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Daily-current-affairs / 15 Oct 2024

भारतीय रेलवे सुरक्षा: प्रणालीगत सुधारों की तत्काल आवश्यकता- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

हाल ही में भारतीय रेलवे में हुई दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला ने सुरक्षा के मुद्दे को पुनः उजागर किया है। एक महत्वपूर्ण घटना 11 अक्टूबर, 2024 को घटित हुई, जब चेन्नई के निकट कावराईपेट्टई में एक यात्री ट्रेन ने एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। यह टक्कर अत्यंत भयंकर थी, जिसके परिणामस्वरूप 13 बोगियाँ पलट गईं और एक बोगी में आग लग गई। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, किंतु कई यात्री घायल हुए।

इस दुर्घटना ने, साथ ही अन्य हालिया रेल दुर्घटनाओं के संदर्भ में, रेलवे सुरक्षा में आवश्यक प्रणालीगत सुधारों की तात्कालिक आवश्यकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है।

भारतीय रेलवे की स्थिति:

  • भारत का रेल नेटवर्क विश्व में चौथा सबसे बड़ा है, जो 68,043 किलोमीटर तक फैला हुआ है और वार्षिक रूप से लगभग 3.5 बिलियन यात्रियों को सेवाएं प्रदान करता है। रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
  • रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने, टकराव, सिग्नल विफलता, और लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाओं के कारण सुरक्षा उपायों के प्रति गंभीर चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2010 से 2021 के बीच रेलवे से संबंधित दुर्घटनाओं में औसतन 23,000 लोगों की जान गई।
  • भारत में रेल दुर्घटनाएं मुख्यतः पांच प्रमुख कारणों से होती हैं: पटरी से उतरना, टक्कर, सिग्नल की विफलता, लेवल क्रॉसिंग दुर्घटनाएं, तथा अधिक भीड़ या तेज गति से गाड़ी चलाना।

रेलवे सुरक्षा सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ:

1.     तकनीकी गड़बड़ियाँ और सिस्टम विफलताएँ: हाल ही में ओडिशा के बालासोर में हुई दुर्घटना इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग त्रुटि से जुड़ी थी, जो तकनीकी गड़बड़ियों की गंभीरता को दर्शाती है। ये गड़बड़ियाँ अक्सर दोषपूर्ण सिग्नलिंग या ट्रैक मिसअलाइनमेंट जैसे गंभीर परिणाम उत्पन्न करती हैं।

2.     वित्तीय बाधाएँ: भारतीय रेलवे वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहा है, जिसमें पूंजीगत व्यय की धीमी वृद्धि, बजट आवंटन पर निर्भरता, और राजस्व में गिरावट शामिल है। 2017 में राष्ट्रीय रेल संरक्षा सुरक्षा सुधारों के लिए 1 ट्रिलियन रुपये का कोष (आरआरएसके) स्थापित किया गया था, लेकिन इसे कार्यान्वयन में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि सुरक्षा निधि अक्सर गैर-प्राथमिकता वाले कार्यों के लिए खर्च कर दी जाती है।

3.     अपर्याप्त रखरखाव और निरीक्षण: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट में ट्रैक निरीक्षण, समय पर नवीनीकरण  और रखरखाव गतिविधियों में कमियों का खुलासा हुआ है। उदाहरणस्वरूप, उचित ट्रैक रखरखाव के माध्यम से उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना टाली जा सकती थी। इस तरह की सतर्कता की कमी पूरे तंत्र में आगे और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ाती है।

4.     भीड़भाड़ और अत्यधिक भीड़भाड़: उच्च उपयोग वाले मार्गों पर अक्सर नेटवर्क क्षमता 100% से अधिक होने की रिपोर्ट मिलती है, जिससे दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है। कई ट्रेनों में यात्रियों की अत्यधिक संख्या, विशेष रूप से आपात स्थितियों के दौरान, खतरनाक परिस्थितियाँ उत्पन्न करती है। ऐसे भीड़भाड़ वाले माहौल में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। 

5.     मानवीय भूल: गलत सिग्नल सेटिंग, अनुचित पॉइंट शंटिंग, और ओवरस्पीडिंग जैसी मानवीय गलतियाँ ट्रेन दुर्घटनाओं में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। जबकि कवच जैसी तकनीकों से इन मुद्दों को हल करने की संभावना है, फिर भी रेल सुरक्षा सुनिश्चित करने में मानवीय सतर्कता एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है।

6.     धीमी क्षमता विस्तार: कोविड-19 के बाद रेल दुर्घटनाओं में 30% की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण बढ़ता यात्री और माल यातायात है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार धीमी गति से हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ओडिशा में बहनागा बाजार दुर्घटना जैसी घटनाएँ सामने आई हैं।

 

रेलवे सुरक्षा के लिए सरकारी पहल:

इन सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं:

1.     कवच प्रणाली: कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे टकरावों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। फरवरी 2024 तक, इसे दक्षिण मध्य रेलवे पर 1,465 रूट किलोमीटर और 139 इंजनों पर तैनात किया गया है। हालाँकि, यह अभी भी भारतीय रेलवे नेटवर्क के केवल 1% को कवर करता है, और इसके पूर्ण कार्यान्वयन में एक दशक तक का समय लगने की उम्मीद है।

