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Daily-current-affairs / 08 Apr 2025

भारत में कोयला उत्पादन की ऐतिहासिक उपलब्धि

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परिचय

भारत के कोयला क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2024-25 में 1 बिलियन टन (BT) से अधिक कोयला उत्पादन कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 20 मार्च 2025 तक कुल 1.04 बिलियन टन कोयला उत्पादित हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष के 997.83 मिलियन टन (MT) के आंकड़े से 11 दिन पहले पूरा हो गया। यह उपलब्धि दर्शाती है कि कोयला क्षेत्र भारत की ऊर्जा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि कोयला भारत की ऊर्जा आपूर्ति में 55% और कुल विद्युत् उत्पादन में 74% से अधिक का योगदान देता है।
दुनिया में पांचवें सबसे बड़े कोयला भंडार और दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, भारत ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू कोयला उत्पादन को रणनीतिक रूप से बढ़ाया है।

कोयला उत्पादन और आपूर्ति में वृद्धि
भारत का कोयला उत्पादन वित्त वर्ष 2024-25 में 1.04 बिलियन टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.99% की वृद्धि है। इस वृद्धि का कारण निम्नलिखित हैं:
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का योगदान: वाणिज्यिक, कैप्टिव और अन्य निजी इकाइयों से कोयला उत्पादन में 28.11% की वृद्धि हुई, जो 154.16 MT से बढ़कर 197.50 MT (अनंतिम) हो गया।
कोयला आपूर्ति (डिस्पैच): कुल कोयला आपूर्ति 1 बिलियन टन को पार कर गई, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 1,024.99 MT (अनंतिम) रही, जबकि पिछले वर्ष यह 973.01 MT थी यानी 5.34% की वृद्धि।
निजी क्षेत्र की भागीदारी: वाणिज्यिक और कैप्टिव इकाइयों से कोयला आपूर्ति में 31.39% की वृद्धि हुई, जो 149.81 MT से बढ़कर 196.83 MT हो गई।
कोयला आपूर्ति, यानी कोयले को विद्युत् संयंत्रों और औद्योगिक इकाइयों तक पहुँचाना, ऊर्जा आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कोयला आयात में कमी और ऊर्जा सुरक्षा
भारत ने कोयला आयात में कमी लाकर ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
कोयला आयात अप्रैल-दिसंबर 2023 में 200.19 MT से घटकर 2024 की इसी अवधि में 183.42 MT हो गया, जिससे $5.43 बिलियन (₹42,315.7 करोड़) की विदेशी मुद्रा की बचत हुई।
गैर-नियंत्रित क्षेत्र (Non-Regulated Sector - NRS) में कोयला आयात में 12.01% की गिरावट आई, जबकि ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा मिश्रण हेतु कोयला आयात 29.8% घट गया, हालाँकि कोयला आधारित विद्युत् उत्पादन में 3.53% की वृद्धि दर्ज की गई।
वाणिज्यिक कोयला खनन और मिशन कोकिंग कोल जैसी पहलों से घरेलू उत्पादन में 6.11% की वृद्धि हुई, जिससे विदेशी कोयले पर निर्भरता और कम हुई।
हालाँकि कोकिंग कोल और उच्च गुणवत्ता वाले थर्मल कोल का आयात अभी भी आवश्यक है, लेकिन सरकार की नीतियाँ घरेलू कोयला खनन के विस्तार पर केंद्रित हैं ताकि ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।

कोयला क्षेत्र का आर्थिक महत्व
कोयला भारत की अर्थव्यवस्था की एक मजबूत आधारशिला है, जो राजस्व, रोजगार और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

1.     रेलवे और माल ढुलाई राजस्व में योगदान
कोयला रेलवे माल ढुलाई का सबसे बड़ा स्रोत है, जो कुल माल राजस्व का लगभग 49% हिस्सा देता है।
वित्त वर्ष 2022-23 में कोयला परिवहन से ₹82,275 करोड़ की आमदनी हुई, जो कुल रेलवे आय का 33% था।

2.     सरकारी राजस्व में योगदान
कोयला क्षेत्र केंद्र और राज्य सरकारों को हर साल ₹70,000 करोड़ से अधिक का राजस्व देता है, जिसमें रॉयल्टी, जीएसटी और अन्य कर शामिल हैं।
केवल कोयला उत्पादन से रॉयल्टी संग्रह वित्त वर्ष 2022-23 में ₹23,184.86 करोड़ रहा, जिससे कोयला उत्पादक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक विकास को सहायता मिली।

3.     रोजगार और कार्यबल विकास
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) में कोयला क्षेत्र 2,39,000 से अधिक कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है, जबकि हजारों लोग ठेका खनन, परिवहन और संबंधित उद्योगों में कार्यरत हैं।
पिछले पाँच वर्षों में औसतन ₹18,255 करोड़ वार्षिक पूंजीगत व्यय से अवसंरचना का विस्तार और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला है।

India’s Milestone in Coal Production

कोयला गैसीकरण: कोयले के सतत उपयोग की दिशा में एक कदम
स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने कोयला गैसीकरण को प्राथमिकता दी है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोयले को संश्लेषण गैस (सिंगैस) में बदला जाता है, जिसका उपयोग मेथनॉल, सिंथेटिक नेचुरल गैस (SNG), उर्वरक और अमोनियम नाइट्रेट के उत्पादन में किया जा सकता है।

सरकार की प्रमुख पहलें

1.     वित्तीय प्रोत्साहन: 24 जनवरी 2024 को सरकार ने कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए ₹8,500 करोड़ की मंजूरी दी।

2.     कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का निवेश: CIL ने कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के लिए भेल और गेल के साथ साझेदारी की है।

3.     गैसीकरण आधारित नीलामी की नई नीति: 2022 में एनआरएस लिंकज नीति के तहत "सिंगैस उत्पादन" श्रेणी को शामिल किया गया।

4.     राजस्व हिस्सेदारी में छूट: गैसीकरण परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले कोयले पर 50% की छूट दी गई है, बशर्ते कुल उत्पादन का कम से कम 10% गैसीकरण में प्रयोग हो।
2047 तक, कोयला गैसीकरण से पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और भारत की दीर्घकालिक सतत ऊर्जा विकास योजना को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

कोयला खदान सुरक्षा और तकनीकी प्रगति
कोयला मंत्रालय ने खदान सुरक्षा, श्रमिक सुरक्षा और संचालन की दक्षता बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।

1.     सुरक्षा ऑडिट और नियामक ढांचा
वार्षिक सुरक्षा ऑडिट: "सेफ्टी हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम ऑडिट" दिशानिर्देशों के अंतर्गत आयोजित (दिसंबर 2023)
राष्ट्रीय कोयला खदान सुरक्षा रिपोर्ट पोर्टल: 17 दिसंबर 2024 को लॉन्च किया गया, जिसमें सुरक्षा ऑडिट मॉड्यूल शामिल हैं ताकि ऑनलाइन रिपोर्टिंग हो सके।

2.     उन्नत खनन प्रौद्योगिकियाँ
विस्फोट-रहित खनन तकनीकें: निरंतर खनिक (Continuous Miner), पॉवर्ड सपोर्ट लॉन्गवॉल (PSLW), और हाइब्रिड हाई वॉल माइनिंग तकनीकों को अपनाया गया है ताकि दक्षता बढ़े और पर्यावरणीय खतरे कम हों।
रीयल-टाइम निगरानी: भूमिगत खानों की वायु जांच के लिए ETMS और गैस क्रोमैटोग्राफ का उपयोग।
स्ट्रेटा कंट्रोल टेक्नोलॉजी: संरचनात्मक स्थिरता के लिए यांत्रिक रूफ बोल्टिंग सिस्टम का उपयोग।

3.     पर्यावरण और श्रमिक कल्याण उपाय
स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रावधान: खान नियम, 1955 के अंतर्गत स्वास्थ्य जांच, प्राथमिक उपचार, कैंटीन और अन्य सुविधाएँ सुनिश्चित की जाती हैं।
पर्यावरण निगरानी: परियोजना स्वीकृति से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) किए जाते हैं।
कौशल विकास: हेवी अर्थ मूविंग मशीनरी (HEMM) ऑपरेटरों के लिए सिम्युलेटर आधारित प्रशिक्षण और वर्चुअल रियलिटी (VR) मॉड्यूल पेश किए गए हैं।

निष्कर्ष
भारत का कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक वृद्धि और औद्योगिक विकास की एक मजबूत आधारशिला बना हुआ है। हाल ही में एक बिलियन टन उत्पादन और आपूर्ति की उपलब्धि, साथ ही आयात में उल्लेखनीय कमी, भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
कोयला गैसीकरण, खदान सुरक्षा और तकनीकी प्रगति में हो रहे निरंतर निवेश के साथ यह उद्योग अब एक अधिक सतत और कुशल ढांचे की ओर बढ़ रहा है। हालाँकि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार हो रहा है, फिर भी कोयला 2030 तक भारत के विद्युत् उत्पादन का 55% और 2047 तक 27% योगदान देगा। नीतिगत पहलों और समर्पित कार्यबल के माध्यम से भारत एक ऐसे कोयला क्षेत्र की दिशा में अग्रसर है, जो "विकसित भारत" (Viksit Bharat) 2047 की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप है।

मुख्य प्रश्न: रोजगार, सरकारी राजस्व और ढांचागत विकास जैसे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत की अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र के आर्थिक योगदान का मूल्यांकन करें। इस क्षेत्र का विकास 'विकसित भारत' के उद्देश्यों के साथ कैसे संरेखित है?