होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 25 Dec 2024

भारत की महत्वपूर्ण खनिज निर्भरता: चुनौतियाँ और चीन का प्रभुत्व

image

संदर्भ:

महत्वपूर्ण खनिज तकनीकी प्रगति, सतत विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा जैसे उद्योगों की रीढ़ हैं। अपनी पर्याप्त खनिज संपदा के बावजूद, भारत आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जिससे रणनीतिक कमजोरियाँ उजागर होती हैं, खासकर चीन जैसे देशों द्वारा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के प्रभुत्व के कारण।

भारत की चुनौतियाँ सीमित अन्वेषण तकनीक, अपर्याप्त प्रसंस्करण अवसंरचना और नीतिगत कमियों से उत्पन्न होती हैं, जो घरेलू संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की इसकी क्षमता में बाधा डालती हैं। इन बाधाओं को दूर करने के लिए अभिनव निष्कर्षण विधियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और रीसाइक्लिंग जैसी संधारणीय प्रथाओं की आवश्यकता होती है।

भारत के लिए आर्थिक लचीलापन हासिल करने, निर्भरता कम करने और वैश्विक संसाधन अर्थव्यवस्था में खुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए एक मजबूत महत्वपूर्ण खनिज पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण आवश्यक है।

भारत जिन चुनौतियों की वजह से महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भर है, वे इस प्रकार हैं:

1.   सीमित खोज तकनीक: भारत के पास अपने विशाल खनिज संसाधनों का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए उन्नत खोज तकनीक की कमी है। कई महत्वपूर्ण खनिज गहरे भू-भाग में पाए जाते हैं, जिन्हें निकालने के लिए उच्च-तकनीकी विधियों की आवश्यकता होती है।

2.   अपर्याप्त प्रसंस्करण बुनियादी ढांचा: भारत में खनिज प्रसंस्करण सुविधाएं विकसित नहीं हैं। उदाहरण के लिए, जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार होने के बावजूद, इन्हें निकालने और प्रोसेस करने के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं है।

3.   नीतिगत कमियाँ: खनन और खनिज प्रसंस्करण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए मजबूत नीतियों और वित्तीय प्रोत्साहनों की अनुपस्थिति देश की आयात निर्भरता को और बढ़ा देती है।

महत्वपूर्ण खनिजों में चीन का दबदबा:

चीन ने वैश्विक महत्वपूर्ण खनिज बाजार में अपना दबदबा स्थापित कर लिया है। यह दबदबा एक सुव्यवस्थित रणनीति के तहत मजबूत बुनियादी ढांचे, रणनीतिक निवेश और वैश्विक विस्तार के कारण है।

·        संसाधन आधार और खोज क्षमता: चीन दुनिया का सबसे बड़ा खनन देश है, जिसने अब तक 173 खनिज खोजे हैं। इनमें ऊर्जा खनिज (जैसे कोयला और यूरेनियम), धातु खनिज (जैसे लिथियम और कोबाल्ट), और गैर-धातु खनिज (जैसे सिलिकॉन और ग्रेफाइट) शामिल हैं। 2022 में, चीन ने खनिज खोज पर $19.4 बिलियन खर्च किए, जिससे लिथियम और निकल जैसे 132 नए भंडार मिले।

·        प्रसंस्करण और शोधन क्षमता: चीन की प्रसंस्करण और शोधन क्षमता उसकी सबसे बड़ी ताकत है:

o   वैश्विक रेयर अर्थ प्रसंस्करण का 87%

o   विश्व की लिथियम प्रसंस्करण का 58%

o   सिलिकॉन प्रसंस्करण का 68%, जो सेमीकंडक्टर और सोलर पैनल के लिए महत्वपूर्ण है।

·        वैश्विक पहुंच और निवेश: चीन ने विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में विदेशी खनन परियोजनाओं में भारी निवेश किया है। इस विस्तार ने उसकी वैश्विक परिष्करण और प्रसंस्करण क्षमता को मजबूत किया है, जिससे वह महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला का मुख्य आधार बन गया है।

