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Daily-current-affairs / 20 Aug 2024

असमानता और भ्रष्टाचार के मध्य संबंध : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

होनोर डी बाल्ज़ाक का प्रसिद्ध कथन, "हर महान संपत्ति के पीछे एक अपराध होता है," भले ही उत्तेजक हो, पर यह आय और संपत्ति के संचय से जुड़े व्यापक आपराधिक गतिविधियों की प्रणालीगत समस्या को कम करके दर्शाता है। गैलप वर्ल्ड पोल और सीएमआईई के डेटा (2019-23) के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में बढ़ती आय असमानता और भ्रष्टाचार के बीच एक स्पष्ट संबंध है, विशेषकर सरकार और व्यापार के गठजोड़ में यह स्पष्ट दिखाई देता है।

मुख्य निष्कर्ष:

  • गैलप वर्ल्ड पोल (जीडब्ल्यूपी) सर्वेक्षण (2019-23) और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वेक्षण के विश्लेषण के आधार पर, कहा जा सकता हैं कि आय असमानता सरकार और व्यापार के मेल में भ्रष्टाचार को जन्म देती है। उदाहरण के लिए, बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (हाईवे, ब्रिज, पोर्ट) के निर्माण के लिए धनी और प्रभावशाली निजी निवेशकों को सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा अनुबंधों की मंजूरी में।
  • एक बार धनी हो जाने पर, और अधिक संपत्ति की लालसा भ्रष्ट तरीकों को अपनाने में नैतिक संकोच को समाप्त कर देती है। दरअसल, धन संचय भी आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए, शेयर बाजार में हेरफेर, बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए राजनीतिक पैरवी, और ऑफ-शोर फंड्स में निवेश।
  • 2014 और 2022 के बीच, भारत में संपत्ति के संकेंद्रण में नाटकीय वृद्धि देखी गई, जहां शीर्ष 1% आबादी कुल संपत्ति के 40% से अधिक पर नियंत्रण रखती है। यह अभूतपूर्व असमानता एक ऐसी स्थिति पैदा कर रही है जहां संपत्ति की खोज नैतिक विचारों को पीछे छोड़ देती है।
  • वैश्वीकरण के बाद भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है क्योंकि प्राकृतिक संसाधन अधिक मूल्यवान हो गए हैं, और उनके आवंटन को लाइसेंस देने वाली नियामक एजेंसियां शक्तिशाली व्यावसायिक हितों और भ्रष्ट सार्वजनिक अधिकारियों के प्रति अधिक अधीन हो गई हैं। इसके अलावा, 'मेक इन इंडिया' योजना की सफलता अब तक असपष्ट रही है क्योंकि किसी भी मैक्रो-इकोनॉमिक संकेतक जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग, एफडीआई, निर्यात और रोजगार में वृद्धि दर्ज नहीं की गई है।
  • इसका मतलब है कि धनी और प्रभावशाली निवेशकों द्वारा अधिक रेंट-सीकिंग की संभावना है। रेंट-सीकिंग को उन संसाधनों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है जिनसे सरकारी/सार्वजनिक एजेंसियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बिना कुछ दिए एक अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके। आर्थिक रेंट संसाधनों के उस नुकसान का कारण बनता है जो स्वयं रेंट के साथ जुड़े बर्बादी से अधिक गंभीर हो सकता है।
  • 2014 और 2022 के बीच सरकार और व्यापार के मेल में भ्रष्टाचार उच्च बना रहा, इसलिए यह असंभव नहीं है कि रेंट-सीकिंग भी उच्च स्तर पर बनी रही।
  • हमने पाया कि आय असमानता मुख्य रूप से सट्टेबाजी निवेश (जैसे कि म्युचुअल फंड्स) द्वारा प्रेरित थी, जबकि एफडी और डाकघरों में बचत ने इसे कम किया। हमने पाया कि उच्च आय असमानता व्यापक भ्रष्टाचार का कारण बनती है, जबकि न्यायपालिका में अधिक विश्वास इसे कम करता है।

भारत में भ्रष्टाचार से निपटने हेतु एक बहु-आयामी दृष्टिकोण
भारत ने शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं, जिससे भ्रष्टाचार को कम किया जा सके। इन पहलों ने नागरिकों को सशक्त बनाया है और सार्वजनिक सेवाओं की दक्षता में सुधार किया है।

  • 2005 का सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम ने नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में 2011 में नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) घोटाले का खुलासा आरटीआई की प्रभावशीलता का एक प्रमुख उदाहरण है।
  • सरकारी सेवाओं का डिजिटलीकरण ने मानव हस्तक्षेप को कम करके भ्रष्टाचार के अवसरों को काफी हद तक कम कर दिया है।
  • आधार कार्ड ने हर भारतीय नागरिक के लिए एक अद्वितीय पहचान स्थापित कर भ्रष्टाचार को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) ने कराधान प्रणाली को सरल बनाया और कर संग्रहण में पारदर्शिता और जवाबदेही की शुरुआत करके भ्रष्टाचार के दायरे को कम कर दिया।
  • मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) ने भ्रष्टाचार से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भ्रष्टाचार को रोकने और सरकारी विभागों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निष्कर्ष
बजट ने अमीरों पर अधिक दर से कर लगाने का अवसर गंवा दिया, फिर भी नियामक एजेंसियों की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। उच्च आय असमानता अधिक व्यापक भ्रष्टाचार का कारण बनती है, जबकि न्यायपालिका में अधिक विश्वास इसे कम करता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. भारत में आय असमानता कैसे भ्रष्टाचार में योगदान करती है, और इस दावे का समर्थन करने के लिए कौन से विशिष्ट साक्ष्य प्रदान किए गए हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए आय असमानता और भ्रष्टाचार के बीच के संबंध के संभावित प्रभाव क्या हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत: हिंदू