संदर्भ:
पिछले दशक में, कृषि-प्रौद्योगिकी, डेयरी, कपड़ा, ई-कॉमर्स, रसद, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा और आतिथ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीण भारत की चिंताओं को दूर करने वाले वाणिज्यिक और सामाजिक उद्यमों में वृद्धि हुई है। ये उपक्रम ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करने और ग्रामीण-शहरी अंतर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
ग्रामीण सामाजिक स्टार्टअप्स का महत्व
- आर्थिक विकास: भारत 2026-27 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047-48 तक 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के सकल घरेलू उत्पाद को पार करने कि ओर अग्रसर है जिसमें स्टार्टअप इस वृद्धि के प्रमुख चालक रहेंगे । हालाँकि विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र होने के बावजूद, कई स्टार्टअप मुख्य रूप से शहरी और उप-शहरी आबादी को लक्षित करते हैं।
- ग्रामीण-शहरी प्रवास का समाधान करना: कम उत्पादकता, सीमित बाजार पहुंच और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण पारंपरिक आजीविका जैसे खेती और डेयरी से घटती आय ग्रामीण-शहरी प्रवास को बढ़ावा दे रही है। जबकि इस क्षेत्र को सरकारी समर्थन प्राप्त है इसलिए इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए निजी क्षेत्र की सहायता आवश्यक है।
- ग्रामीण क्षमता को उजागर करना: ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन अभी भी इसमें विकास की अप्रयुक्त क्षमता विद्यमान है। स्टार्टअप ग्रामीण चुनौतियों के समाधान के लिए नवीनता ला सकते हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं और समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
भारतीय ग्रामीण स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र
- विविध समाधान: ग्रामीण भारत में स्टार्टअप का विस्तार कृषि क्षेत्र से आगे बढ़ कर मिट्टी के स्वास्थ्य विश्लेषण, यार्न रीलिंग के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग और अन्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- कृषि-तकनीक क्षेत्र: 450 से अधिक स्टार्टअप कृषि-तकनीक में सक्रिय रूप से शामिल हैं जो स्मार्ट कृषि, लचीली आपूर्ति श्रृंखला, कृषि स्तर पर मूल्यवर्धन और कृषि मशीनीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं। किसान मृदा स्वास्थ्य विश्लेषण, मौसम डेटा पहुंच, बाज़ार सेवाओं और मूल्य संवर्धन समाधान, उत्पादकता तथा आय बढ़ाने के लिए नवाचारों से लाभ उठा सकते हैं।
- गैर-कृषि क्षेत्र: पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, हथकरघा और स्वास्थ्य सेवा में स्टार्टअप ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहे हैं।
- क्लीनटेक स्टार्टअप: कई क्लीनटेक स्टार्टअप ग्रामीण समुदायों में ऊर्जा परिवर्तन की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, नवीकरणीय ऊर्जा-संचालित समाधान पेश कर रहे हैं और स्थायी आजीविका प्रथाओं को बढ़ावा दे रहे हैं।
ग्रामीण भारत में स्टार्टअप के लिए फोकस मूल्य श्रृंखला:
1. फार्म स्तर पर मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण: स्टार्टअप कृषि उपज के मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण के लिए कोल्ड स्टोरेज, ड्रायर, मिलिंग मशीन और खाद्य प्रोसेसर जैसी प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उदाहरण:
● रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग: किसानों को सौर ऊर्जा-संचालित खाद्य प्रसंस्करण उपकरण प्रदान करता है।
● न्यू लीफ डायनेमिक्स: किसानों को फसल कटाई के बाद नुकसान कम करने और मूल्यवर्धन के लिए समाधान प्रदान करता है।
2. पशुपालन: स्टार्टअप हाइड्रोपोनिक चारा उगाने वाली मशीनरी और बहु-फसली चारा फसलों जैसे नवाचारों के माध्यम से डेयरी उद्योग में उत्पादकता और व्यय चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं।
उदाहरण:
● हाइड्रोग्रीन्स: किसानों को सौर ऊर्जा द्वारा संचालित ऊर्ध्वाधर चारा उगाने वाली इकाइयाँ प्रदान करता है, जो दूध की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाता है।
3. कपड़ा और हथकरघा: स्टार्टअप पारंपरिक कपड़ा गतिविधियों को यंत्रीकृत कर रहे हैं, पारंपरिक प्रथाओं को संरक्षित करते हुए कठिन परिश्रम को कम करते हैं और आय को बढ़ावा दे रहे हैं।
उदाहरण:
● रेशम सूत्र: रेशम यार्न रीलरों के लिए सौर ऊर्जा-संचालित रेशम रीलिंग मशीन प्रदान करता है, जो उत्पादकता में सुधार करता है और जोखिम को कम करता है।
4. स्वास्थ्य सेवा: स्टार्टअप टेलीमेडिसिन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और कम लागत वाले डायग्नोस्टिक्स में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को बढ़ा रहे हैं।
उदाहरण:
● ब्लैकफ्रॉग टेक्नोलॉजीज (टेलीमेडिसिन), DigiQure (टेलीमेडिसिन), CureBay (स्वास्थ्य सेवा समाधान) सेवाएं प्रदान कर रहें हैं।
5. सेवा-संबंधित डिजिटल नवाचार: स्टार्टअप किसानों के लिए बाजार एकत्रीकरण प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान और फिनटेक समाधान जैसे डिजिटल समाधान प्रदान कर रहे हैं।
उदाहरण:
● रंगडे: किसानों और ग्रामीण उद्यमियों को किफायती वित्तपोषण प्रदान करने वाला एक पीयर-टू-पीयर ऋण देने वाला मंच है।
ग्रामीण भारत में स्टार्टअप के लिए फोकस मूल्य श्रृंखलाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, किसानों और ग्रामीण समुदायों की आय में वृद्धि करने और जीवन स्तर में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
ग्रामीण स्टार्टअप के लिए चुनौतियाँ
स्केलिंग के साथ चुनौती:
- सीमित संसाधन और अनुभव: कई ग्रामीण स्टार्टअप की स्थापना सीमित संसाधनों वाले इनोवेटर्स द्वारा की जाती है जिनमें अक्सर व्यवसाय संचालन के लिए पूंजी, प्रतिभा और अनुभवी मार्गदर्शकों का अभाव होता है।
- बाजार अनुसंधान और रणनीति: विविध और भौगोलिक रूप से बिखरे हुए ग्रामीण बाजारों में लक्ष्य उपभोक्ता खंड, मूल्य निर्धारण मॉडल और वितरण चैनलों को परिभाषित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। डेटा की कमी और सीमित मार्केटिंग विशेषज्ञता इस समस्या को और बढ़ाती है।
बिखरी हुई मांग को पूरा करने और बिक्री के बाद सेवा प्रदान करने में कठिनाई:
- भौगोलिक पहुंच और जमीनी उपस्थिति: दूरदराज के स्थानों पर बिखरे हुए ग्राहक आधार को सेवा प्रदान करने के लिए कुशल रसद और एक मजबूत जमीनी उपस्थिति की आवश्यकता होती है। संसाधन-सीमित स्टार्टअप्स के लिए यह महंगा और संचालन रूप से जटिल है।
- तकनीकी सहायता और बिक्री के बाद की सेवा: नवीन, प्रौद्योगिकी-संचालित उत्पादों के लिए बिक्री के बाद की सेवा प्रदान करना ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित तकनीशियनों की कमी के कारण चुनौतीपूर्ण है। इससे ग्राहक असंतोष हो सकता है और व्यवसाय बाधित हो सकता है।
उद्यमशील नेतृत्व का अभाव:
● ग्रामीण स्टार्टअप में उद्यमशीलता नेतृत्व की कमी की अधिक संभवना रहती है, जिससे व्यापार विस्तार, सहयोग निर्माण और वित्तपोषण या निवेश सुरक्षित करने में बाधा आ सकती है।
अन्य बाहरी कारक:
- कम गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं से प्रतिस्पर्धा: ग्रामीण बाजारों में अक्सर कम लागत वाले, कम गुणवत्ता वाले उत्पादों की भरमार रहती है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण और नवाचारी उत्पाद पेश करने वाले स्टार्टअप्स को प्रतिस्पर्धा में टिकना मुश्किल हो जाता है।
- प्राकृतिक आपदाएँ, महामारी और जलवायु परिवर्तन: प्राकृतिक आपदाएं, महामारी और जलवायु परिवर्तन संचालन को प्रभावित करते हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया।
- बाजार कारक: आयात/निर्यात शुल्क में वृद्धि और व्यापार प्रतिबंध जैसे बाजार कारक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र समर्थन का अभाव:
- समर्थन का अभाव: कई बार सरकार, वित्तीय संस्थान और निवेशक ग्रामीण स्टार्टअप्स को उच्च जोखिमपूर्ण मानते हैं। इससे ये संस्थाएं इन उद्यमों को पर्याप्त वित्तीय सहायता, अनुदान या निवेश देने में हिचकिचाती हैं। इस समर्थन के अभाव में स्टार्टअप्स का विकास बाधित होता है और उन्हें टिके रहना मुश्किल हो जाता है।
- हितधारकों का तालमेल: ग्रामीण स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकार, शिक्षण संस्थान, उद्योग जगत और स्वयंसेवी संगठनों के बीच मजबूत सहयोग और समन्वय जरूरी है। परस्पर सहयोग और ज्ञान साझा के अभाव में संसाधनों का अधिकतम उपयोग नहीं हो पाता, जिससे स्टार्टअप्स को नुकसान होता है।
