संदर्भ:
9 जून को रियासी में हुआ हालिया आतंकवादी हमला भारत को अस्थिर करने के उद्देश्य से की गई पिछली घटनाओं की याद दिलाता है।
सीमा पार आतंकवाद: एक सतत सुरक्षा चुनौती
- प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर रियासी में हुआ आतंकी हमला अतीत की घटनाओं से समानता रखता है, जिनका उद्देश्य भारत को अस्थिर करना था। उदाहरण के लिए, 2014 में हेरात, अफ़गानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला। ये घटनाएँ पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद के निरंतर खतरे को रेखांकित करती हैं।
- जम्मू क्षेत्र में हाल के महीनों में हुईं कई घटनाओं सहित रियासी हमला, पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों के साथ मजबूत संबंधों को दर्शाता है। यह जम्मू और कश्मीर सहित भारत के समक्ष लगभग तीन दशकों से विद्यमान आतंकवादी चुनौती की गंभीरता को स्पष्ट करता है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
उत्पत्ति और उद्देश्य:
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- अफगान जिहाद की सफलता से प्रेरित होकर, पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों ने परंपरागत रूप से जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी तत्वों का समर्थन किया है। इस समर्थन का लक्ष्य भारत पर सामूहिक विद्रोह, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और प्रमुख हस्तियों एवं सुरक्षा बलों पर लक्षित आतंकवादी कार्रवाई के माध्यम से दबाव बनाना था। यह रणनीति "कश्मीर मुद्दे" के प्रति पाकिस्तान की दृढ़ प्रतिबद्धता और राज्य की नीति के उपकरण के रूप में आतंकवाद के उपयोग को दर्शाती है।
- अफगान जिहाद की सफलता से प्रेरित होकर, पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों ने परंपरागत रूप से जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी तत्वों का समर्थन किया है। इस समर्थन का लक्ष्य भारत पर सामूहिक विद्रोह, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और प्रमुख हस्तियों एवं सुरक्षा बलों पर लक्षित आतंकवादी कार्रवाई के माध्यम से दबाव बनाना था। यह रणनीति "कश्मीर मुद्दे" के प्रति पाकिस्तान की दृढ़ प्रतिबद्धता और राज्य की नीति के उपकरण के रूप में आतंकवाद के उपयोग को दर्शाती है।
- भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने का तरीका समय के साथ विकसित हुआ है। शुरुआत में, 1990 के दशक की आरंभ में रक्षात्मक आतंकवाद निरोधक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इस अवधि में कश्मीर की अस्थिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा कार्यों के साथ-साथ कूटनीतिक पहलें भी धीरे-धीरे विकसित की गईं।
- भारत का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने का तरीका समय के साथ विकसित हुआ है। शुरुआत में, 1990 के दशक की आरंभ में रक्षात्मक आतंकवाद निरोधक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इस अवधि में कश्मीर की अस्थिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा कार्यों के साथ-साथ कूटनीतिक पहलें भी धीरे-धीरे विकसित की गईं।
कूटनीतिक जुड़ाव और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता में चुनौतियाँ
कूटनीतिक वार्ता और उनकी सीमाएँ:
- 1972 के शिमला समझौते में भारत ने पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को सुलझाने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जिसमें कश्मीर से संबंधित मुद्दे भी शामिल थे। हालाँकि, 1990 के दशक में पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को एक अस्त्र के रूप में अपनाने के बाद, भारत ने इसे रणनीतिक खतरे के रूप में देखा और इससे निपटने लिए कूटनीति और सैन्य निरोध के मिश्रण की रणनीति को अपनाया । 1990 के दशक से जड़ जमा चुके इस दृष्टिकोण के कारण जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों की भारी की गई ।
समग्र संवाद और उसकी सीमाएँ:
- 1998 के बाद से, भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ एक समग्र संवाद शुरू किया, जिसमें आतंकवाद को अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ सूचीबद्ध किया गया। कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, भारत की आतंकवाद से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए पाकिस्तान की अनिच्छा बनी रही, जो भारत के खिलाफ गैर-राज्यकर्ता का उपयोग करने के उसके रणनीतिक सिद्धांत को दर्शाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और चुनौतियाँ:
