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Daily-current-affairs / 30 Jan 2024

अफ्रीका के साथ भारत और चीन के संबंधों का विश्लेषण

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संदर्भ -

अफ्रीका के साथ चीन का जुड़ाव पिछले कई दशकों से वैश्विक भू-राजनीति और आर्थिक गतिशीलता का केंद्र बिंदु रहा है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में चार अफ्रीकी देशों की यात्रा की है, यह अफ्रीका महाद्वीप के साथ चीन के संबंधों की गहराई और इसके महत्व को रेखांकित करता है।

वांग यी की हालिया अफ्रीका यात्राः

13-18 जनवरी से, वांग यी ने मिस्र, ट्यूनीशिया, टोगो और आइवरी कोस्ट का दौरा किया। यह चीनी विदेश मंत्री की अफ्रीका की 11 वीं वार्षिक यात्रा थी। यह यात्रा चीन-अफ्रीका संबंधों के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रही। इसका उद्देश्य चीन और अफ्रीकी देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना है।

वांग यी की यात्रा के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य है

  • पूर्व समझौतों का कार्यान्वयनः इस यात्रा के दौरान वांग यी ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में अगस्त 2023 में आयोजित चीन-अफ्रीका नेताओं की वार्ता के परिणामों को लागू करने की मांग की। इस वार्ता में अफ्रीका के औद्योगीकरण, कृषि आधुनिकीकरण और कौशल विकास का समर्थन करने के उद्देश्य से कई पहलें शामिल हैं।
  •   गाजा में मध्यस्थता का प्रयासः मिस्र में अपनी यात्रा के दौरान वांग यी ने गाजा में "तत्काल और व्यापक युद्धविराम" की वकालत करके वैश्विक शांति के लिए चीन की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। संघर्ष समाधान में चीन का सक्रिय रुख एक वैश्विक मध्यस्थ के रूप में इसकी विकसित होती भूमिका को दर्शाता है।
  • एफओसीएसी 2024 की तैयारीः वांग यी की यात्रा ने 2024 के लिए निर्धारित चीन-अफ्रीका सहयोग (एफओसीएसी) पर नौवें मंच का मार्ग प्रशस्त किया। एफओसीएसी वार्ता में सहयोग बढ़ाने और आपसी चुनौतियों का समाधान करने पर चर्चा की जाएगी।

चीन-अफ्रीका संबंधों का ऐतिहासिक विकास

चीन-अफ्रीका संबंधों के विकास की जड़ें 1950 के दशक में खोजी जा सकती हैं, जब चीन ने शीत युद्ध के दौरान विभिन्न अफ्रीकी मुक्ति आंदोलनों का समर्थन किया था। 1970 के दशक में अफ्रीकी देशों के समर्थन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को स्थाई सीट प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। समय के साथ,दोनों के बीच संबंध वैचारिक एकजुटता से व्यावहारिक सहयोग में परिवर्तित हुए। चीन-अफ्रीका संबंधों के विकास में निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियां रही हैं

  • एफओसीएसी की शुरुआत (2000): 2000 में पहली एफ. . सी. . सी. वार्ता आयोजित की गई थी। इस वार्ता में कूटनीति, निवेश और व्यापार जैसे विषयों पर चीन-अफ्रीका सहयोग विकसित हुआ। इस मंच ने सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में दोनों के बीच संबंधों को मजबूत किया।
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) और रणनीतिक विस्तारः 2013 में चीन द्वारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की शुरुआत के बाद अफ्रीका के साथ जुड़ाव के एक नए चरण का आरंभ हुआ। ध्यातव्य हो कि 52 अफ्रीकी देश बीआरआई के हस्ताक्षरकर्ता हैं। इस पहल ने अफ्रीका में बुनियादी ढांचे के विकास और संपर्क की व्यापक सुविधा प्रदान की, जिससे आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिला।
  • आर्थिक एकीकरण और संसाधन पहुंचः कोबाल्ट, प्लैटिनम और कोल्टन सहित प्रमुख संसाधनों के स्रोत के रूप में अफ्रीका के महत्व ने इस महाद्वीप के साथ चीन के आर्थिक एकीकरण को प्रेरित किया है। खनन और बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश ने संसाधन निष्कर्षण और औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाया है।
  • सैन्य और सामरिक सहयोगः चीन द्वारा जिबूती में अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय नौसैनिक अड्डे की स्थापना अफ्रीका में चीन के रणनीतिक हितों को रेखांकित करती है। सैन्य सहयोग और सुरक्षा सहायता चीन-अफ्रीका साझेदारी के अभिन्न अंग बन चुके हैं।

