संदर्भ:
हाल ही में भूटान द्वारा भारत के साथ अपनी दक्षिणी सीमा के पास, विशेष रूप से गेलेफू क्षेत्र में एक 'अंतर्राष्ट्रीय शहर' के निर्माण की घोषणा ने, एक अद्वितीय शहरी विकास के अवसर उत्पन्न किये हैं। 116वें राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक की यह घोषणा दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आर्थिक परिवर्तन और आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के भूटान के उद्देश्य के महत्त्व को उजागर करती है। एक हरित शहर के रूप में नियोजित गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर का प्रस्ताव, भूटान की सतत और पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को संरेखित करता है। भविष्य के शहरी योजनाकार इस नवोन्मेषी आकर्षक मॉडल से सीख ले सकते हैं। भारत की भागीदारी, विशेष रूप से असम के कोकराझाड़ और भूटान के गेलेफू के बीच एक रेलवे लिंक के वित्तपोषण के माध्यम से, द्विपक्षीय सहयोग को रेखांकित करती है और साझा आर्थिक विकास के लिए एक मंच का निर्माण करती है।
राष्ट्रीय लक्ष्य और शहरीकरण:
पारंपरिक रूप से जलविद्युत निर्यात और पर्यटन पर निर्भर भूटान के आर्थिक परिदृश्य को कोविड-19 महामारी और युवाओं के बढ़ते प्रवासन के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि हुई। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए, भूटान एक विकास-गहन शहरी परियोजना के रूप में गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर के निर्माण की कल्पना करता है। राजा जिग्मे वांगचुक का शहर को 'स्मार्ट सिटी' और 'माइंडफुलनेस सिटी' के रूप में महत्व देना भूटान के कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और द्विपक्षीय/बहुपक्षीय संबंधों से संबंधित बहुमुखी लक्ष्यों को दर्शाता है। यह दृष्टिकोण भूटान के सकल राष्ट्रीय खुशी (जीएनएच) के अद्वितीय दर्शन के साथ संरेखित है, जो पारंपरिक विकास मॉडल के विपरीत कल्याण और स्थिरता पर जोर देता है।
द्विपक्षीय कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय एकीकरण:
भारत के साथ रेलवे लिंक सहित गेलेफू-केंद्रित कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भूटान का ध्यान, भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ वित्तीय प्रवाह सहित वस्तुओं एवं सेवाओं के आदान-प्रदान को और अधिक बढ़ाना है। यह रणनीतिक कदम पूर्वोत्तर भारत के लिए भारत की एक्ट ईस्ट नीति का पूरक है। म्यांमार में राजनीतिक उथल-पुथल से उत्पन्न हालिया सीमा विवादों के बाद गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना कनेक्टिविटी लक्ष्यों को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्य भूमिका निभा सकती है। इस प्रकार भूटान का सक्रिय दृष्टिकोण, भारत के क्षेत्रीय कनेक्टिविटी उद्देश्यों के साथ-साथ द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से आपसी सहयोग को बढ़ावा देता है।
विकेंद्रीकृत विकास का अवसर:
बढ़ी हुई द्विपक्षीय कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर भारत, विशेष रूप से असम, जो भूटान के साथ सीमा साझा करती है; के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करती है। राजा जिग्मे वांगचुक और असम के मुख्यमंत्री के बीच संपन्न बैठक, भूटान की योजनाओं में इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है। अन्य के अलावा बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) का हिस्सा, असम के चिरांग जिले से गेलेफू की निकटता, विकेंद्रीकृत विकास के लिए एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करती है। गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना बीटीसी जिलों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे राज्य और केंद्रीय धन पर निर्भरता कम हो सकती है। इस परियोजना के कारण बोंगाईगांव, काजलगांव और कोकराझार जैसे सीमावर्ती कस्बों का महत्व बढ़ गया है, जिससे कनेक्टिविटी और व्यापार में वृद्धि हुई है। बढ़ी हुई कनेक्टिविटी भूटानी सीमा के पास के गांवों में पर्यावरण-पर्यटन के अवसर भी सृजित करती है, जिससे स्थायी क्षेत्रीय विकास पहल को बढ़ावा मिलता है।
प्रकृति आधारित पर्यटन और संरक्षण:
गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना में पर्यावरण-पर्यटन के लिए इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का लाभ उठाने की क्षमता है। पास में स्थित मानस राष्ट्रीय उद्यान, जो कि एक विश्व धरोहर स्थल है; भूटान में वन्यजीव अभयारण्यों के साथ, एक पर्यटन सर्किट बना सकता है, जो भारत-भूटान सीमा पर स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देगा। द्विपक्षीय सहयोग से पहलों का एक नेटवर्क तैयार हो सकता है, जो समृद्ध जैव विविधता को प्रदर्शित करेगा और दोनों देशों में संरक्षण प्रयासों में योगदान देगा। बीटीसी जैसे स्थानीय शासकीय संस्थानों की सक्रिय भागीदारी, क्षेत्रीय और शहरी विकास को बढ़ावा देते हुए; भारत के विकेंद्रित जनादेश के अनुरूप है।
