संदर्भ:
- चीन की 20वीं पार्टी कांग्रेस का आगामी तीसरा प्लेनम, जो 15-18 जुलाई को होने वाला है, समग्र विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। टिप्पणीकारों, विशेष रूप से पश्चिम में, को उम्मीद है, कि यह आयोजन चीन की वर्तमान नीतियों और प्रकार्यात्मक दिशा में बदलाव का संकेत दे सकता है।
चीन और रूस पर पश्चिमी समूहों का दृष्टिकोण
- वैश्विक गतिशीलता में परिवर्तन
- पश्चिमी टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है, कि शीत युद्ध के बाद के युग की आशावादी दृष्टिकोण अब पुरानी हो चुकी है। उनका मानना है, कि मॉस्को और बीजिंग, अपने सहयोगियों के साथ, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए इस समय जिम्मेदार हितधारक बनने की संभावना नहीं रखते हैं।
- पश्चिमी टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है, कि शीत युद्ध के बाद के युग की आशावादी दृष्टिकोण अब पुरानी हो चुकी है। उनका मानना है, कि मॉस्को और बीजिंग, अपने सहयोगियों के साथ, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए इस समय जिम्मेदार हितधारक बनने की संभावना नहीं रखते हैं।
- तीसरे प्लेनम से अपेक्षाएँ
- विगत पृष्ठभूमि के खिलाफ, चीन की 20वीं पार्टी कांग्रेस के तीसरे प्लेनम पर, चीन के दृष्टिकोण में संभावित किसी भी तरह के बदलाव के संकेतों पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है। पश्चिम का निराशावाद इस विश्वास में निहित है, कि चीन इस विचार को स्वीकार नहीं करेगा, कि वैश्विक सुरक्षा आपस में अन्तर्सम्बन्धित है। हालाँकि, चीन के इस अप्रत्याशित कार्यों का इतिहास आश्चर्यजनक है।
- विगत पृष्ठभूमि के खिलाफ, चीन की 20वीं पार्टी कांग्रेस के तीसरे प्लेनम पर, चीन के दृष्टिकोण में संभावित किसी भी तरह के बदलाव के संकेतों पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है। पश्चिम का निराशावाद इस विश्वास में निहित है, कि चीन इस विचार को स्वीकार नहीं करेगा, कि वैश्विक सुरक्षा आपस में अन्तर्सम्बन्धित है। हालाँकि, चीन के इस अप्रत्याशित कार्यों का इतिहास आश्चर्यजनक है।
आर्थिक चिंताएँ और अटकलें/संभावनाएं
- आर्थिक गिरावट की धारणा
- पश्चिम में व्यापक रूप से यह माना जाता है, कि चीन की अर्थव्यवस्था चरम पर है, खासकर ‘जीरो कोविड’ नीति के प्रतिकूल प्रभावों के बाद। इस संदर्भ में आर्थिक गिरावट की धारणा के प्रचलित अटकलों को बढ़ावा देती है, कि तीसरा प्लेनम महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत कर सकता है।
- पश्चिम में व्यापक रूप से यह माना जाता है, कि चीन की अर्थव्यवस्था चरम पर है, खासकर ‘जीरो कोविड’ नीति के प्रतिकूल प्रभावों के बाद। इस संदर्भ में आर्थिक गिरावट की धारणा के प्रचलित अटकलों को बढ़ावा देती है, कि तीसरा प्लेनम महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत कर सकता है।
- तीसरे प्लेनम का महत्व
- ऐतिहासिक रूप से, तीसरा प्लेनम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले पांच से दस वर्षों के लिए आर्थिक रणनीति निर्धारित करता है। उम्मीद है कि यह प्लेनम चीन की तीव्र प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, भले ही वर्तमान स्थिति कुछ और ही संकेत दे रही हो।
- ऐतिहासिक रूप से, तीसरा प्लेनम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले पांच से दस वर्षों के लिए आर्थिक रणनीति निर्धारित करता है। उम्मीद है कि यह प्लेनम चीन की तीव्र प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, भले ही वर्तमान स्थिति कुछ और ही संकेत दे रही हो।
तीसरे प्लेनम का ऐतिहासिक संदर्भ
- पिछले सुधार
- चीन के आर्थिक सुधारों में तीसरे प्लेनम का एक शानदार इतिहास रहा है। 11वीं पार्टी कांग्रेस का 1978 का तीसरा प्लेनम सत्र, जिसमें देंग शियाओपिंग ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार की सिफारिश की है, विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस सत्र ने चीन को आर्थिक पुनरुत्थान के मार्ग पर स्थापित किया।
- चीन के आर्थिक सुधारों में तीसरे प्लेनम का एक शानदार इतिहास रहा है। 11वीं पार्टी कांग्रेस का 1978 का तीसरा प्लेनम सत्र, जिसमें देंग शियाओपिंग ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार की सिफारिश की है, विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस सत्र ने चीन को आर्थिक पुनरुत्थान के मार्ग पर स्थापित किया।
- प्लेनम की तिथि में आगे बढ़ना
- इस वर्ष तीसरे प्लेनम की तिथि का आगे बढ़ना, जो सामान्यतःअक्टूबर या नवंबर में आयोजित किया जाता है, ने संभावित व्यापक सुधारों के बारे में प्रचलित अटकलों को तेज कर दिया है।
- इस वर्ष तीसरे प्लेनम की तिथि का आगे बढ़ना, जो सामान्यतःअक्टूबर या नवंबर में आयोजित किया जाता है, ने संभावित व्यापक सुधारों के बारे में प्रचलित अटकलों को तेज कर दिया है।
चीन की आर्थिक चुनौतियाँ
- संरचनात्मक मुद्दे
- चीन कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें वृद्ध होती आबादी, सिकुड़ता कार्यबल, उच्च स्तर का ऋण और कार्यान्वित उपायों के बावजूद लगातार आर्थिक मुद्दे शामिल हैं। इस स्थिति ने चीन के भीतर अपने भविष्य के बारे में व्यापक निराशावाद को जन्म दिया है।
- चीन कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें वृद्ध होती आबादी, सिकुड़ता कार्यबल, उच्च स्तर का ऋण और कार्यान्वित उपायों के बावजूद लगातार आर्थिक मुद्दे शामिल हैं। इस स्थिति ने चीन के भीतर अपने भविष्य के बारे में व्यापक निराशावाद को जन्म दिया है।
- नए दिशा-निर्देशों की उम्मीद
- उम्मीद है कि प्लेनम चीनी आबादी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों को देश की आर्थिक सेहत के बारे में आश्वस्त करने के लिए नए दिशा-निर्देश पेश करेगा।
- उम्मीद है कि प्लेनम चीनी आबादी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों को देश की आर्थिक सेहत के बारे में आश्वस्त करने के लिए नए दिशा-निर्देश पेश करेगा।
- नेतृत्व के बारे में संदेह
- बाहरी विशेषज्ञ इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या वर्तमान नेतृत्व प्लेनम में नए विचार लाएगा। चीन के नेता शी जिनपिंग द्वारा अतीत की गलतियों को स्वीकार किए जाने जैसी स्वीकारोक्ति में इस तरह की कोई संभावना नहीं है। यद्यपि इस तरह की स्वीकारोक्ति शी के अधिकार और संभावनाओं को कमजोर कर सकती है।
- बाहरी विशेषज्ञ इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या वर्तमान नेतृत्व प्लेनम में नए विचार लाएगा। चीन के नेता शी जिनपिंग द्वारा अतीत की गलतियों को स्वीकार किए जाने जैसी स्वीकारोक्ति में इस तरह की कोई संभावना नहीं है। यद्यपि इस तरह की स्वीकारोक्ति शी के अधिकार और संभावनाओं को कमजोर कर सकती है।
पश्चिमी आरोप और चीन के इरादे
- आरोप
- चीन के बारे में पश्चिमी संदेह आर्थिक चिंताओं से परे है। गलत सूचना अभियान, चुनावों में हस्तक्षेप और सैन्य उकसावे सहित ‘ग्रे ज़ोन जबरदस्ती’ रणनीति के आरोप जारी हैं।
