होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 11 Jan 2022

ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली (Brahmos Missile System) - समसामयिकी लेख

image

कीवर्ड : ब्रह्मोस, क्रूज मिसाइल, डीआरडीओ, रूस, सुपरसोनिक, मध्यम दूरी, एमटीसीआर।

चर्चा में क्यों?

सेना में सम्मिलित (कमीशंड) हुए आईएनएस विशाखापत्तनम से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक विस्तारित संस्करण (समुद्र से समुद्र पर मार करने वाली) का परीक्षण किया गया।

क्या है ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम ?

  • ब्रह्मोस एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। जिसे पनडुब्बी, जहाज, विमान या स्थल से लॉन्च किया जा सकता है। यह विश्व के सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है।
  • यह रूसी संघ के एन.पी.ओ और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) का एक संयुक्त उद्यम है।
  • यह रूस के पी-800 ओनिक्स क्रूज मिसाइल और इसी तरह की अन्य समुद्री-स्किमिंग रूसी क्रूज मिसाइल प्रौद्योगिकी पर आधारित है।
  • ब्रह्मोस नाम दो नदियों, भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा के नाम के मिश्रण से बना है।

क्रूज मिसाइल बनाम बैलिस्टिक मिसाइल

  • क्रूज एक निर्देशित मिसाइल है (इसका लक्ष्य पूर्व निर्धारित होता है) जिसका प्रयोग टेरेस्टेरियल टारगेट के विरुद्ध होता है, वहीँ बैलिस्टिक मिसाइल पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर एक या एक से अधिक वारहेड्स पहुंचाने के लिए बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र (बैलिस्टिक ट्राजेक्ट्री) का अनुसरण करती है।
  • क्रूज मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल की सीमा में ही अपना मार्ग तय करती हैं, जबकि बैलिस्टिक मिसाइलों के मामले में ऐसा नहीं है। छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें पृथ्वी के वायुमंडल में रहती हैं परन्तु लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (आईसीबीएम) एक उप-कक्षीय प्रक्षेपवक्र पर लॉन्च की जाती हैं तथा ये अधिकांश मार्ग वायुमंडल के बाहर ही तय करती हैं।
  • क्रूज मिसाइल का प्रक्षेपवक्र पूरी तरह से इसकी प्रणोदन प्रणाली द्वारा निर्धारित किया जाता है, जहां बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपवक्र प्रारंभिक वेग, गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव, वायु प्रतिरोध तथा पृथ्वी की गति (कोरिओलिस फोर्स) द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • क्रूज मिसाइल में अपनी उड़ान के दौरान सक्रिय प्रणोदन होता है जबकि एक बैलिस्टिक मिसाइल उड़ान के दौरान सक्रिय प्रणोदन का प्रयोग नहीं होता।
  • क्रूज मिसाइल की गति कम होती है तथा रडार पर इनका पता लगाना मुश्किल होता है, जबकि बैलिस्टिक मिसाइल को रडार पर आसानी से पहचाना जा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली :-

ब्रह्मोस I:

  • यह भारतीय सेना में सम्मिलित होने वाली पहली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।
  • ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति 2.8 मैक है। सम्पूर्ण विश्व में तैनात युद्धपोतों से लॉन्च किये जाने वाले किसी भी सरफेस टू एयर मिसाइल में ब्रह्मोस को रोकने (विध्वंस करने) की क्षमता नहीं है। इसमें विभिन्न रडारो से बचने की भी क्षमता है।
  • यह मिसाइल 200 से 300 किलोग्राम भारी तथा पारम्परिक वारहेड को ले जाने में सक्षम है। इसकी परिभ्रमण ऊंचाई सतह से 10 मीटर से 15 किमी ऊंचाई तक है।
  • ब्रह्मोस दो चरणों वाली एक मिसाइल है। इसमें एक ठोस प्रणोदक बूस्टर इंजन लगा रहता है जो पहले चरण को संचालित कर मिसाइल को सुपरसोनिक गति में लाता है।

ब्रह्मोस- II या ब्रह्मोस मार्क II :-

  • यह भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जा रही एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। ध्यातव्य हो कि भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है जिसके अंतर्गत इन परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है।
  • यह ब्रह्मोस-II क्रूज मिसाइलों की दूसरी श्रृंखला है। ब्रह्मोस-II की रेंज 1,000 किलोमीटर तथा गति 8 मैक तक हो सकती है।

विस्तारित रेंज की ब्रह्मोस :-

  • 2016 में भारत को एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के उपरांत भारत तथा रूस संयुक्त रूप से 600 किलोमीटर या उससे अधिक रेंज की ब्रह्मोस मिसाइलों को विकसित करने पर सहमत हुए हैं।
  • मार्च 2017 में उड़ीसा के एकीकृत परीक्षण रेंज से 450 किलोमीटर के रेंज वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। इस श्रेणी के क्षमता को और बढ़ाने के लिए मात्र एक सॉफ्टवेयर परिवर्तन की आवश्यकता है।

मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर)

  • मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है।
  • यह मिसाइल तथा मिसाइल प्रौद्योगिकी के प्रसार को सीमित करने वाले देशों के मध्य एक अनौपचारिक समझौता है। वर्तमान में 35 देश इसके सदस्य हैं।
  • इस व्यवस्था का गठन 1987 में जी-7 देशों (औद्योगीकृत देशों) द्वारा किया गया था।
  • एमटीसीआर मुख्य रूप से 500 किलोग्राम से अधिक वजन के वारहेड को 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों तथा मानवरहित हवाई विमानों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रौद्योगिकी तथा सामग्रियों के निर्यात का नियमन करता है।

भारत के लिए क्रूज मिसाइल का महत्व :-

  • भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि :- कई दक्षिण पूर्व एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली प्राप्त करने में अपनी रुचि व्यक्त की है। फिलीपींस, वियतनाम, मिस्र, इंडोनेशिया, मलेशिया, ओमान, चिली, ब्राजील, वेनेजुएला आदि देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल के नौसैनिक और तटीय रक्षा संस्करणों को खरीदने में रूचि दिखाई हैं।
  • भारत के लिए सामरिक महत्व :- ब्रह्मोस विश्व के सबसे तेज एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों (जहाज-रोधी क्रूज मिसाइल ) में एक है। इसका प्रयोग भारत के थल सेना, नौसेना और वायु सेना तीनो के द्वारा किया जाता है। भारत ब्रह्मोस के कई संस्करणों का प्रयोग कर रहा है। जिन्हे थल से, जल से (युद्धपोतों और पनडुब्बियों के माध्यम से) तथा हवा से (सुखोई-30 लड़ाकू जेट के माध्यम से) लॉन्च किया जा सकता है।
  • शत्रु से रक्षा तथा प्रतिरोध में वृद्धि :- ब्रह्मोस चीन तथा पाकिस्तान के विरुद्ध एक विश्वसनीय निवारक के रूप में कार्य करता है, क्योंकि उनके पास समान क्षमताओं वाली क्रूज मिसाइल नहीं है। 2016 में अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती पर चीन द्वारा किया गया विरोध इसकी प्रभावशीलता को सिद्ध करता है।
  • भारत के भू-राजनीतिक क्षितिज का विस्तार :- ब्रह्मोस का निर्यात भारत के आर्थिक कूटनीति सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी तथा हार्ड पावर प्रोफाइल को बढ़ावा देगा। इसी के साथ यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को एक मजबूत तथा विश्वसनीय सुरक्षाप्रदाता के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रणाली तकनीकी रूप से दुनिया में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से किस प्रकार बेहतर है? भारत के लिए इसके सामरिक महत्व की चर्चा कीजिए।

किसी भी प्रश्न के लिए हमसे संपर्क करें