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Daily-current-affairs / 15 Feb 2022

भारत-प्रशांत क्षेत्र - समसामयिकी लेख

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की-वर्ड्स :- इंडो-पैसिफिक, क्वाड, स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स, इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी, एसोसिएशन ऑफ़ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान), संप्रभुता।

संदर्भ :-

अमेरिका विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि यूक्रेन के प्रति रूसी आक्रामकता पर चिंताओं के बावजूद संयुक्त राज्य अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर दीर्घकालिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करेगा।

हिन्द प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के ...

हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्या है?

  • हिंद प्रशांत क्षेत्र प्रशांत और हिंद महासागरों के संगम को संदर्भित करता है। दक्षिण पूर्व एशिया में दोनों महासागर आपस में मिलते हैं।
  • जर्मन भू-राजनीतिज्ञ कार्ल होशोफ़र ने सर्वप्रथम 1920 के दशक में भूगोल और भू-राजनीति के लिए “इंडो-पैसिफिक” शब्द का प्रयोग अपने लेखों– ‘प्रशांत महासागर की भू-राजनीति’(1924), ‘बिल्डिंग ब्लॉक्स ऑफ़ जियोपालिटिक्स’(1928), जियोपालिटिक्स ऑफ़ पैन-आइडिया (1931), जर्मन कल्चरल पालिटिक्स इंडो-पैसिफिक स्पेस (1939) में किया था।
  • कई विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया-प्रशांत से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की तरफ झुकाव भारत, चीन और जापान की तीव्र आर्थिक वृद्धि का परिणाम है।
  • द्वीपीय राज्यों का संपूर्ण हिंद प्रशांत तट, वियतनाम और दक्षिण कोरिया जैसे देश और भारत और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आपस में गहरे स्तर पर संबद्ध हुई हैं। जो दुनिया के सबसे बड़े बाजारों का प्रतिनिधित्व करती हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि वैश्विक जीडीपी का कम से कम 50 प्रतिशत हिंद-प्रशांत क्षेत्र द्वारा साझा किया जाता है।
  • हाल के वर्षों में, हिंद प्रशांत रणनीति और क्वाड अवधारणा की विभिन्न देशों द्वारा समय-समय पर वकालत की जाती रही है। उदाहरण के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ कई बार वार्ता की और "हिंद प्रशांत रणनीति" को बढ़ावा दिया।

क्वाड क्या है?

क्वाड को 'चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता' (क्यूएसडी) के रूप में जाना जाता है, क्वाड एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है जिसमें चार राष्ट्र- संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। क्वाड के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक स्वतंत्र, खुले, समृद्ध और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए काम करना है।

इस समूह ने पहली बार 2007 में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) से इतर बैठक की थी। इसे लोकतांत्रिक देशों का समुद्री गठबंधन माना जाता हैI इस फोरम द्वारा सभी सदस्य देशों के मध्य बैठकों, शिखर सम्मेलनों, सूचनाओं के आदान-प्रदान और सैन्य अभ्यास को आयोजित किया जाता है।

"हिंद प्रशांत रणनीति" से संबद्ध देशों के हितों का विश्लेषण :-

संयुक्त राज्य :-

  • अमेरिका “हिंद प्रशांत रणनीति" का अगुवाकर है। अमेरिका की “हिंद प्रशांत रणनीति” अमेरिका के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के महत्व को उजागर करती है।
  • हाल के वर्षों में अपने आर्थिक विकास के माध्यम से भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बन गया है। दूसरी ओर, ओबामा की “एशिया-प्रशांत पुनर्संतुलन” (एशिया-पैसिफिक रीबैलेंसिंग) रणनीति से पीछे हटने के बाद, एशिया-प्रशांत शक्ति संरचना में एक पॉवर वैक्यूम उत्पन्न हो गया था। "हिंद प्रशांत रणनीति" "एशिया-प्रशांत पुनर्संतुलन रणनीति" का विस्तार और संशोधन है। इसका उद्देश्य चीन के उदय को नियंत्रित करना और क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व की रक्षा करना है।

जापान :-

  • जापान, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, जो हिंद प्रशांत की अवधारणा में और इसके प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • एक द्वीपीय राष्ट्र के रूप में अपनी असुरक्षाओं के साथ ही चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य क्षमताओं के प्रति जापान की सतर्कता और चिंता ही है जो जापान को भारत और अमेरिका के साथ खुले रूप से इतने मजबूत रिश्तों की पहल करने के लिए बाध्य कर रही हैI

भारत :-

  • भारत हमेशा से महान राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं (विश्व गुरु बनने की कल्पना) वाला देश रहा है और "हिंद-प्रशांत रणनीति" की अवधारणा के सबसे महत्वपूर्ण समर्थकों में से एक है।
  • भारत दक्षिण पूर्व एशिया में अपने हितों को साधने जैसे-पूर्वी एशिया में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ अपने राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य सहयोग को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के प्रभाव को व्यापक रूप से बढ़ाने के लिए इस अवसर का लाभ उठा सकता है।

भारत के लिए हिंद प्रशांत का महत्व :-

  • भारत की हिंद प्रशांत रणनीति दो स्तम्भों पर आधारित है– पहला इस क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों को मजबूत करना, और दूसरा समान विचारधारा वाले देशों के साथ मजबूत साझेदारी, गठबंधन और भागीदारी निभाना। जिससे भारत की राष्ट्रीय क्षमताओं में वृद्धि के साथ ही इस क्षेत्र में भारत की पहुंच और प्रभाव में भी वृद्धि हो सके।
  • भारत को क्षेत्र के साथ गहन आर्थिक एकीकरण करने के लिए व्यापार और वाणिज्य में पहले से ही मजबूत बहुपक्षीय कूटनीति, नीली जल नीति और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का लाभ उठाने की आवश्यकता है। हिंद प्रशांत की खुली, एकीकृत और संतुलित तस्वीर को पूरा करने के लिए ऐसे सभी नीतियों की आवश्यकता होती है।
  • खुले, एकीकृत और संतुलित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने से इस क्षेत्र में भारत की शक्ति और प्रभाव में काफी वृद्धि हो होगी।
  • क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के भारत के दृष्टिकोण (जिस पर सागरमाला जैसी योजनाओं की स्थापना की गई है) को हिंद प्रशांत में भारत की भूमिका पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय विश्वास के लिए उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • यद्यपि हाल के वर्षों में, भारत की एक सक्रिय सैन्य कूटनीति रही है, लेकिन इस क्षेत्र में मित्र राष्ट्रों को हथियार निर्यात करने में असमर्थता के कारण उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। यह भारत के अपर्याप्त घरेलू रक्षा औद्योगिक आधार में निहित था। भारत देश में रक्षा उत्पादन बढ़ाने (मेक इन इंडिया के अंतर्गत) के साथ-साथ हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है जिसके लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र एक बेहतर मंच प्रदान कर सकता है।

ऑस्ट्रेलिया :-

  • ऑस्ट्रेलिया "हिंद प्रशांत रणनीति" की अवधारणा को प्रस्तुत करने वाले शुरुआती देशों में से एक था। 1960 के दशक में, ऑस्ट्रेलिया ने शीत युद्ध में अपनी कठिनाइयों से बचने के लिए हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की।
  • आस्ट्रेलिया “हिंद प्रशांत रणनीति" का सक्रिय रूप से स्वागत करता है और संयुक्त राज्य अमेरिका की “हिंद प्रशांत रणनीति” में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका चाहता हैI आस्ट्रेलिया एक ओर अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना चाहता है, दूसरी ओर यह दक्षिण पूर्व एशिया में भी अपनी उपस्थिति और भूमिका को बढ़ाना चाहता है।

दक्षिणपूर्व एशियाई देश :-

  • "हिंद महासागर" को "प्रशांत महासागर" से जोड़ने वाला दक्षिण पूर्व एशिया एक प्रमुख क्षेत्र बन जाता है जिसके भू-सामरिक महत्व को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। इंडोनेशिया और सिंगापुर भी “हिंद प्रशांत रणनीति” की अवधारणा के समर्थक हैं।
  • इंडोनेशिया और सिंगापुर को अपनी भू-सामरिक अवस्थिति के कारण “हिंद प्रशांत” रणनीति की अवधारणा का लाभ अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के अवसर के रूप में मिलेगा।
  • छोटे और मध्यम आकार के देश चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच फंस गए हैं। एक ओर, वे चीन के उदय के कारण होने वाले क्षेत्रीय व्यवस्था परिवर्तन से डरते हैं। वहीं दूसरी ओर, वे चीन के आर्थिक विकास से प्राप्त होने वाले लाभांश को खोना नहीं चाहते हैं।

चीन का बढ़ता दबदबा :-

  • चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य रूप से अपने प्रभाव में निरंतर वृद्धि कर रहा है।
  • हांगकांग से सूडान तक भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाहों में निवेश करके चीन हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक चोक पॉइंट्स पर एकाधिकार कर रहा है। चीन मोतियों की माला नीति के द्वारा हिंद महासागर में भारत की घेराबंदी कर रहा है।
  • बीजिंग ताइवान जलडमरूमध्य, स्प्रैटली द्वीप समूह, पैरासेल द्वीप समूह और सेनकाकू/डियाओयू द्वीप जैसे क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास के माध्यम से सामरिक स्तर पर अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर रहा है।
  • इस क्षेत्र में चीन द्वारा विकास परियोजनाओं के लिए किया गया वित्तपोषण भी महत्वपूर्ण है। चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (बी.आर.आई) परियोजना के तहत, एशिया में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त होता रहा हैI डेटा प्रदाता रिफाइनिटिव के अनुसार, यह वित्तपोषण 2020 की पहली तिमाही में 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।

आगे की राह :-

  • हिंद-प्रशांत का हिस्सा बनने वाले सभी राष्ट्रों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए प्रशांत रणनीत। नौवहन की स्वतंत्रता, बाधारहित व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर ध्यान देना चाहिए।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भीतर चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत नौसैनिक क्षमताएं, बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय संबंध और राष्ट्रों के साथ आर्थिक एकीकरण भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक हैं।
  • शांति और स्थिरता के लिए बहुध्रुवीयता को प्रोत्साहित कर 'समुद्री डोमेन में अनिवार्य रूप से सुरक्षा' सुनिश्चित करना है। सदस्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिएI साथ ही सुशासन, पारदर्शिता और स्थिरता जैसी विषयों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन पेपर 2:
  • भारत और उसके पड़ोसी देश। भारत से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • चीन लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य और रणनीतिक रूप से अपना प्रभाव स्थापित कर रहा है। इस संदर्भ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता, शांति और समृद्धि को सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका पर चर्चा करें ? [250 शब्द]

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