सन्दर्भ: हाल ही में कतर के अमीर तमीम बिन हमद अल थानी की भारत की राजकीय यात्रा दोनों देशों के बीच विकसित होते संबंधों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई। इस यात्रा के दौरान भारत-कतर संयुक्त व्यापार मंच का आयोजन किया गया, जहां दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रियों ने वित्त, ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी के प्रमुख हितधारकों के साथ आर्थिक सहयोग के नए अवसरों पर विस्तृत चर्चा की।
इस यात्रा के दौरान भारत और कतर ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य व्यापार, ऊर्जा, निवेश और सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करना है। इस बैठक का एक प्रमुख परिणाम यह रहा कि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके अतिरिक्त, कतर ने भारत में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त निवेश की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह रणनीतिक संरेखण ऐसे महत्वपूर्ण समय में हुआ है, जब दोनों देश वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव और मध्य पूर्व में उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
यात्रा के मुख्य बिंदु :
1. रणनीतिक साझेदारी की ओर उन्नयन
भारत और कतर के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण राजनयिक संबंध रहे हैं। हाल ही में, इन संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" (Strategic Partnership) तक उन्नत करने का निर्णय लिया गया, जो दोनों देशों के बीच गहरे और बहुआयामी सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सामान्यतः, भारत अपनी कूटनीतिक शब्दावली में "रणनीतिक साझेदारी" शब्द का उपयोग यूएई और सऊदी अरब जैसे प्रमुख सहयोगियों के लिए करता रहा है। ऐसे में भारत-कतर संबंधों में इसका समावेश प्रतिबद्धता के एक नए स्तर का संकेत देता है।
भारत और कतर के बीच रणनीतिक साझेदारी मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगी:
- ऊर्जा सुरक्षा: दीर्घकालिक एलएनजी (LNG) और एलपीजी (LPG) आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- निवेश और व्यापार: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देना और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना।
- रक्षा और सुरक्षा: समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी उपायों में सहयोग (जैसे "ज़ाइर-अल-बहर" संयुक्त अभ्यास)।
- प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचा: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), फिनटेक और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में निवेश।
2. आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबद्धताएँ:
- कतर के सॉवरेन वेल्थ फंड (Sovereign Wealth Fund) ने पहले ही भारत में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। अब कतर ने बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में अतिरिक्त 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।
- दोनों देशों ने अगले पाँच वर्षों में व्यापार को 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
- व्यापारिक लेन-देन को सुगम बनाने के लिए दोहरा कराधान बचाव समझौते (DTAA) में संशोधन किया गया, जिससे व्यापार और निवेश के लिए अधिक अनुकूल माहौल तैयार होगा।
3. मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) की चर्चा :
भारत और कतर ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की संभावनाओं पर भी विचार किया, जिससे व्यापार और निवेश को नई गति मिल सकती है। यह वार्ता भारत की खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के साथ व्यापक व्यापार वार्ता का हिस्सा है। यदि GCC के साथ FTA को अंतिम रूप दिया जाता है, तो इससे ऊर्जा, पेट्रोकेमिकल और सेवा क्षेत्रों को विशेष रूप से लाभ मिलेगा।
4. बुनियादी ढांचा और वित्तीय एकीकरण:
- कतर में भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) को लागू करने की योजना पर चर्चा हुई। इससे वित्तीय लेन-देन को सरल बनाया जा सकेगा, विशेष रूप से भारतीय प्रवासी समुदाय को इससे बड़ा लाभ मिलेगा।
- कतर नेशनल बैंक GIFT सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने पर विचार कर रहा है , जिससे दोनों देशों के बीच वित्तीय सेवाओं को अधिक एकीकृत किया जा सके।
5. भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय सहयोग:
· भारत ने इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में "दो-राज्य समाधान" (Two-State Solution) के अपने समर्थन को दोहराया और कतर के मध्यस्थता प्रयासों के साथ तालमेल बनाए रखने पर सहमति जताई।
· कतर अफगानिस्तान और गाजा जैसे संघर्ष क्षेत्रों में मध्यस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह कूटनीतिक स्थिति भारत की मध्य पूर्व नीति को भी प्रभावित करती है और भारत-कतर संबंधों को और अधिक प्रासंगिक बनाती है।
कतर, भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
1. ऊर्जा सहयोग:
