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Daily-current-affairs / 14 Oct 2024

आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के साथ भारत की रणनीतिक भागीदारी- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ भारत के संबंध उसकी "एक्ट ईस्ट" नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ कूटनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाओ पीडीआर की राजधानी विएंतियाने की दो दिवसीय यात्रा, दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत की विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण क्षण है। इस यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में भाग लिया, जिसमें आसियान सदस्यों के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया। यह यात्रा क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में  महत्वपूर्ण है।

 

 

यात्रा के मुख्य आकर्षण:

 

1.     आसियान-भारत पर्यटन वर्ष (2025) का आयोजन: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और आसियान देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने, आपसी संपर्क बढ़ाने, यात्रा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आवंटन की घोषणा की।

2.     एक्ट ईस्ट नीति के दशक का उत्सव: एक्ट ईस्ट नीति के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कई जन-केंद्रित पहलों की घोषणा की गई, जिनमें युवा शिखर सम्मेलन , स्टार्ट-अप महोत्सव , हैकाथॉन, संगीत महोत्सव , थिंक टैंकों का आसियान-भारत नेटवर्क और दिल्ली वार्ता शामिल हैं

3.     आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन: यह कार्यक्रम आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि के अंतर्गत आयोजित किया जाएगा , जिसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाओं को सशक्त बनाना तथा आसियान देशों और भारत की महिला वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।

4.     नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्तियों का विस्तार: नालंदा विश्वविद्यालय की छात्रवृत्तियों को दोगुना किया जाएगा, जिससे उच्च शिक्षा और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही  कृषि विश्वविद्यालयों के लिए नई छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाएंगी, जिनका उद्देश्य कृषि शिक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना है।

5.     आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा : प्रधानमंत्री ने 2025 तक आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा पर जोर दिया, ताकि व्यापार संबंधों को सुदृढ़ किया जा सके और दोनों क्षेत्रों की आर्थिक क्षमता का अधिकतम उपयोग हो सके।

6.     आपदा प्रबंधन की लचीलता को बढ़ाना: भारत सरकार ने क्षेत्र में आपदा प्रबंधन में लचीलेपन को बढ़ाने के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसका ध्यान प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र पर केंद्रित होगा।

7.     स्वास्थ्य मंत्रियों का ट्रैक आरंभ करना: एक नई पहल जिसका उद्देश्य आसियान और भारत के स्वास्थ्य मंत्रियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए स्वास्थ्य लचीलापन विकसित करना है।

8.     आसियान-भारत साइबर नीति वार्ता के लिए नियमित तंत्र: इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा चुनौतियों और सहयोग पर नियमित चर्चा के माध्यम से डिजिटल और साइबर लचीलेपन को मजबूत करना है।

9.     हरित हाइड्रोजन पर कार्यशाला: यह कार्यशाला स्वच्छ ऊर्जा समाधान और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जाएगी।

10.   'माँ के लिए एक पेड़ लगाओ' अभियान: इस अभियान में भाग लेने के लिए आसियान नेताओं को आमंत्रित किया गया है। यह पहल वनरोपण के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देती है।

 

 

आसियान

आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में की गई थी। इसे पांच संस्थापक सदस्यों - इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड  ने स्थापित किया। वर्तमान में, आसियान में कुल दस सदस्य देश शामिल हैं, जिनमें  अन्य देश ब्रुनेई, वियतनाम, लाओ पीडीआर, म्यांमार, और कंबोडिया शामिल हैं। यह संगठन वैश्विक स्तर पर सबसे सफल अंतर-सरकारी संगठनों में से एक बन चुका है।

 

आसियान के प्रमुख पहलू:

 

आसियान एक ऐसा संगठन है जो अध्यक्षता को रोटेटिंग विधि से विभिन्न देशों के बीच सौंपता है और द्विवार्षिक शिखर सम्मेलनों की मेजबानी करता है। इसका आदर्श वाक्य, "एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय," एकता और सहयोग के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आसियान तीन मुख्य स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करता है:

1.     राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय (APSC)

2.     आर्थिक समुदाय (एईसी)

3.     सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय (एएससीसी)

 

इन स्तंभों के साथ, आसियान विकासशील दुनिया में सबसे सफल अंतर-सरकारी संगठनों में से एक बन गया है, विशेष रूप से अपने सदस्यों के बीच शांति और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के संदर्भ में।

 

भारत की एक्ट ईस्ट नीति: आसियान का सामरिक महत्व

 

भारत की एक्ट ईस्ट नीति, जो 1990 के दशक में प्रारम्भ की गयी लुक ईस्ट नीति की उत्तराधिकारी है, एक रणनीतिक पहल है। जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करना है। प्रारम्भ में आर्थिक सहयोग पर केंद्रित यह नीति अब रणनीतिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक आयामों को शामिल करते हुए विकसित हुई है। आसियान इस नीति का केंद्र है, जोकि भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बीच एक सेतु का कार्य करता है।

 

 

आसियान भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

 

  • आसियान का रणनीतिक महत्व भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर शक्ति के रूप में इसकी भूमिका में निहित है, जोकि भारत की व्यापक भारत-प्रशांत रणनीति के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य आसियान के साथ भौगोलिक निकटता साझा करते हैं, जिससे भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाएं क्षेत्रीय विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाती हैं।
  •  आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 2010 से दोनों के बीच भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) लागू है। घरेलू उद्योगों की चिंताओं के कारण 2020 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने के बावजूद, भारत व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए आसियान के साथ  अपने संबंधो को मजबूत कर रहा है।
  •  भारत के लिए, आसियान शक्ति संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों के संदर्भ में। भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति में आसियान की केंद्रीयता नेविगेशन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देती है और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति सम्मान की आवश्यकता को उजागर करती है।
  •  आतंकवाद निरोध, साइबर सुरक्षा, और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आसियान के साथ भारत का बढ़ता सहयोग इस रिश्ते के रणनीतिक महत्व को और भी अधिक रेखांकित करता है। आसियान की केंद्रीयता पर भारत का जोर यह सुनिश्चित करता है कि आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF) और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) जैसे क्षेत्रीय मंचों में एक महत्वपूर्ण भागीदार बना रहे।

 

चीन के उदय के मध्य आसियान का महत्व:

चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर, भारत के लिए आसियान का रणनीतिक महत्व और भी बढ़ गया है। दक्षिण चीन सागर में चीन की मुखरता और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) ने आसियान देशों को अपने बाहरी संबंधों में संतुलन की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है।

भारत स्वयं को चीनी प्रभुत्व के विकल्प के रूप में एक प्रमुख साझेदार के रूप में स्थापित कर रहा है, विशेष रूप से उन पहलों के माध्यम से जो ऋण निर्भरता से जुड़े जोखिम के बिना बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देती हैं।

 

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस):

  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) 2005 में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संवाद के लिए स्थापित एक प्रमुख मंच है। इसमें 10 आसियान सदस्य देशों के साथ भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, और रूस सहित प्रमुख संवाद साझेदार शामिल हैं। ईएएस भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी भारत-प्रशांत क्षेत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह क्षेत्र अपनी आर्थिक क्षमता और सुरक्षा चिंताओं, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर विवादों के कारण रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारत ने लगातार नियम-आधारित व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन की वकालत की है, जो नौवहन की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को सुनिश्चित करने में सहायक हैं।

 

निष्कर्ष:

 

आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की लाओ पीडीआर यात्रा दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंधों को सुदृढ़ करने के कूटनीतिक प्रयासों का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति में आसियान की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी, क्योंकि भारत आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है।

आसियान के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी, जो पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय मंचों में उसकी सक्रिय भागीदारी से और अधिक मजबूत हुई है, दक्षिण-पूर्व एशिया को भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

"भारत की एक्ट ईस्ट नीति एक आर्थिक पहल से विकसित होकर राजनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक आयामों को शामिल करने वाली एक व्यापक रणनीति बन गई है।" हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत की एक्ट ईस्ट नीति में आसियान की भूमिका पर चर्चा करें।

 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस