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Daily-current-affairs / 14 May 2024

भारत-ई. एफ. टी. ए. व्यापार समझौता - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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सन्दर्भ:

  • वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश का परिदृश्य निरंतर परिवर्तनशील है। यह परिवर्तनीयता बदलती प्राथमिकताओं, रणनीतिक वार्ताओं और गतिशील आर्थिक संबंधों से चिह्नित है। वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में, हाल ही में भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता अपने तात्कालिक प्रभावों से परे अंतर्दृष्टि और नई सीख प्रदान करता है। भारत में चल रहे संसदीय चुनावों की पृष्ठभूमि में, इस ऐतिहासिक समझौते की परिणति समकालीन व्यापार कूटनीति की जटिलताओं और व्यापार एवं निवेश गतिशीलता के परस्पर संबंधों को रेखांकित करता है।

भारत-ईएफटीए व्यापार समझौते के निवेश संबंधी प्रभाव:

  • भारत के हालिया मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की तुलना में भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अलग करने वाली एक उल्लेखनीय विशेषता, निवेश के प्रति इसका व्यापक दृष्टिकोण दर्शाती है। जहां पिछले समझौते मुख्य रूप से व्यापार सुगमता पर केंद्रित थे, वहीं भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौते में व्यापक निवेश को शामिल करना भारत के रणनीतिक बदलाव का संकेतक है।
  • पारंपरिक निवेश सुरक्षा मानकों के विपरीत, यह आर्थिक गतिशीलता की गहरी समझ को दर्शाते हुए, निवेश सुगमता को प्राथमिकता देता है। इसके अलावा निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और रोजगार सृजन बढ़ाने के लिए ईएफटीए देशों से प्रतिबद्धता प्राप्त करने में भारत की उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आचरणिक दायित्वों को औपचारिक रूप देकर, यह समझौता भविष्य की वार्ताओं के लिए एक मानदंड स्थापित करता है, जो निवेश ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करता है।
  • इसके अलावा, उक्त समझौते में पर्यावरण और श्रम संबंधी विचारों को शामिल करना व्यापार समझौतों पर भारत के पारंपरिक रुख से हटकर है। यह प्रगतिशील दृष्टिकोण सतत विकास और जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं की समकालीन मांगों के साथ संरेखित है। इस प्रकार भारत-ईएफटीए एफटीए आर्थिक अनिवार्यताओं को सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं के साथ संतुलित करने के लिए एक खाका के रूप में कार्य करता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहक्रियात्मक विकास की क्षमता का प्रदर्शन करता है।

व्यापार और निवेश का एकीकरण:

  • अत्याधुनिक आर्थिक प्रणालियों की परस्पर निर्भरता को रेखांकित करते हुए, व्यापार और निवेश के बीच सहजीवी संबंध इन क्षेत्रों के अंतर्निहित निहितार्थों को उजागर करता है। ऐतिहासिक रूप से, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) में व्यापार और निवेश दोनों से संबंधित प्रावधान शामिल होते हैं। हालांकि, भारत की एफटीए 2.0 रणनीति ने इस मॉडल से हटकर व्यापार और निवेश वार्ताओं को अलग करने का प्रयास किया है। तथापि यह रणनीति विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने में लचीलापन प्रदान करने के साथ-साथ आर्थिक कूटनीति में सुसंगतता और प्रभावशीलता को लेकर चुनौतियां भी सामने लाती हैं।
  • भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौता एक व्यापक दृष्टिकोण की ओर संभावित पुनः संरेखण का सूचक है, जहां व्यापार और निवेश संबंधी विचारों को एकल ढांचे में एकीकृत किया जाता है। व्यापार समझौते के भीतर निवेश प्रावधानों को अंतर्निहित करके, भारत इन क्षेत्रों के बीच सहक्रियात्मकताओं और आर्थिक जुड़ाव के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता को स्वीकार करता है। यह रणनीतिक बदलाव भारत की मुक्त व्यापार समझौतों की नीति में परिपक्वता का द्योतक है, जो इसे वैश्विक रुझानों और सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाता है।

एफटीए 3.0:

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश की जटिलताओं के समाधान के संदर्भ में भारत के लिए आर्थिक लाभों को अधिकतम करना और उस हेतु एक स्पष्ट और सुसंगत मुक्त व्यापार समझौते की नीति अनिवार्य हो जाती है। FTA 3.0 प्रतिमान का उदय एक अधिक एकीकृत और रणनीतिक दृष्टिकोण की ओर विकास को रेखांकित करता है। इस प्रतिमान के केंद्र में व्यापक आर्थिक संधि के भीतर व्यापार और निवेश वार्ताओं का अभिसरण है, जो परस्पर संबंधित आर्थिक गतिशीलता की गहन समझ को दर्शाता है।
  • अपनी एफटीए नीति तैयार करते समय, भारत को केवल व्यापार सुगमता को बल्कि प्रभावी निवेश संरक्षण तंत्रों को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। निवेश के मुद्दों के दायरे का विस्तार करने और मजबूत विवाद समाधान तंत्र सुनिश्चित करके, भारत निवेशकों का विश्वास बढ़ा सकता है और आर्थिक विकास को गति प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, एक व्यापक एफटीए नीति वार्ता क्षमता का लाभ उठाने के लिए एक रणनीतिक उपकरण के रूप में कार्य करती है, जिससे भारत को अनुकूल शर्तों को सुरक्षित करने और पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी को बढ़ावा देने में सक्षम बनाती है।

निष्कर्ष:

  • भारत-ईएफटीए समझौता अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश की बदलती गतिशीलता का प्रमाण है। व्यापार समझौते के तहत निवेश प्रावधानों को एकीकृत करके और सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता देकर, भारत प्रगतिशील आर्थिक कूटनीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है। चूंकि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य निरंतर रूप से विकसित हो रहा है, भारत द्वारा व्यापक एफटीए नीति को अपनाने से विश्व मंच पर विकास को गति प्रदान करने और लचीली भागीदारी को बढ़ावा देने की अपार क्षमता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. भारत-ईएफटीए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के भीतर निवेश प्रावधानों के एकीकरण के महत्व पर चर्चा करें। यह रणनीतिक बदलाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कूटनीति में उभरते रुझानों को कैसे दर्शाता है, और अन्य देश भारत के दृष्टिकोण से क्या सबक ले सकते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत के एफटीए 3.0 प्रतिमान के निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें, जैसा कि भारत-ईएफटीए एफटीए द्वारा उदाहरण दिया गया है। व्यापार और निवेश के बीच अंतर्संबंध के प्रकाश में, एक व्यापक आर्थिक संधि के भीतर इन घटकों को एकीकृत करने की व्यवहार्यता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें, और भारत के आर्थिक विकास पथ पर इसके संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करें। (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत- हिंदू

 

 

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