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Daily-current-affairs / 29 Jan 2025

भारत-इंडोनेशिया संबंध: एक ऐतिहासिक और रणनीतिक अवलोकन

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सन्दर्भ : भारत और इंडोनेशिया के बीच गहरे सांस्कृतिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधों ने ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों को एक मजबूत द्विपक्षीय संबंध विकसित करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, सहयोग की संभावनाओं के बावजूद, यह संबंध समय के साथ बदलते भू-राजनीतिक संदर्भों और नेतृत्व प्राथमिकताओं से प्रभावित होकर उतार-चढ़ाव वाला रहा है। जनवरी 2025 में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिंतो की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक नया अध्याय खोला है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों की ऐतिहासिक नींव:

  • औपनिवेशिक विरोधी समर्थन: प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत ने डच औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ इंडोनेशिया के स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया। भारत ने डच एयरलाइनों को भारतीय हवाई क्षेत्र से प्रतिबंधित करने और डच शिपिंग का बहिष्कार करने जैसे उपाय किए, और इंडोनेशियाई नेताओं सुतान शाहरीर और मोहम्मद हत्ता को निकालने में भी मदद की।
  • औपचारिक राजनयिक संबंध: 1950 में, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुकर्णो की भारत यात्रा के साथ दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए। 1951 की मैत्री संधि ने भारत और इंडोनेशिया के बीच शाश्वत शांति और मित्रता के संबंधों को मजबूत किया। दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रमुख सदस्य थे और 1955 के बांडुंग सम्मेलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था, जिसने एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र राष्ट्रों के बीच एकता को मजबूत किया था।

सबंधो में तनाव (1960-1970 दशक) :

  • भू-राजनीतिक तनाव: 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत की चीन के प्रति बढ़ती सतर्कता और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इंडोनेशिया द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण भारत-इंडोनेशिया संबंधों में तनाव बढ़ गया।
  • राजनीतिक तनाव: सुकर्णो की कट्टरपंथी विदेश नीति और जवाहरलाल नेहरू के साथ वैचारिक मतभेदों के कारण दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। 1961 के बेलग्रेड शिखर सम्मेलन में इस तनाव को कम करने के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता पड़ी। इंडोनेशिया में राजनीतिक परिवर्तन और जनरल सुहार्तो के सत्ता में आने के बाद, इंडोनेशिया की विदेश नीति में बदलाव आया और भारत के साथ संबंधों में सुधार हुआ।

1990 का दशक: जुड़ाव का एक नया युग

  • भारत की "लुक ईस्ट" नीति: 1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण और सोवियत संघ के पतन के बाद, भारत ने अपनी "लुक ईस्ट" नीति को अपनाया जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करना था। आसियान का एक प्रमुख सदस्य, इंडोनेशिया इस नीति का एक महत्वपूर्ण भागीदार बना।
  • "एक्ट ईस्ट" नीति: 21वीं सदी की शुरुआत में, भारत ने अपनी "लुक ईस्ट" नीति का विस्तार करते हुए "एक्ट ईस्ट" नीति को अपनाया। इस नीति के तहत भारत ने इंडोनेशिया के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत किया।

समकालीन संबंध: एक व्यापक साझेदारी

  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। 2005 में 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में यह 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। हालांकि, 2023-24 में व्यापार घाटे को संतुलित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए व्यापार का अनुमान लगभग 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर लगाया गया है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और एक नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। बढ़ते चीनी प्रभाव के बीच, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास और रक्षा समझौते हुए हैं।
  • सांस्कृतिक और जन-संपर्क: भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान तेजी से बढ़ रहा है। 2023 में लगभग 700,000 भारतीय पर्यटक इंडोनेशिया गए। दोनों देश 2025 को इंडो-आसियान पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने की योजना बना रहे हैं। भारत इंडोनेशिया के प्रसिद्ध मंदिरों, प्रम्बनन और बोरोबुदुर के संरक्षण में भी मदद कर रहा है।

