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Daily-current-affairs / 01 Aug 2024

विनियमन के अलावा, AI के लिए सांस्कृतिक नीतियां - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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प्रसंग:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भविष्य, सिर्फ़ विनियमन से सुरक्षित नहीं किया जा सकता। सभी के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद AI सुनिश्चित करने के लिए, विनियमनों को ऐसी नीतियों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए जो पारदर्शिता को बढ़ावा देने, समान अवसर बनाने और सार्वजनिक विश्वास का निर्माण करने के लिए सार्वजनिक वस्तु के रूप में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को बढ़ावा देती हों। डेटा तक निष्पक्ष और व्यापक पहुँच प्रदान करके ही हम AI की पूरी क्षमता का दोहन कर सकते हैं और इसके लाभों को समान रूप से वितरित कर सकते हैं।

एआई विकास में डेटा(आकड़ा) की भूमिका

बेहतर प्रदर्शन के लिए डेटा

डेटा एआई की उन्नति के लिए मौलिक है। न्यूरल स्केलिंग का सिद्धांत बताता है कि अधिक से अधिक डेटा बेहतर प्रदर्शन का परिणाम देता है। उदाहरण के लिए, बड़े भाषा मॉडल (LLM-large language model) मानव द्वारा निर्मित बड़े पाठ और सीख की विविधता से लाभान्वित होते हैं। साथ ही कंप्यूटिंग शक्ति और एल्गोरिदम संबंधी नवाचार भी वर्तमान संदर्भ में उतने ही महत्वपूर्ण हो जाता हैं। मुख्य रूप से बात की जाए तो डेटा यकीनन एआई के प्रगति में सबसे महत्वपूर्ण चालकों में गिना जाएगा।

डेटा रेस और नैतिक चिंताएं

डेटा(आकड़े) की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, और मौजूदा डेटासेट पहले से ही बहुत बड़े हैं। उदाहरण के लिए, मेटा के LLama 3 को 15 ट्रिलियन टोकन पर प्रशिक्षित किया गया है, जो ब्रिटिश लाइब्रेरी के पुस्तक संग्रह से कहीं ज़्यादा है। परंतु चिंताजनक बात यह भी हैं की 2030 से पहले 'पीक डेटा' परिदृश्य तक पहुँचने के बारे में अंदाजा लगया जा रहा हैं। इसके अलावा, डेटा संदूषण और फ़ीडबैक लूप जैसे मुद्दे वर्तमान समय में पूर्वाग्रहों को बढ़ाते हैं, जो AI मॉडल के प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा की अखंडता को ख़तरे में डालते हैं।

डेटा की निरंतर खोज कभी-कभी नैतिक चिंताओं को जन्म देती है। उदाहरण के लिए, 'बुक्स3' डेटासेट के साथ पायरेटेड पुस्तकों का उपयोग, डेटा सोर्सिंग की वैधता और नैतिकता के बारे में सवाल उठाता है। डेटा संग्रह के लिए स्पष्ट मार्गदर्शक सिद्धांतों की अनुपस्थिति इन मुद्दों को और भी बढ़ाती है, जिससे डेटा उपयोग के लिए अधिक नैतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया जाता है।

एआई के लिए सांस्कृतिक विरासत डेटा की क्षमता पर प्रश्न

प्राथमिक स्रोतों का अभाव

एलएलएम को मानव ज्ञान के व्यापक संग्रह पर प्रशिक्षित नहीं किया गया है, यह अक्सर अंग्रेजी में लिखे गए द्वितीयक स्रोतों पर निर्भर हैं, जो कम विविधतापूर्ण हैं और वैश्विक संस्कृति का अल्प प्रतिनिधित्व करते हैं। प्राथमिक स्रोत, जैसे अभिलेखीय दस्तावेज और मौखिक परंपराएं, वर्तमान डेटासेट से काफी हद तक गायब हैं। ये दस्तावेज भाषाई डेटा के अप्रयुक्त भंडार का प्रतिनिधित्व करते हैं यदि सांस्कृतिक विरासत को वास्तविक तौर पर शामिल किया जाता तो एआई की समझ में और भी विविधता एवं समृद्धि हासिल हो पाती।

सांस्कृतिक विरासत डेटा की क्षमता

सांस्कृतिक विरासत के आंकड़ों का उपयोग इतिहास की हमारी समझ में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा कर सकता है। उदाहरण के लिए, इटली के राज्य अभिलेखागार में बहुत अधिक मात्रा में डेटा है जिसका उपयोग AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है, जो संभवतः वर्तमान डेटा वॉल्यूम के बराबर या उससे अधिक हो सकता है। इसी तरह, वैश्विक अभिलेखागार AI के लिए डेटा का खजाना प्रदान कर सकते हैं, इसके परिणामस्वरूप सांस्कृतिक ज्ञान अधिक सुलभ हो सकता है और नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है।

डिजिटल मानविकी पहल के उदाहरण

  • इटली की डिजिटल लाइब्रेरी परियोजना

इटली की महत्वाकांक्षी 'डिजिटल लाइब्रेरी' परियोजना, जिसका उद्देश्य देश की समृद्ध विरासत को खुले डेटा के रूप में सुलभ बनाना था, को 'नेक्स्ट जेनरेशन ईयू' पैकेज से 500 मिलियन यूरो मिले। दुर्भाग्य से, इस परियोजना को प्राथमिकता से हटा दिया गया है, जिससे एआई विकास के लिए इटली की सांस्कृतिक संपदा का लाभ उठाने का अवसर चूक गया।

  •  कनाडा का आधिकारिक भाषा अधिनियम

कनाडा का आधिकारिक भाषा अधिनियम, ,में द्विभाषी संस्थानों के लिए अनिवार्य प्रावधान है, यह अनुवाद सॉफ़्टवेयर की मदद से प्रशिक्षण के लिए काफी मूल्यवान साबित हुआ है। खासकर डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और कम संसाधन वाली भाषाओं को संरक्षित करने में। इसके सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी लाभ आने वाले समय में देखने को मिल सकते हैं।

जनरेटिव एआई में सांस्कृतिक नीतियों की भूमिका

सांस्कृतिक नीतियाँ उस आधार के रूप में काम करती हैं जिस पर जनरेटिव एआई को सामाजिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही संभावित जोखिमों को कम भी किया जा सकता है। वे प्रौद्योगिकी और संस्कृति के बीच तालमेल और टकराहट के बिंदुओं को समझने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं, जो यह आकार देते हैं कि एआई कैसे विकसित, और तैनात किया जा सकता हैं।

सांस्कृतिक नीतियों की भूमिका को परिभाषित करना

  • मूल्य एवं नैतिकता: सांस्कृतिक नीतियाँ सामाजिक मूल्यों और नैतिक सिद्धांतों को स्पष्ट दिशा निर्देश देती हैं जो जनरेटिव एआई के विकास और उपयोग का मार्गदर्शन करने में काफी मददगार साबित हो सकता हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि एआई सांस्कृतिक मानदंडों के साथ संरेखित होने के साथ पूर्वाग्रहों एवं हानिकारक रूढ़ियों से बचाने में सफल हो सके।
  • डेटा गवर्नेंस: नीतियां, डेटा संग्रह का उपयोग और इसके स्वामित्व के लिए दिशा-निर्देश स्थापित कर सकती हैं, खासकर सांस्कृतिक विरासत के संबंध में। इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि डेटा प्रतिनिधित्व विविधतापूर्ण हो, और रचनाकारों एवं सांस्कृतिक समुदायों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
  • जन जागरूकता: सांस्कृतिक नीतियाँ AI और समाज तथा संस्कृति पर इसके प्रभावों के बारे में लोगों की समझ को बढ़ावा दे सकती हैं। इससे AI में भरोसा पैदा करने और ज़िम्मेदाराना उपयोग को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है।
  • कौशल विकास: नीतियां सांस्कृतिक रूप से एवं संवेदनशील तरीकों से एआई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और लागू करने में काफी मददगार हो सकती हैं।
  • बुनियादी ढांचा और समर्थन: सांस्कृतिक नीतियां एआई अनुसंधान और विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और समर्थन प्रणालियों के निर्माण में सुविधा पहुँचाने के साथ उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग संसाधन और सांस्कृतिक डेटा तक पहुंच को सुनिश्चित कर सकती हैं।

सांस्कृतिक विरासत का दोहन करने के लिए जनरेटिव एआई का विनियमन

व्यापक कानूनी ढांचा

  • सांस्कृतिक विरासत में एआई के उपयोग को संबोधित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा विकसित करने की आवश्यकता हैं, जिसमें डेटा गोपनीयता, बौद्धिक संपदा और नैतिक दिशा-निर्देश शामिल हों, जो मुख्य तौर पर सांस्कृतिक जानकारी की अखंडता की रक्षा करते हुए जिम्मेदार प्रथाओं को सुनिश्चित करे।
  • इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में एआई के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने, स्थिरता को बढ़ावा देने और नियामक मध्यस्थता को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
  • सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रभावी एआई समाधान बनाने और लागू करने के लिए सरकारी निकायों, सांस्कृतिक संस्थानों और प्रौद्योगिकी कंपनियों को शामिल करते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

नैतिक एआई विकास

  • सांस्कृतिक अनुप्रयोगों में अखंडता बनाए रखने और विश्वास को बढ़ावा देने के लिए निष्पक्षता, जवाबदेही, पारदर्शिता और मानवीय निरीक्षण जैसे नैतिक सिद्धांतों का पालन करने वाली AI प्रणालियों के विकास को बढ़ावा दिया जाना नैतिकता के अंतर्गत महत्वपूर्ण तत्व हैं।
  • AI को सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और जटिलता को दर्शाने वाले विविध डेटासेट पर प्रशिक्षित किया जाना, क्योंकि पूर्वाग्रहों एवं रूढ़ियों से बचना मानव नैतिक कर्तव्यों के अंतर्गत समाहित हैं।
  • विश्वसनीय और सम्मानजनक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सांस्कृतिक विरासत से संबंधित AI-जनित सामग्री की प्रामाणिकता और सटीकता की पुष्टि करने के लिए मानक स्थापित किया जाना भी नैतिक पहलू में प्रमुखता से गिना जाता हैं।

सार्वजनिक शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता

जनरेटिव एआई के लाभों और जोखिमों पर सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे व्यक्तियों को एआई-जनरेटेड सामग्री का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने और इसके निहितार्थों को समझने में सक्षम बनाया जा सके। स्कूली पाठ्यक्रम में सांस्कृतिक विरासत की शिक्षा को शामिल करने से विविध संस्कृतियों के प्रति प्रशंसा और सम्मान बढ़ता है, परिणामस्वरूप सार्वजनिक जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ती है।

बुनियादी ढांचा और क्षमता निर्माण

सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में एआई अनुप्रयोगों का समर्थन करने के लिए हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाना चाहिए, यह व्यापक पहुंच और प्रभावशीलता सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक विरासत पेशेवरों और एआई विशेषज्ञों को उनके कौशल और जागरूकता को बढ़ाने के लिए एआई प्रौद्योगिकियों के नैतिक और जिम्मेदार उपयोग पर प्रशिक्षण प्रदान करना भी आवश्यक हैं।

विनियामक निरीक्षण और पारदर्शिता

सांस्कृतिक विरासत में एआई के उपयोग की निगरानी करने, विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और किसी भी उल्लंघन को संबोधित करने के लिए एक समर्पित नियामक निकाय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं को सांस्कृतिक विरासत परियोजनाओं में एआई के उपयोग का खुलासा करने और किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की रिपोर्ट करने के साथ पारदर्शिता को अनिवार्य बनाए जाने की जरूरत हैं। यह एआई प्रौद्योगिकियों के उत्तरदायित्व और जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित हो सकता हैं।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे हम डिजिटल युग में आगे बढ़ रहे हैं, सांस्कृतिक विरासत की अपार संभावनाओं को पहचानना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इतिहास को संरक्षित करने, ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करने और समावेशी AI नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दस्तावेजों का डिजिटलीकरण आवश्यक है। मुख्य रूप से AI की क्षमता को पूरी तरह से समझने और समान लाभ सुनिश्चित करने के लिए, विविध डेटा स्रोतों तक निष्पक्ष और व्यापक पहुँच प्रदान करना अनिवार्य है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के संभावित प्रश्न

  1.  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिए सांस्कृतिक नीतियों के साथ विनियामक ढाँचों को संतुलित करने की आवश्यकता का विश्लेषण करें। विनियमन और नीतियाँ अति-विनियमन से बचते हुए सांस्कृतिक विरासत संरक्षण में AI के जिम्मेदार उपयोग को कैसे सुनिश्चित कर सकती हैं? (10 अंक, 150 शब्द)
  2. AI विकास में सांस्कृतिक विरासत डेटा को शामिल करने के प्रभाव का मूल्यांकन करें। इटली की 'डिजिटल लाइब्रेरी' परियोजना और कनाडा के आधिकारिक भाषा अधिनियम जैसी पहल AI प्रणालियों की प्रभावशीलता को कैसे प्रभावित कर सकती हैं और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण में योगदान दे सकती हैं? AI मॉडल में ऐसे डेटा का उपयोग करने से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत: हिंदू