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Daily-current-affairs / 08 Jun 2024

वैश्विक प्लास्टिक संधि: एक समावेशी और न्यायसंगत बदलाव : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

  • वर्तमान समय में प्लास्टिक प्रदूषण से निजात पाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय और कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि पर विचार किया जा रहा है। इस संधि का दृष्टिकोण इस मायने में अत्यंत विचारणीय है, कि यह अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं के लिए एक समावेशी और न्यायसंगत बदलाव का समर्थन कैसे कर सकता है जो अनौपचारिक रूप से कचरा एकत्र करते और उसका पुनर्चक्रण करते हैं। अतः इन संग्रहकर्ताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने और उन्हें आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान करने की नितांत आवश्यकता है।

अनौपचारिक कचरा और पुनर्प्राप्ति क्षेत्र (IWRS) का महत्व:

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के ग्लोबल प्लास्टिक आउटलुक के अनुसार, वर्ष 2019 में वैश्विक प्लास्टिक कचरे का उत्पादन 353 मिलियन टन था; जो वर्ष 2000 के बाद से दोगुना से भी ज्यादा है और वर्ष 2060 तक इसके तीन गुना होने का अनुमान है। इसमें से केवल 9% को पुनर्नवीकृत किया गया, 50% को लैंडफिल में भेजा गया, 19% को जला दिया गया और 22% का अनियंत्रित स्थानों या डंपों में निस्तारण किया गया। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, पुनर्नवीकृत किए गए 9% में से 85% अनौपचारिक पुनर्चक्रण कर्मचारियों द्वारा किया गया था।
  • ये कर्मचारी सामान्य कचरे से पुनर्चक्रण योग्य और पुन: प्रयोज्य सामग्री एकत्र करते हैं, छांटते हैं और पुनर्प्राप्त करते हैं। इसक प्रक्रिया से नगरपालिका बजटों को अपशिष्ट प्रबंधन के वित्तीय बोझ से राहत मिलती है। साथ ही उत्पादकों, उपभोक्ताओं और सरकार के पर्यावरणीय जनादेश को सब्सिडी मिलती है। पर्यावरण न्याय और विकास केंद्र के अनुसार ये सभी कार्यप्रणाली चक्रीय अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों को बढ़ावा देते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा उनके प्रयास लैंडफिल और डंप साइटों में प्लास्टिक की मात्रा को भी अपेक्षाकृत कम कर देते हैं, पर्यावरण में प्लास्टिक के रिसाव को प्रभावी ढंग से रोकते हैं।

मान्यता की आवश्यकता:

  • वर्तमान परिस्थितियों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, इसके अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है और वे प्लास्टिक मूल्य श्रृंखलाओं में असुरक्षित बने रहते हैं। कचरा प्रबंधन के बढ़ते निजीकरण, अपशिष्ट-से-ऊर्जा परियोजनाओं और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) नीतियों के कार्यान्वयन जैसे कारक इन कर्मचारियों की आजीविका को खतरे में डाल सकते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट के वेस्ट वाइज सिटीज टूल (WaCT) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कई शहरों में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पुनर्प्राप्ति का 80% हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र का है। संयुक्त राष्ट्र-हैबिटेट और यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के एक हालिया अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि अपर्याप्त संग्रह सेवाओं और ठोस कचरे के कुप्रबंधन के कारण लगभग 60 मिलियन टन प्लास्टिक नगरपालिका ठोस कचरा पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
  • हाल ही की रिपोर्ट "लीव नो वन बिहाइंड" में उजागर किया गया है, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की रणनीतियां अक्सर आईडब्ल्यूआरएस की पुनर्प्राप्ति क्षमताओं, कौशल और ज्ञान को प्रभावी ढंग से शामिल करने की उपेक्षा करती हैं। यह निरीक्षण आजीविका की संवेदनशीलता को प्रभावित करता है और मौजूदा अनौपचारिक पुनर्प्राप्ति प्रणालियों को कमजोर करता है। इस प्रकार आईडब्ल्यूआरएस वैश्विक प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर अनदेखा क्षेत्र है। इन श्रमिकों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में लाने और उन्हें उचित सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनकी विशेषज्ञता को प्लास्टिक प्रदूषण कम करने की रणनीतियों में शामिल करना आवश्यक है। ऐसा करने से एक अधिक समावेशी और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का निर्माण होगा।

वैश्विक प्लास्टिक संधि और न्यायसंगत बदलाव की आवश्यकता

  • वैश्विक प्लास्टिक संधि, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और उसे समाप्त करने के उद्देश्य से एक कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता स्थापित करने का एक प्रयास है। इस समिति की स्थापना का निर्णय वर्ष 2021 की शुरुआत में केन्या के नैरोबी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के पांचवें सत्र के दौरान किया गया था। हालाँकि इस सन्दर्भ में दक्षिण कोरिया में होने वाली अंतिम आईएनसी-5 बैठक में अपशिष्ट संग्रहकर्ताओं के वैश्विक हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, इंटरनेशनल अलायंस ऑफ वेस्ट पिकर्स (आईएडब्ल्यूपी) की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है।
  • यूएनईए प्लास्टिक संधि प्रक्रिया में एक मुखर भागीदार आईएडब्ल्यूपी, प्लास्टिक से निपटने के विषयों पर चर्चा में अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं के औपचारिकीकरण और एकीकरण का समर्थन करने के महत्व पर बल देता है। यह नीति और कानून के कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में कचरा संग्रहकर्ताओं के दृष्टिकोण और समाधानों को शामिल करने की भी वकालत करता है।

मान्यता और समावेश के उपाय:

  • ये उपाय कचरा संग्रहकर्ताओं के ऐतिहासिक योगदान को स्वीकार करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और प्रभावी और टिकाऊ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखते हैं। न्यायसंगत बदलाव या अनौपचारिक कचरा क्षेत्र और उसके कार्यबल के लिए अभी तक कोई सर्वमान्य शब्दावली या औपचारिक परिभाषा नहीं है। इन परिभाषाओं को स्पष्ट करना आवश्यक है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने की रणनीतियों में अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं को शामिल करने की सिफारिश करते हुए, आईएडब्ल्यूपी इस क्षेत्र में उनके ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करता है। यह संगठन इस बात पर भी बल देता है कि पॉलिसी निर्माण और कार्यान्वयन की हर प्रक्रिया में इन कर्मचारियों के दृष्टिकोण और समाधानों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के साधन के रूप में, वैश्विक प्लास्टिक संधि को अनौपचारिक पुनर्चक्रण श्रमिकों के लिए सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को सुनिश्चित करना चाहिए। इसमें निम्नलिखित कारक शामिल हो सकते हैं:
    • मान्यता और औपचारिकीकरण: अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं के महत्वपूर्ण योगदानों को स्वीकार करना और उन्हें अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में औपचारिक रूप से एकीकृत करना।
    • अधिकारों का संरक्षण: कचरा संग्रहकर्ताओं के अधिकारों और आजीविका की रक्षा के लिए नीतियां बनाना, जिसमें यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजीकरण या अन्य नीतिगत बदलावों से उन्हें विस्थापित नहीं किया जाय।
    • निर्णय लेने में समावेश: यह सुनिश्चित करना कि नीति निर्माण और कार्यान्वयन चरणों में कचरा संग्रहकर्ताओं की आवाज़ सुनी जाए, ताकि उनके व्यावहारिक ज्ञान और दृष्टिकोण को शामिल किया जा सके।

वैश्विक प्लास्टिक संधि में भारत की भूमिका और दृष्टिकोण:

  • विकासशील देशों के प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में, भारत ऐसा दृष्टिकोण अपनाने को प्रोत्साहित करता है जो प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से खत्म करने के बजाय उसके पुन: उपयोग, रिफिल और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देता है। साथ ही भारत ने देश-विशिष्ट परिस्थितियों और क्षमताओं को अपनाने के महत्व पर बल दिया है। इसलिए, भारत के अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ता, एक न्यायसंगत और समावेशी वैश्विक प्लास्टिक संधि को आकार देने में भारत की नींव हैं। इसके साथ ही साथ भारत निम्नलिखित नीतियों की के आधार पर कई उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है, जैसे :
    • अनौपचारिक कर्मचारियों को एकीकृत करना: अनौपचारिक कचरा प्रबंधन क्षेत्र को शामिल करने के लिए ईपीआर मानदंडों और अन्य नियमों के निर्माण पर पुनर्विचार करना।
    • न्यायसंगत बदलाव को समर्थन: ऐसी नीतियों को बढ़ावा देना जो अनौपचारिक कर्मचारियों को अपनी आजीविका खोए बिना औपचारिक प्रणालियों में संक्रमण के लिए सहायता और संसाधन प्रदान करें।
    • क्षमता निर्माण: अनौपचारिक कर्मचारियों के कौशल और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में निवेश करना।

वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए अंतिम वार्ता दौर:

  • जैसे ही आईएनसी-5 में वैश्विक प्लास्टिक संधि के लिए अंतिम दौर की वार्ता का समय समीप रहा है, एक प्रमुख समस्या यह है, कि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक उपकरण लगभग 15 मिलियन लोगों के लिए एक न्यायसंगत बदलाव को कैसे सक्षम कर सकता है, जो अनौपचारिक रूप से वैश्विक पुनर्नवीकृत कचरे का 58% तक एकत्रण और पुनर्प्राप्ति करते हैं।
  • हालाँकि यह दृष्टिकोण, अनौपचारिक कर्मचारियों की आजीविका की रक्षा सुनिश्चित कर सकती है। साथ ही सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को शामिल कर सबको सामान अवसर प्रदान कर सकती है, ताकि कोई पीछे छूटे। इसके लिए आवश्यक है:
    • समावेशी नीति ढांचे: ऐसी नीतियां विकसित करना जो अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं के योगदान को मान्यता दें और उन्हें शामिल करे।
    • आर्थिक समर्थन तंत्र: अनौपचारिक कर्मचारियों को औपचारिक क्षेत्र में एकीकृत करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करना।
    • पर्यावरणीय न्याय: यह सुनिश्चित करना कि पर्यावरणीय नीतियां कमजोर समुदायों और श्रमिकों को असमान रूप से प्रभावित करे।

निष्कर्ष:

  • वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण की व्यापक चुनौती का समाधान करने हेतु वैश्विक प्लास्टिक संधि एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है। यद्यपि, अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए, इस संधि को अपने ढांचे में अनौपचारिक कचरा और पुनर्प्राप्ति क्षेत्र (आईडब्ल्यूआरएस) को एकीकृत करना आवश्यक है। इन श्रमिकों के योगदान को मान्यता देना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनके दृष्टिकोण को शामिल करना एक न्यायसंगत बदलाव की दिशा में सराहनीय प्रयास हैं। वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधि के रूप में भारत की भूमिका संधि में अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं को शामिल करने की वकालत करने में निर्णायक है। समावेशी और न्यायसंगत नीतियों के माध्यम से नेतृत्व प्रदान करके, भारत अन्य देशों के लिए एक आदर्श स्थापित कर सकता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. वैश्विक प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में अनौपचारिक कचरा और पुनर्प्राप्ति क्षेत्र की भूमिका की चर्चा करें। वैश्विक प्लास्टिक संधि इन श्रमिकों के लिए एक न्यायसंगत बदलाव का समर्थन कैसे कर सकती है ? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. एक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक प्लास्टिक संधि को आकार देने में भारत के संभावित योगदान का मूल्यांकन करें। भारत अपने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नीतियों के अंतर्गत अनौपचारिक कचरा संग्रहकर्ताओं को एकीकृत और समर्थन करने के लिए क्या प्रयास कर सकता है ? (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत: The Hindu

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