2.     राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके): यह सुरक्षा निधि 2017 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि में महत्वपूर्ण सुरक्षा परिसंपत्तियों को बदलने और उन्नत करने के लिए स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य ट्रैक नवीनीकरण, सिग्नलिंग सिस्टम और बुनियादी ढांचे के उन्नयन में सुरक्षा से संबंधित निवेश को संबोधित करना है।

3.     मिशन जीरो एक्सीडेंट: इस मिशन में दो उप-मिशन शामिल हैं: मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को खत्म करना और ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS) को तैनात करना। इसका लक्ष्य पूरे उच्च घनत्व वाले नेटवर्क को TCAS से लैस करना है, जिससे आमने-सामने की टक्करों के जोखिम को कम किया जा सके।

4.     बुनियादी ढांचे का उन्नयन: सरकार रेलवे के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण निवेश कर रही है, जिसमें लाइनों का विद्युतीकरण और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी उच्च गति वाली ट्रेनों को शुरू करना शामिल है। नवंबर 2023 तक, 3,000 किलोमीटर ट्रैक नवीनीकरण का काम पूरा हो चुका है, जोकि वार्षिक लक्ष्य का 66% पूरा करता है।

 

कवच की भूमिका

कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जिसे मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक प्रभावी समाधान के रूप में स्थापित किया गया है। कावराईपेट्टई की घटना में, जहां एक ट्रेन लूप लाइन में घुस गई और एक मालगाड़ी से टकरा गई, ऐसे में कवच प्रणाली स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को धीमा कर सकती थी, जिससे दुर्घटना टाली जा सकती थी।

हालांकि, इसका कार्यान्वयन अपेक्षाकृत धीमा रहा है। 2024 तक, कवच को लगभग 68,000 किलोमीटर के रेलवे नेटवर्क में से केवल 1,465 किलोमीटर पर ही लगाया गया है। भारतीय रेलवे के विशाल पैमाने को देखते हुए, इस प्रणाली को पूरे देश में लागू करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। अनुमानित निवेश की आवश्यकता भारतीय रेलवे के वार्षिक पूंजीगत व्यय का केवल 2% है, लेकिन इसके पूर्ण कार्यान्वयन के लिए एक दशक तक का समय लगने की संभावना है।

 

 

रेलवे सुरक्षा की चुनौतियाँ:

भारतीय रेलवे को अपने नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

1.     वित्त पोषण संबंधी बाधाएं: पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के लिए बजटीय आवंटन पर निर्भरता ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के आधुनिकीकरण को धीमा कर दिया है। हालाँकि राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष जैसी पहलों के अंतर्गत 1 ट्रिलियन रुपये की धनराशि के साथ आरआरएसके कोष की स्थापना की गई थी, लेकिन इन निधियों का उपयोग रेलवे की सुरक्षा पर नहीं हो पाया हैं

2.     कर्मचारियों की कमी और काम करने की स्थिति: भारतीय रेलवे में लगभग 18,799 लोको पायलटों की कमी है। इसके अलावा, लोको पायलटों के लिए खराब काम करने की स्थिति, लंबे कार्य घंटे और अस्वास्थ्यकर आराम सुविधाओं की रिपोर्ट ने मानवीय गलतियों के जोखिम को और बढ़ा दिया है, जो बड़ी संख्या में दुर्घटनाओं में योगदान देता है।

3.     रखरखाव और निरीक्षण: पर्याप्त रखरखाव और समय पर निरीक्षण की कमी के कारण बुनियादी ढांचे में गिरावट आई है, जिसमें दोषपूर्ण ट्रैक और सिग्नलिंग सिस्टम शामिल हैं। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा किए गए ऑडिट से पता चला है कि ट्रैक नवीनीकरण, ट्रैक निरीक्षण और दुर्घटनाओं के बाद जांच रिपोर्ट स्वीकार करने में कमी आई है।

4.     तकनीकी गड़बड़ियाँ: ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना एक दोषपूर्ण इंटरलॉकिंग सिस्टम के कारण हुई थी। ऐसी गड़बड़ियाँ, जो मामूली लग सकती हैं, अगर उन्हें अनदेखा किया जाए तो भयावह परिणाम हो सकते हैं।

 

निष्कर्ष:

भारतीय रेलवे की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लाखों यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक हैं। दुर्घटनाओं की गंभीर जांच, बेहतर ट्रैक रखरखाव, ट्रैक नवीनीकरण और सिग्नलिंग सिस्टम में उन्नयन के लिए लगातार धन मुहैया कराना आवश्यक है। मानवीय भूल को कम करने के लिए 'कवच' प्रणाली के रोलआउट में तेजी लाना और निगरानी के लिए एक स्वतंत्र रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना से सुरक्षा में और वृद्धि होगी। इन सुधारों को प्राथमिकता देकर, भारतीय रेलवे लाखों यात्रियों की सुरक्षा कर सकता है, दुर्घटनाओं को रोक सकता है और अपने सुरक्षा मानकों में जनता का विश्वास बहाल कर सकता है।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

भारतीय रेलवे से जुड़ी हाल की सुरक्षा संबंधी घटनाओं पर चर्चा करें और इन दुर्घटनाओं के अंतर्निहित कारणों का विश्लेषण करें। रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिए कौन से प्रणालीगत सुधार आवश्यक हैं?