संदर्भ:
- अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) H5N1 विषाणु का प्रसार, वैश्विक स्तर पर एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जो न केवल पशुधन बल्कि मानव आबादी को भी प्रभावित कर रहा है। यह विषाणु पक्षियों में मृत्यु दर को बढ़ाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। हाल ही में मनुष्यों सहित मवेशियों में इसके संचरण के पता लगने से यह चिंता और भी बढ़ गई है। भारत के केरल राज्य में H5N1 के प्रकोपों की रिपोर्ट के अनुसार, इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सतर्क निगरानी और व्यापक रणनीतियों को लागू करना आवश्यक है।
केरल में H5N1 का प्रकोप: वर्तमान स्थिति और मानवीय जोखिम
- केरल में H5N1 का प्रकोप
- अप्रैल 2024 से, केरल के तीन जिलों - अलाप्पुझा, कोट्टायम और पत्तनमथिट्टा - में 19 स्थानों पर हाईली (उच्चतर) पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) H5N1 का प्रकोप देखा गया है। इन क्षेत्रों की पारिस्थितिकी तंत्र यथा; जल निकायों, प्रवासी पक्षियों, मुर्गी पालन और एकीकृत खेतों की उपस्थिति से निर्मित होता है, जो वायरस के प्रसार के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- अलाप्पुझा में बड़ी संख्या में कौओं की अचानक मृत्यु हुई, जिसके बाद उनके शवों में H5N1 की पुष्टि हुई। इससे वायरस के व्यापक प्रसार की आशंका और बढ़ गई है।
- अप्रैल 2024 से, केरल के तीन जिलों - अलाप्पुझा, कोट्टायम और पत्तनमथिट्टा - में 19 स्थानों पर हाईली (उच्चतर) पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) H5N1 का प्रकोप देखा गया है। इन क्षेत्रों की पारिस्थितिकी तंत्र यथा; जल निकायों, प्रवासी पक्षियों, मुर्गी पालन और एकीकृत खेतों की उपस्थिति से निर्मित होता है, जो वायरस के प्रसार के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- प्रशासनिक उपाय
- केरल का पशुपालन विभाग संक्रमण स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मुर्गियों को मार कर H5N1 नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। यह उपाय मुर्गियों और संभावित रूप से मनुष्यों के बीच आगे संचरण को रोकने के लिए किया जा रहा है।
- हालांकि, बड़े पैमाने पर कौवों की मृत्यु इस बात का संकेत देती है, कि वायरस वर्तमान निगरानी क्षेत्रों से आगे निकल चुका है। इसलिये, निरंतर पर्यावरण निगरानी और व्यापक रोकथाम प्रयासों को लागू करना आवश्यक है।
- केरल का पशुपालन विभाग संक्रमण स्थलों के आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मुर्गियों को मार कर H5N1 नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। यह उपाय मुर्गियों और संभावित रूप से मनुष्यों के बीच आगे संचरण को रोकने के लिए किया जा रहा है।
- मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम
- H5N1 वायरस पहली बार 1996 में सामने आया था। तब से, यह अरबों जंगली पक्षियों और घरेलू मुर्गियों की मौत का कारण बना है। हालांकि, यह वायरस मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है। H5N1 वायरस मवेशों सहित 26 स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित करने में सक्षम है, और हाल के मानव संक्रमणों ने वैश्विक महामारी की आशंका को जन्म दिया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में 12 राज्यों में मवेशों के बीच वायरस के प्रसार की खबरें आई हैं। वायरस का कच्चे दूध और दूध निकालने वाली मशीनों में पता चला है, जो व्यापक प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम का संकेत देता है।
- हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है, कि फिलहाल वायरस में मनुष्यों के बीच कुशलता से संचरण के लिए आवश्यक कुछ आनुवंशिक परिवर्तन नहीं पाए गए हैं। इसलिए, जबकि मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम कम है, इन्फ्लुएंजा वायरस के लगातार उत्परिवर्तन और H5N1 के व्यापक प्रसार को देखते हुए सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है। मनुष्यों के निकट संपर्क में रहने वाले गायों या पालतू जानवरों जैसे संक्रमित जानवरों से मानव संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
- H5N1 वायरस पहली बार 1996 में सामने आया था। तब से, यह अरबों जंगली पक्षियों और घरेलू मुर्गियों की मौत का कारण बना है। हालांकि, यह वायरस मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है। H5N1 वायरस मवेशों सहित 26 स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित करने में सक्षम है, और हाल के मानव संक्रमणों ने वैश्विक महामारी की आशंका को जन्म दिया है।
लक्षण और पहचान
- H5N1 संक्रमण के लक्षण
- मनुष्यों में H5N1 संक्रमण के लक्षण अन्य इन्फ्लुएंजा-ए बीमारियों के समान हो सकते हैं, जिनमें श्वास संबंधी कठिनाइयां, बुखार, खांसी, गले में खराश और निमोनिया शामिल हैं। यद्यपि ये लक्षण बढ़ सकते हैं, खासकर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर लोगों या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों में। अमेरिका में, H5N1 से संक्रमित एक खेत मजदूर में केवल कंजंक्टिवाइटिस (आंखों का लाल होना) का लक्षण पाया गया, जो यह दर्शाता है कि लक्षणों में काफी भिन्नता हो सकती है।
- मनुष्यों में H5N1 संक्रमण के लक्षण अन्य इन्फ्लुएंजा-ए बीमारियों के समान हो सकते हैं, जिनमें श्वास संबंधी कठिनाइयां, बुखार, खांसी, गले में खराश और निमोनिया शामिल हैं। यद्यपि ये लक्षण बढ़ सकते हैं, खासकर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर लोगों या अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों में। अमेरिका में, H5N1 से संक्रमित एक खेत मजदूर में केवल कंजंक्टिवाइटिस (आंखों का लाल होना) का लक्षण पाया गया, जो यह दर्शाता है कि लक्षणों में काफी भिन्नता हो सकती है।
- पहचान
- रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों (सीडीसी) ने चिकित्सकों को सलाह दी है, कि वे उन रोगियों में H5N1 की संभावना पर विचार करें, जिन्हें पशुधन या मृत पक्षियों के संपर्क में आने के बाद श्वसन संबंधी बीमारी या कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण हैं। इसके व्यापक संचरण को रोकने के लिए शीघ्र पहचान और रोकथाम अनिवार्य हैं। केरल में, रोकथाम रणनीति में बड़े पैमाने पर पशुओं को मारना और वायरस के लिए पर्यावरणीय नमूनों की निगरानी शामिल है। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी इन मामले वाले क्षेत्रों में सावधानी के तौर पर मास्क पहनने और टैमीफ्लू जैसी एंटीवायरल दवाओं के इस्तेमाल की भी सलाह देते हैं।
- रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों (सीडीसी) ने चिकित्सकों को सलाह दी है, कि वे उन रोगियों में H5N1 की संभावना पर विचार करें, जिन्हें पशुधन या मृत पक्षियों के संपर्क में आने के बाद श्वसन संबंधी बीमारी या कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण हैं। इसके व्यापक संचरण को रोकने के लिए शीघ्र पहचान और रोकथाम अनिवार्य हैं। केरल में, रोकथाम रणनीति में बड़े पैमाने पर पशुओं को मारना और वायरस के लिए पर्यावरणीय नमूनों की निगरानी शामिल है। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी इन मामले वाले क्षेत्रों में सावधानी के तौर पर मास्क पहनने और टैमीफ्लू जैसी एंटीवायरल दवाओं के इस्तेमाल की भी सलाह देते हैं।
- रोकथाम के उपाय
- H5N1 संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित पक्षियों या जानवरों और उनके वातावरण के असुरक्षित संपर्क से बचना आवश्यक है। H5N1 संक्रमण जिन लोगों में देखा गया है, उन्हें खुद में श्वसन संबंधी लक्षणों की निगरानी करनी चाहिए और लक्षण विकसित होने पर चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। पेस्टराइज्ड दूध और अच्छी तरह से पकाए गए मुर्गी पालन उत्पादों का सेवन सुनिश्चित करना वायरस के भोजन के माध्यम से फैलने को रोक सकता है।
- H5N1 संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित पक्षियों या जानवरों और उनके वातावरण के असुरक्षित संपर्क से बचना आवश्यक है। H5N1 संक्रमण जिन लोगों में देखा गया है, उन्हें खुद में श्वसन संबंधी लक्षणों की निगरानी करनी चाहिए और लक्षण विकसित होने पर चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। पेस्टराइज्ड दूध और अच्छी तरह से पकाए गए मुर्गी पालन उत्पादों का सेवन सुनिश्चित करना वायरस के भोजन के माध्यम से फैलने को रोक सकता है।
- सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा
- H5N1 के जोखिम को कम करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा आवश्यक है। प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों के महत्व और लक्षणों या असामान्य पशु मृत्यु की जल्दी रिपोर्टिंग की आवश्यकता के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। यह सक्रिय दृष्टिकोण शीघ्र पहचान और समय पर हस्तक्षेप में मदद कर सकता है।
- H5N1 के जोखिम को कम करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा आवश्यक है। प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों के महत्व और लक्षणों या असामान्य पशु मृत्यु की जल्दी रिपोर्टिंग की आवश्यकता के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। यह सक्रिय दृष्टिकोण शीघ्र पहचान और समय पर हस्तक्षेप में मदद कर सकता है।
'वन हेल्थ' अवधारणा: केरल में H5N1 का मुकाबला करने की रणनीति
- वन हेल्थ अवधारणा क्या है ?
