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Daily-current-affairs / 12 Feb 2025

सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर भारत: 100 GW की ऐतिहासिक उपलब्धि

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संदर्भ:  भारत ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 100 GW से अधिक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त की है। यह उपलब्धि भारत के सतत ऊर्जा संक्रमण में एक महत्वपूर्ण कदम है और सौर ऊर्जा के विकास में वैश्विक नेता के रूप में इसकी स्थिति को मजबूती प्रदान करती है। भारत सरकार द्वारा 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित किए जाने के साथ, देश सौर अवसंरचना के विस्तार में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है।

यह तेजी से हो रही प्रगति भारत की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने, जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।

भारत की सौर ऊर्जा का विकास:

भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र पिछले एक दशक में असाधारण रूप से बढ़ा है। स्थापित सौर क्षमता 2014 में 2.82 GW से बढ़कर 2025 में 100 GW हो गई है, जोकि दस वर्षों में 3,450% की वृद्धि है।

भारत में सौर ऊर्जा की वर्तमान स्थिति:
31 जनवरी 2025 तक, भारत की कुल स्थापित सौर क्षमता 100.33 GW है, इसके अतिरिक्त:

        84.10 GW कार्यान्वयन के तहत है।

        47.49 GW निविदा(Tendering) प्रक्रिया में है।

भारत स्वतंत्र सौर परियोजनाओं के अतिरिक्त, ऐसे नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है, जो सौर ऊर्जा को पवन और बैटरी भंडारण के साथ मिलाकर 24 घंटे काम करती हैं।

        वर्तमान में, 64.67 GW हाइब्रिड और RTC परियोजनाएं कार्यान्वयन या निविदा प्रक्रिया में हैं।

        देश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जिसमें सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास शामिल हैं, 296.59 GW तक पहुँच चुकी है।

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार में सौर ऊर्जा की प्रमुख भूमिका:
सौर ऊर्जा भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विकास में प्रमुख योगदानकर्ता है, जो कुल स्थापित नवीकरणीय क्षमता का 47% है। पिछले वर्ष में रिकॉर्ड विकास हुआ है, जिसमें 2024 में 24.5 GW नई सौर क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में दोगुना अधिक है।

यूटिलिटी-स्केल सौर ऊर्जा: मुख्य वृद्धि क्षेत्र

यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाएं वे बड़ी परियोजनाएं होती हैं, जो बिजली उत्पन्न कर बिजली वितरण कंपनियों को बेचती हैं। इन परियोजनाओं को आमतौर पर 10 मेगावाट (MW) या उससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने वाली परियोजनाओं के रूप में परिभाषित किया जाता है। भारत ने यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाओं में महत्वपूर्ण विस्तार किया है, जो अब नई स्थापित क्षमता का प्रमुख हिस्सा बन गई हैं। 2024 में, 18.5 GW की यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाएं स्थापित की गईं, जो 2023 की तुलना में 2.8 गुना अधिक हैं।

यूटिलिटी-स्केल सौर ऊर्जा विकास में प्रमुख राज्य हैं:

        राजस्थान

        गुजरात

        तमिलनाडु

        महाराष्ट्र

        मध्य प्रदेश

इन राज्यों ने अनुकूल जलवायु परिस्थितियों, सरकारी प्रोत्साहन और बड़े सौर पार्कों के माध्यम से विकास को बढ़ावा दिया है।

रूफटॉप सौर ऊर्जा: घरों और व्यवसायों को सशक्त बनाना

भारत में रूफटॉप सौर ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जिसमें 2024 में 4.59 GW नई क्षमता जोड़ी गई, जो 2023 की तुलना में 53% अधिक है।

इस विकास का मुख्य उत्प्रेरक पीएम सूर्या घर: मुफ़्त बिजली योजना रही है, जिसे 2024 में शुरू किया गया था, जिसके तहत देश भर में लगभग 900,000 रूफटॉप सौर प्रणालियाँ स्थापित की गईं। इस योजना ने भारतीय घरों और छोटे व्यवसायों के लिए स्वच्छ ऊर्जा को सुलभ और किफायती बना दिया है।

विकेन्द्रीयकृत ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देकर, रूफटॉप सौर ऊर्जा  हानियों को कम करने, बिजली के बिल को घटाने और घरेलू स्तर पर ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है।

भारत का वैश्विक सौर उत्पादन केंद्र के रूप में उभार:

भारत ने केवल सौर इंस्टालेशन ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि अपनी घरेलू सौर उत्पादन क्षमता को भी मजबूत किया है। 2014 में भारत की सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता सिर्फ 2 GW थी। 2024 तक, यह 60 GW तक पहुंच गई, जिससे भारत सौर उत्पादन में एक प्रमुख देश बन गया है।

नीति समर्थन और निवेश में निरंतर वृद्धि के साथ, भारत का लक्ष्य 2030 तक सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 100 GW तक पहुंचाना है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और अंतर्राष्ट्रीय सौर बाजार में इसकी स्थिति मजबूत होगी।

सौर ऊर्जा हेतु नीतियाँ:
भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र की तेज़ वृद्धि का मुख्य कारण नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) से नीति समर्थन है। जिसके तहत कई प्रमुख पहलों को लागू किया गया है, जैसे:

1.    सौर पार्क और बड़े पैमाने पर इंस्टालेशन : सरकार ने कुल 37 GW क्षमता वाले 45 सौर पार्कों को मंजूरी दी है, जिससे बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन संभव हो सका है। कुछ प्रमुख सौर पार्क हैं:

o    पवगड़ा सौर पार्क (2 GW), कर्नाटका

o    कुरनूल सौर पार्क (1 GW), आंध्र प्रदेश

o    भादला-II सौर पार्क (648 MW), राजस्थान

2.    रूफटॉप सौर को बढ़ावा देना: पीएम सूर्या घर: मुफ़्त बिजली जैसी योजनाओं के तहत घरेलू और व्यवसायिक रूफटॉप सौर प्रणालियों को प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान की जाती है।

3.    घरेलू सौर उत्पादन प्रोत्साहन: इसका उद्देश्य उच्च-प्रभावशीलता वाले सौर पीवी मॉड्यूल का घरेलू उत्पादन बढ़ाना है, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

4.    ग्रिड आधुनिकीकरण और अवसंरचना विकास:

o    सौर परियोजनाओं के लिए इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क माफी।

o    नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद सुनिश्चित करने के लिए रीन्यूएबल पर्चेस ऑब्लिगेशन (RPOs) को मजबूत किया गया है।

5.    सौर-पवन हाइब्रिड परियोजनाएं और ऊर्जा भंडारण: भारत गुजरात में दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पार्क, 30 GW सौर-पवन हाइब्रिड परियोजना का विकास कर रहा है, ताकि निरंतर और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

सौर ऊर्जा विकास में चुनौतियाँ:

महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, भारत को सौर ऊर्जा को बढ़ाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:

भारत में सौर भागों का निर्माण नहीं होना: सौर मॉड्यूल उत्पादन में वृद्धि हुई है, भारत अभी भी प्रमुख घटकों जैसे सौर वेफर्स और इनवर्टर्स का आयात करता है, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता सीमित होती है।

1.    भूमि उपलब्धता की समस्याएँ: यूटिलिटी-स्केल सौर परियोजनाओं को बड़े भूमि क्षेत्रों की आवश्यकता होती है, जिससे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण एक प्रमुख चुनौती बन जाता है।

2.    वित्तीय और निवेश संबंधी बाधाएँ: उच्च प्रारंभिक लागत और किफायती वित्तपोषण विकल्पों की सीमित उपलब्धता बड़ी सौर परियोजनाओं को धीमा कर देती है।

3.    सौर दरों की लाभप्रदता पर प्रभाव : भारत में सौर दरें दुनिया में कुछ सबसे कम हैं, जिसके कारण सौर परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता पर असर पड़ता है और गुणवत्ता में समझौते किए जाते हैं।

4.    सौर कचरे का प्रबंधन: भारत के द्वारा 2050 तक 1.8 मिलियन टन सौर कचरा उत्पन्न करने का अनुमानित है, फिर भी सौर पैनलों के लिए ई-वेस्ट (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) नियम कमजोर हैं, जो पर्यावरणीय जोखिम पैदा करते हैं।

नवाचारी विकास : सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक हाईवे
भारत के नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार में एक महत्वपूर्ण पहल सौर ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रिक हाईवे का विकास है। ये हाईवे इलेक्ट्रिक ट्रकों और बसों के लिए चार्जिंग की सुविधा प्रदान करेंगे, जिससे परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाएगा और सौर ऊर्जा को गतिशीलता समाधानों में एकीकृत किया जाएगा।

भविष्य की रोडमैप: भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त बनाना
अपनी विकास दर को बनाए रखने के लिए, भारत को निम्नलिखित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

1.    हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों को बढ़ावा देना: सौर और पवन ऊर्जा को एकीकृत करना, ऊर्जा उत्पादन को स्थिर करेगा और दक्षता को बढ़ावा देगा।

2.    अवसंरचना का विस्तार: उच्च-वोल्टेज संप्रेषण लाइनों में निवेश करना सुनिश्चित करेगा कि देश भर में बिजली वितरण कुशलतापूर्वक हो।

3.    बैटरी स्टोरेज समाधान को बढ़ावा देना: ग्रिड-स्तरीय बैटरी स्टोरेज का विकास सौर ऊर्जा आपूर्ति को प्रबंधित करने में मदद करेगा और ग्रिड की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा।

4.    वितरण कंपनियों (DISCOMs) को मजबूत करना: अवसंरचना का उन्नयन, अप्रभावी वितरण कंपनियों का निजीकरण और बिलिंग प्रणालियों का सुधार ऊर्जा वितरण की दक्षता को सुधार सकते हैं।

निष्कर्ष:
भारत की 100 GW सौर क्षमता की प्राप्ति उसके स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सरकारी समर्थन, तकनीकी प्रगति और घरेलू निर्माण में निवेश के साथ, भारत 2030 तक अपने 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति में है।
निर्माण पर निर्भरता, वित्तपोषण की खामियाँ और सौर कचरे के प्रबंधन जैसी चुनौतियों को संबोधित करके, भारत अपने वैश्विक सौर ऊर्जा परिदृश्य में नेतृत्व को और मजबूत कर सकता है और एक अधिक सतत और ऊर्जा-सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

मुख्य प्रश्न: भारतीय राज्यों में सौर ऊर्जा अपनाने में असमानताएँ चर्चा करें। कौन से कारक कुछ राज्यों को यूटिलिटी-स्केल सौर प्रतिष्ठापनों में अग्रणी बनाते हैं और यह भी स्पष्ट करें कि पूरे देश में समान विकास को बढ़ावा देने के लिए कौन से महत्वपूर्ण पाठ सीखे जा सकते हैं?

Source: PIB