- चीन के बारे में पश्चिमी संदेह आर्थिक चिंताओं से परे है। गलत सूचना अभियान, चुनावों में हस्तक्षेप और सैन्य उकसावे सहित ‘ग्रे ज़ोन जबरदस्ती’ रणनीति के आरोप जारी हैं।
- क्षेत्रीय खतरे
- दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में ताइवान और अन्य देशों के लिए खतरा चीन के सैन्य और प्रचार प्रयासों का केंद्र बिंदु बना हुआ है। यह धारणा चीन के इरादों के बारे में व्यामोह को बढ़ाती है, खासकर एशिया में।
- दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में ताइवान और अन्य देशों के लिए खतरा चीन के सैन्य और प्रचार प्रयासों का केंद्र बिंदु बना हुआ है। यह धारणा चीन के इरादों के बारे में व्यामोह को बढ़ाती है, खासकर एशिया में।
- वैश्विक पहल
- चीन की वैश्विक विकास पहल (GDI), वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI), और वैश्विक सभ्यता पहल (GCI) इसकी कई मान्यताओं को समाहित करती हैं, जिससे समायोजन के लिए बहुत कम जगह बचती है।
- चीन की वैश्विक विकास पहल (GDI), वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI), और वैश्विक सभ्यता पहल (GCI) इसकी कई मान्यताओं को समाहित करती हैं, जिससे समायोजन के लिए बहुत कम जगह बचती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा उन्नयन
- शी जिनपिंग द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को उच्चतम स्तर पर बढ़ाने से चीन के इरादों के बारे में व्यामोह बढ़ गया है। यह दृष्टिकोण पहले से ही जटिल क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति में अस्थिरता जोड़ता है, जिससे भारत जैसे पड़ोसी देशों में नीति निर्माताओं के लिए दुविधा पैदा होती है।
- शी जिनपिंग द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को उच्चतम स्तर पर बढ़ाने से चीन के इरादों के बारे में व्यामोह बढ़ गया है। यह दृष्टिकोण पहले से ही जटिल क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति में अस्थिरता जोड़ता है, जिससे भारत जैसे पड़ोसी देशों में नीति निर्माताओं के लिए दुविधा पैदा होती है।
भारत-चीन संबंध
- तनावपूर्ण संबंध
- चीन-भारत सीमा पर तनाव के कारण, विशेष रूप से 2020 से भारत के चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। भारत द्वारा मधुरता या नम्यता दिखाने की इच्छा के बावजूद, चीन समझौता करने की बहुत कम इच्छा प्रदर्शित करता है।
- चीन-भारत सीमा पर तनाव के कारण, विशेष रूप से 2020 से भारत के चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। भारत द्वारा मधुरता या नम्यता दिखाने की इच्छा के बावजूद, चीन समझौता करने की बहुत कम इच्छा प्रदर्शित करता है।
- सख्त रवैया
- दोनों राष्ट्र अपने रवैये को सख्त करते दिख रहे हैं, जिसके कारण चीन की सैन्य क्षमताओं, जिसमें उसकी मिसाइल और परमाणु सूची भी शामिल है, की जांच बढ़ गई है।
- दोनों राष्ट्र अपने रवैये को सख्त करते दिख रहे हैं, जिसके कारण चीन की सैन्य क्षमताओं, जिसमें उसकी मिसाइल और परमाणु सूची भी शामिल है, की जांच बढ़ गई है।
- सैन्य क्षमताएँ
- भारत का रणनीतिक समुदाय चीन की रॉकेट फोर्स और अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में प्रगति से उत्पन्न खतरे को उजागर करना जारी रखता है।
- भारत का रणनीतिक समुदाय चीन की रॉकेट फोर्स और अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में प्रगति से उत्पन्न खतरे को उजागर करना जारी रखता है।
● टकराव की तैयारी
-
- हालांकि इस बात पर व्यापक सहमति है कि भारत को संभावित टकराव के लिए तैयार रहना चाहिए, फिर भी चीन की किसी भी आक्रामक हरकत का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त प्रयास करने चाहिए।
- हालांकि इस बात पर व्यापक सहमति है कि भारत को संभावित टकराव के लिए तैयार रहना चाहिए, फिर भी चीन की किसी भी आक्रामक हरकत का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त प्रयास करने चाहिए।
कूटनीतिक समाधान और भारत की भूमिका
- वर्तमान भारतीय कूटनीति की संभावना इन बात को रेखाँकित करती है, कि क्या चीन के साथ टकराव अपरिहार्य है या कूटनीतिक प्रयास चीन के आक्रामक इरादों को विफल कर सकते हैं। सैन्य संरचनाओं में सापेक्ष अंतर के बावजूद, कूटनीति गलत संचार के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचने में मदद कर सकती है।
- सकारात्मक प्रतिक्रिया का अभाव
- हालांकि, इस बात के बहुत कम संकेत हैं कि चीन अपने सख्त रुख को देखते हुए इस तरह के प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। भारत की रणनीतिक स्थिति आज, भारत चीन के साथ अपने संबंधों में पहल करने की मजबूत स्थिति में है। चूंकि यह एक प्रमुख शक्ति बनने की कगार पर है, इसलिए भारत के आर्थिक पैरामीटर वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ में से हैं।
- मजबूत नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मित्रता के साथ, भारत की पहल को कमजोरी के संकेत के रूप में नहीं बल्कि वैश्विक शांति की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जाएगा।
- हालांकि, इस बात के बहुत कम संकेत हैं कि चीन अपने सख्त रुख को देखते हुए इस तरह के प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। भारत की रणनीतिक स्थिति आज, भारत चीन के साथ अपने संबंधों में पहल करने की मजबूत स्थिति में है। चूंकि यह एक प्रमुख शक्ति बनने की कगार पर है, इसलिए भारत के आर्थिक पैरामीटर वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ में से हैं।
- ऐतिहासिक उदाहरण:
- भारत ने अतीत में उल्लेखनीय परिणामों के साथ पहल की है। 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन की पथ-प्रदर्शक यात्रा और डेंग शियाओपिंग के साथ उनकी चर्चाओं ने लगभग तीन दशकों की शांति सुनिश्चित की।
- भारत ने अतीत में उल्लेखनीय परिणामों के साथ पहल की है। 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन की पथ-प्रदर्शक यात्रा और डेंग शियाओपिंग के साथ उनकी चर्चाओं ने लगभग तीन दशकों की शांति सुनिश्चित की।
- वर्तमान अवसर
- वर्तमान स्थिति, तनावपूर्ण होने के बावजूद, भारत के लिए एक नई भव्य पहल शुरू करने का अवसर प्रदान करती है।
- वर्तमान स्थिति, तनावपूर्ण होने के बावजूद, भारत के लिए एक नई भव्य पहल शुरू करने का अवसर प्रदान करती है।
निष्कर्ष
- चीन की 20वीं पार्टी कांग्रेस का आगामी तीसरा प्लेनम चीन और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है। हालांकि दिशा में बदलाव की उम्मीद है, लेकिन परिणाम अनिश्चित है। अपनी मजबूत रणनीतिक स्थिति के साथ, भारत के पास सक्रिय रुख अपनाने का अवसर है, जो संभावित रूप से शांति की दिशा में आगे बढ़ सकता है। प्लेनम ऐसी पहल के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है, जिससे भारत, चीन, व्यापक क्षेत्र और दुनिया को लाभ होगा।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:
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