भूराजनीतिक निहितार्थ और क्षेत्रीय विकास:
पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश के लिए भूटानी व्यापार को सुविधाजनक बनाने में भारत की सक्रिय भूमिका इसके क्षेत्रीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस सहयोग में दक्षिणी भूटान, उत्तरी बांग्लादेश और उत्तरी पश्चिम बंगाल में विकास को बढ़ावा देने की अगाध क्षमता है। चीन के साथ चल रहे वर्तमान सीमा विवादों के आलोक में भूटान और भारत के बीच साझा विकास लक्ष्य क्षेत्रीय भू-राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण सतत, दीर्घकालिक और स्थायी सहयोग को बढ़ावा देता है। साथ ही साझा आर्थिक उद्देश्यों के माध्यम से विवादास्पद भू-राजनीतिक स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक मॉडल भी प्रदान करता है।
विकास में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बनाए रखना:
विकास के प्रति भूटान का समर्पित दृष्टिकोण, जो उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण में निहित है; अनूठा है। भूटानी विशेषताओं को बनाए रखने की देश की प्रतिबद्धता के कारण गरीबी में भी गिरावट आई है और मानव विकास संकेतक (एचडीआई) में भी सुधार हुआ है। चूँकि भारत तेजी से शहरीकरण को बढ़ावा दे रहा है (2030 तक अनुमानित 400 मिलियन लोगों के शहरों में रहने की उम्मीद है), इस संदर्भ में भूटान की विकास कहानी एक अनिवार्य केस स्टडी बन गई है। यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की क्षति से संबंधित आर्थिक प्रथाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है और समावेशी एवं लचीले विकास को बढ़ावा देती है। भारत के शहरी योजनाकार भूटान के दृष्टिकोण से सीख लेकर न्यायसंगत शहरी विकास के लिए नीतियों में सुधार कर सकते हैं।
सतत शहरी विकास के लिए सीख:
भूटान की अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना में भारत की भागीदारी शहरी योजनाकारों और प्रशासकों के लिए सीखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। सतत शहरी विकास के प्रति भूटान की प्रतिबद्धता, अपनी अनूठी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत संरक्षण के साथ-साथ लोकाचार में निहित है। इसके साथ ही यह शहरीवाद मॉडल विकसित करने की अनूठी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है। चूँकि भारत में न्यायसंगत और समावेशी शहरों के निर्माण के लिए नीतिगत सुधार की आवश्यकता है। अतः भूटान का आगामी शहरी विस्तार इस दिशा में एक केस अध्ययन बन गया है। गेलेफ़ु अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना सतत शहरी विकास का एक जीवंत उदाहरण है, जो भारतीय शहरी योजनाकारों और नीति निर्माताओं के लिए एक व्यावहारिक सबक प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
भूटान की महत्वाकांक्षी गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर परियोजना न केवल देश के आर्थिक परिदृश्य में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है, बल्कि भारत के साथ क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक अनूठा अवसर भी प्रस्तुत करती है। यह परियोजना स्थिरता और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति भूटान की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जो इसे भारत में शहरी योजनाकारों के लिए एक मूल्यवान मॉडल बनाती है। बढ़ती कनेक्टिविटी और आर्थिक संबंध, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के लिए; विकेंद्रीकृत विकास और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। गेलेफू अंतर्राष्ट्रीय शहर, प्रकृति-आधारित पर्यटन, संरक्षण और सांस्कृतिक विरासत पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ , शहरी विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदर्शित करता है। जैसे-जैसे भारत अपनी शहरीकरण चुनौतियों से निपट रहा है, भूटानी मॉडल ऐसे शहरों के निर्माण के लिए आवश्यक सीख प्रदान करता है। यह सीख न केवल आर्थिक रूप से जीवंत हैं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध और पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास पारस्परिक रूप से लाभकारी रिश्ते के लिए एक मंच तैयार करता है, जो दोनों देशों की समग्र भलाई और समृद्धि में योगदान देता है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: 1. शहरी विकास में स्थिरता और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं पर भूटान का जोर क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक संभावित मॉडल के रूप में कैसे काम करता है? (10 अंक, 150 शब्द) 2. शहरीकरण के सामने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बनाए रखने के लिए भूटान की प्रतिबद्धता किस प्रकार अन्य देशों, विशेष रूप से भारत, के लिए एक सीख प्रदान करती है, जो न्यायसंगत, समावेशी और लचीला शहरी विकास प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं? (15 अंक, 250 शब्द) |
स्रोत: Indian Express