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Daily-current-affairs / 17 Jul 2024

केंद्रीकृत परीक्षाओं से जुड़ी समस्याएँ : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ

  • वर्ष 2017 में, भारत सरकार ने व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित करने हेतु राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य एक ऐसी एजेंसी का गठन करना था जो प्रश्न बैंक, उसके मूल्यांकन और तत्सम्बन्धी संगठनात्मक विशेषज्ञता विकसित कर सके। इसके लिए परीक्षण विशेषज्ञों का उपयोग करके बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्नों (MCQ) की परीक्षाओं को इलेक्ट्रॉनिक (ऑनलाइन माध्यम) रूप से संचालित कर सके। वर्तमान में, NTA उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए 15 से अधिक प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित करता है, जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रवेश और मेडिकल सहित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) पाठ्यक्रमों में स्नातकोत्तर प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) शामिल है। हालाँकि, इन महत्वाकांक्षाओं के बावजूद, NTA को महत्वपूर्ण चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

एनटीए के कार्यान्वयन की चुनौतियाँ

  • अपने इच्छित डिजिटल और सुव्यवस्थित प्रारूप के विपरीत, एनटीए कई परीक्षाएँ पेन-एंड-पेपर (ऑफलाइन) मोड में आयोजित करता है। यह दृष्टिकोण पेपर सेटिंग और प्रिंटिंग से लेकर वितरण एवं डिलीवरी तक विभिन्न चरणों में कदाचार के कई अवसर उत्पन्न करता है। इस वर्ष स्नातक चिकित्सा प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातक), या NEET-UG के आयोजन ने इन मुद्दों को उजागर किया, जिससे व्यापक निराशा हुई और निष्पक्ष परीक्षा आयोजित करने की NTA की क्षमता पर विश्वास धीरे धीरे समाप्त होता गया।

NEET-UG के साथ समस्या

  • NEET-UG को, भारत के सभी स्कूल बोर्डों के अलग-अलग मानकों के आधार पर, डॉक्टर बनने के इच्छुक छात्रों की गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए बनाया गया था। हालाँकि, इसका कार्यान्वयन कई समस्याओं से प्रभावित हुआ है, जिसमें व्यापक रूप से प्रश्न पत्र लीक, मनमाने ढंग से ग्रेस मार्क अवार्ड, चुनिंदा पुन: परीक्षाएँ और रैंक में हेरफेर इत्यादि शामिल हैं। इन मुद्दों ने उपर्युक्त वर्णित सभी प्रक्रियाओं को अस्पष्ट और अविश्वसनीय बना दिया है।
  • अतः NEET-UG मुद्दों पर सरकार की प्रतिक्रिया को संशोधित करने की आवश्यकता है।  दोबारा परीक्षाओं का आयोजन और परिणामों के साथ छेड़छाड़ के कारण अविश्वास और गहरा हुआ है, साथ ही निष्पक्ष परीक्षा आयोजित करने की NTA की क्षमता पर और सवाल उठ रहे हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप किया है। सरकार विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने की योजना बना रही है। हालांकि NEET-UG में रैंक की अखंडता महत्वपूर्ण है क्योंकि वे सरकारी संस्थानों में प्रवेश निर्धारित करते हैं, जो रियायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। पिछले वर्षों में बेहद कम कट-ऑफ प्रतिशत (19%-22%) इन प्रणालीगत मुद्दों और तत्काल चिंतन की आवश्यकता को उजागर करता है।

उच्च स्तरीय समितियों के अधिदेश और संबंधित विधेयक

  • एनटीए की विफलताओं के प्रत्युत्तर में, सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति बनाई है। समिति के अधिदेश में शामिल हैं:
    • उल्लंघनों को रोकने के लिए परीक्षा प्रक्रिया में सुधार करना।
    • डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और सुधार करना।
    • निगरानी तंत्र का सुझाव देना।
    • एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करना।
    • सभी स्तरों पर भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ परिभाषित करना।
    • उत्तरदायी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना करना।
    • जब एनटीए का गठन किया गया था, तब इन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए था, जो शासन तंत्र की विफलता का संकेत देता है।
  • लोकसभा में पेश किए गए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 का उद्देश्य भारत में सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बढ़ाना है। एक बार अधिनियमित होने के बाद, यह राज्यों के लिए अपने विवेक से अपनाने के लिए एक मॉडल मसौदे के रूप में भी काम करेगा, जिससे देश भर में परीक्षा प्रथाओं में एकरूपता और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

