होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 01 Mar 2025

भारत का वस्त्र उद्योग : विकास, चुनौतियाँ और आगे की राह

image

सन्दर्भ:

भारत का वस्त्र उद्योग दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है, जिसमें कच्चे फाइबर के उत्पादन से लेकर उच्च गुणवत्ता वाले परिधानों तक शामिल है। यह उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में जीडीपी, रोजगार और निर्यात के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अपनी मजबूत क्षमता के बावजूद भारत चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से पीछे है, जिन्हें कम उत्पादन लागत, एकीकृत आपूर्ति शृंखला और सरल नियमों का लाभ मिलता है।

इस बीच, भारत में घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है, वैश्विक व्यापार के पैटर्न बदल रहे हैं और स्थिरता पर ध्यान बढ़ रहा है। ये बदलाव भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए नए अवसर लेकर आए हैं, जिनका सही उपयोग कर भारत अपने वैश्विक बाजार हिस्से को मजबूत कर सकता है।

भारत का वस्त्र उद्योग:

उत्पादन और रोजगार :

       भारत कपास उत्पादन में अग्रणी देश है , जोकि वैश्विक उत्पादन का 24% है और इससे 60 लाख किसानों को रोजगार मिलता है, मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना में।

       भारत की वस्त्र मूल्य श्रृंखला - जिसमें कताई, बुनाई, रंगाई और तैयार कपड़ो का उत्पादन शामिल है । यह पूरी श्रृंखला 35.22 लाख हथकरघा श्रमिकों सहित 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है

       कपास के अतिरिक्त, भारत मानव निर्मित फाइबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियां पॉलिएस्टर उत्पादन में आगे हैं और आदित्य बिड़ला समूह की ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड विस्कोस फाइबर में अग्रणी है।

       हालांकि, भारत में प्रति व्यक्ति मानव निर्मित फाइबर की खपत 3.1 किलोग्राम है , जबकि चीन में यह 12 किलोग्राम और उत्तरी अमेरिका में 22.5 किलोग्राम है

भारत का वस्त्र उद्योग एमएसएमई समूहों में केंद्रित है , जिनमें से प्रत्येक अलग-अलग उत्पादों में विशेषज्ञता रखता है:

        भिवंडी , महाराष्ट्र - कपड़ा उत्पादन

        तिरुपुर , तमिलनाडु टी-शर्ट और अंडरगारमेंट्स

        सूरत , गुजरात पॉलिएस्टर और नायलॉन कपड़े

        लुधियाना, पंजाब ऊनी वस्त्र

ये केन्द्र भारत के वस्त्र पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं, जोकि लाखों लोगों को रोजगार और आजीविका देते हैं।

बाजार की वृद्धि और भविष्य के अनुमान:

घरेलू बाजार का विस्तार:

भारत का वस्त्र और परिधान क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी मुख्य वजह बढ़ती घरेलू मांग, शहरीकरण और सरकार की तरफ से मिलने वाला समर्थन है। यह उद्योग आने वाले वर्षों में स्थिर विकास पथ पर आगे बढ़ने की उम्मीद है।

       अनुमान है कि भारत का कपड़ा और परिधान बाजार सालाना 10% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेगा और 2030 तक इसका आकार 350 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

       घरेलू वस्त्र उद्योग भी 2032 तक 8.9% की CAGR के साथ बढ़ते हुए 23.32 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

       तकनीकी वस्त्र का बाजार, जिसमें रक्षा , स्वास्थ्य सेवा और खेल से जुड़े कपड़े शामिल हैं, 10% CAGR की दर से बढ़ रहा है।

       मेडिकल टेक्सटाइल्स , जिनका इस्तेमाल अस्पतालों में पर्दे और गाउन जैसे उत्पादों में होता है, 15% CAGR की गति से आगे बढ़कर 2027 तक 22.45 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

       इसके अतिरिक्त, एयरोस्पेस और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में उपयोग होने वाले वस्त्रों का बाजार 16.3% CAGR की दर से बढ़ते हुए 2026 तक 1.9 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

वैश्विक बाज़ार रुझान:

        वैश्विक परिधान बाजार का 8% CAGR की दर से बढ़ने का अनुमान है , जिससे इसका आकार 2030 तक 2.37 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

        इसके साथ ही, वैश्विक कपड़ा और परिधान व्यापार भी 4% की CAGR से बढ़ते हुए 2030 तक 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

इस विस्तारित बाजार में भारत अपने हिस्से को बढ़ा सकता है, लेकिन इसके लिए भारतीय उद्योग को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ानी होगी, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना होगा और टिकाऊ उत्पादन को अपनाना होगा।

वैश्विक निर्यात में भारत की स्थिति:

भारत तीसरा सबसे बड़ा वस्त्र और परिधान निर्यातक है , फिर भी इसका निर्यात अपने तेजी से बढ़ते प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अपेक्षाकृत स्थिर रहा है।

निर्यात :

        वित्त वर्ष 2024 में कुल वस्त्र निर्यात 35.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा । परिधान निर्यात 14.23 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया , जबकि सूती वस्त्र (घरेलू वस्त्र सहित) का कुल निर्यात 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा ।

        भारत के कुल वस्त्र निर्यात में अमेरिका और यूरोपीय संघ का योगदान लगभग 50% है।

        वित्त वर्ष 2025 (अप्रैल-जून) में कुल कपड़ा निर्यात 9.17 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि परिधान निर्यात 2.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा:

