सन्दर्भ:
- बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में खाड़ी भागीदारों के साथ भारत का खुफिया सहयोग अशांत वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण होता जा रहा है। यह सहयोग पारंपरिक आतंकवाद विरोधी प्रयासों से परे है और इसमें विविध रणनीतिक हित शामिल हैं। इस लेख में भारत-खाड़ी खुफिया संबंधों की विकसित होती गतिशीलता की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जो बदलती परिस्थितियों के बीच अवसरों और चुनौतियों को रेखांकित करते हैं।
पृष्ठभूमि:
- 30 जनवरी 2019 को, जब भारत की विदेशी खुफिया सेवा, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का गल्फस्ट्रीम जेट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, तो इसे भारत-खाड़ी खुफिया सहयोग में एक महत्वपूर्ण घटना की शुरुआत मानी गई। इस विमान पर सवार ब्रिटिश हथियार डीलर क्रिश्चियन मिशेल के सहयोगी राजीव सक्सेना और दीपक तालवार थे, जिन्हें दुबई से आने पर तुरंत हिरासत में ले लिया गया। इस घटना ने भारतीय खुफिया एजेंसियों और उनके खाड़ी समकक्षों के बीच प्रगाढ़ होते मजबूत रिश्तों को रेखांकित किया।
- वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में निरंतर बदलाव के बीच, भारत के रणनीतिक हित खाड़ी देशों, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और सऊदी अरब (केएसए) के हितों के साथ साझा अभिसरण का प्रदर्शन कर रहे हैं। इस अभिसरण के केंद्र में, अक्सर अनदेखी लेकिन अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका, दोनों पक्षों के मध्य का ख़ुफ़िया (खुफिया) सहयोग निभा रहा है।
- भारत-खाड़ी ख़ुफ़िया सहयोग की महत्ता को रेखांकित करने के लिए, सऊदी अरब और यूएई से सैय्यद ज़बीहुद्दीन अंसारी और सबील अहमद जैसे भगोड़ों के सफल प्रत्यर्पण जैसे विशिष्ट मामले; इस सहयोग के आधार पर निर्मित मजबूत विश्वास का प्रमाण देते हैं। इसके अतिरिक्त, अब्दुल करीम 'टुंडा' और यासीन भटकल की गिरफ्तारियां, जो नेपाल की सीमा पर भारतीय कार्रवाई के दौरान अमीराती खुफिया सूचना से समर्थित थीं, इस बात को रेखांकित करती हैं, कि इस सहयोग का दायरा केवल मध्य पूर्व तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपने आप में एक व्यापक सामरिक परिदृश्य को भी शामिल करता है।
- भारत-खाड़ी संबंधों के सकारात्मक प्रक्षेपवक्र के साथ, अप्रैल 2023 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और सऊदी अरब की प्रेसीडेंसी ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (PSS) के बीच अनुमोदित समझौता; दोनों पक्षों के मध्य सहयोग को और मजबूत करता है। यह समझौता विशेष रूप से आतंकवादी गतिविधियों और उनके वित्तपोषण की समस्या के समाधान करने पर केंद्रित है।
खुफिया सहयोग में अवसर:
- रणनीतिक संरेखण में वृद्धि
- खाड़ी देशों, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ भारत के रणनीतिक हितों का घनिष्ठ संरेखण, ख़ुफ़िया सहयोग के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। इस संरेखण के कारण कई उल्लेखनीय सफलताएं मिलीं, जिनमें भगोड़ों का प्रत्यर्पण और संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रयास जैसे कई उदाहरण शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, ब्रिक्स जैसी पहलों में भारत की भागीदारी और खाड़ी राजशक्तियों के साथ बढ़ती घनिष्ठता साझा रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है। यह संरेखण आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में ख़ुफ़िया तंत्रों के साझाकरण और संयुक्त पहलों के अवसर सृजित करता है। उदाहरण के लिए, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और सऊदी अरब की प्रेसीडेंसी ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (पीएसएस) के बीच हुए समझौते, आतंकवादी अपराधों और उनके वित्तपोषण से संबंधित मामलों पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।
- आर्थिक गलियारे और क्षेत्रीय संपर्क: खुफिया सहयोग की नई दिशाएँ
- आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने की साझी प्रतिबद्धता ने भारत-म्यांमार-थाईलैंड-पूर्वी कनेक्टिविटी (IMEC) जैसे आर्थिक गलियारों का मार्ग प्रशस्त किया है। इन पहलों में माध्यम से समुद्री डकैती और आतंकवादी हमलों जैसे खतरों से बचाने में खुफिया सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- इसके अलावा, समुद्री खुफिया सूचना और वित्तीय खुफिया सूचना (FININT) का साझाकरण आर्थिक गलियारों के साथ सुरक्षा उपायों को मजबूत कर सकता है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय तंत्र क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में खुफिया साझाकरण और सहयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। इनमें I2U2 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसी पहल शामिल हैं, जो सदस्य देशों के बीच खुफिया सहयोग के लिए मंच प्रदान करती हैं।
- उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे स्मार्ट शहरों और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं पर ध्यान देने से अनुसंधान एवं विकास (R&D) और प्रौद्योगिकी सुरक्षा में खुफिया सहयोग के अवसर उत्पन्न होते हैं। खुफिया संपत्तियों और विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, भारत और खाड़ी देश तकनीकी नवाचार को गति दे सकते हैं और साइबर सुरक्षा क्षमता को मजबूत कर सकते हैं।
- कूटनीतिक चैनलों का विस्तार
- वैश्विक महत्वाकांक्षाएं और खुफिया सहयोग: भारत की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के लिए खाड़ी देशों के साथ खुफिया सहयोग द्वारा सुगम बनाए गए विविध कूटनीतिक लगाव आवश्यक हैं। ये सहयोग खाड़ी देशों द्वारा समर्थित परोक्ष कूटनीति, वार्ताओं और संघर्ष समाधान के लिए विवेकपूर्ण रास्ते प्रदान करती है।
- खाड़ी देशों और इजरायल के बीच संबंधों का सामान्यीकरण: खाड़ी देशों और इजरायल के बीच संबंधों के सामान्यीकरण से खुफिया चैनलों द्वारा सुगम बनाए गए विस्तृत कूटनीतिक संबंधों की क्षमता रेखांकित होती है। इन चैनलों का लाभ उठाते हुए, भारत जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों से परे अपने रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ा सकता है।
- क्षेत्रीय कूटनीति को मजबूत करना: खुफिया सहयोग भारत को मध्य पूर्व और उससे आगे के देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने और बनाए रखने में सक्षम बनाता है। खुफिया संपत्तियों और नेटवर्क का लाभ उठाकर, भारत सक्रिय कूटनीति में शामिल हो सकता है और क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति में योगदान कर सकता है।
चुनौतियां और समाधान:
- बदलती परिस्थितियों के अनुरूप खुफिया सहयोग का पुनर्मूल्यांकन:
- परिवर्तनशील वैश्विक खतरा परिदृश्य पारंपरिक आतंकवाद विरोधी प्रयासों के विपरीत व्यापक सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए खुफिया सहयोग में बदलाव की मांग करता है। इसके लिए अंतरराज्यीय प्रतिस्पर्धा और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसी चुनौतियों के समाधान के लिए नवीन दृष्टिकोणों की आवश्यकता है।
- खुफिया प्राथमिकताओं में विविधीकरण को समुद्री सुरक्षा, वित्तीय खुफिया सूचना और प्रतिखुफियाी कार्यों को शामिल करने की आवश्यकता है। भारत, सऊदी अरब और यूएई के बीच त्रिपक्षीय सहयोग बौद्धिक संपदा चोरी और प्रौद्योगिकी सुरक्षा जैसी साझी चुनौतियों का समाधान कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्लेटफार्मों और साइबर खतरों के प्रसार के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों और तकनीकी क्षमताओं की भी अनिवार्य आवश्यकता है। साइबर खुफिया और सूचना साझाकरण प्लेटफार्मों में निवेश साइबर खतरों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा प्रदान कर सकता है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा की जा सकती है।
- गुप्त कूटनीति में जोखिम प्रबंधन:
- खाड़ी देश वार्ता और संघर्ष समाधान के लिए परोक्ष कूटनीति के माध्यम के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन जैसा कि कतर में जासूसी के आरोप में गिरफ्तारियां दर्शाती हैं, इसमें जोखिम भी हैं। प्रभावी खुफिया चैनलों के लिए क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ घनिष्ठ सहयोग और जोखिम कम करने की सक्रिय रणनीतियों की आवश्यकता है।
- विविध भागीदार: मोरक्को, ओमान और बहरीन जैसी देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ लगाव बढ़ाने से लचीलापन और कूटनीतिक विकल्पों में वृद्धि होती है। तटस्थ या सौहार्दपूर्ण संबंधों वाले देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना भारत के खुफिया नेटवर्क को मजबूत करता है और गुप्त कूटनीति में जोखिम को कम करता है।
- अतिरिक्त लाभ: खुफिया सहयोग भारत को खाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा खतरों की निगरानी और उनका समाधान करने में सक्षम बनाता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और शांति में योगदान देता है। इसके साथ ही खुफिया एजेंसियों और नेटवर्क का लाभ उठाकर, भारत मध्य पूर्व और उससे आगे अपने कूटनीतिक संबंधों और रणनीतिक प्रभाव को मजबूत कर सकता है।
प्रौद्योगिक अनुकूलन और साइबर सुरक्षा
- साइबर सुरक्षा: डिजिटल प्लेटफार्मों और साइबर खतरों के प्रसार के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों सहित वृहद् तकनीकी क्षमताओं की आवश्यकता है। साइबर सुरक्षा पहलकदमियों पर खाड़ी देशों के साथ सहयोग पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा देता है और साइबर हमलों के खिलाफ लचीलापन मजबूत करता है।
- सूचना साझाकरण: साइबर खुफिया और सूचना साझाकरण प्लेटफार्मों में निवेश साइबर खतरों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया की सुविधा प्रदान कर सकता है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा कर सकता है।
- रणनीतिक लाभ: खुफिया सहयोग भारत को रणनीतिक लाभ के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है। अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी सुरक्षा में निवेश करके, भारत और खाड़ी देश नवाचार को गति दे सकते हैं और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष:
- भारत-खाड़ी क्षेत्र के खुफिया संबंध एक बहुध्रुवीय दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए विकसित हो रहे हैं। जहाँ पारंपरिक सहयोग के क्षेत्र महत्वपूर्ण बने हुए हैं, वहीं आर्थिक गलियारों, उभरती प्रौद्योगिकियों और परोक्ष कूटनीति में नए अवसर सामने आ रहे हैं। तरल सुरक्षा परिदृश्य के अनुकूल होने के लिए सक्रिय सहयोग, प्राथमिकताओं में विविधता और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ रणनीतिक जुड़ाव की आवश्यकता है। इन अवसरों का लाभ उठाकर और चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करके, भारत और उसके खाड़ी क्षेत्र के साझेदार क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ा सकते हैं।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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स्रोत- ORF