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Daily-current-affairs / 11 Feb 2022

वित्तीय साक्षरता - समसामयिकी लेख

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की-वर्ड्स: आरबीआई , गो डिजिटल (Go Digital), गो सिक्योर (Go Secure), वैश्विक वित्तीय साक्षरता उत्कृष्टता, वित्तीय रूप से साक्षर, वित्तीय शिक्षा रिपोर्ट 2020-2025 के लिए राष्ट्रीय रणनीति, परियोजना वित्तीय साक्षरता, वित्तीय साक्षरता सप्ताह

खबर में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने, वित्तीय साक्षरता सप्ताह के लिए इस वर्ष के विषय के रूप में "Go Digital, Go Secure" का चयन किया है।

संदर्भ:

ग्लोबल फाइनेंशियल लिटरेसी एक्सीलेंस सेंटर(GFLE) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वयस्क आबादी का केवल 24% वित्तीय रूप से साक्षर है। अन्य प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में, भारत की वित्तीय साक्षरता दर सबसे कम है। यह अंतर-राज्यीय असमानताओं, औपचारिक प्रशिक्षण की कमी और जागरूकता की कमी के कारण है। जबकि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बेहतर वित्तीय साक्षरता दर है। रिपोर्ट के अनुसार फिर भी यहाँ पर अधिक सुधार की सम्भावना दिखती है।

भारत में वित्तीय साक्षरता का राज्य और संघ राज्य क्षेत्रवार स्तर एक प्रमुख चिंता का विषय है। महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे महानगरीय क्षेत्रों में क्रमशः 17%, 32%, और 21% की वित्तीय साक्षरता दर है। बिहार, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां गरीबी अधिक है, वहां साक्षरता दर कम है। आंकड़े अंतर-राज्यीय असमानताओं को प्रदर्शित करते हैं। गोवा में 50% की उच्चतम वित्तीय साक्षरता दर है, जबकि छत्तीसगढ़ में वित्तीय शिक्षा की भारी कमी है यहाँ पर वित्तीय साक्षरता दर 4% की (सबसे कम) है।

वित्तीय साक्षरता व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन, बजट और निवेश सहित विभिन्न वित्तीय कौशल को समझने और प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता है। साथ ही यह व्यक्ति तथा उसके धन के मध्य स्थापित सम्बन्ध के प्रबंधन के कौशल के रूप में देखा जाता है। वित्तीय साक्षरता, सीखने की एक आजीवन यात्रा है।

भारत में वित्तीय साक्षरता क्यों महत्वपूर्ण है?

  • एक मजबूत वित्तीय शिक्षा के साथ, लोग प्रभावी ढंग से अपनी बचत और निवेश का प्रबंधन करते हैं। इससे सक्रिय बचत व्यवहार को प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि व्यक्ति और विशेषकर युवा अपनी आय का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं हैं। उनके खपत और बचत के बीच असंतुलन रहता है। बचत और निवेश अभी भी एक बड़ी आबादी के लिए विदेशी अवधारणाएं हैं।
  • क्रेडिट अनुशासन विकसित करना और आवश्यकता के अनुसार औपचारिक वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने को प्रोत्साहन मिलेगा । "ग्रामीण भारत में अनौपचारिक ऋण की दृढ़ता" (Informal Credit in Rural India,”) शीर्षक वाली भारतीय रिजर्व बैंक वर्किंग पेपर सीरीज़ में, 42.9% आबादी कमीशन एजेंटों और साहूकारों जैसे अनौपचारिक स्रोतों से पैसे उधार लेती है। ये गैर-संस्थागत स्रोत उच्च ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं। कंपनियां अपने वित्त का प्रबंधन करने में असमर्थ हैं, इसलिए, ऋण जाल में फस जाती हैं। एक मजबूत वित्तीय शिक्षा के साथ, छोटी कंपनियां और मालिक सचेत(जागरूक) निर्णय लेने और उनके लिए उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठाने में सक्षम होंगे।
  • वित्तीय साक्षरता की जागरूकता के द्वारा व्यक्तियों में प्रासंगिक और उपयुक्त बीमा कवर लेने की उपयोगिता बढती है जिसके माध्यम से जीवन के विभिन्न चरणों में आपात जोखिम का प्रबंधन सरल हो जाता है ।

मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरीय क्षेत्रों में, व्यक्ति अपने खर्चो को आवंटित करने में असमर्थ हैं। द हिंदू द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, जबकि अचल परिसंपत्तियों में निवेश तेजी से बढ़ रहा है, जीवन और स्वास्थ्य बीमा के मामले में वित्तीय नियोजन की एक बड़ी कमी रही है। ज्यादातर लोग निवेश पर इसका उपयोग करने के बजाय अपने घर पर नकदी के ढेर जमा करते हैं। इस तरह के फैसले वित्तीय नियोजन की कमी का प्रमाण हैं। इस प्रकार, संचित धन का मूल्य कभी नहीं बढ़ता है। वित्तीय शिक्षा के साथ, लोग अपने वित्त को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करेंगे।

