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Daily-current-affairs / 11 Jan 2024

वैश्विक गेमिंग परिदृश्य: विकास, जोखिम और नियामक चुनौतियां

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संदर्भ:

वर्ष 1972 में प्रतिष्ठित ऑनलाइन गेमपोंगकी शुरुआत से लेकर से वर्ष 2023 केहॉगवर्ट्स लिगेसीके आधुनिक चमत्कार तक; गेमिंग उद्योग के विकास ने तकनीकी उदय के साथ ही नाटकीय परिवर्तन का भी अनुभव किया है। COVID-19 महामारी के दौरान भारत ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए तेजी से बढ़ता हुआ बाजार बन गया है। वर्ष 2019 और वर्ष 2021 के दौरान इस उद्योग में 26 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। क्लाउड और मोबाइल प्लेटफॉर्म द्वारा संचालित इस क्रांति ने भारत को 2021-22 में 507 मिलियन मोबाइल गेमर्स के साथ शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है|

मुद्दे की गंभीरता:

     एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 में, वैश्विक स्तर पर सक्रिय वीडियो गेम खिलाड़ियों की संख्या लगभग 3.09 बिलियन थी, जो वर्ष 2024 तक 3.32 बिलियन तक पहुंच सकती है। वर्ष 2022 में इस उद्योग की बाजार कीमत 227 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक थी। वर्तमान में यह अमेरिकी फिल्म और संगीत उद्योग के संयुक्त राजस्व से भी अधिक वृद्धि दर्शाता है। यद्यपि इस उद्योग के बाजार कीमत का लगभग आधा हिस्सा मोबाइल गेमिंग पर निर्भर है, जिसने ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है, खासकर भारत में।

साइबर सुरक्षा खतरा: गेमिंग उद्योग की समृद्धि में बाधा

     ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की वैश्विक समृद्धि के बावजूद, इस क्षेत्र में साइबर सुरक्षा से जुड़े जोखिम सर्वव्यापी हो गए हैं। डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (डीडीओएस) हमलों से लेकर फ़िशिंग आदि सभी क्षेत्रों में, गेमिंग क्षेत्र को साइबर खतरों, उपयोगकर्ता की गोपनीयता सहित अन्य खुफिया जानकारी के सार्वजनिक होने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

उदहारण:

वर्ष 2023 में मिनीक्राफ्ट-थीम वाले डिसॉर्ड सर्वर पर संवेदनशील अमेरिकी रक्षा दस्तावेजों का सार्वजनिक (लीक) होना।

ऑनलाइन गेमिंग में साइबर खतरे: प्रकार और उदाहरण

     DDoS हमले: वेब एप्लीकेशन पर होने वाले सामान्य हमलों का एक प्रचलित रूप, DDoS हमला है। इसमें, हमलावर वेब सर्वर को अधिकाधिक नकली ट्रैफिक भेजकर सर्वर पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं, जिससे वैध उपयोगकर्ताओं की सेवा बाधित हो जाती है। इस तरह के हमलों का उद्देश्य अक्सर प्रतिस्पर्धा में स्वयं को आगे बनाकर रखना होता है, जिसमें विरोधियों के सिस्टम को धीमा और खेलने योग्य नहीं बनाना भी शामिल होता है।

     फ़िशिंग हमले और व्यक्तिगत गोपनीयता का भंग होना: फ़िशिंग, एक सामान्य सोशल इंजीनियरिंग हमला है, यह संवेदनशील जानकारी प्रकट करने के साथ-साथ ऑनलाइन गेम खेलने वाले व्यक्तियों को धोखा देता है। इस प्रकार व्यक्तिगत जानकारी के लीक होने के गंभीर दुष्परिणाम सामने सकते हैं, जिससे व्यक्तिगत पहचान की चोरी, खाता अधिग्रहण और अन्य कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

     मैलवेयर: यह एक दुर्भावनायुक्त सॉफ़्टवेयर है, जो उन उपयोगकर्ताओं के लिए एक खतरा है जो मुफ्त या रियायती ऑनलाइन गेम ढूंढ रहे हैं। हालांकि इसमें वैध गेम भी संक्रमित हो सकते हैं, जिससे खिलाड़ियों को विभिन्न जोखिमों जैसे एडवेयर, स्पाइवेयर, रैंसमवेयर और वायरस के संपर्क में आने का खतरा होता है।

     डिस्कॉर्ड पर वर्गीकृत अमेरिकी रक्षा दस्तावेज़ का लीक होना: एक हालिया उदहारण में, वीडियो गेम माइनक्राफ्ट से संबंधित डिस्कॉर्ड सर्वर पर अमेरिकी रक्षा दस्तावेज़ सार्वजनिक हो गए। इस प्रकरण ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म और संवेदनशील सूचना गोपनीयता के अंतर्संबंध को रेखांकित किया है।

     ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर साइबर हमले: ऑनलाइन गेमिंग के अन्य उल्लेखनीय प्रकरणों में रॉकस्टार गेम्स की हैकिंग जैसी घटना शामिल है। इस घटना के कारण ग्रैंड थेफ्ट ऑटो 6 फुटेज सार्वजनिक हो गया और रिओट गेम्स को ऑनलाइन सोशल इंजीनियरिंग हमले का सामना करना पड़ा। एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल इंजीनियरिंग हमलों में वृद्धि गेमिंग कंपनी की सुरक्षा में कमजोरियों को उजागर करती है।

