सन्दर्भ:
भारत-कनाडा संबंध हालिया घटनाक्रमों के चलते द्विपक्षीय मतभेदों के कारण निम्न स्तर पर पहुँच गए हैं। यह स्थिति भारत द्वारा छह कनाडाई राजनयिकों के निष्कासन के रूप में सामने आई है। इस निर्णय के तहत भारत ने कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है।
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- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया है, जिसके परिणामस्वरूप तनाव और बढ़ गया। कनाडा ने इस मामले की जांच में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को "हितधारक" के रूप में चिह्नित किया है।
- भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज किया है, यह बताते हुए कि यह ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति को साधना है।
- यह तनावपूर्ण संबंध नया नहीं है, पिछले चार से पांच वर्षों में इसमें खटास आई है। इसका मुख्य कारण यह है कि कनाडा खालिस्तानी अलगाववादियों के प्रति नरम रुख अपना रहा है, जिनको भारत ने 2020 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था।
- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया है, जिसके परिणामस्वरूप तनाव और बढ़ गया। कनाडा ने इस मामले की जांच में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों को "हितधारक" के रूप में चिह्नित किया है।
भारत-कनाडा संबंधों की पृष्ठभूमि:
1. ऐतिहासिक और राजनयिक संबंध:
o भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध 1947 में स्थापित हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में यह रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ गये। 2015 में मोदी की कनाडा यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई, विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक तत्वों के प्रति कनाडा की कथित नरमी के कारण, जिन्हें भारत आतंकवादी संगठनों के रूप में मानता है।
2. वाणिज्यिक संबंध:
● 2022-23 में कनाडा भारत का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 8.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
● इस अवधि में कनाडा को भारत का निर्यात 4.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि भारत से आयात 4.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
● दोनों देश व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) और एक अंतरिम प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (EPTA) पर बातचीत कर रहे थे, लेकिन निज्जर की हत्या से संबंधित राजनयिक विवाद के कारण सितंबर 2023 में ये वार्ताएँ रोक दी गईं।
3. परमाणु सहयोग:
o कनाडा ने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें भारत के पहले अनुसंधान रिएक्टर, सीरस का निर्माण शामिल है।
o भारत के 1974 के परमाणु परीक्षणों के बाद, संबंधों में गिरावट आई थी, लेकिन 2010 में परमाणु सहयोग समझौते (NCA) पर हस्ताक्षर के बाद वे फिर से बहाल हो गए।
4. जनता के मध्य संबंध:
o कनाडा में सबसे बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय निवास करता है, जहां लगभग 1.6 मिलियन भारतीय मूल के लोग हैं, जो कनाडा की कुल जनसंख्या का 4% हैं। कनाडा की संसद में भारतीय मूल के राजनेताओं के पास 22 सीटें हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ:
1. खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन:
● भारत ने बार-बार कनाडा पर अलगाववादी खालिस्तानी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने का आरोप लगाया है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता के लिए खतरा मानता है। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता और ट्रूडो सरकार के राजनीतिक सहयोगी जगमीत सिंह इस विवाद में एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं।
● खालिस्तान जनमत संग्रह ने संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है, जिसमें भारत ने इन समूहों को कनाडा द्वारा प्रदान किए गए समर्थन पर कड़ी आपत्ति जताई है।
भारत विरोधी तत्वों पर कनाडा की निष्क्रियता:
● भारत विरोधी तत्वों के खिलाफ कनाडा की धीमी कार्रवाई की लगातार आलोचना की गई है। जून 2023 में एक बड़ा विवाद तब उत्पन्न हुआ जब कनाडा में एक परेड फ्लोट में भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाया गया, जिसका कथित तौर पर खालिस्तानी समर्थक समूहों ने जश्न मनाया।
