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Daily-current-affairs / 08 Apr 2022

भारत अपनी प्रौद्योगिकी नीति को कैसे शक्तिशाली, नवोन्मेषी और सुरक्षित बना सकता है? - समसामयिकी लेख

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की-वर्डस :- बिग टेक फर्म, अल्फाबेट (गूगल), मेटा (फेसबुक), अमेजन, जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर), यूरोपियन यूनियन डिजिटल मार्केट एक्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, कई राष्ट्रीय सरकारों ने राष्ट्रीय संप्रभुता, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, नवाचार प्रसार, उपभोक्ता अधिकार, गोपनीयता, बाजार दक्षता, अर्थव्यवस्था और मानव प्रगति को प्रभावित करने वाली बिग टेक फर्मों के एकाधिकार पर चिंताओं को उजागर किया है।

इस सन्दर्भ में राष्ट्रीय सरकारों द्वारा निम्न प्रश्न उठाये गए हैं।

  1. क्या बड़ी तकनीकी कंपनियां स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा, संतुलित विकास को प्रोत्साहन तथा राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करती हैं?
  2. क्या इन कंपनियों में व्यापक जनहित की रक्षा के लिए पर्याप्त नियम और स्पष्ट तंत्र है ?
  3. क्या राष्ट्र साइबर सुरक्षा के साथ इंटरनेट के दुरुपयोग की जांच करने में सक्षम हो सकते हैं तथा सुरक्षित डेटा शासन ढांचे को सुरक्षित कर सकते हैं?
  4. क्या Google (अल्फाबेट), एप्पल फेसबुक (मेटा); अमेज़ॅन; और माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट नियमों को राष्ट्रों के अनुसार परिवर्तित करने के लिए, उत्तरदायी तथा नम्य हैं ?

इस लेख में बिग टेक से सम्बंधित किन मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है?

आज, बिग टेक सर्वव्यापी हैं :-

  1. बिग टेक आज सरकारों से अधिक शक्तिशाली हैं उनके पास अपार शक्ति है। उदाहरण के लिए, अल्फाबेट (गूगल), मेटा (फेसबुक) और अमेज़ॅन प्लेटफॉर्म 74 प्रतिशत माइंडशेयर और प्रभाव के साथ वैश्विक डिजिटल विज्ञापन को होल्ड करते हैं ।
  2. रिसर्च में एकाधिकार, विज्ञापन-मध्यस्थता, मोबाइल OS (Apple और Google) का एकाधिकार और अन्य नियंत्रणों से बिगटेक कंपनियां राज्यों की संप्रभुता के लिए संकट उत्पन्न करती हैं।
  3. बिग टेक का डेटा और सेवाओं पर अत्यधिक प्रभुत्व उनमें शाक्ति का केंद्रण करता है जिससे देशों की अर्थव्यवस्थाएं इन पर निर्भर हो जाती हैं। यह वित्तीय प्रणालियों, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति को बाधित करती हैं।
  4. इस बात के बहुत से प्रमाण हैं कि बिग टेक निष्पक्ष व्यापार आचरण, प्रतिस्पर्धा, डेटा सुरक्षा और डेटा-साझाकरण को भी प्रतिबंधित करता है।

बिग टेक द्वारा इंटरनेट प्रतिबंधों, डराने-धमकाने और स्प्लिंटरनेट के उभरने की बढ़ती घटनाएं :-

  1. रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान, भू-राजनीतिक क्षेत्र में तकनीक ने एक प्रमुख भूमिका निभाई।
  2. बिग टेक ने अपने उत्पादों, उपस्थिति और निवेश के माध्यम से युद्ध के दौरान रूस के विरुद्ध जनता को भड़काने का प्रयास किया।

बिग टेक आज अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतंत्र को नियंत्रित करता है :-

  1. उदाहरणस्वरूप यूएस-आधारित बिग टेक फर्मों ने रूस के सॉवरेन इंटरनेट (रनेट) पर लोगों, चुनावों और समाज को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है।
  2. रूस अपनी आक्रामक, राष्ट्रीय, साइबर सुरक्षा रणनीति के लिए अमेरिका को दोषी ठहराता है और प्रतिरक्षा बनाए रखने की कोशिश करता है। जवाब में, रूस ने मेटा के फेसबुक और इंस्टाग्राम और ट्विटर तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया।
  3. आज, Apple, Microsoft और Google किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और जनमत को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं।

Apple या Google के एकाधिकार के संबंध में बढ़ती चिंता :-

  1. इन कंपनियों का इंटरनेट के उपयोग में स्वानिहित एकाधिकार सिद्ध है।
  2. यह उपभोक्ताओं, प्रतिस्पर्धा और सभी क्षेत्रों और उपकरणों में नवाचार के लिए हानिकारक है।
  3. इंटरनेट द्वारा खुले, निष्पक्ष और सहयोगी डिजिटल बाजारों के साथ-साथ नागरिक केंद्रित पहलों को बढ़ावा देना चाहिए।

डेटा गवर्नेंस ढांचे की कमी :-

  1. नियामक गैप और डिजिटल बाजारों के नम्य शासन, व्यक्तिगत डेटा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार करने की अनुमति देते हैं, जिससे नागरिकों के अधिकारों को हानि होती है।