     गेमिंग में वर्चुअल या इन-गेम मुद्रा और मनी लॉन्ड्रिंग: ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में वर्चुअल या इन-गेम मुद्रा और मनी लॉन्ड्रिंग के उद्भव ने कई विवादों को जन्म दिया है। हालांकि कुछ देशों में इन पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। तथापि, वीडियो गेम आज भी धन शोधन के लिए एक आकर्षक क्षेत्र बन गया है। अतः गेम डेवलपर्स, नियामकों और गेमर्स के समन्वित प्रयासों के माध्यम से, एक नैतिक और जिम्मेदार गेमिंग वातावरण के निर्माण की आवश्यकता है।

वैश्विक नियामक परिदृश्य:

     वर्तमान वैश्विक गेमिंग उद्योग प्रचलित साइबर खतरों को अनदेखी करते हुए मुख्य रूप से जुए की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करते हैं। इस संदर्भ में यूरोपीय संघ, यूरोपीय गेमिंग और सट्टेबाजी एसोसिएशन (ईजीबीए) उद्योग मानकों का पालन सुनिश्चित करते हुए ऑनलाइन गेमिंग की देखरेख करता है। यूके का 2005 जुआ अधिनियम(Gambling Act) मुख्य रूप से ऑनलाइन जुए की गतिविधि को संबोधित करता है, जबकि अमेरिका; फेडरल वायर अधिनियम और गैरकानूनी इंटरनेट जुआ प्रवर्तन अधिनियम पर निर्भर करता है।

     भारत ने इन उपर्युक्त बढ़ती चिंताओं के प्रत्युत्तर में, ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए वर्ष 2023 में एक नए नियम लागू किए। हालाँकि, यह मौजूदा ढांचा माइक्रोट्रांसएक्शन और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग जैसे प्रचलित मुद्दों को संबोधित करने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है। इसीलिए उभरते प्रौद्योगिकियों (वर्चुअल रियलिटी और ब्लॉकचेन आदि) को अपने विनियमन ढांचे में लगातार अपडेट करने की आवश्यकता है।

भारत की ऑनलाइन गेमिंग नीति: आलोचना और सिफारिशें

     हालाँकि भारत के नए नियमों को एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है तथापि भारत के नए नियम ऑनलाइन गेमिंग से उत्पन्न चुनौतियों का व्यापक रूप से समाधान करने में विफल रहे हैं। वर्चुअल की अपेक्षा वास्तविक धन वाले खेलों पर ध्यान केंद्रित करने से माइक्रोट्रांजेक्शन छूट जाते हैं, जिससे शोषण की संभावना बनी रहती है। अतः इस नीति में मनी लॉन्ड्रिंग के मुद्दों के साथ-साथ गेमिंग मंचों और अनुप्रयोगों पर नियंत्रण संबंधित प्रावधानों का अभाव तत्काल ध्यान देने की मांग करते हैं।

सिफारिश:

     मौजूदा कानूनों में माइक्रोट्रांजैक्शन आदि को शामिल करना: भारत को माइक्रोट्रांजैक्शन और लूट बॉक्स आदि को शामिल करने के लिए अपने गेमिंग कानूनों को विस्तारित करना चाहिए। इसके लिए संभावित रूप से कम उम्र के लोगों की पहुंच को प्रतिबंधित करने के लिए नियामक प्रणाली को अपनाना चाहिए।

     नियामक एजेंसियों को सशक्त बनाना: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को उपभोक्ता हितों की रक्षा और गेम डेवलपर्स द्वारा हैकिंग प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए ऑनलाइन गेमिंग की जांच करनी चाहिए।

     आभासी मुद्राओं के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना: गेमिंग उद्योग में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने, वित्तीय-लेनदेन की निगरानी करने के लिए एक उदारीकृत प्रेषण योजना में आभासी मुद्रा निवेश को शामिल किया जाना चाहिए।

     एप्लिकेशन को विनियमित कर सुरक्षित गेमिंग को बढ़ावा देना: कंटेंट मॉडरेशन और साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिस्कॉर्ड जैसे प्लेटफार्मों को विनियमित करने पर ध्यान देना चाहिए। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) जैसे उपकरणों के उपयोग पर जोर देते हुए, उपयोगकर्ताओं के मध्य शिक्षा के माध्यम से सुरक्षित गेमिंग प्रथाओं को बढ़ावा देदिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

     उभरता हुआ ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य, अपनी व्यापक क्षमता के बावजूद, बढ़ती गैर कानूनी गतिविधियों और सामाजिक खतरों का सामना कर रहा है। सरकारों और नीति निर्माताओं को इस उद्योग के विकास को सुनिश्चित करने के लिए संतुलन बनाना आवश्यक है। हालांकि भारत को अपने गेमिंग बाजार में महत्वपूर्ण वृद्धि की उम्मीद है, अतः इस गेमिंग नीति के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अनिवार्य हो जाता है। नियामक कमियों को दूर करके, व्यापक उपायों को शामिल करके और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर, भारत एक सुरक्षित और संपन्न ऑनलाइन गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. वैश्विक गेमिंग उद्योग के विकास और आर्थिक प्रभाव की व्याख्या करें। प्रचलित साइबर सुरक्षा खतरों पर चर्चा करें और ऑनलाइन गेमिंग में बढ़ी हुई साइबर सुरक्षा के लिए नियामक उपायों को सुझाएँ। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. मोबाइल गेमिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में गेमिंग उद्योग के आर्थिक प्रभाव का आकलन करें। भारतीय गेमिंग क्षेत्र में साइबर सुरक्षा चुनौतियों का विश्लेषण करें और माइक्रोट्रांजेक्शन और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दों पर जोर देते हुए 2023 ऑनलाइन गेमिंग नीति में सुधार का सुझाव दें। (15 अंक, 250 शब्द)

 

स्रोत:– Indian Express