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Daily-current-affairs / 21 Feb 2025

माओवादी विरोधी अभियानों में बढ़ोतरी: सुरक्षा और विकास का समन्वित प्रयास

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सन्दर्भहाल ही में बस्तर क्षेत्र में माओवादी विरोधी अभियानों में हुई वृद्धि भारत की उग्रवाद विरोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय और माओवादी-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विस्तार ने इन अभियानों को तेज कर दिया है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद (LWE) को मार्च 2026 तक समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे एक केंद्रित और आक्रामक रणनीति का संकेत मिलता है।

माओवादी विरोधी अभियानों की बढ़ती प्रभावशीलता:

बीजापुर में सबसे हालिया मुठभेड़ 9फरवरी 2025 को इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में हुई, जिसमें नक्सल विरोधी अभियान के तहत 31 माओवादी मारे गए। इसके साथ ही, 2025 के पहले दो महीनों में छत्तीसगढ़ में मारे गए माओवादियों की कुल संख्या 81 हो गई।

2024 में 219 माओवादी मारे गए, जो 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से दर्ज की गई सबसे अधिक संख्या है। हताहतों की संख्या में यह वृद्धि बेहतर खुफिया तंत्र और अधिक लगातार सुरक्षा अभियानों का संकेत देती है।

हालांकि, सुरक्षा बलों को भी नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें इस मुठभेड़ में दो कर्मियों की मौत हो गई। यह संघर्ष दोनों पक्षों के लिए घातक साबित हो रहा है, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों की तीव्रता को दर्शाता है।

माओवादी उग्रवाद को खत्म करने के लिए त्रि-आयामी रणनीति:

1.     सुरक्षा उपाय: नक्सल विरोधी रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों की उपस्थिति को मजबूत करना है।

·        राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों, जैसे कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (CoBRA) के बीच समन्वित अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे परिचालन प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है। क्षमता निर्माण के तहत हथियारों, संचार प्रणालियों और बुनियादी ढांचे को उन्नत किया गया है। इसमें मिनी यूएवी, सौर लाइट और मोबाइल टावरों का उपयोग शामिल है।

·        ऑपरेशन समाधान एक व्यापक रणनीति है, जो खुफिया जानकारी जुटाने, परिचालन रणनीति और विकास को एक साथ संबोधित करती है और यह ऑपरेशन समाधान में निर्णायक साबित हुआ है। समाधान नाम का पूरा अर्थ है:  स्मार्ट नेतृत्व (Smart Leadership), आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy), प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training), कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी (Actionable Intelligence), डैशबोर्ड-आधारित KPI और KRA (Dashboard-Based KPI & KRA), प्रौद्योगिकी का दोहन (Harnessing Technology), प्रत्येक क्षेत्र के लिए कार्य योजना (Action Plan for Each Theatre) और वित्तपोषण तक कोई पहुंच नहीं (No Access to Financing)।

विकास पहल:

सरकार ने नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले सामाजिक-आर्थिक कारकों से निपटने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने ग्रामीण संपर्क में सुधार किया है, जबकि आकांक्षी जिला कार्यक्रम समग्र विकास पर केंद्रित है, जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 15,000 घरों का निर्माण किया गया है।

·        अन्य पहलों में प्रत्येक गांव में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को 100% लागू करने के प्रयास तथा 47 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में कौशल विकास योजना शामिल हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन है।

·        सिविक एक्शन प्रोग्राम (CAP) इन क्षेत्रों में कल्याणकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) को वित्तीय अनुदान प्रदान करता है।

·        विशेष अवसंरचना योजना का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में सड़क, पुल और स्कूलों जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है। साथ ही, स्थानीय कर्मियों की भर्ती के माध्यम से प्रशासन को मजबूत किया जा रहा है।

सशक्तिकरण और पुनर्वास: माओवादी प्रभाव को कम करने के लिए सरकार और जनजातीय समुदायों के बीच विश्वास निर्माण बेहद महत्वपूर्ण है।

  • जन सहभागिता प्रयासों का उद्देश्य स्थानीय समुदायों के अलगाव को कम करना है, जबकि आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजनाएं पूर्व माओवादियों को शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता जैसे प्रोत्साहन प्रदान करती हैं।
  • भूमि अधिकार, निष्पक्ष भूमि अधिग्रहण नीतियां और वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिए जनजातीय समुदायों की शिकायतों का समाधान किया जा रहा है। ये पहल सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

माओवाद :

माओवाद माओत्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है, जो सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के माध्यम से राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने का प्रयास करता है। माओवादी विचारधारा हिंसक क्रांति पर आधारित है, जिसमें पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) को आतंक फैलाने के लिए अत्यधिक हिंसा का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी ( पीएलजीए ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सशस्त्र शाखा है।

  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी), जो 2004 में गठित हुई, भारत में सबसे हिंसक माओवादी संगठन है और इसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
  • माओवादी राज्य संस्थाओं के विरुद्ध दुष्प्रचार और असंतोष फैलाने की रणनीति अपनाते हैं। वे मौजूदा व्यवस्था की कथित खामियों के आधार पर लोगों को संगठित कर सशस्त्र प्रतिरोध के लिए प्रेरित करते हैं।

नक्सलवाद का भौगोलिक विस्तार और प्रभाव :

रेड कॉरिडोर, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फैला हुआ है, दुर्गम भूभाग और सामाजिक-आर्थिक अभाव के कारण नक्सली गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों के अतिरिक्त, नक्सली विचारधारा ने शहरी बुद्धिजीवियों और छात्र संगठनों को भी प्रभावित किया है, जिसे 'शहरी नक्सलवाद' कहा जाता है।

माओवादी उग्रवाद को खत्म करने में चुनौतियाँ:

माओवादी विद्रोह के जारी रहने में कई कारक योगदान करते हैं। आदिवासियों और दलितों का ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहना, साथ ही आंतरिक क्षेत्रों में अपर्याप्त विकास, असंतोष को बढ़ावा देता है। पर्याप्त वित्तीय आवंटन के बावजूद, कमजोर शासन और नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन में विफलता विकास में बाधा डालती है।

सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीकृत कमान संरचना उन्हें संगठित रणनीतिक योजना बनाने में सक्षम बनाती है, जबकि सरकार की बिखरी हुई प्रतिक्रिया माओवादियों को अबूझमाड़ जैसे गढ़ों को सैन्य ठिकाने के रूप में बनाए रखने की अनुमति देती है।

इसके अतिरिक्त, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भारत के 80% कोयला भंडार और 19% अन्य खनिज संसाधन मौजूद हैं, जो माओवादियों के वित्तीय संसाधनों को मजबूत करते हैं।

अप्रभावी शासन, उचित पुनर्वास के बिना विस्थापन  तथा संविधान की पांचवीं और नौवीं अनुसूची के प्रावधानों का सही ढंग से लागू न होना, सरकार और आदिवासियों के बीच विश्वास की कमी को बढ़ाता है।

सरकार की उग्रवाद विरोधी रणनीतियाँ:

सुरक्षा अवसंरचना: माओवादियों से निपटने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू सुरक्षा अवसंरचना का विस्तार है। अबूझमाड़ और दक्षिण बस्तर जैसे माओवादी गढ़ों में अग्रिम बेस कैंपों की स्थापना ने सुरक्षा बलों की आवाजाही को सुगम बनाया है और माओवादी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया है। 2019 से अब तक बस्तर में 100 से अधिक पुलिस कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से 30 नए कैंप हाल ही में स्थापित किए गए हैं।

बुनियादी ढांचे का विकास: बुनियादी ढांचे के विकास ने अलग-थलग पड़े क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुरक्षा ठिकानों की मदद से सड़क नेटवर्क और मोबाइल संचार टावरों का विस्तार किया गया है, जिससे नागरिकों की आवश्यक सेवाओं तक पहुँच में सुधार हुआ है। ‘नियाद’ जैसी पहल और 'नेल्लनार योजना' का उद्देश्य आवश्यक सेवाएं प्रदान करना, ग्रामीणों में विश्वास पैदा करना तथा विकास के माध्यम से माओवादी प्रभाव को कम करना है।

खुफिया जानकारी: एक और महत्वपूर्ण पहलू माओवादियों के आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी में वृद्धि है। 2023 में 428 माओवादी गिरफ्तार किए गए और 398 ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 2024 की शुरुआत में यह संख्या लगभग दोगुनी हो गई—837 गिरफ्तारियां और 802 आत्मसमर्पण। आत्मसमर्पण करने वाले और गिरफ्तार किए गए माओवादियों से मिली खुफिया जानकारी ने सुरक्षा बलों को माओवादी नेटवर्क खत्म करने और अधिक प्रभावी अभियानों की रणनीति बनाने में मदद की है।

सामूहिक सुरक्षा अभियान: जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), बस्तर फाइटर्स, CRPF, BSF, ITBP, SSB और छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) की संयुक्त भागीदारी से सुरक्षा अभियानों का समन्वय बेहतर हुआ है। बेहतर समन्वय और अंतर-जिला अभियानों ने हाल की सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, अनुकूली आतंकवाद विरोधी रणनीतियों (Adaptive Counter-Terrorism Strategies) के प्रभावी उपयोग ने अभियानों की सफलता को बढ़ाया है।

मामले का अध्ययन:

कई राज्यों ने अनुकूलित रणनीतियों का उपयोग करके नक्सलवाद का सफलतापूर्वक मुकाबला किया है। आंध्र प्रदेश ने आक्रामक सुरक्षा अभियानों को सामाजिक-आर्थिक पहलों के साथ जोड़ा, जबकि छत्तीसगढ़ के ऑपरेशन प्रहार ने खुफिया-आधारित हमलों के माध्यम से नक्सली नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। महाराष्ट्र के प्रोजेक्ट सलाम ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे प्रभावित जिलों में हिंसा में कमी आई।

आगे की राह :

·        माओवादी विद्रोह के खिलाफ़ निरंतर सफलता के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है, जो सुरक्षा, शासन और सामाजिक-आर्थिक विकास को एकीकृत करता हो। शासन सुधारों में आदिवासी सलाहकार परिषदों का गठन और भूमिहीनों को भूमि का पुनर्वितरण करने के लिए नौवीं अनुसूची के तहत भूमि सीलिंग अधिनियमों का प्रभावी क्रियान्वयन होना चाहिए। आर्थिक विकास पहलों को अवैध गतिविधियों (जैसे अफीम की खेती) पर निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक आजीविका पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

·        आदिवासी क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए विशेष अर्धसैनिक इकाइयों की तैनाती होनी चाहिए, साथ ही स्थानीय शासन संरचनाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है। न्यायसंगत संसाधन प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि आदिवासी समुदाय प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में हितधारक बनें, जिससे उनका सशक्तिकरण और विश्वास निर्माण होगा।

छत्तीसगढ़ में माओवादी विरोधी अभियानों में वृद्धि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक निर्णायक बदलाव को दर्शाती है। बढ़ी हुई सुरक्षा तैनाती, रणनीतिक अग्रिम ठिकानों, बुनियादी ढांचे के विकास और बेहतर खुफिया जानकारी ने हाल की सफलताओं में योगदान दिया है। चूंकि केंद्र और राज्य सरकारें माओवादी उग्रवाद को खत्म करने के अपने 2026 के लक्ष्य की ओर बढ़ रही हैं, इसलिए सुरक्षा, शासन और सामाजिक-आर्थिक विकास में निरंतर प्रयास इस संघर्ष के दीर्घकालिक परिणामों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।