संदर्भ:
हाल ही में, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के कार्यालय ने 17 मार्च, 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया, जिसमें जन्म और मृत्यु के अनिवार्य पंजीकरण के सख्त पालन पर ज़ोर दिया गया है। यह निर्देश निजी और सरकारी दोनों अस्पताल मौजूदा कानूनी प्रावधानों का पालन न करने के कारण दिए गए हैं। यह सर्कुलर सरकार की नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के अंतर्गत पूर्ण पंजीकरण हासिल करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और रिपोर्टिंग तथा दस्तावेज़ीकरण की प्रणालीगत खामियों को संबोधित करता है।
भारत में जन्म और मृत्यु पंजीकरण की वर्तमान स्थिति
- रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के नवीनतम सर्कुलर के अनुसार, भारत में अब भी लगभग 10% जन्म और मृत्यु की घटनाएँ बिना पंजीकरण के रह जाती हैं। हालाँकि देश ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है,90% पंजीकरण दर प्राप्त की जा चुकी है लेकिन 100% सार्वभौमिक पंजीकरण का लक्ष्य अब भी अधूरा है। यह स्थिति 2011 की तुलना में काफी बेहतर है, जब जन्म का पंजीकरण स्तर 82.4% और मृत्यु का 66.4% था।
- यह प्रगति जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD अधिनियम), 1969 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो सभी ऐसी घटनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। इस कानून में 2023 में संशोधन किया गया, जिसके बाद इसमें और अधिक सख्त दंडात्मक प्रावधान जोड़े गए। अधिनियम की धारा 23(2) के अनुसार, रजिस्ट्रार द्वारा जन्म या मृत्यु का पंजीकरण न करने की स्थिति में ₹1,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो पहले ₹50 था।
नागरिक पंजीकरण प्रणाली के अंतर्गत ज़िम्मेदारियाँ:
नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS), जिसे RGI संचालित करता है, सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों में अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ तय करता है:
• सरकारी अस्पताल रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करते हैं और उनके क्षेत्राधिकार में घटित घटनाओं का पंजीकरण करना अनिवार्य है।
• निजी अस्पतालों को उपयुक्त रजिस्ट्रारों को घटनाओं की सूचना देनी होती है ताकि प्रमाण पत्र कुशलता से जारी किए जा सकें।
राज्य स्तर पर पंजीकरण की ज़िम्मेदारी इस प्रकार तय की गई है:
• असम, चंडीगढ़, हरियाणा, लक्षद्वीप, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह जैसे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य विभाग पंजीकरण का कार्य संभालते हैं।
• केरल में यह कार्य पंचायत विभाग द्वारा किया जाता है।
• बिहार में इसका दायित्व आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय को सौंपा गया है।
RBD अधिनियम में 2023 में किए गए संशोधन के अनुसार, अब मुख्य रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रारों के लिए यह अनिवार्य है कि वे केंद्र सरकार के साथ डेटा साझा करें, जिसे RGI द्वारा संचालित एक राष्ट्रीय डेटाबेस में समेकित किया जाएगा।
जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD अधिनियम), 1969:
RBD अधिनियम, 1969 भारत में सभी जन्मों और मृत्यु का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करने के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है। 2023 में इस अधिनियम में संशोधन कर प्रवर्तन को मजबूत किया गया, डिजिटल सुधार किए गए और इसे राष्ट्रीय डेटाबेस से जोड़ने की दिशा में कदम उठाए गए।
अनिवार्यताएँ और प्रावधान:
• अनिवार्य पंजीकरण: सभी जन्म और मृत्यु घटनाओं का संबंधित अधिकारियों के पास पंजीकरण आवश्यक है।
• रजिस्ट्रार की ज़िम्मेदारी: धारा 23(2) के अंतर्गत रजिस्ट्रार कानूनी रूप से इन घटनाओं को पंजीकृत करने के लिए बाध्य हैं। अनुपालन न करने पर ₹1,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो पहले ₹50 था।
• डिजिटल सुधार: 1 अक्टूबर, 2023 से सभी पंजीकरण एक केंद्रीकृत नागरिक पंजीकरण प्रणाली पोर्टल के माध्यम से किए जा रहे हैं, जो अब डिजिटल जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने का एकमात्र आधिकारिक माध्यम है।
• डिजिटल प्रमाण पत्र का उपयोग: डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र अब जन्म तिथि का प्रमाण प्रदान करने वाला एकमात्र वैध दस्तावेज़ है, जिसका उपयोग स्कूल में प्रवेश, नौकरी पाने, पासपोर्ट बनवाने, विवाह पंजीकरण और अन्य सेवाओं में किया जाएगा।
केंद्रीकृत डिजिटल पंजीकरण और इसके प्रभाव
1 अक्टूबर, 2023 से भारत में सभी जन्म और मृत्यु की घटनाओं को केंद्र सरकार के नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) पोर्टल के माध्यम से डिजिटल रूप से पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस बदलाव की एक प्रमुख विशेषता यह है कि अब डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र ही जन्म तिथि का एकमात्र वैध प्रमाण होगा, जो निम्नलिखित सरकारी कार्यों में आवश्यक होगा:
• शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश
• सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन
• विवाह पंजीकरण
• राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, राशन कार्ड, संपत्ति पंजीकरण और मतदाता सूची में अद्यतन
यह पहल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अद्यतन करने के उद्देश्य से भी जुड़ी हुई है, जिसमें 119 करोड़ निवासियों का रिकॉर्ड है। जबकि NPR नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की ओर पहला कदम है, इसकी प्रक्रिया फिलहाल आगामी जनगणना की अनिश्चित देरी के कारण रुकी हुई है।
चुनौतियाँ:
• कुछ अस्पताल तब तक पंजीकरण नहीं करते जब तक कि मृतक या नवजात के परिजन खुद संपर्क न करें।
• कुछ निजी अस्पताल रजिस्ट्रार को घटनाओं की सूचना देने से बचते हैं और यह ज़िम्मेदारी परिवार पर डाल देते हैं।
• कुछ रजिस्ट्रार नागरिकों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने में आवश्यक प्रयास नहीं कर रहे हैं।
• RGI ने इस बात पर जोर दिया कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र आदर्श रूप से घटना के सात दिनों के भीतर जारी किए जाने चाहिए।
महत्वपूर्ण आंकड़े और राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन डेटा की कमी
एक प्रमुख चिंता यह है कि "भारत के महत्वपूर्ण आंकड़े" (Vital Statistics of India) रिपोर्ट 2020 के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित नहीं की गई है। यह रिपोर्ट निम्नलिखित के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है:
• सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति
• सामाजिक-आर्थिक योजनाएँ
• सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं की निगरानी
यह रिपोर्ट राज्य-स्तरीय आंकड़ों का संकलन होती है, जिसमें शिशु मृत्यु दर, मृत-जन्म और कुल मृत्यु शामिल होते हैं।
हालाँकि हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, चंडीगढ़, मिज़ोरम, गोवा और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने 2022 तक की रिपोर्ट प्रकाशित की है, मिज़ोरम एकमात्र राज्य है जिसने अपनी 2023 की रिपोर्ट जारी की है। इसके विपरीत, केरल की अंतिम रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई थी।
2020 की राष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार कुछ प्रमुख रुझान थे:
• पंजीकृत जन्मों में गिरावट- 2.48 करोड़ (2019) से घटकर 2.42 करोड़ (2020) (2.4% की कमी)।
• पंजीकृत मृत्यु में वृद्धि- 76.4 लाख (2019) से बढ़कर 81.2 लाख (2020)।
• जन्म पंजीकरण में गिरावट अधिकांश राज्यों में देखी गई, सिर्फ बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को छोड़कर।
भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI):
भारत के रजिस्ट्रार जनरल का कार्यालय गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है और यह एक महत्वपूर्ण संस्था है। इसकी स्थापना 1949 में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्या से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्रित करना, उनका प्रबंधन करना और उन्हें प्रकाशित करना है, ताकि नीतियाँ सही तथ्यों के आधार पर बनाई जा सकें।
मुख्य कार्य:
• भारत की जनगणना कराना, जो विश्व की सबसे बड़ी जनसांख्यिकीय जानकारी एकत्र करने की प्रक्रिया है।
• भारत के भाषाई सर्वेक्षण का संचालन करना, जिससे देश की भाषाई विविधता को दस्तावेज़ किया जा सके।
• नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) का संचालन करना, जिससे जन्म, मृत्यु और मृत-जन्म की सतत रिकॉर्डिंग सुनिश्चित हो।
निष्कर्ष:
17 मार्च को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर द्वारा जारी सर्कुलर भारत में महत्वपूर्ण घटनाओं के समय पर और सटीक पंजीकरण की आवश्यकता की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत है। रिकॉर्डों का डिजिटलीकरण और केंद्रीकृत CRS पोर्टल सार्वभौमिक पंजीकरण की दिशा में बड़े कदम हैं, लेकिन अनुपालन में प्रणालीगत कमियाँ, अद्यतन डेटा की कमी और राज्यों में असमान कार्यान्वयन जैसी समस्याएँ अब भी चुनौती बनी हुई हैं।
प्रभावी निगरानी, विभागों के बीच बेहतर समन्वय और नागरिकों के लिए अनुकूल प्रक्रियाएँ आवश्यक हैं ताकि एक मज़बूत नागरिक पंजीकरण ढांचा स्थापित किया जा सके, जो शासन और जन कल्याण दोनों को बेहतर बना सके।
मुख्य प्रश्न- “महत्वपूर्ण आंकड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और सामाजिक-आर्थिक योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” इस कथन के संदर्भ में 2020 के बाद से राष्ट्रीय ‘भारत के महत्वपूर्ण आंकड़े’ रिपोर्ट के प्रकाशन में देरी के प्रभावों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। |