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Daily-current-affairs / 24 Feb 2022

'इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज पॉलिसी (भारत का डेटा अभिगम्यता तथा उपयोग नीति) - समसामयिकी लेख

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की वर्ड्स :- डेटा नीति का मसौदा, G2G डेटा साझाकरण, संसाधित डेटा, डेटा-आधारित शासन, डेटा न्यूनीकरण, उच्च-मूल्य डेटा सेट, मसौदा डेटा संरक्षण विधेयक, 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने मसौदा डेटा नीति, 'इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज पॉलिसी' पर जनता की राय जानने के लिए पब्लिक फोरम पर प्रस्तुत किया है।

मुख्य विन्दु :-

  • हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा एक मसौदा नीति लाया गया है जो सरकार से सरकार (G to G ) डाटा साझाकरण के सन्दर्भ में रूपरेखा निर्धारित करता है। इस मसौदे में सरकारी विभागों तथा संगठनों द्वारा आपस में डाटा साझा करने से सम्बंधित प्रावधान हैं। इसमें सरकारी विभागों के डाटा को "ओपन एंड शेयरबल बाई डिफ़ॉल्ट" किया जाएगा।
  • स्पष्ट शब्दों में कहें तो यह मसौदा ट्रैफ़िक डेटा जैसे गैर-व्यक्तिगत डेटा को जेनरेट करने के सन्दर्भ में है जिसे एआई एल्गोरिदम बनाने के लिए छिपाया (गुमनाम किया) जा सकता है। इस ट्रैफिक डाटा के एआई एल्गोरिदम का प्रयोग गूगल या उबर जैसी कम्पनियाँ ग्राहकों की स्थिति को जानने के लिए करती हैं।
  • यह मसौदा सरकार द्वारा सीधे या मंत्रालयों, विभागों और अधिकृत एजेंसियों के माध्यम से सृजित तथा एकत्रित किए गए सभी डेटा और सूचनाओं पर लागू होगा।
  • मसौदा नीति की 'प्रस्तावना' में कहा गया है कि भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा का लक्ष्य डेटा के मूल्य का दोहन करने की उसकी क्षमता पर निर्भर करती है।
  • इस लक्ष्य को 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण से समझा जा सकता है। जिसमें राजस्व सृजन के लिए नागरिक डेटा को सार्वजनिक वस्तु में बदलने के लिए एक संपूर्ण अध्याय सम्मिलित था।
  • सर्वेक्षण में कहा गया था कि चूंकि इस तरह का जो भी डेटा जनरेट होता है वह लोगों से सम्बंधित होता है अतः इसका प्रयोग भी लोगों के लिए किया जाना चाहिए।
  • सर्वेक्षण में यह भी कहा गया था कि निजी क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग के लिए "चुनिंदा डेटाबेस" तक पहुंच प्रदान की जा सकती है।
  • मसौदा नीति में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार के उद्देश्य के लिए कुछ डेटा उपलब्ध कराने का भी प्रस्ताव है।
  • इस मसौदे में प्रयुक्त लाइसेंसिंग मॉडल के अनुसार प्रतिबंधित एक्सेस डेटा शेयरिंग के लिए नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम संसाधित डेटा निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • डेटा सेट का मूल्य निर्धारण मालिक/सरकारी विभाग या एजेंसी द्वारा तय किया जाएगा तथा इसके अधिसूचना में पारदर्शिता प्रक्रिया का पालन होना चाहिए।

महत्व :-

  • 'इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज पॉलिसी' पर सरकार का मसौदा एक बेहतर और अधिक व्यापक शासन के लिए अधिक प्रभावी डेटा-आधारित शासन प्रतिमानों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया एक कदम है।
  • एमईआईटीवाई के अनुसार, नीति का उद्देश्य बड़े पैमाने पर सामाजिक परिवर्तन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के डेटा का उपयोग करने की भारत की क्षमता को "मौलिक रूप से बदलना" है।
  • देश के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एल्गोरिदम बनाने के लिए, सरकारी डेटा तक पहुंच अत्यंत आवश्यक है। भारत डेटा के बिना एआई हब नहीं बन सकता।
  • इसके साथ ही गोपनीयता पर भी ध्यान रखना होगा, किसी भी व्यक्ति की निजता से समझौता नहीं किया जा सकता है।
  • मसौदा शिक्षा, उद्योग और सरकार सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से विकसित किया गया है तथा वर्तमान में इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया है।

सम्बद्ध चिंताएं :-

  • प्रस्तावित नीति के साथ सबसे बड़ी चिंता व्यक्तिगत तथा सरकारी डाटा के माइनिंग की है।
  • डेटा संग्रह और भंडारण के लिए एक आर्थिक प्रोत्साहन का प्रस्ताव सरकार को डेटा न्यूनीकरण के सिद्धांत (जिसमें कहा गया है कि डेटा संग्रह केवल उसी तक सीमित होना चाहिए जो निर्दिष्ट को पूरा करने के लिए सीधे प्रासंगिक और आवश्यक है) जैसे व्यवस्थित सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ विरोधाभाषी हो सकता है।
  • परिणामस्वरूप, डेटा संग्रह मात्र राजस्व सृजन के उद्देश्य से प्रेरित होगा। जिससे गार्बेज डाटा में वृद्धि हो सकती है।
  • यह एक मध्यस्थ के रूप में सरकार द्वारा उचित पारिश्रमिक को भी प्रभावित कर सकती है।
  • यह नीति, यदि विधायी ढांचे को सक्षम किए बिना वर्तमान स्वरूप में लागू की जाती है, तो नागरिकों के डेटा गोपनीयता और व्यक्तिगत गोपनीयता के उल्लंघन के मुद्दे सामने आ सकते हैं।
  • इस मसौदे के उपरान्त डेटा संरक्षण विधेयक- 2021 भी पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे पायेगा क्योंकि यह मसौदा सरकार को व्यापक छूट प्रदान करता है।
  • परिणामस्वरूप, यह नीति निजता के अधिकार के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित वैधता की सीमा (जिसके अनुसार राज्य द्वारा गोपनीयता में कोई भी अतिक्रमण एक एंकरिंग कानून के आधार पर होना चाहिए।) को पूरा करने में विफल है।
  • विशेषज्ञों ने डेटा गुमनामी पर उचित मानकों और ढांचे की कमी के बारे में भी चिंता व्यक्त की है तथा यह कहा है कि यह संभव है कि इस डाटा की "रिवर्स-इंजीनियर" संभव है जिससे डेटा जनरेटर की पुन: पहचान करना सरल हो जाता है।
  • इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस नीति में उत्पन्न साइबर सुरक्षा के मुद्दों का समाधान नहीं किया गया है।
  • इस नीति के प्रावधानों का भारतीय साइबर कानून के प्रावधानों और इसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के साथ सीधा टकराव हो सकता है।
  • प्रमुख अवधारणाओं के लिए स्पष्ट और संक्षिप्त परिभाषाओं का अभाव :- उदाहरणस्वरूप यह नीति 'उच्च-मूल्य वाले डेटा सेट' की एक अलग श्रेणी बनाती है। इसमें ऐसे डाटा सम्मिलित होंगे जिसे सरकार शासन और नवाचार के लिए आवश्यक मानती है। परन्तु इस नीति में कहीं भी इस श्रेणी को परिभाषित नहीं किया गया है।
  • आईटी मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मसौदा नीति को बड़ी तकनीकी कंपनियों, जिनका व्यवसाय मॉडल बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह मॉडल के मुद्रीकरण पर आधारित है, से डाटा ट्रैफिक के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

आगे की राह :-

  • प्रस्तावित मसौदे में सुझाव दिया गया है कि एमईआईटीवाई के अंतर्गत एक केंद्रीय भारत डेटा कार्यालय की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही साथ केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों को अपनी संबंधित डेटा प्रबंधन इकाई बनानी होगी, जिसकी अध्यक्षता एक मुख्य डेटा अधिकारी करेंगे।
  • इंडिया डेटा ऑफिसर के साथ ये मुख्य डेटा अधिकारी मिलकर इंडिया डेटा काउंसिल बनाएंगे, जो डेटा की अभिगम्यता तथा इसके उपयोग के नीतिगत मामलों पर फैसला करेगी।
  • मसौदे में "डेटा शेयरिंग टूलकिट" का भी प्रस्ताव है, जो संबंधित केंद्र या राज्य सरकार के मंत्रालयों और विभागों को ऐसे डेटा को जारी करने और साझा करने से जुड़े जोखिमों का "मूल्यांकन और बेहतर प्रबंधन" करने में सहायक होगा।
  • यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत पहले से ही एक नया व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून लेकर आ रहा है। अतः इस प्रकार की नीति लाने से पहले नए कानून की प्रतीक्षा करना बेहतर होगा।

स्रोत :- The Hindu

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2:
  • सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय
  • शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता और जवाबदेही,
  • ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • नागरिकों का डेटा बेचने की प्रक्रिया के साथ (यदयपि वह अज्ञात डाटा हो) ही सरकार व्यवसाय में निरत हो जाती है। इस कथन के आलोक में प्रस्तावित मसौदे 'इंडिया डेटा एक्सेसिबिलिटी एंड यूज पॉलिसी' का समालोचनात्मक परीक्षण करें।

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