सन्दर्भ:
भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है और वर्तमान में यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम बन चुका है, जिसमें 140,000 से अधिक स्टार्टअप्स पंजीकृत हैं। हर 20 दिन में एक नया यूनिकॉर्न (unicorn) उभरने के साथ, देश में उद्यमशीलता की गति अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। इस सफलता को मजबूत उच्च शिक्षा संस्थानों, बढ़ते सरकारी निवेश और व्यापक इंटरनेट पहुँच ने प्रेरित किया है। हालाँकि, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा, उद्यमशीलता और रोजगार को एकीकृत करने पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
भारत के स्टार्टअप क्षेत्र की स्थिति :
- पारिस्थितिकी तंत्र का आकार और विकास: भारत का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र अपनी अभूतपूर्व वृद्धि के लिए विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 1.4 लाख से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत किए गए हैं। हर 20 दिन में एक यूनिकॉर्न का उभरना भारत की नवाचार और उद्यमिता में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को मजबूत करता है।
- रोजगार सृजन: भारत में रोजगार सृजन में स्टार्टअप का अहम योगदान है। DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने अब तक 15.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित किए हैं, जिनमें से 2023 में 3.9 लाख और जुड़ने की उम्मीद है, जो साल-दर-साल 46.6% की वृद्धि और पिछले पांच सालों में 217.3% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है।
- आर्थिक प्रभाव: स्टार्टअप क्षेत्र का आर्थिक योगदान उल्लेखनीय है। वित्त वर्ष 2023 में, स्टार्टअप्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 140 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4% है। यह नवाचार, विकास और रोजगार के महत्वपूर्ण चालक के रूप में उनकी भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में विकास के प्रमुख चालक:
1. डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल इंडिया पहल ने एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार किया है, जिससे स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं। अगस्त 2024 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने लेनदेन मूल्य में 20 लाख करोड़ को पार किया और सस्ती इंटरनेट लागत - औसतन 6.7 प्रति जीबी - ने कम सेवा वाले बाजारों तक पहुंच को विस्तारित किया है।
2. सरकारी सहायता: सक्रिय सरकारी नीतियां स्टार्टअप विकास को बढ़ावा देने में सहायक रही हैं:
o स्टार्टअप इंडिया पहल ने अनुपालन मानदंडों को सरल बनाया और कर लाभ प्रदान किए हैं।
o फंड ऑफ फंड्स (FFS) ने दिसंबर 2022 तक 99 वैकल्पिक निवेश फंडों को 7,980 करोड़ आवंटित किए हैं।
o क्लीनटेक, स्पेसटेक और डीप टेक जैसे क्षेत्रों में क्षेत्र-विशिष्ट प्रोत्साहन नवाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
3. जनसांख्यिकी लाभांश: भारत का युवा कार्यबल एक प्रमुख संपत्ति है, जिसमें 65% आबादी 35 वर्ष से कम है। हर साल 1.5 मिलियन इंजीनियरिंग स्नातक कार्यबल में शामिल होते हैं, जिनमें से कई एआई और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता रखते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस पाइपलाइन को और मजबूत करती है।
4. फंडिंग में लचीलापन: वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत का स्टार्टअप फंडिंग इकोसिस्टम मजबूत बना हुआ है। भारतीय टेक स्टार्टअप्स ने H1 2024 में 4.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए, जोकि H2 2023 से 4% अधिक है। घरेलू वेंचर कैपिटल फर्मों और वैश्विक निवेशकों के उदय ने फंडिंग विकल्पों में विविधता ला दी है।
5. क्षेत्र-विशिष्ट नवाचार: उभरते उद्योग विकास की अगली लहर को आगे बढ़ा रहे हैं:
o स्पेसटेक: निजी क्षेत्र की भागीदारी से 2023 में निवेश 124.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। 2022 में स्काईरूट एयरोस्पेस के विक्रम -एस रॉकेट का प्रक्षेपण एक मील का पत्थर साबित हुआ।
o ई-कॉमर्स: 2025 तक 188 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का यह क्षेत्र अपार अवसर प्रदान करता है।
6. कॉर्पोरेट सहयोग: कॉर्पोरेट और स्टार्टअप्स के बीच साझेदारी ने विकास के नए अवसर पैदा किए हैं। रिलायंस की जियोजेननेक्स्ट जैसी पहल, जिसने 170 से अधिक स्टार्टअप्स को सहायता प्रदान की है, और टाटा डिजिटल द्वारा 1mg का अधिग्रहण कॉर्पोरेट-स्टार्टअप तालमेल की क्षमता को दर्शाता है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के सामने चुनौतियाँ:
यद्यपि भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है, फिर भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
1. विनियामक जटिलताएँ: अस्पष्ट विनियमन अक्सर स्टार्टअप्स के विकास में बाधा डालते हैं। उदाहरण के लिए, मोटर वाहन अधिनियम के तहत ओला और उबर जैसी ऐप-आधारित सेवाओं के वर्गीकरण पर बहस परिचालन अनिश्चितताएँ पैदा करती है।