ग्रामीण सामाजिक उद्यमों की चुनौतियों से पार पाने के लिए सुझाव
ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक उद्यम कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं, लेकिन उन्हें सफल होने के लिए अनेक बाधाओं को पार करना पड़ता है।
1. डेटा संग्रह और विश्लेषण को प्राथमिकता दें:
● प्रभाव का प्रदर्शन: सामाजिक उद्यमों को बिक्री और उपयोगकर्ता अनुभव से डेटा एकत्र करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि उनके सकारात्मक प्रभाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जा सके।
● आकर्षक प्रस्तुतीकरण: इस डेटा को केस स्टडीज़ और प्रभावी आंकड़ों में बदलकर निजी क्षेत्र और सरकारी विभागों का समर्थन हासिल किया जा सकता है।
● निरंतर सुधार: उत्पादों और विपणन रणनीतियों को निखारने के लिए एकत्रित डेटा का उपयोग करना निरंतर सुधार के लिए आवश्यक है।
2. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएँ:
- प्रारंभिक समर्थन: सामाजिक उद्यमों को अटल इनोवेशन मिशन, स्टार्टअप इंडिया और ASPIRE जैसी मौजूदा सरकारी योजनाओं और पहलों का लाभ उठाना चाहिए।
- विकास के अवसर: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), कृषि अवसंरचना निधि (AIF) और प्रधानमंत्री फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (PMFME) जैसी योजनाएं प्रारंभिक समर्थन के अलावा विकास के अवसर भी प्रदान करती हैं।
3. सकारात्मक उत्पाद अनुभव सुनिश्चित करें:
● विश्वास का निर्माण: ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए विश्वास और ब्रांड स्थापित करने के लिए एक सहज और सकारात्मक उत्पाद अनुभव को प्राथमिकता देना आवश्यक है । इसमें उत्पाद जीवन चक्र के दौरान समय पर स्थापना, उपयोगकर्ता प्रशिक्षण और कुशल शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं।
● समस्या समाधान: उत्पाद स्थापना, उपयोगकर्ता प्रशिक्षण और वारंटी अवधि के दौरान और बाद में शिकायतों का कुशल समाधान ग्राहक संतुष्टि बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
● स्थानीय सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी: जमीनी स्तर पर सीमित उपस्थिति के कारण बिक्री के बाद की सहायता प्रदान करने में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए स्थानीय सेवा प्रदाताओं के साथ भागीदारी की जा सकती है।
4. लैंगिक समानता पर ध्यान देना :
- समावेशी रणनीतियाँ: सामाजिक उद्यमों को अधिक महिला ग्राहकों को आकर्षित करने और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक-समावेशी रणनीतियों पर स्पष्ट रूप से ध्यान देना चाहिए।
- महिलाओं को सशक्त बनाना: महिलाओं के लिए उपयुक्त उत्पादों का निर्माण और महिलाओं के लिए अंतिम उपभोक्ता वित्तपोषण की सुविधा जैसी गतिविधियाँ ग्रामीण उद्यमशीलता और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ा सकती हैं।
निष्कर्ष
पिछले दशक में, ग्रामीण भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए समर्पित वाणिज्यिक और सामाजिक दोनों तरह के उद्यमों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ये उद्यम कृषि तकनीक, डेयरी, वस्त्र, ई-कॉमर्स, रसद, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा और आतिथ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में संलग्न हैं। वे ग्रामीण चुनौतियों को कम करने और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इसी प्रकार फलता -फूलता हुआ ग्रामीण स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र रोजगार के अवसर सृजित करने, ग्रामीण उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और डिजिटल, वित्तीय एवं भौतिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सुधार लाने की अपार क्षमता रखता है। पारंपरिक आजीविका पद्धतियों को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने वाले लघु-व्यवसायों को बढ़ाकर, हम समग्र ग्रामीण आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं और 'आत्मनिर्भर गांव' के दृष्टिकोण को साकार कर सकते हैं।
Source- The Indian Express