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Daily-current-affairs / 07 Aug 2024

भारत का 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

भारत की आर्थिक विकास गति के तहत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए आवश्यक दृष्टिकोण दिखना शुरू हो चुका हैं। यह आय असमानता की आलोचनाओं के बावजूद उदार आर्थिक नीतियों और निजी क्षेत्र की भागीदारी द्वारा संचालित सतत विकास की ओर प्रयासरत हैं। 

आर्थिक विकास और भविष्य की संभावनाएँ

वर्तमान आर्थिक उपलब्धियाँ

भारत की प्रभावशाली 7% जीडीपी विकास दर और सबसे तेजी से बढ़ने वाली इसकी स्थिति 21वीं सदी में भारत के भविष्यवाणियों को बढ़ावा देती है। हालिया संदर्भ में ये उपलब्धियाँ उल्लेखनीय हैं, और इसे जारी रखने का कोशिश करते रहना चाहिए। परंतु हमें अन्य देशों द्वारा सामना किए जाने वाले नुकसानों से बचना चाहिए, ताकि दूसरे की गलती से हम सीख ले सके।

सतत विकास की चुनौती

30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, भारत को निजी क्षेत्र के अंतर्गत उदार आर्थिक नीतियों के माध्यम से तेज़ आर्थिक विकास को बनाए रखने की आवश्यकता है। यह भी संभव हैं कि आलोचक आय असमानता को उजागर कर सकते हैं, लेकिन सरकार एवं अनेकों हितधारकों का सम्पूर्ण ध्यान जीवन स्तर में समग्र सुधार पर होना चाहिए, जिससे आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सके।

भारत की कार्यशील आयु वाली आबादी की भूमिका

आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन

1991 से भारत के आर्थिक सुधारों ने गरीबी को काफी हद तक कम कर दिया है, गरीबी दर लगभग 50% से घटकर 20% हो गई है। आर्थिक विकास ने 35 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है, जो आर्थिक विकास और गरीबी में कमी के बीच संबंध को रेखांकित करता है।

श्रम बाजार भागीदारी में चुनौतियाँ

प्रगति के बावजूद, भारत की महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर (FLFPR) 37% पर कम बनी हुई है, जबकि अन्य देशों के तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में यह 60%-70% है। 950 मिलियन की कार्यशील आयु वाली आबादी का पूरा लाभ उठाने के लिए, भारत को रोजगार समानता को संबोधित करना चाहिए और अपनी आबादी के बीच रोजगार दर को बढ़ाना चाहिए।

विकास के लिए रणनीतियाँ

निर्यात-उन्मुख औद्योगीकरण

दक्षिण कोरिया, ताइवान, जापान और वियतनाम की सफलता का अनुकरण करते हुए, भारत का जोर निर्यात पर होने के साथ कम-कुशल एवं रोजगार-गहन विनिर्माण पर होना चाहिए। इस संदर्भ में ऐतिहासिक डेटा से भी पता चलता है कि वैश्विक बाजारों के लिए खुलापन और तुलनात्मक लाभों पर ध्यान केंद्रित करना विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

मध्यम आय के जाल से बचना

भारत को निम्न-स्तरीय विनिर्माण से आगे बढ़कर और उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता गतिविधियों को बढ़ाकर मध्यम आय के जाल से बाहर निकलने की जरूरत हैं। विदित हैं कि आईटी बूम ने एक वैकल्पिक विकास पथ जरूर प्रदान किया हैं, लेकिन भविष्य की औद्योगिक उन्नति के वास्तविक रूपरेखा लिए निम्न-तकनीकी विनिर्माण में एक मजबूत आधार बनाने की आवश्यकता है।

मध्यम आय का जाल

संरक्षणवाद के खतरे

अनेकों देशों द्वारा घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए उच्च आयात शुल्क लगाया जाता हैं। इससे अकुशल श्रमिक को बढ़ावा और उत्पादन लागत में वृद्धि देखने को मिलती हैं, जिससे निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है। अकुशलता के इस चक्र से बचने और अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखने के लिए भारत को संरक्षणवाद के प्रलोभन का विरोध करना चाहिए।

बाजार-आधारित विकास का महत्व

भारत की रणनीति में बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था शामिल होनी चाहिए जो निजी उद्यम को प्रोत्साहित करे। साथ ही विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए नौकरशाही बाधाओं को कम करना और व्यापार करने में आसानी में सुधार करना भी आवश्यक है।

विज़न इंडिया@2047

  • विज़न 2047 पहल की प्राथमिक चिंता भारत को मध्यम आय के जाल में फंसने से रोकना है। विश्व बैंक के अनुसार, मध्यम आय का जाल तब होता है जब कोई देश, मध्यम आय की स्थिति तक पहुँचने के बावजूद, बढ़ती लागत और घटती प्रतिस्पर्धात्मकता के कारण उच्च आय की स्थिति में संक्रमण करने में विफल रहता है। विज़न 2047 दस्तावेज़ नीति आयोग द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसमें दो अलग-अलग अवधियों के लिए कार्य बिंदुओं और परिणाम लक्ष्यों की रूपरेखा दी गई है यथा वर्ष 2030 और उसके बाद 2047 तक की 17 साल की अवधि।
  • विज़न इंडिया@2047 पहल दिसंबर 2021 में शुरू हुई, जिसमें ग्रामीण और कृषि, बुनियादी ढाँचा, सामाजिक दृष्टि, कल्याण, प्रौद्योगिकी, शासन, सुरक्षा और विदेशी मामलों जैसे विभिन्न क्षेत्रों के सचिवों के 10 समूह शामिल थे।
  • यह व्यापक दस्तावेज़ 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संरचनात्मक परिवर्तनों और सुधारों की रूपरेखा तैयार करेगा, जिसमें प्रति व्यक्ति आय 18,000-20,000 डॉलर होगी। यह मंत्रालयों और विभागों के बीच अत्यधिक अंतर को खत्म करने के लिए सरकारी प्रक्रिया को फिर से तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • विज़न इंडिया@2047 दस्तावेज़ व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान और विकास में भारत की वैश्विक भागीदारी रणनीतियों का भी विवरण देगा। इसके इस बात पर प्रकाश डालने की उम्मीद है कि कौन सी भारतीय कंपनियाँ वैश्विक नेता बनने के लिए तैयार हैं और इसका समर्थन करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए आवश्यक रणनीतियाँ क्या हैं।
  • इसके अलावा, दस्तावेज़ मानव पूंजी के विकास, भारत के बाजार आकार का लाभ उठाने और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह 2030 में भारत के लक्ष्य और 2047 के लिए उसके लक्ष्यों के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा प्रदान करेगा।

औद्योगिक क्लस्टर बनाना

सरकारी पहल और बुनियादी ढाँचा

लागत अक्षमताओं और कम श्रम उत्पादकता को दूर करने के लिए, सरकार को व्यापक बुनियादी ढाँचे के साथ औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इन क्लस्टरों के अंतर्गत नियोक्ताओं और श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए प्लग-एंड-प्ले सुविधाएं और सहायक सेवाएं प्रदान करनी चाहिए।

क्लस्टर-नेतृत्व विकास की भूमिका

क्लस्टर-नेतृत्व मॉडल विनियामक बोझ को कम कर सकता है और विनिर्माण के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बना सकता है। निर्दिष्ट क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे और विनियामक वातावरण में सुधार करके, भारत निवेश आकर्षित कर सकता है और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

विज़न 2047 को प्राप्त करने के लिए आगे का रास्ता

  • जनसांख्यिकी लाभांश का दोहन: भारत की बड़ी कामकाजी आयु की आबादी का पूरा लाभ उठाने के लिए, लाखों युवाओं को भविष्य के नौकरी बाजारों के लिए तैयार करने और उन्हें उद्योग के लिए तैयार करने के लिए उनके कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • शिक्षा में निवेश बढ़ाना: भारत में शिक्षा पर सरकारी व्यय सकल घरेलू उत्पाद के 3.5% से कम रहा है, जबकि वैश्विक औसत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.5% है। अंत: दीर्घकालिक विकास के लिए शिक्षा में निवेश बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देना: भारत में समावेशी आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए श्रम बल में महिला भागीदारी को बढ़ावा देना और वेतन समानता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • विनिर्माण क्षमता को खोलना: भारत का लक्ष्य अर्थव्यवस्था में अपने विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को मौजूदा 15% से बढ़ाकर 25% करना है। इस उद्देश्य के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी पहलों का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

भारत को निजी क्षेत्र की ताकत का दोहन करना चाहिए और इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ाने के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए। अंतर-राज्यीय प्रवास, शहरीकरण और FLFPR जैसे संकेतकों की निगरानी से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में प्रगति का आकलन करने में मदद मिलेगी। भारत आर्थिक समृद्धि के अपने मार्ग पर महत्वपूर्ण अवसरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है। दूरदर्शी नीतियों और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ इन चुनौतियों का समाधान करके, भारत अपने आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है और वैश्विक आर्थिक नेता के रूप में अपनी क्षमता को पूरा कर सकता है।

यूपीएससी मेन्स के लिए संभावित प्रश्न

  1. 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के लिए आवश्यक प्रमुख रणनीतियों पर चर्चा करें। टिकाऊ आर्थिक नीतियों की भूमिका, औद्योगिक समूहों के विकास और मध्यम आय के जाल से उबरने की आवश्यकता का विश्लेषण करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. विज़न इंडिया@2047 से जुड़ी संभावित चुनौतियों और अवसरों का मूल्यांकन करें। भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ कैसे उठा सकता है और अपने आर्थिक विकास उद्देश्यों का समर्थन करने के लिए महिला श्रम बल की भागीदारी में सुधार कैसे कर सकता है? क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने और शैक्षिक निवेश को बढ़ाने के लिए सिफारिशें प्रदान करें। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत हिन्दू