संदर्भ:
दुनिया की दूसरी सर्वाधिक जन आबादी वाला देश होने के नाते, भारत अपने सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर कार्य कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य 3 - अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण; को वर्ष 2030 तक प्राप्त करने की देश की प्रतिबद्धता, स्वास्थ्य देखभाल संबंधी असमानताओं को दूर करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती है। इस प्रयास के केंद्र सरकार ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) की अवधारणा अपनाई है, जिसका लक्ष्य वित्तीय अभाव से परे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है।
मौलिक अधिकार के रूप में स्वास्थ्य का अधिकार:
- भारत में कई संवैधानिक प्रावधान और न्यायिक घोषणाएँ स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार को मान्यता देते हैं। अनुच्छेद 38, 41, 42, और 47 सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए नीतियां बनाने के सरकार के दायित्व का उल्लेख करती है। न्यायपालिका ने, विशेष रूप से पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1996) मामले में, स्वास्थ्य के अधिकार को जीवन के अधिकार के रूप में पुष्टि की है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य, व्यापक स्वास्थ्य देखभाल की आधारशिला है, जो व्यक्तिगत उपचार से परे निवारक उपायों और सामुदायिक कल्याण को सुनिश्चित करता है। हालाँकि, असमानताएँ अभी भी विद्यमान हैं, जो अपने वैश्विक समकक्षों की तुलना में भारत के न्यूनतम स्वास्थ्य देखभाल व्यय से प्रमाणित है। इस संदर्भ में आयुष्मान भारत पहल का शुभारंभ यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज प्राप्त करने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है।
भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का विकास:
- आजादी के बाद से भारत की स्वास्थ्य सेवा यात्रा, बुनियादी ढांचे के विकास और बीमारी उन्मूलन में प्रगति को दर्शाती है। इसके उल्लेखनीय उपलब्धियों में वर्ष 1977 में चेचक के सफल उन्मूलन को शामिल किया जा सकता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इसके बाद की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों ने समान पहुंच और सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश में वृद्धि को रेखांकित किया है।
- वर्ष 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ने वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक सार्वभौमिक पहुंच की परिकल्पना करते हुए आयुष्मान भारत की नींव रखी। वर्ष 2018 में लॉन्च किए गए, आयुष्मान भारत में दो घटक शामिल हैं: आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई)। एबी-एचडब्ल्यूसी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को लक्षित करता है, जिसका लक्ष्य चयनात्मक से व्यापक सेवाओं में परिवर्तन करना है। PM-JAY, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल के लिए बीमा कवरेज प्रदान करता है।
आयुष्मान भारत पहल:
- पीएम-एचडब्ल्यूसी (प्रधानमंत्री स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र) का लक्ष्य देश भर में आयुष्मान आरोग्य केंद्र स्थापित करके प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्रोत्साहित करना है। इस हेतु जनवरी 2024 तक 1,60,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं
- आयुष्मान भारत का PM-JAY घटक लाभार्थी परिवारों के लिए ₹5 लाख तक का बीमा कवर प्रदान करता है। हालांकि पात्रता के मानदंड ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच अलग-अलग होते हैं, तथापि हाशिये पर मौजूद जनसांख्यिकी को प्राथमिकता दी जाती है। विशेष रूप से, पीएम-जेएवाई ने कवरेज और लाभार्थी समावेशन का विस्तार करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का रुप ग्रहण कर लिया है।
- आयुष्मान भारत के कार्यान्वयन के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए), और जिला कार्यान्वयन इकाइयाँ (डीआईयू) के संयुक्त प्रयास सराहनीय हैं। यह योजना तीन मॉडलों के तहत संचालित होती है: ट्रस्ट, बीमा और हाइब्रिड; ये सभी दावा प्रबंधन में लचीलापन प्रदान करती है। परिचालन दक्षता के बावजूद, पैनलों का श्रेणीकरण, बिस्तर की उपलब्धता और लाभार्थी की जागरूकता संबंधी चुनौतियाँ आज भी बनी हुई हैं।
उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ:
- PM-JAY देश की लगभग 40% आबादी को कवर करती है और इसमें लाभार्थियों को SECC (सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना) के आधार पर चुना जाता है। जनवरी 2024 तक, 30 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं; उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आयुष्मान भारत कार्ड वाला राज्य है।
- आयुष्मान भारत ने अपनी स्थापना के बाद से 3.9 करोड़ से अधिक उपचार किए हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही साथ सार्वजनिक और निजी अस्पतालों का इसका एकीकरण समावेशिता और सेवा पहुंच को रेखांकित करता है।
Year |
Number of Treatments |
2018-19 |
46.5 lakh |
2019-20 |
1.9 crore |
2020-21 |
Approx 2 crore |
2021-22 |
3.0 crore + |
- NHA की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, इस योजना के तहत लगभग 28,300 अस्पताल हैं, जिनमें से 46% निजी और 54% सार्वजनिक अस्पताल हैं।
Year |
Number of empanelled hospitals |
2018-19 |
18,236 |
2019-20 |
23,311 |
2020-21 |
Approx 27,000 |
2021-22 |
28,311 |
Source: National Health Authority Annual Report
- हालाँकि, राजनीतिक हस्तक्षेप योजना को क्रियान्वयन में बाधा डालती है, इसीलिए कुछ राज्य स्वतंत्र स्वास्थ्य योजनाओं का चयन करते हैं। इसके अतिरिक्त अस्पताल के पैनल में शामिल होने और बिस्तर की उपलब्धता में चुनौतियाँ भी स्वास्थ्य सेवा वितरण में बाधा डालती हैं, जिससे रणनीतिक नीति-नियमन की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
- उपर्युक्त के अलावा कम जागरूकता और जटिल नामांकन प्रक्रियाएं योजना की प्रभावशीलता को कमजोर करती हैं, विशेषकर हाशिए पर रहने वाले समुदायों के संबंध में। साथ ही वित्तीय बोझ और परिचालन संबंधी अक्षमताएं कार्यान्वयन चुनौतियों को और बढ़ा देती हैं। यद्यपि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आयुष्मान भारत की सफलता स्पष्ट है, फिर भी इसकी क्षमता को अनुकूलित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों और नवीन समाधानों की आवश्यकता है।
आयुष्मान भारत की प्रभावकारिता और पहुंच का विस्तारीकरण:
- आयुष्मान भारत को बढ़ावा देने के लिए, सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने और अंतर-सरकारी सहयोग को सुव्यवस्थित करने के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है। समान स्वास्थ्य देखभाल पहुंच के लिए केंद्रीकृत वित्तीय पोषण तंत्र का लाभ उठाते हुए, राज्यों को इस योजना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सेवा विस्तार और गुणवत्ता वृद्धि के लिए निजी अस्पतालों को शामिल करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना भी अनिवार्य है।
- समावेशन और लाभार्थी सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए आपसी समझ की बाधाओं को दूर करना और नामांकन प्रक्रियाओं को सरल बनाना अनिवार्य है। तकनीकी नवाचारों और सामुदायिक पहलों को अपनाने से, जन-जागरूकता फैलाने और नामांकन प्रक्रियाओं को सुविधाजनक बनाने में मदद मिल सकती है। आयुष्मान भारत का विकास बदलते स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य को सुदृढ़ करने के लिए अनुकूल नीति निर्धारण और हितधारकों की भागीदारी पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष:
आयुष्मान भारत न्यायसंगत स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। विकसित हो रहे स्वास्थ्य देखभाल प्रतिमानों और जनसांख्यिकीय बदलावों के बीच, आयुष्मान भारत प्रगति और समावेशिता का प्रतीक है। विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, आज सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और सामाजिक आर्थिक कल्याण पर इसका प्रभाव निर्विवाद है।
जैसे-जैसे भारत सतत विकास और वैश्विक प्रमुखता की ओर अपना मार्ग प्रशस्त कर रहा है, आयुष्मान भारत सामाजिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। सहयोगात्मक ढाँचे और नवीन रणनीतियों का उपयोग करके, भारत एक स्वस्थ, अधिक लचीले राष्ट्र के अपने दृष्टिकोण को साकार कर सकता है। आयुष्मान भारत की यात्रा सक्रिय स्वास्थ्य देखभाल नीति निर्माण और समावेशी समृद्धि की दिशा में सामूहिक कार्रवाई की परिवर्तनकारी क्षमता को रेखांकित करती है।
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न: 1. आयुष्मान भारत पहल भारत की सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) की प्राप्ति में कैसे योगदान देती है? आयुष्मान भारत के प्रमुख घटकों और देश भर में स्वास्थ्य देखभाल संबंधी असमानताओं को दूर करने में इसके महत्व पर चर्चा करें। (10 अंक, 150 शब्द) 2. भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को बेहतर बनाने में आयुष्मान भारत पहल की उपलब्धियों और चुनौतियों का विश्लेषण करें। योजना की प्रभावशीलता को अनुकूलित करने में सहयोगी शासन, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नवीन रणनीतियों की भूमिका का मूल्यांकन करें। (15 अंक, 250 शब्द) |
स्रोत- वीआईएफ