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Daily-current-affairs / 03 Apr 2025

नेपाल का राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य: चुनौतियाँ और संभावनाएँ

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संदर्भ-

नेपाल इस समय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की लहर से गुजर रहा है, जो भ्रष्टाचार और गणतांत्रिक शासन प्रणाली के प्रति गहरी जनता की असंतुष्टि को उजागर करता है। हाल के हिंसक प्रदर्शनों से लोगों की नाराज़गी स्पष्ट दिखाई देती है और बड़ी संख्या में लोग पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में जुट रहे हैं। यह आंदोलन उन आरोपों के बीच जोर पकड़ रहा है, जिनमें राजनीतिक नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और गणतंत्र व्यवस्था को सामाजिक-आर्थिक संकटों का समाधान करने में विफल माना जा रहा है।

  • 2008 में राजशाही के उन्मूलन के बाद नेपाल की राजनीतिक रूपांतरण प्रक्रिया अस्थिरता, कमजोर गठबंधन और शासन संबंधी चुनौतियों से भरी रही है। राजनीतिक अनिश्चितता के साथ-साथ नेपाल की अर्थव्यवस्था भी संरचनात्मक कठिनाइयों से जूझ रही है, जो पर्यटन, प्रवासी आय (रेमिटेंस) और कृषि निर्यात पर अत्यधिक निर्भर है। नेपाल की विदेश नीति भी रणनीतिक रूप से जटिल बनी हुई है, जहां उसे भारत, चीन और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना पड़ता है।

नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल-

  • ऐतिहासिक रूप से, नेपाल में एक पूर्णरूप से राजशाही थी, जिसमें समय-समय पर एक संवैधानिक संसद के साथ सत्ता साझा की जाती थी। हालांकि, 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों में देश की राजनीतिक स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई।
  • 2001 में शाही हत्याकांड में तत्कालीन राजा बीरेन्द्र और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या हो गई, जिससे नेपाल में भारी राजनीतिक अस्थिरता आ गई। इसके बाद, 2005 में राजा ज्ञानेंद्र शाह द्वारा सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के प्रयासों ने संकट को और गहरा कर दिया। इस वजह से व्यापक जनप्रदर्शन हुए, जिसके चलते अंततः उन्हें गद्दी छोड़नी पड़ी।
  • 2008 में नेपाल ने राजशाही को समाप्त कर एक संघीय गणराज्य की स्थापना की। हालांकि, अपेक्षित स्थिरता के बजाय, राजनीति में गुटबाजी और गठबंधन सरकारों का संघर्ष जारी रहा। 2006 में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद से नेपाल में लगातार सरकारें बदलती रहीं और पिछले 16 वर्षों में 13 अलग-अलग सरकारें सत्ता में आईं। कम्युनिस्ट गुटों और नेपाली कांग्रेस के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण कमजोर गठबंधन बनते रहे, जिससे नीति निर्माण और आर्थिक सुधारों में बाधा उत्पन्न हुई।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य-

  • 2022 के संसदीय चुनावों के बाद, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के नेता पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (संयुक्त मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के साथ गठबंधन कर प्रधानमंत्री पद संभाला। हालांकि, यह गठबंधन जल्द ही टूट गया और जुलाई 2024 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के नेता के.पी. शर्मा ओली ने चौथी बार प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया। इस बार उन्होंने नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।
  • गठबंधन समझौते के अनुसार, ओली और नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा 2027 के आम चुनावों तक बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद संभालेंगे। हालांकि, इस व्यवस्था के बावजूद नेपाल का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। बार-बार गठबंधन बनने और टूटने से सरकार अस्थिर बनी हुई है, जिससे दीर्घकालिक नीतियों को लागू करने में कठिनाई हो रही है। इसके अलावा, संक्रमणकालीन न्याय, मानवाधिकार उल्लंघन और राजनीतिक जवाबदेही से जुड़े अनसुलझे मुद्दे नेपाल के लोकतांत्रिक विकास को चुनौती दे रहे हैं।

आर्थिक चुनौतियाँ और प्रगति

नेपाल की अर्थव्यवस्था लंबे समय से विभिन्न बाधाओं का सामना कर रही है, जिसमें राजनीतिक अस्थिरता, प्राकृतिक आपदाएँ और बाहरी निर्भरता शामिल हैं। कोविड-19 महामारी ने प्रमुख क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ सुधार के संकेत मिले हैं।

आर्थिक वृद्धि और प्रमुख क्षेत्र

  • जीडीपी वृद्धि: 2024 में नेपाल की अर्थव्यवस्था 4% की दर से बढ़ी, जिसमें पर्यटन राजस्व में 32% की वृद्धि और कृषि निर्यात में पुनरुत्थान मुख्य कारक रहे।
  • हाइड्रोपावर विस्तार: नेपाल ने 450 मेगावाट (MW) की नई जलविद्युत क्षमता जोड़ी, जिससे बिजली निर्यात की संभावना मजबूत हुई।
  • रेमिटेंस: 2023 में प्रवासी आय (रेमिटेंस) नौ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, जिससे घरेलू खर्च और आमदनी को समर्थन मिला।

हालांकि, इन सुधारों के बावजूद, नेपाल कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है। विश्व बैंक ने निजी और सार्वजनिक निवेश में गिरावट की चेतावनी दी है, जिसका संकेत पूँजीगत वस्तुओं के आयात में कमी और सरकारी पूँजीगत खर्च में गिरावट से मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी नेपाल के बैंकिंग तंत्र, विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र में स्थिरता को लेकर चिंता जताई है।

राजकोषीय और मौद्रिक चुनौतियाँ

  • राजकोषीय घाटा: नेपाल का राजकोषीय घाटा सात वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है, लेकिन राजस्व संग्रह की कमजोरी बनी हुई है।
  • मुद्रास्फीति: 2024 में मुद्रास्फीति दर घटकर 5.4% रह गई, जो 2023 में 7.7% थी। यह मुख्य रूप से गैर-खाद्य और सेवा क्षेत्रों में कीमतों में कमी के कारण हुआ।
  • विदेशी ऋण: 1976 से नेपाल नौ बार IMF की सहायता ले चुका है। हाल ही में 2022 में शुरू किया गया $372 मिलियन का विस्तारित ऋण सुविधा कार्यक्रम इस वर्ष समाप्त होने वाला है।

नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रमुख चिंता पूँजीगत परियोजनाओं का धीमा कार्यान्वयन है, जिससे बुनियादी ढाँचे का विकास और आर्थिक गति बाधित होती है। IMF ने नेपाल को पूँजीगत निवेश में तेजी लाने की सलाह दी है ताकि दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि को मजबूत किया जा सके।

भारत-नेपाल संबंध

भारत की ऐतिहासिक रूप से नेपाल की राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक और धार्मिक संबंध हैं और नेपाल एकमात्र ऐसा देश है जिसके नागरिकों को भारत में बिना वीजा के यात्रा करने की अनुमति है।

  • व्यापार संबंध: भारत नेपाल के कुल बाहरी व्यापार का 64% हिस्सा रखता है, और 2023 में द्विपक्षीय व्यापार $8.85 बिलियन तक पहुँच गया।
  • हाइड्रोपावर सहयोग: नेपाल भारत को अगले दशक में 10,000 मेगावाट विद्युत् निर्यात करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है।
  • विकास सहायता: भारत नेपाल में हवाई अड्डों, पाइपलाइनों और पावर ग्रिड जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास में प्रमुख योगदान देता है।

हालांकि, नेपाल में कुछ राजनीतिक दलों ने भारत की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व को लेकर चिंता जताई है, जिससे कभी-कभी दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं।

नेपाल-चीन संबंध

  • चीन के साथ व्यापार: नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग $2 बिलियन का है, जिसमें $1.78 बिलियन का आयात चीन से होता है।
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI): नेपाल 2017 में चीन की BRI योजना में शामिल हुआ, जिसमें $10 बिलियन की 35 परियोजनाएँ प्रस्तावित की गई थीं।

हालांकि, नेपाल चीन के ऋण-आधारित निवेश मॉडल को लेकर सतर्क है, खासकर श्रीलंका के 2022 के ऋण संकट को देखते हुए।

निष्कर्ष

नेपाल इस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ उसे राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाना होगा। हालिया आर्थिक संकेतक धीमी लेकिन स्थिर सुधार का संकेत देते हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों और सार्वजनिक असंतोष के कारण शासन संबंधी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। भारत और चीन के बीच देश की रणनीतिक स्थिति इसकी विदेश नीति को जटिल बनाती है, जिससे लाभकारी व्यापार संबंधों को बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक कूटनीति की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे नेपाल 2027 के चुनावों के करीब पहुंच रहा है, मौजूदा गठबंधन का स्थायित्व और प्रभावी आर्थिक नीतियों को लागू करने की इसकी क्षमता देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण होगी।

मुख्य प्रश्न: भारत-नेपाल संबंध ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक कारकों से निर्धारित होते हैं। व्यापार, जल विद्युत और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विशेष संदर्भ में, द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों का विश्लेषण करें। (250 शब्द)