- 'वन हेल्थ' अवधारणा मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर जुड़े होने पर बल देती है। यह मानव-पशु-पर्यावरण इंटरफेस पर स्वास्थ्य खतरों से निपटने के लिए एक सहयोगी, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की वकालत करती है। चिकित्सा पत्रिका 'द लैंसेट' ने हाल ही में H5N1 के लिए मजबूत और समन्वित प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जिसमें 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने और उसे कारगर बनाने के महत्व पर बल दिया गया है।
- 'वन हेल्थ' अवधारणा मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के परस्पर जुड़े होने पर बल देती है। यह मानव-पशु-पर्यावरण इंटरफेस पर स्वास्थ्य खतरों से निपटने के लिए एक सहयोगी, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की वकालत करती है। चिकित्सा पत्रिका 'द लैंसेट' ने हाल ही में H5N1 के लिए मजबूत और समन्वित प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जिसमें 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने और उसे कारगर बनाने के महत्व पर बल दिया गया है।
- केरल में वन हेल्थ का कार्यान्वयन
- केवल अवधारणा के स्तर पर ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी 'वन हेल्थ' को लागू करने में केरल अग्रणी रहा है। विश्व बैंक की सहायता से चल रही 'रीबिल्ड केरल' परियोजना के तहत, राज्य ने चार जिलों - अलप्पुझा, पत्तनमथिट्टा, कोट्टायम और इडुक्की में एक समुदाय-आधारित रोग निगरानी नेटवर्क स्थापित किया है। इस नेटवर्क में 2.5 लाख प्रशिक्षित स्वयंसेवक शामिल हैं जो असामान्य घटनाओं या पशु मृत्यु की रिपोर्ट करते हैं, जिससे शीघ्र चेतावनी और त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा मिलती है।
- केवल अवधारणा के स्तर पर ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी 'वन हेल्थ' को लागू करने में केरल अग्रणी रहा है। विश्व बैंक की सहायता से चल रही 'रीबिल्ड केरल' परियोजना के तहत, राज्य ने चार जिलों - अलप्पुझा, पत्तनमथिट्टा, कोट्टायम और इडुक्की में एक समुदाय-आधारित रोग निगरानी नेटवर्क स्थापित किया है। इस नेटवर्क में 2.5 लाख प्रशिक्षित स्वयंसेवक शामिल हैं जो असामान्य घटनाओं या पशु मृत्यु की रिपोर्ट करते हैं, जिससे शीघ्र चेतावनी और त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा मिलती है।
निष्कर्ष
- H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा विषाणु की उत्पत्ति और प्रसार पशुओं और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए एक गंभीर खतरा है। हालांकि वर्तमान में व्यापक मानव संक्रमण का जोखिम कम है, फिर भी वायरस के उत्परिवर्तित होने और फैलने की क्षमता सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। केरल द्वारा किए गए सामूहिक सतर्कता, पर्यावरण निगरानी और "वन हेल्थ" दृष्टिकोण के कार्यान्वयन जैसे सक्रिय उपाय प्रभावी रोकथाम और रोकथाम रणनीतियों के लिए एक मॉडल प्रदान करते हैं। अतः इस प्रकार के जोखिम को कम करने और भविष्य की महामारियों को रोकने के लिए निरंतर निगरानी, सार्वजनिक जागरूकता और समन्वित वैश्विक प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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स्रोत - द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस