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Daily-current-affairs / 20 Jan 2025

भारत-सिंगापुर रणनीतिक साझेदारी की खोज: सहयोग के प्रमुख क्षेत्र और भविष्य की संभावनाएं

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सन्दर्भ :  हाल ही में भारत और सिंगापुर ने अर्धचालक, औद्योगिक पार्क, कौशल विकास, डिजिटलीकरण और व्यापार विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा की है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम के साथ हुई मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं वर्षगांठ पर एक महत्वपूर्ण विकास है। डॉ. जयशंकर ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस यात्रा से भारत-सिंगापुर रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती मिलेगी।

·        सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम अपनी पांच दिवसीय भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच विश्वास, दोस्ती और आपसी सम्मान पर आधारित लंबे समय से चले रहे संबंधों को और मजबूत होने की उम्मीद है।

भारतसिंगापुर संबध :

ऐतिहासिक संबंध:

·        भारत और सिंगापुर के बीच ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताब्दी की शुरुआत से हैं। 1819 में सर स्टैमफर्ड रैफल्स द्वारा स्थापित सिंगापुर, ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के दौरान भारत के कोलकाता से प्रशासित एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया था। 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता के बाद, भारत सिंगापुर को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसने मजबूत राजनयिक और आर्थिक संबंधों की नींव रखी। ये ऐतिहासिक संबंध आज भी द्विपक्षीय संबंधों को आकार देते हैं।

व्यापार और आर्थिक सहयोग:

  • व्यापारिक संबंध: सिंगापुर आसियान क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 2023-24 में वैश्विक स्तर पर छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। भारत मुख्य रूप से सिंगापुर से इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और रसायन का आयात करता है, जबकि निर्यात में परिष्कृत पेट्रोलियम, रत्न और कपड़ा शामिल हैं।
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI): सिंगापुर भारत के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, सिंगापुर ने भारत में 11.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया। हालांकि, सिंगापुर के कर मुक्त क्षेत्र होने के कारण निवेश के "राउंड-ट्रिपिंग" की चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
  • कर समझौता: 2016 में हस्ताक्षरित प्रत्यक्ष कर परिहार्यता समझौता (DTAA) दोनों देशों के बीच आर्थिक लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ाकर कर चोरी पर अंकुश लगाने में मदद करता है।

रक्षा और सामरिक सहयोग

  • सैन्य अभ्यास: दोनों देश नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं, जिनमें अभ्यास अग्नि वारियर (सेना), अभ्यास सिम्बेक्स (नौसेना) और वायु सेना के लिए संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (जेएमटी) शामिल हैं। ये अभ्यास समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और क्षेत्रीय स्थिरता में सहयोग बढ़ाते हैं।
  • सामरिक समुद्री सहयोग: दक्षिण चीन सागर में सिंगापुर का स्थान और भारतीय महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) में इसकी भूमिका इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा साझेदार बनाती है। दोनों देश समुद्री सुरक्षा बढ़ाने और अपने क्षेत्रीय प्रभाव का विस्तार करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
  • इंडो-पैसिफिक सहयोग: सिंगापुर का इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के प्रति समर्थन, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है।

फिनटेक और डिजिटल कनेक्टिविटी

  • डिजिटल भुगतान: एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रुपे कार्ड और UPI-पेनाउ लिंकेज का एकीकरण है, जिससे सीमा पार भुगतान आसान हो गया है। यह सहयोग भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण का समर्थन करता है और दोनों देशों के बीच वित्तीय संबंधों को मजबूत करता है।
  • पीएम-वाणी योजना: सिंगापुर की डिजिटल तकनीक में विशेषज्ञता ने भारत के 'प्रधानमंत्री वाणी योजना' के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने के प्रयासों को मजबूत किया है। सिंगापुर की तकनीकी विशेषज्ञता इस योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है।

बहुपक्षीय सहयोग :

  • बहुपक्षीय मंचों में सदस्यता: भारत और सिंगापुर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मंचों जैसे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, राष्ट्रमंडल, भारतीय महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) और भारतीय महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। ये मंच वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक विकास और सतत विकास के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन: दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन जैसी वैश्विक पहलों में सक्रिय भागीदार हैं, जोकि नवीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • IPEF के लिए समर्थन: भारत और सिंगापुर दोनों इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचा (IPEF) का समर्थन करते हैं, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाना और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समृद्धि सुनिश्चित करना है।

सिंगापुर में भारतीय समुदाय:

·        समुदाय का आकार और प्रभाव:

सिंगापुर की कुल आबादी में भारतीय मूल के लोग लगभग 9.1% हिस्सा रखते हैं, जिनमें से कई 1.6 मिलियन विदेशी नागरिकों में शामिल हैं। भारतीय समुदाय सिंगापुर की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