·        रणनीतिक निर्यात नियंत्रण: चीन ने भू-राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए रणनीतिक निर्यात नियंत्रण का इस्तेमाल किया है।

o   रेयर अर्थ प्रतिबंध (2010): चीन ने जापान को रेयर अर्थ निर्यात को सीमित कर दिया, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई।

o   गैलियम और जर्मेनियम पर प्रतिबंध (2023): अर्धचालकों और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्यात प्रतिबंध लगाए।

o   रेयर अर्थ तकनीक प्रतिबंध (2023): चीन ने रेयर अर्थ निष्कर्षण तकनीकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर इस क्षेत्र में अपनी एकाधिकार स्थिति को मजबूत किया।

महत्वपूर्ण खनिज: आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं के लिए रणनीतिक संसाधन

महत्वपूर्ण खनिज आधुनिक तकनीकी प्रगति, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। ये खनिज निम्नलिखित उद्योगों में अपरिहार्य हैं:

     उन्नत तकनीकें: मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर्स, फाइबर-ऑप्टिक केबल्स और मेडिकल उपकरणों में उपयोग होते हैं।

     ग्रीन एनर्जी: इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), सोलर पैनल, विंड टर्बाइन और रिचार्जेबल बैटरियों के लिए जरूरी।

     रक्षा और एयरोस्पेस: सैन्य प्रणाली, सैटेलाइट और एयरोस्पेस उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण।

     उपभोक्ता वस्तुएं: स्टेनलेस स्टील और विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में उपयोग।

भारत में महत्वपूर्ण खनिजों का परिदृश्य

भारत ने अपनी तकनीकी और आर्थिक भविष्य के लिए 30 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है, जिनमें लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, रेयर अर्थ तत्व (REEs), और टाइटेनियम शामिल हैं।

1.   ग्रेफाइट:

o    भंडार: 9 मिलियन टन (43% अरुणाचल प्रदेश में)

o    प्रमुख उत्पादक: तमिलनाडु (63%)

2.   लिथियम:

o    खोज: जम्मू-कश्मीर और राजस्थान।

3.   इल्मेनाइट (टाइटेनियम):

o    वैश्विक हिस्सा: 11%

o    प्रमुख उत्पादक: ओडिशा (60%)

4.   फॉस्फोरस:

o    भंडार: राजस्थान (31%) और मध्य प्रदेश (19%)

5.   पोटाश:

o    भंडार: राजस्थान में 2.4 बिलियन टन (91%)

6.   रेयर अर्थ तत्व (REEs):

o    भंडार: 11.93 मिलियन टन मोनाजाइट, जो आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, और ओडिशा में पाए जाते हैं।

7.   प्लैटिनम ग्रुप तत्व (PGEs):

o    भंडार: ओडिशा और कर्नाटक में 15.7 टन।

भारत में रेयर अर्थ खनिज

भारत में रेयर अर्थ तत्वों का पांचवां सबसे बड़ा भंडार है, जो ऑस्ट्रेलिया के भंडार का लगभग दोगुना है। मुख्य रूप से लाइट REEs (लैंथेनम, सेरियम, नियोडियम, प्रेसीओडियम, और समेरियम) मौजूद हैं। हालांकि, हेवी REEs (डिसप्रोसियम, टर्बियम, यूरोपियम) भारत में पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते।

चीन पर भारत की निर्भरता

भारत का चीन से महत्वपूर्ण खनिज आयात काफी ज्यादा है। 2019 से 2024 के बीच प्रमुख खनिजों के लिए आयात निर्भरता दर निम्नलिखित है:

     बिस्मथ (85.6%): फार्मास्यूटिकल्स और केमिकल्स में उपयोग।

     लिथियम (82%): EV बैटरियों और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के लिए आवश्यक।

     सिलिकॉन (76%): सेमीकंडक्टर्स और सोलर पैनल के लिए महत्वपूर्ण।

     टाइटेनियम (50.6%): एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक।

     टेल्यूरियम (48.8%): सौर ऊर्जा और थर्मोइलेक्ट्रिक उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण।

     ग्रेफाइट (42.4%): EV बैटरियों और स्टील उत्पादन के लिए अनिवार्य।

 

भारत में संरचनात्मक चुनौतियाँ:

 भारत की महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर भारी निर्भरता निम्नलिखित संरचनात्मक समस्याओं का परिणाम है:

1.   खोज से जुड़े जोखिम: कई महत्वपूर्ण खनिज गहरे भू-भाग में पाए जाते हैं, जिन्हें निकालने के लिए उन्नत तकनीक और उच्च जोखिम वाले निवेश की आवश्यकता होती है।

2.   प्रसंस्करण की कमी: इन खनिजों को प्रोसेस करने के लिए विकसित बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे कि मिट्टी से लिथियम निकालना, समस्या को और गंभीर बनाती है।

3.   नीतिगत अंतराल: अपर्याप्त नीतियां और वित्तीय प्रोत्साहन खनन और प्रसंस्करण क्षेत्र में निजी निवेश को हतोत्साहित करते हैं।

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया:

आयात पर निर्भरता कम करने और अपनी महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भारत ने कई रणनीतियाँ शुरू की हैं:

1.   विदेशी परिसंपत्तियों का अधिग्रहण: खानिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) के माध्यम से भारत ने ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और अन्य संसाधन-समृद्ध देशों में खनिज परिसंपत्तियाँ हासिल की हैं ताकि आपूर्ति स्रोतों को विविध बनाया जा सके।

2.   अंतरराष्ट्रीय साझेदारी: भारत ने खनिज सुरक्षा साझेदारी और क्रिटिकल रॉ मैटेरियल्स क्लब जैसी वैश्विक पहलों में भाग लिया है ताकि विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुनिश्चित किया जा सके।

3.   अनुसंधान और विकास: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) जैसे संस्थान उन्नत खोज और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहे हैं ताकि घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा दिया जा सके।

4.   रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना: भारत प्राथमिक खनिज निष्कर्षण के टिकाऊ विकल्प के रूप में रीसाइक्लिंग का पता लगा रहा है, विशेष रूप से ईवी बैटरी के लिए, जो आयात निर्भरता को कम करने में मदद कर सकता है।

चुनौतियाँ और आगे की राह :

 भारत का महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्भरता कम करने की यात्रा में निम्नलिखित शामिल हैं:

1.   तकनीकी प्रगति: जटिल भूवैज्ञानिक संरचनाओं से खनिज निकालने के लिए तकनीक का विकास।

2.   निजी क्षेत्र की भागीदारी: कर प्रोत्साहन, सब्सिडी और नीति सुधारों के माध्यम से निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।

3.   रणनीतिक भंडार: आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के रणनीतिक भंडार स्थापित करना।

4.   घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत बनाना: खनिजों के खनन, प्रसंस्करण और परिष्करण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।

निष्कर्ष:

महत्वपूर्ण खनिजों, विशेष रूप से चीन से, पर भारत की निर्भरता एक रणनीतिक कमजोरी प्रस्तुत करती है। सरकार ने खनिज परिसंपत्तियों को सुरक्षित करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन खनिज स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है। मजबूत नीतिगत ढांचे, तकनीकी नवाचार और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी एक मजबूत खनिज पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण होंगे। भारत को एक संसाधन-निर्भर और प्रतिस्पर्धी विश्व में अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा।

मुख्य प्रश्न:

भारत महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, इन खनिजों के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है। भारत के खनन और प्रसंस्करण क्षेत्र में संरचनात्मक चुनौतियों पर चर्चा करें जो इस निर्भरता में योगदान करती हैं, और इन चुनौतियों को दूर करने के लिए समाधान प्रस्तावित करें।