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Daily-current-affairs / 08 Jun 2024

भविष्य के लिए खाद्य सुरक्षा : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024 खाद्य सुरक्षा घटनाओं के प्रबंधन में तत्परता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। खाद्य सुरक्षा संबंधी ये घटनाएं कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती हैं और इसके लिए दुर्घटना, अपर्याप्त नियंत्रण, खाद्य धोखाधड़ी और प्राकृतिक घटनाओं जैसे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना नीति निर्माताओं, अधिकारियों, किसानों, खाद्य व्यवसाय संचालकों और उपभोक्ताओं की साझी जिम्मेदारी होती है।

खाद्य सुरक्षा की अनदेखी महत्वता:

खाद्य सुरक्षा, संरक्षा, स्थिरता, और पोषण गहराई से जुड़ी होती हैं, इसके बावजूद अक्सर खाद्य सुरक्षा की अनदेखी की जाती है। उच्च खाद्य सुरक्षा वाले देशों में भी, कभी-कभी संसाधनों का अनुचित वितरण किया जाता है, जिससे निर्यातित उत्पादों की सुरक्षा तो सुनिश्चित होती है, लेकिन घरेलू खाद्य सुरक्षा कमजोर हो जाती है। कमजोर और खाद्य असुरक्षित जनसंख्या विशेष रूप से प्रभावित होती है तथा यह वर्ग डायरिया और कैंसरजनक अफ्लाटॉक्सिन जैसे  तीव्र और पुराने स्वास्थ्य जोखिमों का सामना कर सकता है। ये मुद्दे स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाते हैं और आय खोने तथा बाजार पहुंच जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक लागतों में भी वृद्धि करते हैं।

विकसित होता वैश्विक संदर्भ:

खाद्य मांग और नई खाद्य उत्पादन तकनीकों के बढ़ने के साथ, राष्ट्रीय खाद्य नियंत्रण प्रणालियों और खाद्य श्रृंखला में निवारक उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है। भूख और गरीबी को समाप्त करना, स्वच्छ जल तक पहुंच, सतत भूमि उपयोग, खाद्य वस्तुओं का उत्पादन और उपभोग, जलवायु परिवर्तन को कम करना, और भूमि एवं जल पर सतत जीवन सुनिश्चित करने जैसे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को खाद्य सुरक्षा के साथ समझौता किए बिना प्राप्त करने के लिए नवीन समाधानों की आवश्यकता है। इस लेख में 'नरिशनेट'(NourishNet) पर चर्चा की गई है, यह एक समेकित ढांचा है जो आधुनिक खाद्य प्रणालियों के भीतर खाद्य सुरक्षा उपायों को मजबूती को बढ़ावा देता है, जिसमें खाद्य सुरक्षा और स्थिरता भी समाहित है।

खाद्य सुरक्षा, संरक्षा और स्थिरता को जोड़ने वाली वैश्विक चुनौतियां:

  • खाद्य मांग में वृद्धि : विकासशील देशों में क्रय शक्ति बढ़ने और जीवन स्तर में सुधार होने से मांस, डेयरी और विशेष खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है। विकसित देशों में उपभोक्ता जैविक, निष्पक्ष व्यापार और स्थानीय उत्पादों की ओर बढ़ रहे हैं। हाल के समय में, पौध आधारित(Plant-based) विकल्प भी लोकप्रिय हो गए हैं।
  • पर्यावरणीय दबाव: बढ़ती खाद्य मांग से खाद्य सुरक्षा और स्थिर खाद्य उत्पादन को चुनौती मिली है, इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों पर महत्वपूर्ण दबाव पड़ा है। इन चुनौतियों में मिट्टी कटाव, जैव विविधता की हानि और पर्यावरण प्रदूषण शामिल हैं। इसके अलावा, आपदाएं और महामारियाँ खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण खतरे हैं। प्राकृतिक आपदाओं जैसे आग और बाढ़ के बाद, रोगजनक, रसायन, और भारी धातुएं हवा, पानी, और उन वातावरणों में प्रवेश कर सकती हैं जहां खाद्य उत्पादन होता है।
  • पारसीमांत रोग: व्यापार और पर्यटन के अधिक वैश्वीकरण के साथ, पारसीमांत रोगों, जो अत्यधिक संक्रामक हैं और व्यापक रूप से पशु मृत्यु और बीमारी का कारण बनते हैं, से संबंधित चिंताएं बढ़ गई हैं। इन प्रकोपों से खाद्य की लागत और उपलब्धता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से विनाशकारी होते हैं। इसके अलावा, इनमें से कुछ रोग ज़ूनोटिक हो सकते हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।

भविष्य के लिए एक समेकित खाद्य सुरक्षा ढांचा:

  • वन हेल्थ अवधारणा: सारा गार्सिया और उनके सहयोगियों ने 2020 में 'वन हेल्थ' अवधारणा प्रस्तुत की थी, जो मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य, कल्याण और स्थिरता में समन्वित सुधार से संबंधित है। वन हेल्थ अवधारणा मानव, पशु और पर्यावरण के लिए स्वास्थ्य को संतुलित और अनुकूलित करने का प्रयास करती है। यह वैश्विक स्वास्थ्य खतरों जैसे कि COVID-19 को रोकने, भविष्यवाणी करने, पता लगाने और जवाब देने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  • बहुविषयक सहयोग: किसी भी वन हेल्थ कार्यक्रम की तरह, गार्सिया और उनके सहयोगियों का कहना है कि एक बहुविषयक टीम को मिलकर काम करना चाहिए ताकि मानव, पशु और पर्यावरण का स्वास्थ्य और कल्याण बेहतर हो सके। सतत कृषि प्रथाओं को लागू करने के लिए शैक्षणिक, सरकारी, सार्वजनिक और निजी संस्थानों के विशेषज्ञों को एक साथ कार्य करना चाहिए जिससे सार्वजनिक जागरूकता, नीतियों और प्रथाओं में सार्थक परिवर्तन लाया जा सके।
  • नरिशनेट ढांचा: वन हेल्थ के अनुसरण में, नरिशनेट सतत और सुरक्षित खाद्य प्रणालियों को बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह ढांचा स्वास्थ्य खतरों से परे खाद्य से संबंधित मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला को समाहित करता है, जिसमें खाद्य उत्पादन, वितरण, उपभोग, और अपशिष्ट प्रबंधन शामिल हैं। इसका उद्देश्य बढ़ती खाद्य मांग, बदलते कृषि प्रणालियों और तकनीकी प्रगति से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करना है।

नरिशनेट के चार स्तंभ:

  • रोकथाम: संपूर्ण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में संदूषण और खाद्य जनित बीमारियों को रोकने के लिए कड़े स्वच्छता अभ्यास, नियमित निरीक्षण और सुरक्षा नियमों का पालन किया जाना चाहिए। किसानों, हैंडलरों और ऑपरेटरों को सर्वोत्तम प्रथाओं और उभरते जोखिमों के विषय में शिक्षित और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। ब्लॉकचेन, एआई, और आईओटी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके ट्रैकिंग, प्रारंभिक जोखिम पहचान और समय पर हस्तक्षेप किया जाना चाहिए।
  • संरक्षण: खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में संभावित खतरों की पहचान और समाधान के लिए नियमित जोखिम आकलन होना चाहिए। आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों की स्थापना की जाए, जिनमें चेतावनी नेटवर्क और संकट संचार योजनाएं शामिल हों। उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य हैंडलिंग प्रथाओं के बारे में शिक्षित किया जाए ताकि समग्र खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।
  • भागीदारी: व्यापक खाद्य सुरक्षा रणनीतियों के विकास के लिए सरकारों, संगठनों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाए स्थानीय समुदायों को खाद्य सुरक्षा पहलों में शामिल किया जाना चाहिए ताकि जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके। खाद्य सुरक्षा प्रथाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए जिससे विश्वास और अनुपालन बनाए रखा जा सके।
  • नीति: वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों का समन्वय किया जाना चाहिए। संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण की सुरक्षा और अपशिष्ट को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा को स्थिरता प्रयासों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है। उभरती चुनौतियों को संबोधित करने में प्रभावशीलता और अनुकूलता बनाए रखने के लिए खाद्य सुरक्षा नीतियों की निरंतर निगरानी और मूल्यांकन होना चाहिए।

निष्कर्ष:

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024 खाद्य सुरक्षा घटनाओं के प्रबंधन में तत्परता की आवश्यकता पर जोर देता है, यह समेकित ढांचों जैसे कि नरिशनेट की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। रोकथाम, संरक्षण, भागीदारी और नीति को शामिल करके, नरिशनेट खाद्य सुरक्षा, संरक्षा और स्थिरता की आपस में जुड़ी चुनौतियों का समाधान करता है। यह समग्र दृष्टिकोण कड़े मानकों, निरंतर शिक्षा, उन्नत तकनीकों, मजबूत आपातकालीन प्रणालियों, सामुदायिक सहभागिता, हितधारकों के सहयोग, पारदर्शी प्रथाओं और स्थिर नीतियों को सुनिश्चित करता है। इस प्रकार, नरिशनेट एक लचीली खाद्य प्रणाली बनाने का प्रयास करता है जो बढ़ती वैश्विक खाद्य मांगों को पूरा करने में सक्षम हो, जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा भी करता हो, अंततः यह सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति का समर्थन करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1.  नरिशनेट ढांचा वन हेल्थ अवधारणा को खाद्य सुरक्षा, संरक्षा और स्थिरता की आपस में जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए कैसे एकीकृत करता है, और इसके चार स्तंभों के प्रमुख घटक क्या हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. लेख में उल्लिखित वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करें जो खाद्य सुरक्षा, और स्थिरता को जोड़ते हैं, और समझाएं कि बढ़ती खाद्य मांग और पर्यावरणीय दबाव इन चुनौतियों में कैसे योगदान देते हैं। (15 अंक, 250 शब्द)

 स्रोत: ORF

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