- पाकिस्तानी समूहों को आतंकी कृत्यों से जोड़ने वाले सबूत देने के भारत के प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान की भूमिका पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति अभी भी दूर की कौड़ी है। राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के लिए उसे जवाबदेह ठहराने के प्रयासों को जटिल बनाने के लिए पाकिस्तान पूर्णतः अस्वीकार करने की रणनीति अपनाता है।
आतंकवाद के प्रकार
प्रकार |
विवरण |
उदाहरण |
राजनीतिक आतंकवाद |
राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भय पैदा करना |
लक्ष्य: सरकार को उखाड़ फेंकना, नीति में बदलाव लाना |
धार्मिक आतंकवाद |
धार्मिक विश्वासों के आधार पर हिंसा |
लक्ष्य: धार्मिक समूहों को डराना या नियंत्रित करना, धार्मिक विचारधारा को बढ़ावा देना |
गैर-राजनीतिक आतंकवाद |
व्यक्तिगत लाभ या बदला लेने के लिए हिंसा |
लक्ष्य: पैसा वसूलना, बदला लेना, संपत्ति को नुकसान पहुंचाना |
अर्ध-आतंकवाद |
आतंकवादी तरीकों का उपयोग, लेकिन आतंक का उद्देश्य नहीं |
लक्ष्य: ध्यान आकर्षित करना, डर पैदा करना, व्यवधान पैदा करना |
राज्य प्रायोजित आतंकवाद |
किसी सरकार द्वारा समर्थित आतंकवाद |
लक्ष्य: किसी विशेष समूह को दबाना, विदेश नीति को आगे बढ़ाना, घरेलू विरोध को कम करना |
घरेलू आतंकवाद |
किसी देश के अंदर किया गया आतंकवाद |
उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका में घरेलू आतंकवादी हमले |
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद |
अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर फैला आतंकवाद |
उदाहरण: अल-कायदा द्वारा 9/11 हमले |
स्वापक आतंकवाद |
ड्रग्स से जुड़े आतंकवाद का एक रूप |
लक्ष्य: सरकार की नीतियों को प्रभावित करने के लिए ड्रग्स का उपयोग करना |
सीमा पार आतंकवाद के जवाब में भारत
- जनता की राय और नीतिगत प्रतिक्रियाएँ
- भारत में आम जनता की भावना अक्सर बड़े आतंकवादी हमलों के बाद जवाबी सैन्य कार्रवाई के पक्ष में रहती हैं , जैसा कि 2008 के मुंबई हमलों और 2019 के पुलवामा हमले जैसी घटनाओं के बाद देखा गया। हालाँकि, वर्तमान सरकारों ने पाकिस्तान पर अपनी धरती से संचालित आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के कूटनीतिक उपायों का विकल्प चुना है।
- भारत में आम जनता की भावना अक्सर बड़े आतंकवादी हमलों के बाद जवाबी सैन्य कार्रवाई के पक्ष में रहती हैं , जैसा कि 2008 के मुंबई हमलों और 2019 के पुलवामा हमले जैसी घटनाओं के बाद देखा गया। हालाँकि, वर्तमान सरकारों ने पाकिस्तान पर अपनी धरती से संचालित आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के कूटनीतिक उपायों का विकल्प चुना है।
- सैन्य कार्रवाई: बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक
- 2019 के बालाकोट हवाई हमले और 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक जैसे उदाहरणों ने कूटनीतिक दृष्टिकोण से प्रस्थान को चिह्नित किया, जो पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले "अस्वीकार्य" आतंकवादी खतरों के खिलाफ सैन्य बल का उपयोग करने के लिए भारत की तत्परता का संकेत देता है।
- 2019 के बालाकोट हवाई हमले और 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक जैसे उदाहरणों ने कूटनीतिक दृष्टिकोण से प्रस्थान को चिह्नित किया, जो पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले "अस्वीकार्य" आतंकवादी खतरों के खिलाफ सैन्य बल का उपयोग करने के लिए भारत की तत्परता का संकेत देता है।
- रणनीतिक अनिवार्यताएँ और भविष्य की दिशाएँ
- रियासी हमले के बाद, विदेश मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वकालत के माध्यम से सीमा पार आतंकवाद को संबोधित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच आतंकवाद के कारण उत्पन्न खतरे पर बल देते हुए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर अंकुश लगाने में वैश्विक समर्थन मांगा है।
- रियासी हमले के बाद, विदेश मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वकालत के माध्यम से सीमा पार आतंकवाद को संबोधित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच आतंकवाद के कारण उत्पन्न खतरे पर बल देते हुए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर अंकुश लगाने में वैश्विक समर्थन मांगा है।
आतंकवाद से निपटने के लिए भारत का ढांचा
- विधायी उपाय:
- गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA): 1967 में अधिनियमित, UAPA का उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुँचाने वाली गतिविधियों को रोकना और उनका समाधान करना है।
- NIA (संशोधन) अधिनियम, 2019: यह संशोधन NIA अधिकारियों को भारत के बाहर किए गए अपराधों की जाँच करने का अधिकार देता है और विशेष न्यायालयों की स्थापना को अनिवार्य बनाता है।
- गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA): 1967 में अधिनियमित, UAPA का उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुँचाने वाली गतिविधियों को रोकना और उनका समाधान करना है।
- अन्य उपाय:
- आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (TFFC) सेल: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा से संबंधित मामलों की जाँच के लिए एक समर्पित सेल का गठन किया है।
- जाली मुद्रा पर ध्यान केंद्रित: आतंकवादियों को जाली मुद्रा तक पहुँचने से रोककर, अधिकारी उनके वित्तीय नेटवर्क को बाधित कर सकते हैं और हमलों को प्रभावी ढंग से वित्तपोषित करने और निष्पादित करने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं।
- जाली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) समन्वय समूह: गृह मंत्रालय द्वारा गठित, यह समूह जाली मुद्रा के प्रचलन से निपटने के लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID): बड़े डेटा और विश्लेषण का उपयोग करते हुए, NATGRID विभिन्न एजेंसियों से खुफिया जानकारी को एकीकृत करके संभावित आतंकवादियों की ट्रैकिंग और आतंकवादी गतिविधियों की रोकथाम को बढ़ाता है।
- आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (TFFC) सेल: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा से संबंधित मामलों की जाँच के लिए एक समर्पित सेल का गठन किया है।
सीमा पार आतंकवाद को रोकने के उपाय
- क्षमता निर्माण और खुफिया जानकारी को सुरक्षित आउए सटीक करना: सुरक्षा कर्मियों के कौशल और संसाधनों को बढ़ाना, साथ ही खुफिया जानकारी को बेहतर तरीके से इकट्ठा करना और साझा करना, आतंकवादी खतरों को रोकने और उनका प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता को बढ़ाता है।
- सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के बीच संबंधों को संबोधित करने में।
- सीमाओं को सुरक्षित करना: आतंकवादी घुसपैठ और हथियारों और धन की तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा को मजबूत करना।
- आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना: आतंकवादी वित्तपोषण को संबोधित करने में धन शोधन विरोधी कानूनों को लागू करना और आतंकवादी संगठनों के वित्तीय नेटवर्क को बाधित करने के लिए अवैध वित्तीय लेनदेन को ट्रैक करना शामिल है।
- आतंक के लिए कोई पैसा नहीं (NMFT) सम्मेलन: NMFT सम्मेलन जैसी हालिया पहल आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को रेखांकित करती है।
- कट्टरपंथ का मुकाबला करना: कट्टरपंथी विचारधाराओं को बेअसर करने और कट्टरपंथी व्यक्तियों को शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से मुख्यधारा में फिर से शामिल करने के लिए प्रभावी कार्यक्रम विकसित करना।
- सामुदायिक जुड़ाव: संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देना और कानून प्रवर्तन तथा स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
जनवरी में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से, भारत ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 66% की कमी देखि गई । 1990 के दशक में आतंकवादियों से ऐतिहासिक रूप से सक्रिय, रियासी, राजौरी और पुंछ जैसे क्षेत्रों में 2021 तक उग्रवाद पर लगाम लगी हुई थी। हालाँकि, पिछले तीन वर्षों में, आतंकवादी हमलों में फिर से वृद्धि हुई है। रियासी हमला भारत के लिए सीमा पार आतंकवाद के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को परिष्कृत करने, कूटनीतिक पहलों को मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ संतुलित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। आतंकवाद को प्रायोजित करने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करना जारी रखते हुए, भारत का लक्ष्य क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देते हुए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों को कम करना है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-
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Source: The Hindu