विकेंद्रीकरण एक व्यावहारिक विकल्प है

  • राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में व्यापक धोखाधड़ी और लीकेज के कारण उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए केंद्रीकृत परीक्षण तंत्र की समीक्षा की आवश्यकता है। इसका एक व्यवहार्य विकल्प परीक्षा प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण करना हो सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार अपने संस्थानों तक ही परीक्षण को सीमित कर सकती है, जबकि राज्य एक मानक टेम्पलेट के आधार पर अपने संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया यह टेम्पलेट यह सुनिश्चित करेगा कि अपेक्षित मानक बनाए रखे जा सकें।
  • वर्तमान परीक्षा प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण इस जोखिम को कम कर सकता है और निहित स्वार्थों एवं आपराधिक तत्वों को सिस्टम को कमजोर करने से रोक सकता है। बड़े पैमाने पर परीक्षाओं में निष्पक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण निकायों को डोमेन विशेषज्ञों, परीक्षण विशेषज्ञों और मजबूत आईटी उपायों को शामिल करना चाहिए।

स्कूली शिक्षा प्रणाली का कायाकल्प:

  • राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय परीक्षाओं की अखंडता की वर्तमान समस्याओं ने स्कूली प्रणाली के क्रमिक ह्रास को अनदेखा किया गया है। व्यावसायिक और विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं की शुरुआत ने स्कूल छोड़ने की परीक्षाओं को निरर्थक बना दिया है, जिससे 'डमी' स्कूल का विकास हो रहा है और कोचिंग सेंटरों का प्रसार हो रहा है, जो केवल प्रवेश परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित हैं।
  • उक्त प्रवृत्ति ने स्कूली शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुँचाया है। इसीलिए स्कूली शिक्षा के मूल्य को पुनः बहाल करने की तत्काल आवश्यकता है। समाधान के रूप में, प्रवेश परीक्षाओं के अंतिम स्कोर में, स्कूल छोड़ने के अंकों का एक प्रतिशत फिर से शामिल किया जा सकता है। यह दृष्टिकोण, जो पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में इस्तेमाल किया जाता था, पर्याप्त बहस के बिना छोड़ दिया गया था। स्कूली शिक्षा प्रणाली के और अधिक क्षय को रोकने के लिए अच्छी स्कूली शिक्षा के आधार पर योग्यता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

  • उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए केंद्रीकृत परीक्षण तंत्र की गहन समीक्षा की आवश्यकता है। निष्पक्ष परीक्षाएँ, विशेष रूप से NEET-UG आयोजित करने में NTA की विफलताओं ने प्रणालीगत मुद्दों और विश्वास की कमी को उजागर किया है।  परीक्षा प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और मजबूत सुरक्षा और मूल्यांकन उपायों को शामिल करके इनमें से कुछ चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रवेश परीक्षाओं में स्कूल छोड़ने के अंकों को एकीकृत करके स्कूली शिक्षा प्रणाली को फिर से जीवंत करना अकादमिक मानकों और मूल्यों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। भारत की शिक्षा प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए इन मुद्दों को तत्काल संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. निष्पक्ष और विश्वसनीय परीक्षा आयोजित करने में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के सामने कौन से प्रमुख मुद्दे और चुनौतियाँ हैं, और इनका एनईईटी-यूजी जैसी राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं की अखंडता पर क्या प्रभाव पड़ा है? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. परीक्षा प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रवेश परीक्षाओं में स्कूल छोड़ने के अंकों को एकीकृत करना भारत में प्रवेश परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को बेहतर बनाने में कैसे योगदान दे सकता है, और इस पुनर्गठन में केंद्र और राज्य सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द)

 

स्रोत- हिंदू