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Daily-current-affairs / 28 Apr 2022

हाइड्रोजन के माध्यम से ऊर्जा स्वतंत्रता - समसामयिकी लेख

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की-वर्ड्स :- हरित हाइड्रोजन नीति, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, FCEVs, SATAT योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन, HCNG, हाइड्रोजन और अमोनिया, PM गति शक्ति मास्टर प्लान, ग्लोबल वार्मिंग, पंचामृत, 2070 तक नेट जीरो।

चर्चा में क्यों?

हाइड्रोजन एक ऐसे नवीन भारत की नीव रखने में सहायक हो सकता है जिसका लक्ष्य शीर्ष जलवायु नेतृत्वकर्ता बनना है।

सन्दर्भ :-

  • 17 फरवरी, 2022 को जारी भारत की हरित हाइड्रोजन नीति ने कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान किया है जैसे कि खुली पहुंच, अंतर-राज्यीय संचरण शुल्कों की छूट, बैंकिंग, समयबद्ध मंजूरी आदि और इससे भारत के ऊर्जा संक्रमण को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
  • भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग वैश्विक औसत का लगभग एक-तिहाई तथा यू.एस. का एक-बारहवां हिस्सा है। यह मूल्य अस्थिरता के साथ युग्मित है, उदाहरणस्वरूप रूस-यूक्रेन संकट के दौरान ऊर्जा की कीमतों में रिकार्ड वृद्धि दिखी। यह युग्मन हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती है, जो ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए प्रयास को बढाने की आवश्यकता को इंगित कर रही है।
  • नए युग के ईंधन, हाइड्रोजन को ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है। भविष्य के ऊर्जा परिदृश्य में हाइड्रोजन की बहुआयामी भूमिका है, वह ऊर्जा भंडारण ,लंबी दूरी का परिवहन हो या औद्योगिक क्षेत्र का डीकार्बोनाइजेशन जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

हाइड्रोजन: एक गेम-चेंजर :-

  • भारत के परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन में हाइड्रोजन की प्रमुख भूमिका है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर ईंधन सेल वाहनों का मुख्य लाभ तेजी से ईंधन भरने तथा लंबी ड्राइविंग रेंज से हैं जो उन्हें लंबी दूरी के परिवहन के लिए आदर्श बनाता है जबकि लिथियम-आयन बैटरी में यह संभव नहीं हो पाता।
  • औद्योगिक खंड में, हाइड्रोजन 'हार्ड-टू-एबेट' क्षेत्रों जैसे लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम, तांबा आदि को डी-कार्बोनाइज कर सकता है। यह मेथनॉल, सिंथेटिक मिट्टी के तेल और हरित अमोनिया जैसे ईंधन का उत्पादन करने की एक बड़ी संभावना है।
  • 2020 में भारत का हाइड्रोजन उपभोग लगभग 7 मिलियन टन थी और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) के अनुसार, 2050 में लगभग 28 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। 25% निर्यात क्षमता को मानते हुए, हम 2050 तक 35 मिलियन की हाइड्रोजन आवश्यकता की उम्मीद कर सकते हैं।

हाइड्रोजन उत्पादन के समक्ष चुनौतियाँ :-

  • लगातार बढ़ती बिजली की मांग के अतिरिक्त, हाइड्रोजन निर्माण की उच्च लागत और पानी की कमी भी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक चुनौती बन सकती है। इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा 1 किलो हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए लगभग नौ लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए, हाइड्रोजन परियोजना नियोजन समग्र होना चाहिए तथा यह उन क्षेत्रों में लक्षित होना चाहिए जहां जल की कमी नहीं हैं।
  • हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था बनाना एक "मुर्गी और अंडे" जैसी समस्या है क्योंकि उपभोक्ता कम लागत चाहते हैं जो कि मापनीयता और बड़े निवेश के साथ संभव हो सकता है, लेकिन उनके लिए उत्पादक सुनिश्चित मांग चाहते हैं। हाइड्रोजन भारत के ऊर्जा रोड मैप यानी ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा स्थिरता और ऊर्जा पहुंच के 3E को पूरा करता है, अतः भारत को एक और ई लागू करने का प्रयास करना चाहिए जिससे उद्योग को उसकी पूरी क्षमता के साथ प्रोत्साहित किया जा सके।

हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पांच-चरणीय रणनीति :-

मांग पक्ष पर, एक पांच-चरणीय रणनीति तैयार की जानी चाहिए।

  • सर्वप्रथम प्रारंभिक मांग उत्पन्न करने के लिए, पर्याप्त प्रोत्साहन के साथ परिष्कृत उद्योगों जैसे कि रिफाइनिंग और उर्वरक को एक जनादेश दिया जाना चाहिए।
  • दूसरे, कम उत्सर्जन वाले हाइड्रोजन-आधारित उत्पादों का निर्माण करने वाले उद्योगों को अन्य बातों के साथ-साथ ग्रीन स्टील और ग्रीन सीमेंट को सरकारी नीतियों द्वारा प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है।
  • तीसरा, प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन का सम्मिश्रण एक बड़े बूस्टर शॉट के रूप में कार्य कर सकता है जिसे सम्मिश्रण अधिदेश, विनियम तैयार करके और एच-सीएनजी स्टेशनों को बढ़ावा देकर सुगम बनाया जा सकता है।
  • इसके अलावा, एफसीईवी को बढ़ावा देने के लिए, समर्पित गलियारों पर हाइड्रोजन ईंधन स्टेशनों की योजना बनाई जा सकती है जहां लंबी दूरी की ट्रकिंग व्यापक है।
  • अंत में, कार्बन टैरिफ की अवधारणा को यूरोपीय देशों की तर्ज पर पेश करने की आवश्यकता है।

आपूर्ति के मामले में भी पांच चरणों वाली रणनीति तैयार की जानी चाहिए :-

  • सबसे पहले, इसकी लागत को जीवाश्मों के बराबर लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश में तेजी लाई जानी चाहिए।
  • दूसरे, सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) योजना का लक्ष्य 15 MMT कंप्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन करना है, जिसे हाइड्रोजन में बायोगैस रूपांतरण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
  • तीसरा, उभरती प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण और विस्तार के लिए हाइड्रोजन आधारित परियोजनाओं के लिए एक व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) योजना शुरू की जा सकती है।
  • इसके अलावा, वहनीय वित्तपोषण प्राप्त करने के लिए, इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण और हाइड्रोजन परियोजनाओं को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के तहत लाने की आवश्यकता है।
  • अंत में, चूंकि हरित हाइड्रोजन के लिए दो प्रमुख कारक नवीकरणीय ऊर्जा शुल्क और इलेक्ट्रोलाइज़र लागत हैं और भारत को सबसे कम नवीकरणीय शुल्कों में से एक का लाभ है, इसलिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई योजना) को लागू करके इलेक्ट्रोलाइज़र की लागत को कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए। इससे भारत को इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण और हरित हाइड्रोजन का वैश्विक केंद्र बनने में मदद मिल सकती है।

हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सरकार की पहल :-

  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (NHM): इसकी घोषणा बजट 2021 में की गई है, जिससे हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सके।
  • इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित ग्रीन हाइड्रोजन की लागत लगभग 350 रुपये प्रति किलोग्राम होने का अनुमान है। सरकार की योजना इसे 2029-30 तक 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक लाने की है।
  • मसौदा बिजली नियम, 2021 ने आरपीओ को पूरा करने में मदद करने के लिए हरित हाइड्रोजन खरीद की अनुमति दी है।
  • इलेक्ट्रोलाइजर्स के निर्माण के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना का विस्तार।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने भारत स्टेज VI वाहनों के लिए मोटर वाहन अनुप्रयोग के लिए हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में अधिसूचित किया है।
  • सितंबर 2020 में, सीएनजी (एचसीएनजी) के साथ हाइड्रोजन के 18% मिश्रण को ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में अधिसूचित किया गया था।

आगे की राह :-

  • जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में परिकल्पित किया गया है। ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया राष्ट्र की पर्यावरणीय रूप से स्थायी ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है।
  • परिवहन के मोर्चे पर, उच्च ऊर्जा घनत्व वाले अमोनिया को परिवहन के साधन के रूप में बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके प्राकृतिक गैस के लिए निर्मित नींव पर एक हाइड्रोजन परिवहन प्रणाली भी बनाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन परिवहन परियोजनाओं को पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
  • हाइड्रोजन अगले कुछ दशकों में एक ऊर्जा आयातक से एक प्रमुख निर्यातक के लिए अपने प्रक्षेपवक्र को स्थानांतरित करके भारत के ऊर्जा इकोसिस्टम को पूरी तरह से बदल सकता है। भारत भविष्य के प्रत्याशित आयात केंद्रों जैसे जापान, दक्षिण कोरिया आदि को निर्यात कर सकता है।
  • हाइड्रोजन के साथ, भारत पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को प्राप्त करने में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। हाइड्रोजन एक नए भारत की नींव रख सकता है जो ऊर्जा-स्वतंत्र, एक वैश्विक जलवायु नेतृत्वकर्ता और एक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा शक्ति होगा।
  • सीओपी 26 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक शुद्ध ज़ीरो प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ पंचामृत (पांच लक्ष्य) के लिए एक स्पष्ट आह्वान किया था। हाइड्रोजन निश्चित रूप से भारत की शुद्ध शून्य महत्वाकांक्षा और भारत को ऊर्जा में' 'आत्मनिर्भर बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

स्रोत :- The Hindu

  • सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप।
  • सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण ।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • 'हाइड्रोजन निश्चित रूप से भारत की नेट जीरो महत्वाकांक्षा और भारत को 'ऊर्जा में आत्मानिर्भर' बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। [250 शब्द]