2. प्रतिभा पलायन : हालांकि भारत में हर साल लाखों स्नातक निकलते हैं, लेकिन स्टार्टअप्स शीर्ष प्रतिभा को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं। 2023 के रैंडस्टैड अध्ययन में पाया गया कि 60% भारतीय तकनीकी पेशेवर बेहतर संभावनाओं के लिए विदेश में स्थानांतरित होने के लिए तैयार हैं।
3. बाजार में अस्थिरता का प्रभाव : एडटेक जैसे क्षेत्रों में तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिससे अस्थिर व्यवसाय मॉडल बन रहे हैं। उदाहरण के लिए, BYJU's जैसी प्रमुख कंपनियों को महामारी के बाद पुनर्गठन करना पड़ा है।
4. बुनियादी ढांचे में कमी: प्रगति के बावजूद, इंटरनेट की पहुंच असमान बनी हुई है। शहरी क्षेत्रों में 69% पहुँच दर है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 37% तक गिर जाती है, जिससे डिजिटल स्टार्टअप्स के लिए संभावित बाजार सीमित हो जाते हैं।
5. विस्तार की कठिनाइयाँ: कई स्टार्टअप्स परिचालन अक्षमताओं और सीमित बाजार पहुँच के कारण विस्तार करने में विफल हो जाते हैं। आँकड़े बताते हैं कि भारत में 90% स्टार्टअप्स पांच साल के भीतर ही बंद हो जाते हैं।
6. डीप टेक इनोवेशन की कमी: भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.7% ही अनुसंधान एवं विकास में निवेश करता है, जबकि अमेरिका में यह 3.5% है। इससे सेमीकंडक्टर और एआई जैसे क्षेत्रों में प्रगति बाधित होती है, जहां डीप टेक इनोवेशन महत्वपूर्ण है।
7. बाहर निकलने की चुनौतियाँ: स्टार्टअप्स के पास बाहर निकलने के सीमित अवसर हैं। 2023 में 46 आईपीओ आए, लेकिन जुटाई गई राशि (41,095 करोड़) 2022 की तुलना में 30% कम रही, जोकि निवेशकों की सतर्कता का संकेत है।
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करने की रणनीतियाँ:
1. विनियमन को सरल बनाएं: हेल्थटेक, एडटेक और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में विनियामक सैंडबॉक्स लागू करें ताकि स्टार्टअप्स को नियंत्रित वातावरण में नवीन समाधानों का परीक्षण करने की अनुमति मिल सके।
2. कौशल विकास का विस्तार करें: एआई, इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण को शामिल करने के लिए कौशल भारत पहल को बढ़ाएं। एवं लक्षित कार्यक्रमों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के नेताओं के साथ सहयोग करना।
3. बुनियादी ढांचे का निर्माण : 2025 तक सभी गांवों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए भारतनेट की कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेजी लाएं। स्टार्टअप्स के लिए बाजार पहुँच का विस्तार करने के लिए शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को दूर करना होगा।
4. विस्तारित कर लाभ प्रदान करना: स्टार्टअप्स के लिए कर छूट को तीन वर्ष से बढ़ाकर पाँच वर्ष होना चाहिए तथा डीप टेक और क्लीनटेक स्टार्टअप्स के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करना होगा।
5. आईपी फ्रेमवर्क को मजबूत करना : पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाएं और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्टार्टअप्स के लिए फास्ट-ट्रैक अनुमोदन शुरू करें। एक आईपी जागरूकता कार्यक्रम स्टार्टअप्स को बौद्धिक संपदा का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने में मदद कर सकता है।
6. टियर-2 और टियर-3 शहरों को बढ़ावा देना : लक्षित प्रोत्साहनों के माध्यम से छोटे शहरों को स्टार्टअप हब के रूप में विकसित करना चाहिए। हैदराबाद के टी-हब जैसे सफल मॉडल का उपयोग सेक्टर-विशिष्ट इनक्यूबेटरों के लिए ब्लूप्रिंट के रूप में करना चाहिए।
7. अकादमिक-स्टार्टअप सहयोग को बढ़ावा देना: अकादमिक संस्थानों को स्टार्टअप्स से जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाएं। यह पहल उच्च गुणवत्ता वाले शोध और नवाचार को बढ़ावा दे सकती है।
8. फंडिंग की पहुँच में सुधार: स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS) का विस्तार करना और सेक्टर-विशिष्ट फंड स्थापित करें। यूके की एंटरप्राइज फाइनेंस गारंटी के समान क्रेडिट गारंटी योजनाएं शुरू करना चाहिए।
विज़न 2047 के लिए भारत का मार्ग
भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम ने आर्थिक विकास को गति देने, रोजगार सृजन और नवाचार को बढ़ावा देने की अपार क्षमता दिखाई है। 140,000 से अधिक स्टार्टअप और हर 20 दिन में एक यूनिकॉर्न के उभरने के साथ, यह गति निर्विवाद है। हालांकि, 2047 तक विकसित भारत के विज़न को प्राप्त करने के लिए विनियामक जटिलताओं, प्रतिभा प्रतिधारण और गहन तकनीकी नवाचार जैसी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
वही शिक्षा, उद्यमिता और रोजगार को एकीकृत करके तथा अपनी जनसांख्यिकीय और डिजिटल शक्तियों का लाभ उठाकर भारत विकास को तीव्र गति प्रदान कर सकता है।
मुख्य प्रश्न: "स्टार्टअप आर्थिक विकास के इंजन हैं।" भारत के संदर्भ में, सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार सृजन में स्टार्टअप के योगदान का मूल्यांकन करें। |