● इस घटना के साथ-साथ भारतीय मूल के व्यक्तियों पर होने वाले हमलों ने भारत की इस चिंता को और गहरा कर दिया है कि कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में विफल रहा है।
हालिया कूटनीतिक तनाव:
हरदीप सिंह निज्जर की मृत्यु:
● खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के नेता हरदीप सिंह निज्जर की जून 2023 में सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। भारत ने निज्जर पर पंजाब में एक हिंदू पुजारी की हत्या की साजिश रचने सहित आतंकवादी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए 10 लाख रुपये का इनाम रखा था।
. कूटनीतिक कार्रवाई और प्रतिक्रियाएँ:
● निज्जर की मृत्यु के बाद, कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया और जांच में भारतीय सहयोग की मांग की। इस संदर्भ में ट्रूडो के आरोपों के कारण दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए अक्टूबर 2024 में कनाडा से भारतीय राजनयिकों को वापस बुला लिया गया।
कनाडा के साक्ष्य और भारतीय अस्वीकृति:
● कनाडा ने हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के विश्वसनीय सबूत मुहैया कराने का दावा किया, जिसे भारत ने राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने चेतावनी दी कि यदि भारत जांच में सहयोग नहीं करता है, तो प्रतिबंधों सहित सभी विकल्प खुले हैं। साथ ही रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने भारतीय सरकारी एजेंटों पर कनाडा में आतंक फैलाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया।
भारतीय प्रवासियों और व्यवसायों पर प्रभाव:
● प्रवासी प्रभाव: मौजूदा कूटनीतिक तनाव ने भारतीय-कनाडाई प्रवासी समुदाय के बीच चिंता बढ़ा दी है। कनाडा में भारतीय समुदाय, जिसमें 1 मिलियन से अधिक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) शामिल हैं, प्रभावित हुआ है। विवाह और अंतिम संस्कार जैसे पारिवारिक आयोजनों के लिए वीज़ा प्रतिबंधों को लेकर चिंताएँ हैं।
● आर्थिक प्रभाव: बढ़ते तनाव के बावजूद भारत और कनाडा के बीच व्यापार संबंध अब तक स्थिर रहे हैं। द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार 2022-23 में 8.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो लंबे समय तक कूटनीतिक शत्रुता प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव डाल सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय एवं भू-राजनीतिक परिणाम:
● भू-राजनीतिक संदर्भ:
o कनाडा ने संकेत दिया है कि वह भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा, "सब कुछ विचाराधीन है," और उन्होंने संभावित कूटनीतिक कार्रवाइयों की ओर संकेत किया।
o कनाडा ने अपने फाइव आईज गठबंधन (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और अमेरिका) और जी7 भागीदारों से समर्थन मांगा है। हालांकि, इनमें से कई देशों के साथ भारत के मजबूत संबंधों को देखते हुए इन देशों द्वारा भारत के खिलाफ कनाडा का साथ देने की संभावना बहुत कम है।
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- भारत की वैश्विक भूमिका: भारत ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य होने के नाते वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। बढ़ते विवाद का असर आगामी जी7 शिखर सम्मेलन पर पड़ सकता है।
- भारत की वैश्विक भूमिका: भारत ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य होने के नाते वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। बढ़ते विवाद का असर आगामी जी7 शिखर सम्मेलन पर पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
भारत-कनाडा कूटनीतिक संकट एक महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गया है, जिसमें दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और राजनयिक निष्कासन का आदान-प्रदान हो रहा है। हालांकि आर्थिक संबंध अभी भी स्थिर हैं, लेकिन निरंतर तनाव से व्यापक नतीजे सामने आ सकते हैं, जिसमें आर्थिक गिरावट और भू-राजनीतिक बदलाव शामिल हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता है, लेकिन दोनों पक्षों के दृढ़ रुख के साथ, यह देखना बाकी है कि संबंध कैसे और कब सुधरेंगे।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों को प्रभावित करने में प्रवासी राजनीति की भूमिका की आलोचनात्मक जांच करें। कनाडा में खालिस्तान अलगाववादी आंदोलनों ने द्विपक्षीय संबंधों को कैसे प्रभावित किया है? |