·        सांस्कृतिक संबंध:

सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक, तमिल, दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है। भारतीय प्रवासी भी लोगों के बीच आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होते हैं।

भारत-सिंगापुर संबंधों में चुनौतियाँ:

  • चीन की भारी उपस्थिति: सिंगापुर का चीन में महत्वपूर्ण निवेश है, जोकि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) देशों से कुल आने वाले निवेश का लगभग 85% हिस्सा है। चीन सिंगापुर का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है। चीन में आर्थिक हितों को संतुलित करते हुए भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना सिंगापुर के लिए एक जटिल मुद्दा बना हुआ है।
  • सिंगापुर एक कर मुक्त क्षेत्र के रूप में: सिंगापुर के कर मुक्त क्षेत्र होने के कारण भारत में चिंताएं पैदा हुई हैं, विशेष रूप से पूंजी के "राउंड-ट्रिपिंग" के संबंध में। हालांकि प्रत्यक्ष कर परिहार्यता समझौता (DTAA) कुछ मुद्दों को संबोधित करता है, लेकिन कर चोरी के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं।
  • व्यापार बाधाएं: भारत ने अपनी सेवा निर्यात के लिए सीमित बाजार पहुंच और पेशेवरों की गतिशीलता से जुड़ी चुनौतियों के बारे में मुद्दे उठाए हैं। कुशल श्रमिकों की पर्याप्त गतिशीलता का अभाव द्विपक्षीय व्यापार की क्षमता को अधिकतम करने में एक बाधा है।
  • सोना तस्करी और भारत विरोधी भावनाएं: सोना तस्करी के मामले सामने आए हैं, जिसमें भारतीय प्रवासी श्रमिकों का अक्सर शोषण होता है। इसके अतिरिक्त, सिंगापुर में विशेष रूप से कार्यस्थल और सोशल मीडिया पर भारत विरोधी भावनाओं के उदाहरण सामने आए हैं, जो भारतीय समुदाय को प्रभावित करते हैं।

आगे की राह:

  • CECA की समीक्षा: व्यापार समझौते को प्रासंगिक बनाए रखने और विकसित होते आर्थिक परिदृश्य को प्रतिबिंबित करने के लिए CECA की तीसरी समीक्षा में तेजी लाई जानी चाहिए। यह समीक्षा यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी बना रहे।
  • आसियान-भारत व्यापार समझौता (AITIGA): व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और समझौते को अधिक व्यापार-अनुकूल बनाने के लिए माल के आसियान-भारत व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा आवश्यक है। 2025 तक इस समीक्षा को समाप्त करने से व्यापार सुविधा में वृद्धि होगी।
  • शहरी नियोजन और विकास: स्मार्ट शहरों के विकास और शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सिंगापुर सहयोग उद्यम (SCE) और भारतीय राज्यों के बीच सहयोग भारत के शहरीकरण लक्ष्यों का समर्थन कर सकता है।
  • भारत विरोधी भावनाओं को कम करना: सिंगापुर में भारतीय दूतावास को उत्पीड़न या भेदभाव का सामना कर रहे भारतीय श्रमिकों के लिए एक हेल्पलाइन या सहायता प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। इससे भारत विरोधी भावनाओं को कम करने और भारतीय समुदाय के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।
  • सेवा व्यापार का लाभ उठाना: भारत को सेवा क्षेत्र के उदारीकरण के लिए सिंगापुर के साथ काम करना चाहिए, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इससे व्यापार असंतुलन को दूर करने और आर्थिक क्षमता को अधिकतम करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

भारत और सिंगापुर आपसी सम्मान, विश्वास और साझा रणनीतिक हितों पर बने गहरे और बहुआयामी संबंध साझा करते हैं। दोनों देश व्यापार, रक्षा, फिनटेक और बहुपक्षीय मंचों में सहयोग कर रहे हैं। व्यापार पहुंच और भू-राजनीतिक चिंताओं जैसे क्षेत्रों में चुनौतियों के बावजूद, गहन सहयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। इन मुद्दों को संबोधित करके और अपनी ताकत का लाभ उठाकर, भारत और सिंगापुर अपनी साझेदारी को और बढ़ा सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, समृद्धि और स्थिरता में योगदान होगा।

 

मुख्य प्रश्न: सिंगापुर भारत के आर्थिक विकास में, विशेष रूप से व्यापार और निवेश में, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत और सिंगापुर के बीच आर्थिक संबंधों का गंभीरता से परीक्षण करें और बाजार पहुंच और व्यापार असंतुलन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के उपायों का सुझाव दें।