संदर्भ :
डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को रूपांतरित कर दिया है, जिसमें कार्यप्रणाली, संपर्क और व्यापार संचालन के तरीके शामिल हैं। इस संदर्भ में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को विशेष रूप से रेखांकित किया जा सकता है, जिसने दूरस्थ कार्य और डिजिटल संपर्क के महत्व को स्थापित करते हुए डिजिटल प्रौद्योगिकियों को तेजी से बढ़ावा दिया है। डिजिटल परिदृश्य का गहन विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिला नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए समावेशी डिजिटल नीतियां अनिवार्य हैं। इस व्यापक विश्लेषण में, हम डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाली वर्तमान चुनौतियों, लैंगिक-संवेदनशील नीतियों के महत्व और डिजिटल युग में महिलाओं की भागीदारी तथा नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों का परीक्षण करेंगे।
डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाली चुनौतियां
- आज के कार्यबल में डिजिटल कौशल के बढ़ते महत्व के बावजूद, महिलाएं इन कौशलों को प्राप्त करने में अपने पुरुष समकक्षों से पीछे हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि महिलाओं के बुनियादी कार्यों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की संभावना 25 प्रतिशत कम रहती है जो एक महत्वपूर्ण डिजिटल कौशल अंतर को दर्शाता है।
- इसके अतिरक्त उपयोगकर्ता के अनुकूल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक और स्वचालन के उदय से नौकरी विस्थापन का खतरा उत्पन्न होता है जो महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित करता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट "लिंग, प्रौद्योगिकी और काम का भविष्य" (The Gender, Technology, and Future of Work report) का अनुमान है कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के कारण दुनिया भर में लगभग 180 मिलियन महिलाओं को नौकरी खोने का उच्च जोखिम है।
- इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्रौद्योगिकियां, विशेष रूप से एआई स्वयं, महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह प्रदर्शित करती हैं। अध्ययनों ने यह भी संकेत दिया है कि रिज्यूमे स्क्रीनिंग में उपयोग किए जाने वाले एआई सिस्टम मौजूदा मानव लिंग पूर्वाग्रहों को दोहराते हैं और तीव्र करते हैं जो भर्ती प्रक्रियाओं में महिलाओं की संभावनाओं को प्रभावित करते हैं।
- यूनीबैंक द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला कि एआई एल्गोरिदम रिज्यूमे स्क्रीनिंग में मानव भर्तीकर्ताओं द्वारा दिखाए गए लिंग पूर्वाग्रहों की नकल करते हैं, पुरुष उम्मीदवारों को महिला उम्मीदवारों पर वरीयता प्रदान करते हैं। ऐसी उन्नत प्रणालियां, मुख्य रूप से जब पर्याप्त पारदर्शिता के बिना काम करती हैं, तो मौजूदा पूर्वाग्रहों को बनाए रखने और बढ़ाने की उनकी क्षमता के कारण चिंताएँ बढ़ जाती है।
महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की रणनीतियां
- महिलाएं निगमों में विविध दृष्टिकोणों से योगदान देती हैं क्योंकि महिलायें कार्यस्थल मूल्यों और वित्तीय सफलता को आगे बढ़ाती हैं। मैकिन्से के शोध से पता चला है कि जेंडर विविध नेतृत्व टीमों वाली कंपनियों के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन प्राप्त करने की संभावना 48% अधिक है। जेंडर असमानता को कम करने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 12 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हो सकता है। महिलाओं को कार्यबल में बनाए रखना और उनके करियर को आगे बढ़ाना नैतिक अनिवार्यता और एक बुद्धिमान आर्थिक निर्णय दोनों है।
- डिजिटल क्रांति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदल दिया है, नए अवसर सृजित किए हैं और चुनौतियां भी प्रस्तुत की हैं। ऐसी ही एक चुनौती डिजिटल कौशल और नेतृत्व के पदों में लैंगिक असमानता का है। यह अल्प प्रतिनिधित्व न केवल महिलाओं के कैरियर में प्रगति को सीमित करता है बल्कि संगठनों को विविध दृष्टिकोण और अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को भी बाधित करता है। सौभाग्य से इस अंतर को कम करने और डिजिटल युग में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण रणनीतियां लागू की जा सकती हैं।
डिजिटल शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुंच
- डिजिटल कौशल अंतर को समाप्त करने की एक प्रमुख रणनीति महिलाओं को व्यापक डिजिटल शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक पहुंच प्रदान करना है। इन कार्यक्रमों को महिलाओं को आवश्यक, मांग वाले कौशल से युक्त करने और तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- लचीले प्रारूप और लिंग-तटस्थ सामग्री की पेशकश करके, ऐसी पहल महिलाओं की विविध आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं और उभरते तकनीकी क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर सकती हैं।
- इसके अतिरिक्त, महिलाओं की भागीदारी और उन्नति को प्रोत्साहित करने के लिए इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्पष्ट कैरियर प्रगति के अवसरों, वित्तीय लाभ और पदोन्नति के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है।
डिजिटल कोचिंग के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना
- डिजिटल कोचिंग महिलाओं को उनकी व्यावसायिक विकास यात्रा में सशक्त बनाने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करती है। ये कोचिंग कार्यक्रम महिलाओं को कार्यस्थल की चुनौतियों से निपटने में उनके नेतृत्व कौशल, आत्मविश्वास और समग्र प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक लचीला और सुलभ मंच प्रदान करते हैं।
- व्यक्तिगत शिक्षण शैलियों और शेड्यूल को ध्यान में रखते हुए, डिजिटल कोचिंग कार्यक्रम उन महिलाओं को समायोजित करते हैं जो कई भूमिकाएँ निभा रही हैं या भौगोलिक बाधाओं का सामना कर रही हैं। इसके अतिरक्त ये कार्यक्रम नेटवर्किंग के अवसरों की सुविधा प्रदान करते हैं, महिलाओं को दुनिया भर के सलाहकारों और साथियों से जोड़ते हैं, इस प्रकार उनके पेशेवर क्षितिज को व्यापक बनाते हैं और मूल्यवान सहायता प्रदान करते हैं।
एआई में लिंग पूर्वाग्रह को संबोधित करना
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में लिंग पूर्वाग्रह एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करता है जिसे निष्पक्ष और समावेशी डिजिटल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए संबोधित किया जाना चाहिए। एआई प्रशिक्षण में उपयोग किए जाने वाले डेटासेट में विविधता लाना और एआई डेवलपर्स के बीच विविधता को बढ़ावा देना पूर्वाग्रह को कम करने की दिशा में आवश्यक कदम हैं।
- डेटा प्रशिक्षण में लिंग, जातीयता और उम्र की एक श्रृंखला को शामिल करके, एआई सिस्टम मानवीय अनुभवों और दृष्टिकोणों की विविधता को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त, एआई भूमिकाओं में महिलाओं और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की भर्ती और समर्थन करने से डिजाइन और कार्यान्वयन प्रक्रिया में विविध दृष्टिकोण आ सकते हैं, जिससे एआई आउटपुट में पूर्वाग्रह कम हो सकते हैं। एआई प्रौद्योगिकियों का उचित और निष्पक्ष प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए पूर्वाग्रहों की निरंतर निगरानी और उद्योग-व्यापी नैतिक मानकों का पालन भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
निष्कर्षतः डिजिटल युग में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिला नेताओं को सशक्त बनाने के लिए समावेशी डिजिटल नीतियां अनिवार्य हैं। डिजिटल कौशल अंतर को संबोधित करके, डिजिटल शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुंच को बढ़ावा देकर और एआई में लैंगिक पूर्वाग्रह को कम करके, हम एक अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत डिजिटल वातावरण बना सकते हैं जहां महिलाएं आगे बढ़ सकें और सार्थक योगदान दे सकें। नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और हितधारकों को महिलाओं के डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली लिंग-संवेदनशील नीतियों तथा पहलों को लागू करने में प्रभावी ढंग से सहयोग करने की आवश्यकता है। केवल डिजिटल क्षेत्र में विविधता और समावेशिता को अपनाकर ही हम वैश्विक अर्थव्यवस्था में नेताओं एवं नवप्रवर्तकों के रूप में महिलाओं की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न- 1. डिजिटल युग में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए लिंग-संवेदनशील नीतियों और रणनीतियों के महत्व पर चर्चा करें। (10 अंक, 150 शब्द) 2. डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को कैसे बदल दिया है, जिसमें हम कैसे काम करते हैं, बातचीत करते हैं और व्यवसाय करते हैं। इस संदर्भ में, डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द) |
Source - ORF