संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण करने वाली सभी केंद्र सरकार की योजनाओं में फोर्टिफाइड (पोषण युक्त) चावल की सार्वभौमिक आपूर्ति को विस्तार देने का निर्णय लिया है।
कुपोषण की चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत संचालित सभी केंद्रीय योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को दिसंबर 2028 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। देश की लगभग दो-तिहाई आबादी के प्रमुख आहार, चावल को फोर्टिफाइड करने की यह पहल पोषण संबंधी कमियों को दूर करने और जनस्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से की गई है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने इस पहल की घोषणा करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित कर रही हैं। कैबिनेट का यह निर्णय चावल फोर्टिफिकेशन की चरणबद्ध कार्यान्वयन योजना के सफल समापन के पश्चात लिया गया है, जिसे अप्रैल 2022 में शुरू किया गया था। यह पहल देश की आबादी की पोषण स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और कुपोषण से निपटने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
चावल फोर्टिफिकेशन:
चावल के फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य चावल में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की वृद्धि से है, जिससे इसकी पोषण गुणवत्ता में वृद्धि हो और सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ हो।
· भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इसे 'खाद्य पदार्थ के पोषण प्रोफाइल को बेहतर बनाने की एक विधि' के रूप में परिभाषित किया है, जिससे स्वास्थ्य को न्यूनतम खतरा होता है।
· भारत में कुपोषण की दर चिंताजनक रूप से अधिक है—जहां हर दूसरी महिला एनीमिया से ग्रस्त है और हर तीसरे बच्चे में पोषण की कमी है। ऐसे में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी वाले आहार की पूर्ति के लिए फोर्टिफिकेशन को एक व्यवहार्य रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
चावल को फोर्टीफाई करने की आवश्यकता:
· 2019 और 2021 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, एनीमिया विभिन्न आयु समूहों और आय स्तरों में व्यापक रूप से फैला हुआ है, जोकि समग्र स्वास्थ्य और उत्पादकता को प्रभावित कर रहा है।
o लौह, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी विशेष रूप से प्रचलित है, जिससे देश में स्वास्थ्य समस्याएं अधिक गंभीर हो गई हैं।
o भारत में प्रति व्यक्ति चावल की औसत खपत 6.8 किलोग्राम प्रति माह है, चावल का फोर्टिफिकेशन करना पोषण सेवन को बढ़ाने के लिए एक सुलभ साधन प्रदान करता है, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए।
फोर्टिफाइड चावल के लिए पोषण मानक:
फोर्टिफाइड चावल में विशिष्ट सूक्ष्म पोषक तत्व होने चाहिए, जैसा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों में बताया गया है। एक किलोग्राम फोर्टिफाइड चावल में निम्नलिखित तत्व होने चाहिए:
- आयरन: 28 मिग्रा - 42.5 मिग्रा
- फोलिक एसिड: 75 - 125 माइक्रोग्राम
- विटामिन बी12: 0.75 - 1.25 माइक्रोग्राम
इसके अतिरिक्त फोर्टिफिकेशन की मात्रा बढ़ाने हेतु जिंक, विटामिन ए और विभिन्न अन्य विटामिन शामिल किए जा सकते हैं, जिससे एक व्यापक पोषण प्रोफ़ाइल सुनिश्चित हो सके।
फोर्टिफिकेशन प्रक्रिया:
फोर्टिफिकेशन प्रौद्योगिकियों में कोटिंग, डस्टिंग, और एक्सट्रूज़न शामिल हैं।
फोर्टिफाइड चावल कर्नेल (FRK) के उत्पादन के लिए एक्सट्रूज़न सबसे प्रभावी विधि है और इसे भारत के लिए सर्वोत्तम तकनीक माना जाता है।
एक्सट्रूज़न तकनीक कैसे काम करती है:
1. मिश्रण सामग्री : सूखे चावल के आटे को सूक्ष्म पोषक तत्वों और पानी के मिश्रण के साथ मिलाया जाता है।
2. एक्सट्रूज़न : मिश्रण को एक ट्विन-स्क्रू एक्सट्रूडर के माध्यम से संसाधित किया जाता है, जो पारंपरिक चावल के समान दिखने वाले दानों को बनाने के लिए ताप का उपयोग करता है।
3. सुखाना और पैकेजिंग : दानों को सुखाया जाता है, ठंडा किया जाता है और वितरण के लिए पैक किया जाता है। फोर्टिफाइड चावल के दानों की शेल्फ लाइफ कम से कम 12 महीने होती है।
4. मिश्रण (ब्लेंडिंग) : उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 10 ग्राम एफआरके(फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) को एक किलोग्राम नियमित चावल के साथ मिश्रित किया जाना चाहिए।
फोर्टिफाइड चावल के लाभ:
1. कुपोषण में कमी : फोर्टिफाइड चावल का उद्देश्य कुपोषण की दर को काफी कम करना है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों में, जोकि कुपोषण से असमान रूप से प्रभावित होते हैं।
2. उपयोग में आसानी : चावल, एक व्यापक रूप से उपभोग किया जाने वाला मुख्य खाद्य पदार्थ, के स्थान पर फोर्टिफाइड चावल का उपयोग करना आहार को सुधारने का एक सरल और प्रभावी उपाय है।
3. आकर्षक विकल्प : फोर्टिफाइड चावल में गैर-फोर्टिफाइड चावल के समान ही रूप, स्वाद और खाना पकाने के गुण होते हैं, जिससे यह पोषण संबंधी अज्ञानता वाले उपभोक्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
4. लागत प्रभावशीलता : चावल के फोर्टिफिकेशन से जुड़ी लागत, इसके व्यापक स्वास्थ्य लाभों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है, जिससे यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य समाधान बन जाता है।
फोर्टिफिकेशन पहल का कार्यान्वयन:
चावल को सुदृढ़ करने की पहल की शुरुआत से ही इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है-
चरणबद्ध कार्यान्वयन :
1. चरण 1 (मार्च 2022 तक पूरा हुआ): एकीकृत बाल विकास सेवाओं और पीएम पोषण कार्यक्रमों को लक्षित किया गया।
2. चरण 2 (मार्च 2023 तक पूरा हुआ): 27 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति का विस्तार किया गया।
3. चरण 3 (मार्च 2024 तक पूरा हुआ): फोर्टिफाइड चावल की सार्वभौमिक कवरेज हासिल की गई।
निवेश और क्षमता: चावल को फोर्टीफाई करने की लागत लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है, जो भारत के कुल खाद्य सब्सिडी बिल का 2% से भी कम है।
- वर्तमान में लगभग 925 निर्माता फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन में लगे हुए हैं, जिनकी सामूहिक क्षमता 111 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) प्रति वर्ष है।
- 2,700 चावल मिलों ने ब्लेंडिंग इकाइयां स्थापित की हैं, जिनकी कुल ब्लेंडिंग क्षमता 13.67 लाख टन है।
उत्पादन और वितरण:
सरकार ने फोर्टिफाइड चावल के उत्पादन को सुगम बनाया है, जिससे इसकी मात्रा दो वर्षों में 7,250 टन से बढ़कर 60,000 टन हो गई है।
- फोर्टिफाइड चावल का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से किया जाता है, जिससे लाखों लोगों को लाभ मिलता है। भारत में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए सरकार ने लगभग 11,000 करोड़ का निवेश किया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के बारे में:
· 5 जुलाई, 2013 को लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत में खाद्य सुरक्षा को अधिकार के रूप में स्थापित करता है। यह ग्रामीण क्षेत्र की 75% और शहरी क्षेत्र की 50% आबादी को सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है, जिससे कुल आबादी का दो-तिहाई हिस्सा लाभान्वित होता है।
· यह अधिनियम लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सशक्त बनाता है, पोषण गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है, महिलाओं को सशक्त करता है और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करते हुए जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
· NFSA का उद्देश्य भूख और कुपोषण को समाप्त करना तथा भोजन को मौलिक मानव अधिकार के रूप में बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष:
चावल को पोषण युक्त बनाने की पहल भारत में कुपोषण समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। देश अपने मुख्य खाद्य पदार्थों की पोषण गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है और इस संदर्भ में चावल को आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध करना लाखों लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करता है। इसके लिए निरंतर निवेश, सामुदायिक भागीदारी और पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने की प्रतिबद्धता आवश्यक है, ताकि इस पहल की सफलता सुनिश्चित की जा सके और एक स्वस्थ आबादी का निर्माण हो सके।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
· भारत में कुपोषण से निपटने में खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड बनाने के महत्व पर चर्चा करें। चावल को फोर्टिफाइड बनाने की पहल देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है? · चावल के पोषण-सम्बन्धी संभावित स्वास्थ्य लाभों और चुनौतियों पर चर्चा करें। सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता कार्यक्रम किस तरह से इस पहल की सफलता को बढ़ा सकते हैं? |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस