सन्दर्भ:
- राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह (मुइज़्ज़ू) की सरकार आने के बाद भारत-मालदीव संबंध एक जटिल दौर में प्रवेश कर गया हैं। मालदीव के मंत्रियों द्वारा भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियां, इस जटिलता की प्रारंभिक सूत्रधार रही है। इन बयानों के परिणामस्वरूप भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव के बहिष्कार का आह्वान करने वाला अभियान चलाया गया। इसके प्रत्युत्तर में राष्ट्रपति सोलिह ने मालदीव की संप्रभुता को बनाए रखने और कथित दबाव की भर्त्सना की, जिस कारण से भारत-मालदीव द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों में स्पष्ट तनाव उत्पन्न हो गया। यद्यपि राष्ट्रपति सोलिह मालदीव-भारत संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के संकेत दे रहे हैं, किन्तु उनका व्यापक लक्ष्य अभी भी अपने देश की भारत पर निर्भरता कम करने का बना हुआ है।
मालदीव: ऐतिहासिक संबंधों के विविध क्षेत्र
- निरंतर परिवर्तनशील वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, मालदीव जैसे छोटे राष्ट्र ऐतिहासिक संबंधों और भौगोलिक निकटता से परे विविधीकरण की रणनीति अपना रहे हैं। चुनावी बयानबाजी से प्रेरित शुरुआती अशांति के बावजूद, दीर्घकालिक साझेदारियाँ अक्सर चुनाव के बाद सामान्यीकरण के लक्ष्य के साथ शासन और रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पुनः संतुलित हो जाती है।
- राष्ट्रपति सोलिह (मुइज़्ज़ू) का भारत पर निर्भरता कम करने के लिए मालदीव की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी को सक्रिय रूप से विविधता प्रदान कर रहा है। इस रणनीतिक बदलाव में तुर्की जैसे देशों के साथ ड्रोन की खरीद के लिए रक्षा समझौतों की संभावनाएं तलाशना और मालदीव के अस्पतालों हेतु संयुक्त अरब अमीरात तथा थाईलैंड के साथ स्वास्थ्य बीमा सहयोग स्थापित करना शामिल है। फिर भी, भारत-मालदीव संबंधों के सामान्य स्थिति में लौटने के संकेत दिख रहे हैं।
मुइज़्ज़ू का आश्वासन: भारत मालदीव का निकटतम सहयोगी
- राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के हालिया आश्वासनों से मालदीव के निकटतम सहयोगी के रूप में भारत के स्थायी महत्व को रेखांकित किया गया है। भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति को लेकर पहले के अन्य सभी मतभेदों के बावजूद, मुइज़्ज़ू का सुलहकारी दृष्टिकोण रचनात्मक वार्ता और सहयोग में शामिल होने की इच्छा को दर्शाता है। भारतीय सैन्य कर्मियों को कुछ प्रतिष्ठानों से हटाने का मुद्दा, जो मुइज़्ज़ू का एक प्रमुख चुनावी वादा था, सुलह के माध्यम से प्रगति कर रहा है, यह मालदीव के कूटनीतिक सफलता का सूचक है।
- भारत-मालदीव संबंधों को सुधारने के प्रयासों को रेखांकित करते हुए इस सन्दर्भ में उच्च-स्तरीय समूह की तीसरी बैठक महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने विमानन क्षेत्रों में भारतीय सैन्य कर्मियों के स्थान पर नागरिकों की तैनाती स्वीकार की है, जो अतीत के विवादों से परे पारस्परिक सहयोग का संकेत है। इसके अलावा चर्चाओं में विकास परियोजनाओं, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया गया, जो व्यापक द्विपक्षीय सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
द्विपक्षीय सम्बन्ध और क्षेत्रीय गतिशीलता:
- हालिया त्रिपक्षीय अभ्यास जैसे 'दोस्ती 16' और भारत के ‘मिलन नौसेना अभ्यास’ में मालदीव की भागीदारी आपसी मतभेदों से परे क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के ठोस प्रयासों को रेखांकित करती है। वर्ष 1991 में शुरू किए गए ये अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देते हुए खोज एवं बचाव, समुद्री डाकुओं के विरुद्ध कार्रवाई और आपदा राहत कार्यों में दीर्घकालिक सहयोग की पुष्टि करते हैं।
- मालदीव की विदेश नीति में कुछ बदलावों के बावजूद, जैसे कुछ क्षेत्रीय बैठकों और समझौतों से अलग रहना; भारत के साथ संयुक्त समुद्री अभ्यास का आयोजन क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। हालाँकि माले के पास चीनी जहाजों की मौजूदगी ने क्षेत्रीय चर्चाओं को बढ़ावा दिया है, फिर भी मालदीव द्वारा बंदरगाह यात्राओं के संबंध में दिए गए आश्वासन बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में देश के संतुलित दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं।
विकास पहल और आर्थिक संभावनाएं:
- भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित थिलामाले पुल जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं मालदीव के लिए संपर्क में महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करती हैं। यद्यपि इस परियोजना में देरी हो रही है, फिर भी राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की प्रमुख विकास परियोजनाओं को गति देने की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस पर प्रगति हो रही है। पुल के बनने से शहरी भीड़भाड़ कम होगी, आर्थिक विकास को गति मिलेगी और युवा बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा, जो मालदीव के सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- यद्यपि, विदेशी ऋण संकट मालदीव के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता बना हुआ है। राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की साझेदारी को विविधता प्रदान करने और वैकल्पिक समाधान खोजने के प्रयास विदेश नीति में रणनीतिक पुनर्गठन का प्रदर्शन करते हैं। इसके बावजूद, ऋण राहत उपायों की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए, भारत के साथ संबंधों को सुधारना लाभदायक प्रतीत होता है। ईंधन की बढ़ती कीमतों और मालदीव में युवा बेरोजगारी जैसी ज्वलंत समस्याओं के समाधान में भारत की एक विश्वसनीय विकास भागीदार के रूप में भूमिका महत्वपूर्ण है।
विकास पहल और आर्थिक संभावनाएं:
- भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित थिलामाले पुल जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भारत-मालदीव संपर्क सुविधाओं में व्यापक सुधार का प्रतिनिधित्व करती हैं। यद्यपि इन परियोजना में देरी हो रही है, फिर भी राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की प्रमुख विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस दिशा में पर प्रगति हो रही है। पुल के पूरा होने पर यह शहरी भीड़भाड़ को कम करेगा, आर्थिक विकास को गति देगा और युवा बेरोजगारी की समस्या का समाधान करेगा, जो मालदीव के सतत विकास के लिए आवश्यक हैं।
- अन्य बातों के अलावा, विदेशी ऋण संकट मालदीव के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता के विषय हैं। राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की साझेदारी को विकसित करने और वैकल्पिक समाधान खोजने के प्रयास ने विदेश नीति में रणनीतिक पुनर्गठन के महत्त्व को प्रदर्शित किया है। इसके बावजूद, ऋण राहत उपायों की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए भारत के साथ संबंधों को सुधारना मालदीव के लिए फायदेमंद प्रतीत होता है। इस सन्दर्भ में मालदीव में बढ़ती ईंधन की कीमतों और युवा बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों को संबोधित करने में एक विश्वसनीय विकास साझेदार के रूप में भारत की भूमिका सराहनीय है।
निष्कर्ष:
- निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है, कि भारत और मालदीव के संबंधों को हाल ही में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, किन्तु राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू की सरकार सक्रिय रूप से राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाने का प्रयास कर रही है। वैकल्पिक भागीदारियों की तलाश के बावजूद, भारत मालदीव के प्रमुख सहयोगी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उच्च-स्तरीय समूह की बैठकें और संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे रणनीतिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता नए सिरे से भारत और मालदीव के संबंधों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- इसके अलावा, पारस्परिक समस्याओं का समाधान ढूंढना और समावेशी विकास पहलों को बढ़ावा देना भारत और मालदीव के बीच साझेदारी को मजबूत करने में एक सहयोगी उपकरण का कार्य करेगा। जैसे-जैसे भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, दोनों देशों के पास साझा हितों और रणनीतिक सहयोग के आधार पर अपने संबंधों को पुनर्परिभाषित करने का अवसर है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थायी और पारस्परिक रूप से लाभकारी गठबंधन सुनिश्चित करेगा। आर्थिक समेकन और सामाजिक-राजनीतिक सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं भारत-मालदीव संबंधों के भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत हैं, जो बदलते वैश्विक व्यवस्था में कूटनीतिक पुनर्गठन के महत्व को रेखांकित करती हैं।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: 1. राष्ट्रपति मुइज्जू के प्रशासन के तहत भारत-मालदीव संबंधों में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करें। मालदीव भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाए रखते हुए अपनी अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में विविधता कैसे ला रहा है? (10 अंक, 150 शब्द) 2. भारत-मालदीव संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने में हाल की द्विपक्षीय गतिविधियों और 'दोस्ती 16' जैसे क्षेत्रीय अभ्यासों के महत्व का विश्लेषण करें। ये पहल हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग और स्थिरता में कैसे योगदान करती हैं? (15 अंक, 250 शब्द) |