       वियतनाम ने 2023 में 40 अरब डॉलर का परिधान निर्यात किया, जोकि भारत के निर्यात से अधिक है।

       बांग्लादेश और चीन को अपनी ऊर्ध्वाधर एकीकृत आपूर्ति श्रृंखलाओं  का लाभ मिलता है, जिससे उनकी उत्पादन लागत कम रहती है।

       इसके विपरीत, भारत की खंडित उत्पादन व्यवस्था (Fragmented Production System) लागत बढ़ा देती है।

भारत को इस अंतर को कम करने के लिए, उसे अपनी उत्पादन प्रणाली को अधिक कुशल बनाना होगा और वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ानी होगी।

वस्त्र उद्योग के समक्ष चुनौतियाँ:

1. विनिर्माण क्षेत्र की धीमी वृद्धि:

यद्यपि भारत का वस्त्र क्षेत्र विशाल है, फिर भी हाल के वर्षों में इसकी विनिर्माण वृद्धि धीमी रही है।

       वित्त वर्ष 2015 से 2019 के बीच वस्त्र विनिर्माण की वृद्धि दर मात्र 0.4% CAGR रही, जबकि परिधान विनिर्माण 7.7% CAGR से बढ़ा।

       वित्त वर्ष 2024 तक वस्त्र विनिर्माण में सालाना 1.8% की गिरावट देखी गई, जबकि परिधान विनिर्माण में यह गिरावट 8.2% रही।

       कोविड-19 के बाद की मंदी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने विशेषतौर पर तमिलनाडु जैसे राज्यों में एमएसएमई (MSME) इकाइयों को गंभीर रूप से प्रभावित किया।

2. उच्च उत्पादन लागत और कच्चे माल की कीमतें:

        भारत में पॉलिएस्टर फाइबर चीन की तुलना में 33-36% तक महंगा है ।

        विस्कोस फाइबर चीन की तुलना में 14-16% अधिक महंगा है ।

        गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) ने सस्ते विकल्पों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे उत्पादन अधिक महंगा हो गया है।

3. जटिल नियम और निर्यात बाधाएँ:

        जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएं निर्यात को बोझिल बना देती हैं, जबकि चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी सुव्यवस्थित नियमों से लाभान्वित होते हैं ।

        मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का अभाव भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेश और वियतनाम की तुलना में नुकसान में डालता है।

4. स्थिरता और पर्यावरण अनुपालन:

       वैश्विक फैशन उद्योग अब सतत उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है, जिससे भारत के लिए पर्यावरणीय अनुपालन की चुनौतियां बढ़ रही हैं।

       यूरोपीय संघ (EU) ने ऊर्जा स्रोत, ऊर्जा खपत और पुनर्चक्रण (Recycling) को लेकर 16 नए स्थिरता नियम लागू किए हैं, जिनका पालन भारतीय निर्यातकों के लिए अनिवार्य होगा।

       प्रमुख वैश्विक ब्रांड अब आपूर्तिकर्ताओं से बेहतर ट्रेसेबिलिटी , जल संरक्षण और कम कार्बन उत्सर्जन की मांग कर रहे हैं।

       भारत में वस्त्र पुनर्चक्रण (Textile Recycling) बाजार 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जबकि वैश्विक बाजार 7.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की ओर बढ़ रहा है।

हरित प्रथाओं को अपनाने से भारत को केवल प्रमुख बाजारों में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे नए व्यापारिक अवसर भी खुलेंगे।

आगे की राह:

1. घरेलू उत्पादन और निर्यात प्रतिस्पर्धा में वृद्धि:

        दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए प्रौद्योगिकी और स्वचालन में निवेश करना ।

        उत्पादन को सुव्यवस्थित करने और लागत दक्षता में सुधार करने के लिए ऊर्ध्वाधर एकीकरण को प्रोत्साहित करना ।

        भारतीय वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाना ।

2. स्थिरता और चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना:

        बढ़ते वस्त्र अपशिष्ट से निपटने के लिए सर्कुलर फैशन को बढ़ावा देना , जिसके 2030 तक 148 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है ।

        पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए वस्त्र पुनर्चक्रण पहल का विस्तार करना ।

3. नीति समर्थन और सरकारी पहल:

        एमएमएफ और तकनीकी वस्त्रों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को मजबूत करना ।

        निर्यात अवसरों का विस्तार करने के लिए प्रमुख वैश्विक बाजारों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत करना ।

        नवप्रवर्तन और उत्पाद विभेदीकरण को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा कौशल विकास में निवेश करना ।

निष्कर्ष:

भारत का वस्त्र उद्योग इसकी अर्थव्यवस्था का आधार बना हुआ है, जोकि लाखों लोगों को रोजगार देता है और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है। हालांकि, प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, इस क्षेत्र को बढ़ती उत्पादन लागत, खंडित आपूर्ति श्रृंखलाओं और कठोर नियमों का निपटान करना होगा।

नवाचार में निवेश करके, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके और स्थिरता को अपनाकर , भारत वैश्विक वस्त्र व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। सही नीतियों और उद्योग जगत के सहयोग से, यह क्षेत्र आने वाले दशक में तेजी से आगे बढ़ सकता है और  भारत को वैश्विक वस्त्र और परिधान क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति (Global Leader) बना सकता है।

मुख्य प्रश्न: भारत के आर्थिक विकास, रोज़गार सृजन और निर्यात में वस्त्र उद्योग की भूमिका पर चर्चा करें। भारत वैश्विक वस्त्र बाज़ार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता कैसे बढ़ा सकता है?

Source: indianexpress.com