ विशेषज्ञों ने इसे एक बड़े संघर्ष के बाद मिला "पुरस्कार" बताया। इजरायल ने हमास के साथ चल रहे संघर्ष विराम को और सख्त कर दिया, यह कहते हुए कि जब तक सभी बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक कोई दूसरा चरण शुरू नहीं किया जाएगा, जिसमें इजरायली सैनिकों की वापसी भी शामिल थी।
  • हालांकि, इजरायल की खुफिया एजेंसियाँ इस मुद्दे पर सतर्क थीं, खासकर रमज़ान के बाद संभावित प्रतिक्रियाओं को देखते हुए। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बाद में स्पष्ट किया कि अमेरिका का प्रस्ताव उन देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता देने के लिए प्रेरित करना था, जो गाजा के पुनर्निर्माण में मदद कर सकते हैं। उनका यह भी कहना था कि गाजावासियों को अस्थायी रूप से पुनर्वासित किया जा सकता है, लेकिन अमेरिका की ओर से गाजा में सैनिक तैनात करने का कोई इरादा नहीं था।

अरब देशों की प्रतिक्रिया और एकता

अमेरिका के इस दबाव के बावजूद, मिस्र और जॉर्डन ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उनका स्पष्ट मत था कि फिलिस्तीनियों को अपनी जमीन पर रहने का अधिकार है और किसी भी प्रकार की जबरन पलायन की नीति को स्वीकार नहीं किया जाएगा। जॉर्डन के राजा ने जब 2,000 बीमार फिलिस्तीनी बच्चों को अपने देश में इलाज के लिए बुलाने की बात कही, तो उन्हें अरब दुनिया के भीतर भी आलोचना का सामना करना पड़ा।

इस बीच, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने, जो हाल ही में अमेरिका-रूस वार्ता के मेजबान रह चुके हैं, सात अरब नेताओं को रियाद में बुलाया और अरब देशों के बीच एकता पर जोर दिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में अरब देशों की भूमिका प्रभावी बनी रहे और कोई भी निर्णय फिलिस्तीनी हितों के खिलाफ हो।

मिस्र की पुनर्निर्माण योजना

इस विवाद के समाधान के लिए मिस्र और कतर के मध्यस्थों ने एक नई योजना प्रस्तुत की। यह योजना तीन चरणों में गाजा के पुनर्निर्माण का खाका प्रस्तुत करती है और इसकी अनुमानित लागत 53 अरब डॉलर बताई गई है।

1.   पहला चरण (6 महीने): इस दौरान गाजा में बारूदी सुरंगों को हटाया जाएगा और मलबा साफ किया जाएगा। अस्थायी शिविरों में फिलिस्तीनियों को सुरक्षित ठहरने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, मिस्र इस पुनर्निर्माण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सम्मेलन का आयोजन करेगा।

2.   दूसरा चरण (तीन वर्ष): इस चरण में सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे, आवास और आजीविका के साधनों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

3.   तीसरा चरण (2030 तक): इसमें औद्योगिक विकास और गाजा पश्चिमी तट को जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, फिलिस्तीनी प्रशासन को दोनों क्षेत्रों पर नियंत्रण सौंपा जाएगा।

इस योजना में यह भी प्रस्ताव रखा गया कि गाजा में नई प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जाए, जहाँ हमास को सत्ता छोड़कर एक स्वतंत्र तकनीकी टीम को शासन सौंपना होगा। वित्तीय सहायता के लिए वर्ल्ड बैंक के तहत एक ट्रस्ट फंड बनाया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद गाजा और पश्चिमी तट में शांति सेना की तैनाती पर विचार करेगी।

अमेरिका और इजरायल की असहमति

हालाँकि, इस प्रस्ताव को अरब देशों, फिलिस्तीनी प्राधिकरण और हमास का समर्थन मिला, लेकिन अमेरिका और इजरायल ने इसे खारिज कर दिया। अमेरिका ने दोहराया कि गाजा रहने योग्य नहीं है और फिलिस्तीनियों को कहीं और बसाया जाना चाहिए। इजरायल ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें फिलिस्तीनी प्रशासन और UNRWA (संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी) पर भरोसा किया गया है, जो उसके लिए स्वीकार्य नहीं है।

इस बीच, अमेरिका ने कथित रूप से हमास के साथ बातचीत शुरू कर दी, लेकिन ट्रंप द्वारा इजरायली बंधकों को सौंपने की चेतावनी ने तनाव और बढ़ा दिया।

समाधान की संभावनाएँ और नेतृत्व की भूमिका

इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का इतिहास पुराना और जटिल है। इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है, जबकि फिलिस्तीनी अपने ऐतिहासिक अधिकारों और जमीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अरब देशों में बढ़ते असंतोष को देखते हुए, यदि फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित किया जाता है, तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को बड़ा खतरा हो सकता है।

इस संघर्ष के समाधान के लिए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है:

1.   संघर्षविराम को बनाए रखना: लड़ाई दोबारा शुरू हो, इसके लिए वार्ताओं को आगे बढ़ाया जाए।

2.   बंधकों और कैदियों की रिहाई: दोनों पक्षों को रियायतें देनी होंगी ताकि शांति वार्ता आगे बढ़ सके।

3.   मानवीय सहायता: फिलिस्तीनियों को राहत और पुनर्वास की गारंटी दी जानी चाहिए।

4.   स्वशासन की दिशा में बढ़ना: गाजा और पश्चिमी तट में एक प्रभावी और लोकतांत्रिक प्रशासन स्थापित करने की जरूरत है।

निष्कर्ष

मध्य पूर्व इस समय नेतृत्व संकट से गुजर रहा है। ट्रंप इस संघर्ष चक्र को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रस्तावों से क्षेत्र में तनाव और बढ़ रहा है। यदि स्थायी शांति स्थापित करनी है, तो केवल दो-राष्ट्र समाधान ही एकमात्र विकल्प है, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन एक साथ शांति और सुरक्षा में रह सकें। इसके लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे के हितों और चिंताओं का सम्मान करना होगा, अन्यथा यह संघर्ष अनिश्चित काल तक जारी रह सकता है।

मुख्य प्रश्न: मध्य पूर्व नेतृत्व संकट का सामना कर रहा है जिससे क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ रहे हैं। हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में चर्चा करें।