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Daily-current-affairs / 03 Jan 2025

मलेरिया मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की प्रगति : एक उल्लेखनीय उपलब्धि

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सन्दर्भ:

भारत ने मलेरिया के खिलाफ अपनी लड़ाई में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने अपनी स्वतंत्रता के बाद से मलेरिया के मामलों में 97% से अधिक की कमी लाने में सफलता प्राप्त की है। एक समय मलेरिया के बोझ से दबा भारत, अब सार्वजनिक स्वास्थ्य परिवर्तन का एक वैश्विक मॉडल बनकर उभरा है। यह उपलब्धि लक्षित प्रयासों, नवीन नीतियों और व्यापक सामुदायिक भागीदारी का परिणाम है। भारत अब 2030 तक मलेरिया मुक्त देश बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, जोकि इसे वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप बनाता है।

मलेरिया नियंत्रण में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

1. मामलों और मौतों में कमी :

  • भारत ने मलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। एक समय जहां मलेरिया एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट था, आज भारत विश्व मलेरिया नियंत्रण का एक आदर्श बन चुका है।

ऐतिहासिक संदर्भ:

1947 में, भारत में मलेरिया के 75 मिलियन मामले और सालाना 800,000 मौतें दर्ज की गईं। यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट था जिस पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।

वर्तमान स्थिति:

2023 तक, वार्षिक मलेरिया के मामले घटकर 2 मिलियन हो गए, और मलेरिया से संबंधित मौतें घटकर केवल 83 रह गईं। यह दर्शाता है कि:

  • मामलों में 97% की कमी आई है।
  • मृत्यु दर में 99.99% की कमी हुई है, जो वैश्विक मलेरिया नियंत्रण में एक असाधारण उपलब्धि है।

 

2015 से 2023 तक मुख्य डेटा:

  • मलेरिया के मामले 11.7 लाख से घटकर 2.27 लाख हो गए।
  •  मलेरिया से संबंधित मौतें 384 से घटकर 83 रह गईं।
  • वार्षिक रक्त परीक्षण दर (एबीईआर) 9.58 से बढ़कर 11.62 हो गई, जो बढ़ी हुई निगरानी को दर्शाती है।

2 भारत को WHO के उच्च बोझ से उच्च प्रभाव समूह (HBHI)  से बाहर होना :

2024 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (HBHI) देशों की सूची से भारत का बाहर होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। HBHI पहल उन देशों की पहचान करती है जोकि मलेरिया के उच्च बोझ से जूझ रहे हैं। भारत का इस सूची से बाहर होना देश के मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता का प्रमाण है और इसके रणनीतिक हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता को दर्शाता है।

 

3. मलेरिया के बोझ में राज्यवार प्रगति (2015-2023)

भारत में राज्य स्तर पर मलेरिया के बोझ में उल्लेखनीय कमी आई है।

  • 2015: देश के दस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च मलेरिया बोझ वाले क्षेत्र (श्रेणी 3) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • 2023: इस श्रेणी में केवल मिजोरम और त्रिपुरा ही बचे हैं।
  • प्रमुख सुधार:
    • ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और मेघालय जैसे राज्य अब मध्यम मलेरिया बोझ वाले क्षेत्र (श्रेणी 2) में आते हैं।
    • 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कम मलेरिया बोझ वाले क्षेत्र (श्रेणी 1) में गए हैं, जहां प्रति 1,000 जनसंख्या पर मलेरिया के मामलों की संख्या एक से कम है।
    • लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में स्थानीय स्तर पर मलेरिया का कोई मामला नहीं है, जिससे ये क्षेत्र मलेरिया उन्मूलन के लिए उपयुक्त हो गए हैं।

मलेरिया उन्मूलन के लिए रणनीतिक रूपरेखा

मलेरिया उन्मूलन में भारत की सफलता मजबूत ढांचे और केंद्रित नीतियों पर आधारित है।

1. मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढांचा (एनएफएमई) (2016):

2027 तक भारत में स्वदेशी मलेरिया को खत्म करने के लक्ष्य के साथ एनएफएमई शुरू किया गया था। इस ढांचे में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:

·        मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को मजबूत करना

  • संक्रमण को कम करने के लिए शीघ्र उपचार सुनिश्चित करना
  • इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (आईआरएस) जैसे वेक्टर नियंत्रण उपायों को लागू करना

2. मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2023-2027)

यह रणनीतिक योजना आधुनिक प्रौद्योगिकी और त्वरित प्रतिक्रिया पर जोर देती है:

  • एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म (आईएचआईपी) के माध्यम से वास्तविक समय डेटा ट्रैकिंग की तैनाती
  • शीघ्र पता लगाने, मामले के प्रबंधन और प्रकोप की रोकथाम के लिए परीक्षण, उपचार और ट्रैकिंग” (3T) दृष्टिकोण को अपनाना

3. एकीकृत वेक्टर प्रबंधन (आईवीएम) :

वेक्टर नियंत्रण मलेरिया उन्मूलन की आधारशिला बना हुआ है:

  • मच्छरों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए इनडोर अवशिष्ट छिड़काव का उपयोग और लंबे समय तक चलने वाली कीटनाशक जालियों का वितरण।
  • शहरी मलेरिया के एक महत्वपूर्ण वाहक एनोफिलीज स्टेफेंसी के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा

निगरानी और निदान क्षमताओं में सुधार:

भारत ने मलेरिया के मामलों का पता लगाने, निदान करने और उन पर कार्रवाई करने की अपनी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इस दिशा में निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं:

  • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) में राष्ट्रीय संदर्भ प्रयोगशालाएं मलेरिया की जांच  सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती हैं।
  • स्थानीयकृत कार्य योजनाएं क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करती हैं, विशेष रूप से जनजातीय और वन क्षेत्रों में जहां मलेरिया का प्रचलन अधिक है।

सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण :

सामुदायिक भागीदारी भारत की मलेरिया उन्मूलन रणनीति की आधारशिला है:

  • आयुष्मान भारत स्वास्थ्य पैकेज : यह मलेरिया की रोकथाम और उपचार सेवाओं को व्यापक स्वास्थ्य सेवा वितरण में एकीकृत करते हैं, जिससे कमजोर आबादी के लिए पहुंच सुनिश्चित होती है।
  • जमीनी स्तर पर सहभागिता : सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सामुदायिक स्तर पर मलेरिया सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण : 2024 में, 850 से अधिक स्वास्थ्य पेशेवरों को राष्ट्रीय पुनश्चर्या कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त होगा , जिससे मलेरिया को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और रोकने की उनकी क्षमता बढ़ेगी।

सहयोग और वित्तपोषण तंत्र :

गहन मलेरिया उन्मूलन परियोजना-3 (आईएमईपी-3):

IMEP-3 पहल का लक्ष्य 12 राज्यों के 159 जिलों में मलेरिया के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को लक्षित करना है, विशेषकर संवेदनशील आबादी को।

संसाधन आवंटन:

  • उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में मलेरिया की रोकथाम के लिए एलएलआईएन (लंबी अवधि की कीटनाशक-इलाजित मच्छरदानी) का व्यापक वितरण।
  • मच्छरों के व्यवहार और प्रतिरोध पैटर्न का अध्ययन करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
  • मलेरिया के प्रकोपों का प्रभावी ढंग से पता लगाने और प्रबंधन के लिए निगरानी प्रणालियों को मजबूत किया जा रहा है।

 

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियां:

  • शहरी मलेरिया : शहरी रोगवाहक एनोफिलीज स्टेफेंसी के कारण शहरी मलेरिया का बढ़ना , अद्वितीय चुनौतियां प्रस्तुत करता है।
  • सुदूर क्षेत्र : जनजातीय और वन क्षेत्र मलेरिया संचरण के लिए हॉटस्पॉट बने हुए हैं।
  • जलवायु परिवर्तन : बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा पैटर्न से मच्छरों के प्रजनन चक्र में बदलाव सकता है।

प्रस्तावित समाधान:

  • उन्नत शहरी निगरानी : शहरी केंद्रों में वेक्टर प्रबंधन को मजबूत करना।
  • जनजातीय केंद्रित हस्तक्षेप : दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल स्वास्थ्य टीमों की तैनाती।
  • जलवायु-लचीली रणनीतियाँ : जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए मलेरिया नियंत्रण विधियों को अपनाना।

2030 तक मलेरिया मुक्त भारत: एक दृष्टिकोण

भारत ने 2027 तक देश में स्वदेशी मलेरिया के मामलों को शून्य करने और 2030 तक मलेरिया मुक्त होने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं:

  • सुदृढ़ निगरानी : वास्तविक समय निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणालियों का विस्तार करना।
  • व्यापक सामुदायिक सहभागिता : जमीनी स्तर पर जागरूकता और भागीदारी बढ़ाना।
  • नवीन प्रौद्योगिकियां : बेहतर वेक्टर नियंत्रण और प्रकोप भविष्यवाणी के लिए एआई और जीआईएस मानचित्रण का लाभ उठाना।

निष्कर्ष:

भारत ने एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाकर मलेरिया नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। यह सफलता राजनीतिक प्रतिबद्धता, सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक नवाचारों के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत का लक्ष्य रखते हुए, भारत ने कई प्रभावी रणनीतियाँ अपनाई हैं। इनमें मजबूत निगरानी प्रणाली, व्यापक सामुदायिक सहभागिता और नवीनतम तकनीकों का उपयोग शामिल है। भारत की यह सफलता अन्य मलेरिया प्रभावित देशों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई है। यह दर्शाता है कि लक्षित, टिकाऊ और समावेशी स्वास्थ्य रणनीतियाँ मलेरिया उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में सरकार की लक्षित योजनाओं और सामुदायिक भागीदारी की भूमिका का विश्लेषण करें। अपने उत्तर में हाल की स्वास्थ्य उपलब्धियों के उदाहरण शामिल करें।