- कतर भारत का सबसे बड़ा तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आपूर्तिकर्ता है, जो भारत के कुल एलएनजी आयात का 48% हिस्सा है ।
- यह भारत का प्रमुख तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आपूर्तिकर्ता भी है, जो कुल LPG आयात में 29% का योगदान देता है।
- यह स्थिर और निर्बाध ऊर्जा साझेदारी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है, जिससे कोयले पर निर्भरता कम करने और बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायता मिलेगी।
- हाल ही में कतर एनर्जी ने भारत की पेट्रोनेट के साथ 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 20-वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
2. सामरिक और भू-राजनीतिक सहयोग:
· कतर भारत की "लिंक एंड एक्ट वेस्ट" नीति का एक प्रमुख केंद्र है, जो संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान और कुवैत जैसे खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित है।
· कतर की रणनीतिक स्थिति इसे भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है, क्योंकि यह भारत की कच्चे तेल की 55.3% से अधिक आवश्यकताओं की आपूर्ति करने वाले क्षेत्र में स्थित है।
· मध्य पूर्व के विभिन्न संघर्षों, जैसे अफगानिस्तान और इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे में कतर की कूटनीतिक भूमिका, भारत को क्षेत्रीय मामलों में अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाती है।
3. आतंकवाद निरोध और रक्षा सहयोग:
· भारत और कतर आतंकवाद-रोधी अभियानों और समुद्री सुरक्षा में समान हित साझा करते हैं।
· "ज़ाइर-अल-बहर" नामक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग को मजबूत करता है।
· नियमित नौसैनिक दौरों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और अधिक बढ़ाया जा रहा है।
भारत-कतर द्विपक्षीय संबंध: एक बहुआयामी साझेदारी:
1. व्यापारिक संबंध:
- भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 14.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- भारत, कतर के शीर्ष तीन निर्यात गंतव्यों (चीन और जापान के साथ) और कतर के शीर्ष तीन आयात स्रोतों (चीन और अमेरिका के साथ) में शामिल है।
- कतर द्वारा भारत को किए जाने वाले प्रमुख निर्यात में एलपीजी, एलएनजी, पेट्रोकेमिकल्स, रसायन और एल्युमीनियम शामिल हैं।
- भारत द्वारा कतर को निर्यात किए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में अनाज, वस्त्र, लोहा, इस्पात और मशीनरी शामिल हैं।
2. निवेश:
· कतर में 15,000 से अधिक भारतीय कंपनियां कार्यरत हैं। भारतीय कंपनियों ने 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कतर में किया है।
· कतरी बिजनेस एसोसिएशन (QBA) और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के मध्य व्यापार और निवेश सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौते (MoUs) किए गए हैं।
3. सांस्कृतिक और प्रवासी संबंध:
· 2012 के सांस्कृतिक सहयोग समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दिया गया। 2019 को "भारत-कतर संस्कृति वर्ष" के रूप में मनाया गया था।
· कतर में 8,00,000 से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है और कतर की कुल जनसंख्या का लगभग 27% हिस्सा हैं।
रणनीतिक निहितार्थ और भविष्य की संभावनाएं:
- भारत और कतर के संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाना द्विपक्षीय सहयोग के एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। आर्थिक और ऊर्जा सहयोग के साथ-साथ रक्षा और आतंकवाद-निरोध प्रयासों का विस्तार, भविष्य की भागीदारी के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है।
- वार्ता के दौरान, भारत ने कतर के आर्थिक हितों को समायोजित करने के प्रति लचीला दृष्टिकोण अपनाया, जो 2024 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ हुई द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) के समान है। यह लचीलापन पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
- इसके अतिरिक्त, पश्चिम एशिया में कतर का भू-रणनीतिक महत्व, क्षेत्रीय संघर्षों में इसकी मध्यस्थता की भूमिका तथा अमेरिका और क्षेत्रीय शक्तियों (जैसे सऊदी अरब और ईरान) के साथ इसके मजबूत संबंध, इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक साझेदार बनाते हैं ।
निष्कर्ष:
भारत-कतर की रणनीतिक साझेदारी, खाड़ी क्षेत्र के साथ भारत की गहरी होती भागीदारी को दर्शाती है। चूंकि दोनों देश व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा और निवेश सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं, इसलिए द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य अत्यधिक आशाजनक और गतिशील प्रतीत होता है।
- व्यापार को दोगुना करने, भारत में कतर के निवेश को बढ़ाने तथा रक्षा और वित्तीय एकीकरण को मजबूत करने की प्रतिबद्धता, इस संबंध को आने वाले वर्षो में अधिक लचीला और व्यापक बनाएगी।
मुख्य प्रश्न: मध्य पूर्व की भू-राजनीति में कतर की भूमिका और क्षेत्र में भारत की विदेश नीति पर उसके प्रभाव का विश्लेषण करें। |