2025 की राजकीय यात्रा: द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़:

बैठक के मुख्य बिंदु :

जनवरी 2025 में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिंतो की राजकीय यात्रा, जहां वे भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय सुरक्षा पर उच्च स्तरीय चर्चाएं हुईं और पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें समुद्री सुरक्षा सहयोग पर एक समझौता भी शामिल है।

  • साझेदारी को मजबूत करना: राष्ट्रपति सुबिंतो ने भारतीय नेतृत्व की प्रशंसा की और विशेष रूप से आर्थिक संबंधों और रक्षा सहयोग को गहरा करने पर जोर दिया।

मुख्य सहयोग क्षेत्र :

1.     रक्षा और सुरक्षा: हिंद-प्रशांत क्षेत्र दोनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व रखता है, जिसके कारण समुद्री सुरक्षा सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है। भारत और इंडोनेशिया ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं और अपने रक्षा उद्योग सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, यात्रा के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों की बिक्री पर कोई समझौता नहीं हुआ, लेकिन दोनों देशों ने आपूर्ति श्रृंखलाओं और तकनीकी सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा सहयोग पर चर्चा जारी रखने की इच्छा व्यक्त की।

2.     आर्थिक सहयोग: भारत और इंडोनेशिया के बीच आर्थिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, दोनों देश व्यापार को सुगम बनाने के लिए नौकरशाही बाधाओं को कम करने और नियमों को सुव्यवस्थित करने के लिए काम कर रहे हैं। जहां भारत का लक्ष्य इंडोनेशिया को निर्यात बढ़ाना है, वहीं इंडोनेशिया ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में भारतीय निवेश में रुचि दिखाई है।

3.     सांस्कृतिक और जन-संपर्क: भारत-इंडोनेशिया संबंधों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2023 में लगभग 700,000 भारतीय पर्यटक इंडोनेशिया गए, अनुमानों से पता चलता है कि यह संख्या एक मिलियन तक पहुंच सकती है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2025 को इंडो-आसियान पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा, भारत यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हिंदू प्रम्बनन मंदिर के संरक्षण में इंडोनेशिया की सहायता कर रहा है, साथ ही बौद्ध बोरोबुदुर मंदिर में भी काम जारी है।

4.     बहुपक्षीय सहयोग: दोनों देश जी-20, आसियान और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों के महत्व को मान्यता देते हैं, जहां वे साझी भू-राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोग कर सकते हैं। इस यात्रा ने भारत, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ते त्रिपक्षीय सहयोग को भी रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना है।

भारत-इंडोनेशिया संबंधों का भविष्य:

"हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिवर्तनों के मद्देनजर भारत-इंडोनेशिया साझेदारी और मजबूत होती जा रही है। दोनों देश क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रपति सुबिंतो की यात्रा के दौरान स्थापित ट्रैक 1.5 संवाद तंत्र दोनों देशों के राजनीतिक, व्यावसायिक और अकादमिक नेताओं के बीच गहन बातचीत का एक मंच प्रदान करेगा। इस रणनीतिक साझेदारी का भविष्य निरंतर संवाद पर निर्भर करेगा, विशेषकर रक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में। दोनों देशों को अपने रक्षा उद्योग सहयोग की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, जो उनके संबंधों में एक अप्रयुक्त संभावना है।"

निष्कर्ष:

भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंधों का इतिहास लंबा और बहुआयामी रहा है, जिसमें सहयोग और मतभेद दोनों शामिल रहे हैं। आज, दोनों देश रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख साझेदार बनकर उभरे हैं। इन संबंधों का रणनीतिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिंतो की हालिया भारत यात्रा ने दोनों देशों की ओर से द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।

मुख्य प्रश्न: भारत और इंडोनेशिया के संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते भू-राजनीतिक गतिशीलता से प्रभावित हुए हैं। चीन की बढ़ती मुखरता के संदर्भ में भारत-इंडोनेशिया संबंधों की भूमिका पर चर्चा करें।