होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 08 Oct 2024

“भारत की अंतरिक्ष स्टार्टअप क्रांति: सरकार की ₹1,000 करोड़ की पहल”: डेली न्यूज़ एनालिसिस

image

संदर्भ:

भारत सरकार ने अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए 1,000 करोड़ आवंटित करने का निर्णय लिया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जोकि अंतरिक्ष क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

  • यह कदम उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।

वेंचर फंड का महत्व:

  •  निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन: अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए समर्पित कोष की स्थापना के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य निजी निवेश को प्रोत्साहित करना और अंतरिक्ष उद्योग में विकास और नवाचार में निजी उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देना है।
  •  वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा: इस फंडिंग से भारतीय स्टार्टअप्स को अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में सहायता मिलेगी, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
  • रोजगार सृजन और आर्थिक प्रभाव: अंतरिक्ष स्टार्टअप को समर्थन देने से रोजगार के कई अवसर पैदा हो सकते हैं, जिससे आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। एक मजबूत अंतरिक्ष क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोजगार पैदा कर सकता है, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
  • पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना: यह फंड नवाचार, प्रतिभा को आकर्षित करने, निवेश और सहयोग के लिए एक अधिक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेगा। इससे स्टार्टअप, स्थापित कंपनियों और शोध संस्थानों के बीच तालमेल हो सकता है।
  • रणनीतिक राष्ट्रीय हित: अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है, जो उपग्रह प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अन्वेषण और राष्ट्रीय सुरक्षा में क्षमताओं को बढ़ाता है। संचार, मौसम पूर्वानुमान और रक्षा सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए एक मजबूत अंतरिक्ष उद्योग आवश्यक है।
  • भविष्य के लिए दृष्टिकोण: यह वित्तपोषण भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देना और 2040 तक 100 बिलियन डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था जैसे लक्ष्य को प्राप्त करना है।

अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में योगदान देने वाले प्रमुख कारक:

·        पारिस्थितिकी तंत्र विकास: भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। 2024 तक लगभग 200 स्टार्टअप उभरने की उम्मीद है, जबकि 2022 में यह संख्या केवल एक थी। यह प्रवृत्ति महत्वपूर्ण सुधारों और नवाचार के लिए अनुकूल वातावरण को प्रदर्शित करती है, जो देश के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

·        सरकारी सहायता: भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिसमें हाल ही में अंतरिक्ष स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए 1,000 करोड़ के वेंचर फंड की घोषणा भी शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 जैसी नीतियों ने निजी भागीदारी के लिए और भी रास्ते खोल दिए हैं।

    • निवेश में वृद्धि: 2023 में, भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स में निवेश लगभग 124.7 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र में निवेशकों के बढ़ते विश्वास और रुचि का संकेत है।
    •  एफडीआई प्रावधान: अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति ने नई पहलों को काफी बढ़ावा दिया है और उद्यमियों को आकर्षित किया है। यह नीति स्टार्टअप के लिए पूंजी और संसाधनों तक आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करती है।

·        मुख्य संस्थान: उल्लेखनीय निजी संस्थान में पिक्सल, ध्रुव स्पेस और स्काईरूट एयरोस्पेस शामिल हैं, जिन्होंने नवीन उपग्रह प्रौद्योगिकियों और प्रक्षेपण क्षमताओं का विकास किया है, जैसे कि भारत का पहला निजी तौर पर विकसित रॉकेट, विक्रम-एस।

·        अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था: वर्तमान में, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 6,700 करोड़ रुपये) है और यह तेजी से विकास कर रही है। वास्तव में, 2030 तक वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी चार गुना बढ़कर 2% से 8% होने की संभावना है। 2047 तक, भारत की हिस्सेदारी वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में प्रभावशाली 15% तक पहुँचने की उम्मीद है।

अंतरिक्ष स्टार्टअप सहित स्टार्टअप के लिए सरकारी सहायता:

·        एंजल टैक्स को हटाना : 31% एंजल टैक्स को समाप्त करने से स्टार्टअप्स पर वित्तीय बोझ कम होगा तथा अधिक निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

·        कॉर्पोरेट कर में कटौती : विदेशी कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट कर में कटौती का उद्देश्य भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में अंतर्राष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करना है।

·        मुद्रा ऋण सीमा में वृद्धि : मुद्रा ऋण सीमा को ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख करने से स्टार्टअप्स को अपने विकास में उपयोग करने के लिए अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे।

 

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक स्वामित्व वाली सरकारी संस्थाएं जो अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देती हैं:

 

सरकारी निकाय

गठन वर्ष

कर्तव्य/भूमिका/लक्ष्य

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN- SPACe )

2020

·       अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और सक्षम बनाना।

·        प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रहों के विकास में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) को अधिकृत और पर्यवेक्षण करना।

·    अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे और सुविधाएं स्थापित करना।

एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड

1992

·        अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) की वाणिज्यिक और विपणन शाखा के रूप में कार्य करता है।

न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल)

2019

·        घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांगों को पूरा करने के लिए उपग्रह सेवाएं प्रदान करना।

·        अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण क्षमताओं के विस्तार में एसएमई को सहायता प्रदान करना।

भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए )

2021

·        भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देना।

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जो अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदार है। यह अंतरिक्ष विभाग के अधीन कार्यरत है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।

इसरो की उत्पत्ति और इतिहास-

भारतीय राष्ट्रीय अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) की स्थापना: डॉ. विक्रम साराभाई के सुझाव पर परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के तहत 1962 में गठित किया गया।

·        इन्कोस्पार ने तमिलनाडु में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) का निर्माण किया।

·        पहला साउंडिंग रॉकेट (नाइके-अपाचे) 21 नवंबर 1963 को टीईआरएलएस से प्रक्षेपित किया गया था

इसरो की स्थापना: इसरो की आधिकारिक स्थापना 15 अगस्त 1969 को बेंगलुरु में हुई थी, जिसने विस्तृत कार्यक्षेत्र के साथ INCOSPAR का स्थान लिया था।

इसरो के उद्देश्य:

·        इसका प्राथमिक लक्ष्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग करना है।

·        इसरो ने संचार, टेलीविजन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियां स्थापित की हैं।

इसरो के हालिया मिशन:

 

उद्देश्य

प्रक्षेपण की तारीख

विवरण

एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन

16 अगस्त, 2024

ईओएस-08 उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) का उपयोग किया गया।

जीएसएलवी-एफ14/इनसैट-3डीएस मिशन

17 फ़रवरी, 2024

जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) का उपयोग करके इनसैट-3डीएस उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया।

पीएसएलवी-सी58/ एक्सपोसैट मिशन

1 जनवरी, 2024

एक्सपोसैट उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का उपयोग किया गया

चंद्रयान-3 मिशन

14 जुलाई, 2023

प्रक्षेपण यान मार्क 3 (एलवीएम3) का उपयोग करके महत्वपूर्ण चंद्र मिशन प्रक्षेपित किया गया।

आदित्य-एल1 मिशन

2 सितंबर, 2023

सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के उद्देश्य से, इसे पीएसएलवी-एक्सएल का उपयोग करके प्रक्षेपित किया गया।

गगनयान टीवी-डी1 मिशन

21 अक्टूबर, 2023

भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का हिस्सा।

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान स्वायत्त लैंडिंग मिशन (आरएलवी लेक्स-03)

23 जून, 2024

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

 

निष्कर्ष:

अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए 1,000 करोड़ का वेंचर फंड भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फंड निजी निवेश को बढ़ावा देगा, नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और नई तकनीकों के विकास में मदद करेगा। इससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में एक महत्वपूर्ण राष्ट्र बन सकता है। इस कदम से भारत की आर्थिक वृद्धि में भी मदद मिलेगी, जिससे देश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उद्यमिता का प्रमुख केंद्र बन सकेगा।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान देने में अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमता का परीक्षण करें।