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Daily-current-affairs / 22 Oct 2024

"उड़ान योजना: हवाई कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास में योगदान का मूल्यांकन"- डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ:

हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), रीवा (मध्य प्रदेश) और अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) में तीन नए हवाई अड्डों का उद्घाटन किया। यह आयोजन भारत के विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास है, विशेषकर दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए। इसका उद्घाटन वाराणसी में किया गया और ये हवाई अड्डे जल्द ही उड़ान योजना के तहत परिचालन प्रारंभ करेंगे, जिसने देश भर के कई वंचित और सीमित सेवा वाले क्षेत्रों को आपस में जोड़ा है।

 उड़ान योजना: एक संक्षिप्त अवलोकन

  • क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)- उड़ान को 21 अक्टूबर, 2016 को राष्ट्रीय नागरिक विमानन नीति (एनसीएपी) 2016 के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में लॉन्च किया गया था। उड़ान को आम जनता के लिए हवाई यात्रा को किफायती बनाकर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां हवाई सेवाएं सीमित हैं या मौजूद नहीं हैं।
  •  इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य हवाई यात्रा को लोकतांत्रिक बनाना और इसे आम आदमी के लिए सुलभ बनाना है, जो प्रधानमंत्री मोदी के "लोगों को हवाई जहाज में चढ़ते हुए चप्पल पहने हुए देखना" के दृष्टिकोण से जुड़ा है।
  • अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, उड़ान योजना ने काफी प्रगति की है। 27 अप्रैल, 2017 को पहली उड़ान शिमला से दिल्ली को जोड़ते हुए शुरू हुई थी, और तब से अब तक 144 लाख (14.4 मिलियन) से ज़्यादा यात्री इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। आज तक, 601 से ज़्यादा रूट चालू हो चुके हैं और 86 एयरोड्रोम (हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम सहित) चालू हो चुके हैं, जो भारत के सबसे दूरदराज के इलाकों को भी जोड़ते हैं।

 

उड़ान योजना का विकास: विभिन्न चरण और संस्करण

उड़ान योजना अपनी शुरुआत से लेकर अब तक विकास के कई चरणों से गुजर चुकी है:

1.     उड़ान 1.0 (2017): पहले चरण में, पांच एयरलाइन कंपनियों को 70 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 128 उड़ान मार्ग आवंटित किए गए, जिनमें 36 नए परिचालन वाले हवाई अड्डे भी शामिल हैं।

2.     उड़ान 2.0 (2018): इस चरण में 73 सीमित सेवा वाले और सीमित सेवा वाले हवाई अड्डों को शामिल किया गया और पहली बार हेलीपैड को जोड़ा गया।

3.     उड़ान 3.0 (2019): इस चरण में पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से लोकप्रिय पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले पर्यटन मार्ग शुरू किए गए और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सेवाओं का विस्तार किया गया। इसमें जल हवाई अड्डों की कनेक्टिविटी के लिए सीप्लेन भी शामिल किए गए।

4.     उड़ान 4.0 (2020): पूर्वोत्तर क्षेत्रों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपों पर ध्यान केंद्रित किया गया। हेलीकॉप्टर और सीप्लेन परिचालन का और विस्तार किया गया।

5.     उड़ान 5.0 (2023): नवीनतम चरण, उड़ान 5.0 ने 600 किलोमीटर की उड़ान दूरी की सीमा के पहले के प्रतिबंध को हटा दिया। इसने उन मार्गों को प्राथमिकता दी जिन्हें जल्दी से चालू किया जा सकता था, जिसमें एयरलाइनों को मार्ग पुरस्कार प्राप्त करने के चार महीने के भीतर परिचालन शुरू करना आवश्यक था।

इसके अतिरिक्त , उड़ान 5.1 को हेलीकॉप्टर मार्गों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है, जबकि उड़ान 5.2 को छोटे विमानों के संचालन के लिए लक्षित किया गया है। उड़ान 5.3 और 5.4 के मौजूदा संस्करण बंद हो चुके मार्गों को फिर से चालू करने और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

 

योजना का महत्व:

उड़ान योजना (UDAN) देश का आम नागरिक) भारत के विमानन क्षेत्र और क्षेत्रीय विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यहाँ मुख्य बिंदु दिए गए हैं:

1.     क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देना: यह योजना दूरदराज के क्षेत्रों को शहरी केंद्रों से जोड़कर क्षेत्रीय संपर्क में कमी को दूर करती है। छोटे हवाई अड्डों को चालू कर और नए मार्ग स्थापित कर, यह योजना तेजू (अरुणाचल प्रदेश), दरभंगा (बिहार) और झारसुगुड़ा (ओडिशा) जैसे क्षेत्रों को प्रमुख शहरों के करीब लाती है, जिससे सेवाओं और बाजारों तक पहुंच में वृद्धि होती है।

2.     आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन: इससे नए हवाई अड्डों के विकास से व्यापार, पर्यटन और स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलता है, जोकि क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान करता है। इन हवाई अड्डों के निर्माण और रखरखाव से विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार और आतिथ्य, पर्यटन तथा स्थानीय वाणिज्य में अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।

3.     पर्यटन को बढ़ावा देना: उड़ान योजना ने पर्यटन को विशेष रूप से कम पहुंच वाले क्षेत्रों में बढ़ावा दिया है। उड़ान 3.0 के अंतर्गत नए मार्ग खजुराहो और अमृतसर जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध स्थलों को जोड़ते हैं, और उत्तर-पूर्व तक पहुंच में सुधार करते हैं, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। पासीघाट, जीरो और होलोंगी में हवाई अड्डे इस पहल के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।

4.     उभरती हुई एयरलाइनों के लिए सहायता: यह योजना फ्लाईबिग और स्टार एयर जैसी नई एयरलाइनों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। इन क्षेत्रीय एयरलाइनों को सरकार के समर्थन से लाभ मिलता है, जिसमें व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ), विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) पर कम कर और लैंडिंग एवं पार्किंग शुल्क में छूट शामिल हैं।

5.     पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव: आरसीएस-उड़ान क्षेत्रीय उड़ानों को प्रोत्साहित करके पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देता है, क्योंकि ये उड़ानें छोटी होती हैं और कम ईंधन का उपभोग करती हैं। यह योजना हवाई यात्रा की व्यापकता को भी बढ़ाती है, जिससे प्रधानमंत्री मोदी के विमानन क्षेत्र में समावेशिता के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके।

 

विमानन उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा:

उड़ान योजना ने भारतीय विमानन परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला दिया है, कनेक्टिविटी को बढ़ाया है और नागरिक विमानन उद्योग को पुनर्जीवित किया है।

  •  परिचालन मार्ग: हेलीकॉप्टर मार्गों सहित लगभग 601 मार्ग चालू किए गए हैं, जो विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ते हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से लगभग 28% मार्ग दूरदराज के क्षेत्रों में सेवा प्रदान करते हैं, जिससे चुनौतीपूर्ण इलाकों में पहुंच में सुधार होता है।
  • नई एयरलाइंस: फ्लाईबिग, स्टार एयर, इंडियावन एयर और फ्लाई91 जैसी क्षेत्रीय एयरलाइनों के उदय में आरसीएस-उड़ान योजना महत्वपूर्ण रही है। इन वाहकों ने टिकाऊ व्यवसाय मॉडल विकसित किए हैं, जोकि क्षेत्रीय हवाई यात्रा के बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करते हैं।
  •  विमानों की मांग: इस योजना के विस्तार ने सभी आकारों के नए विमानों की बढ़ती मांग को जन्म दिया है। आरसीएस मार्गों पर सेवा देने वाले बेड़े में एयरबस A320/A321, बोइंग 737, एटीआर 42 और 72, डीएचसी क्यू400, ट्विन ओटर, एम्ब्रेयर 145 और 175, टेकनम पी2006टी, सेसना 208बी ग्रैंड कारवां ईएक्स, डोर्नियर 228, एयरबस एच130 और बेल 407 जैसे विभिन्न विमान शामिल हैं। भारतीय वाहकों ने अगले 10-15 वर्षों में डिलीवरी के लिए 1,000 से अधिक विमानों के ऑर्डर भी दिए हैं, जिससे लगभग 800 विमानों के मौजूदा बेड़े में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • हवाई अड्डों की वृद्धि: परिचालन हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से दोगुनी होकर 2024 में 157 हो गई है, जिसका लक्ष्य 2047 तक 350-400 तक पहुंचना है। कुल 86 हवाई अड्डे चालू हो चुके हैं, जिनमें 71 हवाई अड्डे, 13 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं। योजना की शुरुआत से लेकर अब तक इसने 2.8 लाख से अधिक उड़ानों में 1.44 करोड़ से अधिक यात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाया है।
  • परिचालन उपलब्धियां: फिक्स्ड-विंग ऑपरेशनों ने लगभग 112 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की है, जो पृथ्वी का लगभग 28,000 बार चक्कर लगाने के बराबर है।

 

निष्कर्ष:

उड़ान योजना हर भारतीय को उड़ान भरने का अवसर देकर सशक्त बनाने के लिए समर्पित एक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करती है। क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाकर और किफ़ायती यात्रा सुनिश्चित करके, उड़ान ने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा कर रही है, साथ ही आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा दिया है। जैसे-जैसे यह योजना विकसित होती जा रही है, यह भारत के विमानन परिदृश्य को नया आकार देने का वादा करती है, जिससे आकाश सभी के लिए सुलभ हो जाएगा। वंचित क्षेत्रों को जोड़ने और पर्यटन को बढ़ावा देने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, उड़ान भारतीय विमानन में एक परिवर्तनकारी शक्ति है, जो भारत के एक जुड़े हुए और समृद्ध राष्ट्र के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

 

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

भारत में पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ाने में क्षेत्रीय संपर्क की भूमिका पर चर्चा करें।