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Daily-current-affairs / 28 Jun 2024

सांस्कृतिक विरासत का डिजिटलीकरण: शहरी संरक्षण के वैश्विक प्रयास और चुनौतियाँ : डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

  • विरासतीय स्थलों के साथ सार्वजनिक सहसंबद्ध केवल सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सामुदायिक कल्याण को बढ़ाव देने के लिए भी अनिवार्य है। तेजी से विकसित हो रहे शहरी परिदृश्यों में, विरासतों का डिजिटल संरक्षण सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने, जन भागीदारी को बढ़ावा देने और प्रभावी संरक्षण प्रयासों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लेख शहरी विरासत संरक्षण के लिए डिजिटल तकनीकों के उपयोग से संबंधित वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और भारत में उत्पन्न तत्सम्बन्धी विशिष्ट चुनौतियों का विश्लेषण करता है। यह शहरीकरण के दबावों के बीच सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा प्रयासों को बढ़ाने वाले प्रमुख रणनीतियों, केस स्टडी और सिफारिशों का उल्लेख करता है।

डिजिटल संरक्षण के वैश्विक प्रयास

  • डिजिटल संरक्षण हेतु नेतृत्व:
    • इटली ऐतिहासिक स्थलों को जीवंत बनाने के लिए संवर्धित वास्तविकता (AR) सिमुलेशन को एकीकृत करने में सबसे आगे रहा है।
    • उदाहरण:
      • कैग्लियारी में एक सफल अनुप्रयोग जहाँ AR का उपयोग ऐतिहासिक वातावरण के पुनर्निर्माण और आगंतुकों को इसके रोमांचकारी अनुभवों में संलग्न करने के लिए किया गया था।
    • चीन द्वारा 3D भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) के व्यापक उपयोग ने चियांग माई जैसी साइटों के लिए विस्तृत दृश्यता विश्लेषण और नियोजन उपकरण प्रदान करके विरासत संरक्षण में क्रांति ला दी है, जिससे यहां के ऐतिहासिक अखंडता को संरक्षित करते हुए शहरी विकास का सटीक प्रबंधन संभव हो पाया है।
    • स्पेन व्यापक डेटा संग्रह और संरचनात्मक विश्लेषण के लिए मानव रहित हवाई वाहन (UAV) फोटोग्रामेट्री और स्थलीय लेजर स्कैनिंग (TLS) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करता है।
    • उदाहरण:
      • अल्मेरिया में कॉर्टिजो डेल फ़्राइल जैसी परियोजनाएँ, जहाँ सटीक संरक्षण योजना और संरचनात्मक विश्लेषण के लिए विस्तृत 3D मॉडल बनाने के लिए UAV और TLS का उपयोग किया गया था।
  • जापान की सोसाइटी 5.0 पहल:
    • जापान का लक्ष्य सभी सामाजिक विरासत तत्वों के लिए एक डिजिटल युग्म बनाना है, जो संरक्षण और प्रबंधन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से अनुकूलित करने के लिए साइबरस्पेस और भौतिक स्थान को एकीकृत करता है। यह पहल एक आभासी वातावरण में विरासत स्थलों का अनुकरण और प्रबंधन करने के लिए उन्नत तकनीकों के उपयोग पर बल देती है, जिससे संधारणीय संरक्षण प्रथाओं को सुनिश्चित किया जा सके।
  • मध्य पूर्व देशों में रिमोट सेंसिंग पहल:
    • मध्य पूर्व देशों में पुरातत्व के लिए एरियल फ़ोटोग्राफ़िक आर्काइव (APAAME) और मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ़्रीका में लुप्तप्राय पुरातत्व (EAMENA) जैसी पहल सांस्कृतिक संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है यह भौतिक रूप से दुर्गम स्थलों को सूचीबद्ध करने और उनकी सुरक्षा करने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करती हैं। ये पहल पुरातात्विक स्थलों का मानचित्रण करने के लिए उपग्रह इमेजरी और ड्रोन तकनीक का लाभ उठाती हैं, जो तेजी से शहरीकरण और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहे क्षेत्रों में संरक्षण प्रयासों के लिए मूल्यवान आंकड़े प्रदान करती हैं।

भारत में शहरी विरासत संरक्षण

  • चुनौतियाँ और वर्तमान प्रयास:
    • भारत में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जिसका प्रबंधन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), राज्य सरकारों और धार्मिक ट्रस्टों जैसी विविध संस्थाओं द्वारा किया जाता है। हालाँकि, विरासत संरक्षण में कुशल पेशेवरों की कमी, व्यापक दस्तावेज़ीकरण के लिए अपर्याप्त फण्ड और स्थानीय समुदायों की जागरूकता तथा सहभागिता क़ी कमी जैसी चुनौतियाँ प्रभावी संरक्षण प्रयासों में बाधा डालती हैं।
  • केस स्टडीज़ और परियोजनाएँ:
    • विरासतों के संरक्षण संबंधित सरकार की उल्लेखनीय परियोजनाओं में पश्चिम बंगाल में IIT खड़गपुर की समुदाय-आधारित GIS मानचित्रण पहल शामिल है, जिसका उद्देश्य सरकारी निकायों से वित्तीय सहायता के साथ हिंदू और जैन मंदिरों के एक समूह को डिजिटल रूप से सूचीबद्ध करना और पुनर्स्थापित करना था। इस परियोजना ने वास्तुकला विरासत को संरक्षित करने में सामुदायिक भागीदारी और डिजिटल दस्तावेज़ीकरण के महत्व को रेखांकित किया है।
    • गुजरात और राजस्थान जैसे राज्य मूर्त और अमूर्त विरासत तत्वों को एकीकृत करने, पर्यटकों को आकर्षित करने और अधिक सटीक संरक्षण प्रयासों में सहायता करने के लिए आभासी वास्तविकता (VR) और हेरिटेज बिल्डिंग सूचना मॉडलिंग (HBIM) के उपयोग में अग्रणी हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ ऐतिहासिक स्थलों के संधारणीय प्रबंधन और संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए विस्तृत संरचनात्मक विश्लेषण की अनुमति देती हैं।
  • सरकारी पहलों का प्रभाव:
    • भारत के 12 शहरों में विरासत स्थलों को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की गई हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना (HRIDAY) का उद्देश्य बुनियादी ढांचे, स्वच्छता और पर्यटन सुविधाओं में सुधार करना था। हालाँकि, नौकरशाही बाधाओं, अपर्याप्त अंतर-विभागीय समन्वय और डिजिटल दस्तावेज़ीकरण और सामुदायिक जुड़ाव पर अपर्याप्त ध्यान जैसी चुनौतियों के कारण इसका प्रभाव सीमित रहा। इन सभी कारकों ने एकीकृत मोबाइल ऐप की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

भारत के विरासतीय भविष्य हेतु अग्रणी उपाय:

  • रणनीतिक अनुशंसाएँ:
    • भारत को शहरी विरासत के व्यापक संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए एक संरक्षण मास्टर प्लान में डिजिटल दस्तावेज़ीकरण और सत्यापन प्रक्रियाओं के एकीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए सटीक मानचित्रण और संरक्षण योजना के लिए AR, VR और GIS जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
    • इसके अलावा अन्य संरक्षणीय पहलों की जवाबदेही और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों और अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना आवश्यक है। इसमें स्थायी विरासत प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय समुदायों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना भी शामिल है।
  • सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाना:
    • सहभागी दृष्टिकोण और शैक्षिक अभियानों के माध्यम से अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना सांस्कृतिक विरासत के प्रति स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा दे सकता है। इसमें स्थानीय समुदायों को विरासत संरक्षण कार्यशालाओं, डिजिटल कहानी कहने की पहल और विरासत पर्यटन कार्यक्रमों में शामिल करना शामिल है जो ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने के सांस्कृतिक और आर्थिक लाभों को उजागर करते हैं।
    • अन्य भारतीय संरक्षण प्रथाओं में पारंपरिक शिल्प और स्थानीय ज्ञान को शामिल करने को प्रोत्साहित करने से प्रामाणिकता और स्थिरता बढ़ सकती है। इसमें विरासत संरक्षण परियोजनाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वित्तीय प्रोत्साहनों के माध्यम से कारीगर समुदायों और पारंपरिक शिल्पकारों का समर्थन करना शामिल है।
  • नीति और कार्यान्वयन में सुधार:
    • विरासत संरक्षण के लिए एक सुदृढ़ और लागू करने योग्य दिशा-निर्देश विकसित करना, जिसमें डिजिटल तकनीक और सामुदायिक सहभागिता को अभिन्न अंग के रूप में शामिल किया जाए; महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों और विरासत स्थलों में संरक्षण प्रयासों का मार्गदर्शन करने के लिए डिजिटल दस्तावेज़ीकरण, संरक्षण योजना और विरासत प्रभाव आकलन के लिए राष्ट्रीय मानक स्थापित करना शामिल है।
    • डिजिटल तकनीक और विरासत प्रबंधन में क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित करने से देश भर में संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिलेगी। इसमें प्रशिक्षण कार्यक्रमों, शोध पहलों और तकनीकी बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल है, ताकि चल रहे संरक्षण प्रयासों और विरासत संरक्षण प्रथाओं में नवाचार का समर्थन किया जा सके।

निष्कर्ष

  • भारत के शहरी विरासत संरक्षण का प्रयास इस समय एक ऐसे मोड़ पर है, जिसमें सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के साथ सतत विकास की आवश्यकता को संतुलित करना आवश्यक है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण और विकास के दबावों के बीच देश की समृद्ध वास्तुकला विरासत की सुरक्षा के लिए डिजिटल तकनीकों को सामुदायिकता के साथ एकीकृत करना आवश्यक है। अतः संस्थागत चुनौतियों का समाधान करके, सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाकर और नीतिगत ढाँचों में सुधार करके, भारत समावेशी और जिम्मेदार शहरी विकास को बढ़ावा देते हुए भावी पीढ़ियों के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को प्रभावी ढंग से संरक्षित कर सकता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और भारत की पहलों के संदर्भ में शहरी विरासत के संरक्षण में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के महत्व पर चर्चा करें। प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं, और इनका समाधान कैसे किया जा सकता है? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत में विरासत स्थलों के संरक्षण पर HRIDAY जैसी सरकारी पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करें। संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की भूमिका पर प्रकाश डालें और शहरी विरासत प्रबंधन में मौजूदा चुनौतियों को दूर करने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

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