अफ्रीका महाद्वीप में चीन के उद्देश्य

अफ्रीका के साथ चीन का जुड़ाव बहुआयामी उद्देश्यों द्वारा निर्देशित है, जो इसकी रणनीतिक अनिवार्यताओं और विकसित वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। इन उद्देश्यों में शामिल हैं

  • संसाधन पहुंच और आर्थिक हितः अफ्रीका महाद्वीप में रेयर अर्थ मेटल और अन्य महत्वपूर्ण खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। यह चीन के आर्थिक और औद्योगिक विकास के एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में कार्य करते हैं। शोधन और निष्कर्षण बुनियादी ढांचे में चीनी निवेश संसाधन सुरक्षा के लिए इसकी महत्वाकांक्षा को रेखांकित करते है।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव और राजनयिक समर्थनः अफ्रीका का भू-राजनीतिक महत्व संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसके प्रतिनिधित्व से स्पष्ट होता है, यह चीन को दक्षिण चीन सागर विवाद और ताइवान की स्थिति सहित प्रमुख मुद्दों पर राजनयिक समर्थन हासिल करने में सक्षम बनाता है। अफ्रीकी एकजुटता चीन की वैश्विक स्थिति और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।
  • मुद्रा  का अंतर्राष्ट्रीयकरण और वित्तीय एकीकरणः चीन द्वारा रेनमिनबी (आरएमबी) को वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में बढ़ावा देना अफ्रीका के साथ वित्तीय एकीकरण की उसकी आकांक्षाओं को दर्शाता है। सीमा पार युआन-आधारित बांड और ऋण पुनर्गठन जैसी पहल आरएमबी का अंतर्राष्ट्रीय विस्तार करने के चीन के प्रयासों को रेखांकित करता हैं।
  •  वाणिज्यिक विस्तार और बाजार पहुंचः अफ्रीका का बढ़ता उपभोक्ता बाजार और युवा जनसांख्यिकीय प्रोफाइल चीनी निर्यातकों के लिए एक आकर्षक अवसर प्रदान करता है। चीन द्वारा निर्मित बुनियादी ढांचे और औद्योगिक पार्कों द्वारा सुगम "मेड इन अफ्रीका" पहल, स्थानीय विनिर्माण और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चीन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

चीन-अफ्रीका सहयोग के प्रभावः चीन और अफ्रीका के बीच बढ़ती साझेदारी दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि इसमें विभिन्न अवसरों के साथ की चुनौतियां भी हैं, जो निम्नलिखित हैं  -

अवसर :

  • आर्थिक विकास और अवसंरचनाः अवसंरचना विकास और औद्योगीकरण में चीनी निवेश ने अफ्रीका में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को उत्प्रेरित किया है। चीन द्वारा निर्मित परियोजनाओं के प्रसार ने इस महाद्वीप के भौतिक परिदृश्य को बदल दिया है, जिससे सतत विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
  • तकनीकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माणः प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान को साझा करने में चीन की विशेषज्ञता ने अफ्रीकी देशों को पारंपरिक विकास मार्ग पर तीव्रता से आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाया है। कृषि आधुनिकीकरण और प्रतिभा विकास जैसी पहल मानव पूंजी वृद्धि और कौशल विविधीकरण में योगदान करती हैं।

चुनौतियां:

  •   ऋण गतिशीलता और वित्तीय कमजोरियां:  चीनी ऋण कूटनीति और ऋण जाल से जुड़ी चिंताओं ने अफ्रीकी नीति निर्माताओं और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के बीच की आशंकाओं को पैदा किया है। हालांकि चीनी ऋणों ने बुनियादी ढांचे के विकास की सुविधा प्रदान की है, लेकिन अस्थिर ऋण बोझ प्राप्तकर्ता देशों के लिए दीर्घकालिक वित्तीय जोखिम पैदा करता है।
  • भू-राजनीतिक संरेखण और संप्रभुता संबंधी चिंताएं: गैर-हस्तक्षेप और आपसी सम्मान सहित चीन के विदेश नीति सिद्धांतों के साथ अफ्रीका के संरेखण ने क्षेत्रीय गतिशीलता और शासन संरचनाओं को आकार दिया है। हालाँकि, सत्तावादी शासन में संप्रभुता के उल्लंघन और अनुचित प्रभाव के बारे में चिंताएँ व्याप्त हैं।

भारतीय आउटरीचः

पिछले चार वर्षों के दौरान भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा अफ्रीका की 23 यात्राएं की गई हैं।

अफ्रीका के प्रति भारत का दृष्टिकोण कई प्रमुख पहलुओं में चीन से अलग हैः

दीर्घकालिक संबंध और जन-केंद्रित जुड़ावः भारत अफ्रीका के साथ दीर्घकालिक संबंधों पर जोर देता है और उत्पादक क्षमताओं को बढ़ाने, कौशल में विविधता लाने एवं एसएमई में निवेश करने पर ध्यान केंद्रित करता है। मौसम परियोजना जैसी भारतीय पहलों का उद्देश्य पूर्वी अफ्रीका और हिंद महासागर के साथ सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करना है।

सीमा पार संपर्क और सॉफ्ट पावरः भारत के अफ्रीकी दृष्टिकोण में समुद्री-बंदरगाह संपर्क, डिजिटल संपर्क और हवाई संपर्क सहित लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना एवं निवेश आधारित व्यापार के अवसर शामिल हैं। ये प्रयास संसाधन निष्कर्षण और लाभ सृजन पर चीन के पारंपरिक ध्यान के विपरीत हैं।

संयुक्त पहल और परामर्श दृष्टिकोणः भारत ने जापान और अफ्रीकी देशों के साथ औद्योगिक गलियारों, संस्थागत नेटवर्क और विकास सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एशिया अफ्रीका विकास गलियारा (एएजीसी) पहल को शुरू किया है। एएजीसी पहल, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के विपरीत है। विगत हो कि बीआरआई  को चीन के हितों को सुरक्षित करने के लिए एकतरफा दृष्टिकोण के रूप में संरचित किया गया है।

जहां चीन का बीआरआई रणनीतिक नियंत्रण के लिए बड़े निवेश को प्राथमिकता देता है, वहीं भारत का दृष्टिकोण अफ्रीकी देशों और अन्य हितधारकों के सहयोग से आपसी परामर्श, साझेदारी के माध्यम से सतत विकास करना है।

निष्कर्ष

यद्यपि चीन अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, लेकिन इनके बीच द्विपक्षीय सहयोग की जटिलताओं को दूर करना सर्वोपरि है। वांग यी की हालिया यात्रा आपसी हितों को आगे बढ़ाने और पूरे महाद्वीप में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। हालांकि, ऋण स्थिरता, भू-राजनीतिक संरेखण और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं की अंतर्निहित चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक सूक्ष्म और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

भारत का अफ्रीका आउटरीच दीर्घकालिक संबंधों, जन-केंद्रित जुड़ाव, सीमा पार संपर्क और संयुक्त पहलों पर जोर देता है, जो बड़े निवेश पर चीन की एकतरफा नीति के विपरीत है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-

  1.   रणनीतिक उद्देश्यों और कार्यान्वयन विधियों के मामले में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पहल अफ्रीका के प्रति भारत के दृष्टिकोण से कैसे अलग है? (10 Marks, 150 Words)
  2. चीन की तुलना में अफ्रीका में भारत की स्थिति कैसी है? अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के लिए क्या संभावनाएं और चुनौतियां हैं? चर्चा करें।  (15 Marks, 250 Words)

 

Source- The Hindu