इस समस्या से बचने के लिए लेख द्वारा भारतीय सन्दर्भ में दिए गए सुझाव :-

व्यापक डेटा सुरक्षा नियमों की आवश्यकता :-

  1. वर्तमान समय में भारत विश्व के सबसे बड़े खुले इंटरनेट बाजारों में एक है। भारत व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रखते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक डेटा गोपनीयता ढांचे पर काम कर रहा है।
  2. हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में कड़े सुरक्षा उपायों को लागू करने की अनुशंसा की गई है।
  3. डेटा द्वारा बनाए गए मूल्य के आवंटन में अधिक निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, विदेशी सरकारों द्वारा भारतीय डेटा तक अवैध पहुंच को सुरक्षित रखना अनिवार्य है।
  4. भारत को स्मार्ट गैजेट्स, एक्सेसरीज और मशीनरी में उत्पन्न उपभोक्ता और कॉर्पोरेट डेटा के उपयोग पर अधिकार और दायित्व निर्धारित करना चाहिए।

सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को अपनाना :-

  1. एक साझा, स्वतंत्र, गैर-राजनीतिक और तटस्थ डिजिटल साइबर अवसंरचना विकसित करना।
  2. मजबूत एल्गोरिथम ऑडिट ढांचा और अनुपालन मानको की स्थापना।
  3. चूंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीप एनालिटिक्स हमारे समाज में मानव निर्णय लेने की जगह ले रहे हैं, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम ओपेनेस्स, नैतिकता, उद्देश्य और नियमों और विनियमों के प्रति जवाबदेही जैसे मुद्दों को संबोधित करते हैं।
  4. स्वचालित निर्णय लेने को निष्पक्ष और भेदभावपूर्ण परिणामों से मुक्त करने का प्रयास करना होगा तथा एल्गोरिदम को पारदर्शी बनाने पर कार्य करना होगा।

बिग टेक प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने के लिए एल्गोरिथम पारदर्शिता आवश्यक है :-

  1. डेटा साझा करने की बाधाओं को दूर करना और डेटा के लिए क्रॉस-सेक्टर इंटरऑपरेबिलिटी मानकों को विकसित करना महत्वपूर्ण है।
  2. भारत को प्रौद्योगिकी और नवाचार में राष्ट्रीय चैंपियन की एक टीम बनाने के लिए 2025 तक एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर काम करना चाहिए जो हमें स्वदेशी एल्गोरिथम सीखने में सहायक होगी।
  3. सरकार को आत्मनिर्भर बनने के लिए इन फर्मों को एआई आधारित एल्गोरिदम के परिष्कृत ऐप को आगे बढ़ाने के लिए फंडिंग और समर्थन देना चाहिए।
  4. चीन की Baidu, अलीबाबा, Tencent, iFlyteketc, और Big Tech फर्मों के प्रभाव को कम करके राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करना आवश्यक है।

आगे की राह :-

बिग टेक की बाजार शक्ति को सीमित करने के लिए स्वदेशी विकल्पों की आवश्यकता है।

वर्तमान में, भारत के डिजिटल नियम, सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (जीडीपीआर) जैसे वैश्विक 'डेटा संरक्षण कानूनो की तुलना में कमजोर हैं।

वैश्विक मानकों की बेंचमार्किंग ही उत्कृष्टता का एकमात्र तरीका है।

  1. उदाहरण के लिए, नया यूरोपीय संघ डिजिटल बाजार अधिनियम को भारत प्रयोग कर सकता है।
  2. नया अधिनियम इंटरनेट, चाहे वह सर्च इंजन के एकाधिकार के माध्यम से हो या फिर ऐप स्टोर के एकाधिकार या उपकरणों के माध्यम से हो, तक पहुंच को नियंत्रित करता है।
  3. इसी तरह, भारत को स्टार्ट-अप द्वारा स्वदेशी प्रौद्योगिकी नवाचारों को प्रोत्साहित, लचीली व्यवस्था का निर्माण और ओपन-एपीआई के साथ एक साइबर सुरक्षा कमांड सेंटर बनाना चाहिए।

भारत को पुनः साइबरस्पेस के लिए नियमावलियों पर कार्य करने की आवश्यकता है इसके साथ ही साथ यह देखना आवश्यक है कि ये कानून किस प्रकार भारत के साइबर स्पेस विनियमन को बढ़ा कर साइबर स्पेस में भारत की वैधता को बढ़ा सकते हैं।

भारत की राष्ट्रीय संप्रभुता, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, समावेशी नवाचार प्रसार, उपभोक्ता अधिकार, गोपनीयता, बाजार दक्षता, आर्थिक विकास और मानव प्रगति की रक्षा के लिए अपनी प्रौद्योगिकी नीति को शक्तिशाली, अभिनव और सुरक्षित बनाने के लिए भारत को कदम उठाने चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2:
  • शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता और जवाबदेही, ई-गवर्नेंस अनुप्रयोग, सफलताएं, सीमाएं

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • बिग टेक फर्मों के क्रियाविधियों से उत्पन्न मुद्दों की जांच करें ? डेटा संरक्षण पर कानून किस सीमा तक बिग टेक फर्मों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग को संबोधित करेगा? [15 अंक]

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