  • वित्तीय शिक्षा के माध्यम से आबादी के विभिन्न वर्गों के बीच वित्तीय साक्षरता अवधारणाओं को विकस होगा, ताकि इसे एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल बनाया जा सके।
  • वित्तीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजारों में भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • एक सुरक्षित और सुरक्षित तरीके से डिजिटल वित्तीय सेवाओं के उपयोग में सुधार होगा।
  • भारत वित्तीय स्तर पर विकसित हो रहा है और अपने आधार का विस्तार कर रहा है, इस समय लोगों में एक अच्छी वित्तीय शिक्षा, बदले में उच्च कमाई लाभ प्राप्त करने के लिए एक संपत्ति बन जाएगी।

वित्तीय साक्षरता की दिशा में हाल ही में किये गये पहल

वित्तीय शिक्षा रिपोर्ट के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2020-2025 : भारतीय रिजर्व बैंक ने "वित्तीय शिक्षा रिपोर्ट 2020-2025 के लिए राष्ट्रीय रणनीति" शीर्षक से एक दस्तावेज जारी किया है। मुख्य रणनीति में देश में वित्तीय शिक्षा बढ़ाने के लिए "5 सी" दृष्टिकोण शामिल किया गया है। यह दृष्टिकोण सामग्री, क्षमता, समुदाय, संचार और सहयोग(Content, Capacity, Community, Communication and Collaboration) पर केंद्रित है। रिपोर्ट में भारतीयों को वित्तीय रूप से जागरूक और सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वित्तीय समावेशन और वित्तीय साक्षरता का तकनीकी समूह (टीजीएफआईएफएल) और वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए समन्वय में काम करते हैं। ये नीतियां भारत को आर्थिक रूप से साक्षर देश बनाने के लिए दिशा प्रदान करेंगी ।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने " वित्तीय साक्षरता योजना" नामक एक परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज के छात्रों, महिलाओं, ग्रामीण और शहरी गरीबों, रक्षा कर्मियों और वरिष्ठ नागरिकों सहित विभिन्न लक्षित समूहों में केंद्रीय बैंक और सामान्य बैंकिंग अवधारणाओं के बारे में जानकारी का प्रसार करना है।

2012 में, FSDC (वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद) ने बुनियादी सवालों के बारे में जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए वित्तीय शिक्षा पर एक राष्ट्रीय रणनीति (NSFE) तैयार की थी जैसे – किसी को निवेश क्यों करना चाहिए? इसके तहत एफएसडीसी ने वित्तीय साक्षरता को उद्योग हितधारकों जैसे वित्तीय संस्थानों, बैंकों और आरबीआई, सेबी, आईआरडीए और पीएफआरडीए सहित नियामकों की आधिकारिक जिम्मेदारी बनाने का प्रस्ताव किया था।

आगे की राह:

1.3 अरब की आबादी में, वित्तीय शिक्षा की यह जागरूकता लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव डालेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान में, भारतीय स्कूलों में सभी के लिए वित्तीय शिक्षा अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है।

पिछले कई वर्षों में, सरकार ने बदहाल वित्तीय साक्षरता दर में सुधार के लिए कई प्रयास शुरू किये हैं। हालांकि, शुरू किए गए सभी कार्यक्रमों में एक मौलिक समस्या है -नीतियों के कार्यान्वयन की कमी।

सरकार द्वारा वित्तीय शिक्षा पर किये जा रहे खर्च से सरकार को अधिक लाभ मिलेगा। इस के विषय में यह भी कहा जाता है की "वित्तीय साक्षरता प्रभावी मानव पूंजी निर्माण का द्वार है।"

वित्तीय कौशल जीवन स्तर को बढ़ाने और समग्र विकास में योगदान करने में मदद करेगा। अच्छी वित्तीय शिक्षा के साथ मिलकर हमारी श्रम शक्ति हमें कुछ हद तक गरीबी को दूर करने में मदद करेगी। संक्षेप में, एक वित्तीय रूप से स्मार्ट भारत ही दुनिया में एक प्रमुख मजबूत शक्ति बन सकता है ।

वित्तीय साक्षरता सप्ताह

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश भर में एक विशेष विषय पर वित्तीय शिक्षा संदेशों का प्रचार करने के लिए 2016 से हर साल वित्तीय साक्षरता सप्ताह (FLW) आयोजित कर रहा है।

वर्तमान वर्ष में Financial Literacy Week के लिए चयनित विषय "Go Digital, Go Secure" रहा जो 14-18 फरवरी, 2022 के बीच मनाया जाएगा। यह विषय वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2020-2025 के रणनीतिक उद्देश्यों में से एक है।इसके द्वारा निम्नलिखित बिन्दुओ पर जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

(क) डिजिटल लेनदेन की सुविधा के बारे में ;
(ख) डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा;
(ग) ग्राहकों की सुरक्षा।

बैंकों को सलाह दी गई है कि वे सूचना का प्रसार करें और अपने ग्राहकों और आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करें। इसके अलावा, आरबीआई आम जनता को आवश्यक वित्तीय जागरूकता संदेशों का प्रसार करने के लिए फरवरी 2022 महीने के दौरान मास मीडिया अभियान चलाएगा।

स्रोत: Livemint

सामान्य अध्ययन पेपर 3:
  • भारतीय अर्थव्यवस्था, विकास और विकास, समावेशी विकास

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • भारत में एक जीवंत और स्थिर वित्तीय प्रणाली विकसित करने के लिए वित्तीय साक्षरता के महत्व को समझाएं। भारत में वित्तीय साक्षरता में सुधार के उपाय भी बताये।

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